Guru Granth Sahib Translation Project

Guru Granth Sahib Hindi Page 914

Page 914

ਕਾਹੂ ਬਿਹਾਵੈ ਮਾਇ ਬਾਪ ਪੂਤ ॥ काहू बिहावै माइ बाप पूत ॥ कोई माता-पिता एवं पुत्र के संग भावनात्मक बंधनों में उलझा हुआ जीवन व्यतीत कर देता है,
ਕਾਹੂ ਬਿਹਾਵੈ ਰਾਜ ਮਿਲਖ ਵਾਪਾਰਾ ॥ काहू बिहावै राज मिलख वापारा ॥ कोई राज्य, धन-सम्पति एवं व्यापार जैसी सांसारिक उलझनों में फंसा हुआ जीवन बिताता है,
ਸੰਤ ਬਿਹਾਵੈ ਹਰਿ ਨਾਮ ਅਧਾਰਾ ॥੧॥ संत बिहावै हरि नाम अधारा ॥१॥ लेकिन संतों का जीवन हरि-नाम के आधार पर व्यतीत हो जाता है।१॥
ਰਚਨਾ ਸਾਚੁ ਬਨੀ ॥ रचना साचु बनी ॥ यह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड अनन्त ईश्वर की रचना है।
ਸਭ ਕਾ ਏਕੁ ਧਨੀ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ सभ का एकु धनी ॥१॥ रहाउ ॥ और परमेश्वर ही सबके स्वामी हैं॥ १॥ रहाउ॥
ਕਾਹੂ ਬਿਹਾਵੈ ਬੇਦ ਅਰੁ ਬਾਦਿ ॥ काहू बिहावै बेद अरु बादि ॥ कोई वेदों के अध्ययन एवं वाद-विवाद में अपना जीवन व्यतीत कर देता है,
ਕਾਹੂ ਬਿਹਾਵੈ ਰਸਨਾ ਸਾਦਿ ॥ काहू बिहावै रसना सादि ॥ किसी का जीवन केवल अपनी रसना की तृप्ति हेतु स्वादिष्ट भोजन का आनंद लेने में ही व्यतीत हो रहा है।
ਕਾਹੂ ਬਿਹਾਵੈ ਲਪਟਿ ਸੰਗਿ ਨਾਰੀ ॥ काहू बिहावै लपटि संगि नारी ॥ किसी कामुक व्यक्ति का जीवन नारी के संग कामपिपासा में ही बीत जाता है,
ਸੰਤ ਰਚੇ ਕੇਵਲ ਨਾਮ ਮੁਰਾਰੀ ॥੨॥ संत रचे केवल नाम मुरारी ॥२॥ लेकिन संत केवल प्रभु के नाम में ही जीवन पर्यन्त लीन रहते हैं।॥ २॥
ਕਾਹੂ ਬਿਹਾਵੈ ਖੇਲਤ ਜੂਆ ॥ काहू बिहावै खेलत जूआ ॥ किसी का जीवन जुआ खेलते ही व्यतीत हो जाता है।
ਕਾਹੂ ਬਿਹਾਵੈ ਅਮਲੀ ਹੂਆ ॥ काहू बिहावै अमली हूआ ॥ कोई नशे में अपना जीवन गुजार देता है,
ਕਾਹੂ ਬਿਹਾਵੈ ਪਰ ਦਰਬ ਚੋੁਰਾਏ ॥ काहू बिहावै पर दरब चोराए ॥ कोई पराया धन चोरी करने में जीवन व्यतीत कर देता है,
ਹਰਿ ਜਨ ਬਿਹਾਵੈ ਨਾਮ ਧਿਆਏ ॥੩॥ हरि जन बिहावै नाम धिआए ॥३॥ किन्तु भक्तजन परमात्मा के नाम-ध्यान में अपना जीवन साकार कर लेते हैं।॥ ३॥
ਕਾਹੂ ਬਿਹਾਵੈ ਜੋਗ ਤਪ ਪੂਜਾ ॥ काहू बिहावै जोग तप पूजा ॥ किसी का जीवन योग साधना, तपस्या एवं पूजा में ही गुजर जाता है,
ਕਾਹੂ ਰੋਗ ਸੋਗ ਭਰਮੀਜਾ ॥ काहू रोग सोग भरमीजा ॥ कोई रोग-शोक एवं भ्रम में पड़कर जीवन व्यतीत कर देता है,
ਕਾਹੂ ਪਵਨ ਧਾਰ ਜਾਤ ਬਿਹਾਏ ॥ काहू पवन धार जात बिहाए ॥ कोई योगासन से प्राणायाम करके जीवन व्यतीत कर देते हैं,
ਸੰਤ ਬਿਹਾਵੈ ਕੀਰਤਨੁ ਗਾਏ ॥੪॥ संत बिहावै कीरतनु गाए ॥४॥ लेकिन संतों का जीवन ईश्वर का भजन-कीर्तन करते ही व्यतीत हो जाता है॥ ४ ॥
ਕਾਹੂ ਬਿਹਾਵੈ ਦਿਨੁ ਰੈਨਿ ਚਾਲਤ ॥ काहू बिहावै दिनु रैनि चालत ॥ किसी का जीवन दिन-रात सफर करते ही व्यतीत हो जाता है,
ਕਾਹੂ ਬਿਹਾਵੈ ਸੋ ਪਿੜੁ ਮਾਲਤ ॥ काहू बिहावै सो पिड़ु मालत ॥ कोई रणभूमि में डटकर लड़ता हुआ ही जीवन व्यतीत कर देता है,
ਕਾਹੂ ਬਿਹਾਵੈ ਬਾਲ ਪੜਾਵਤ ॥ काहू बिहावै बाल पड़ावत ॥ कुछ लोग अध्यापक बनकर बच्चों को विद्या देने में ही समय बिता देते हैं,
ਸੰਤ ਬਿਹਾਵੈ ਹਰਿ ਜਸੁ ਗਾਵਤ ॥੫॥ संत बिहावै हरि जसु गावत ॥५॥ परन्तु संतों की जीवन भगवान् का यशोगान करने में व्यतीत हो जाता है॥ ५॥
ਕਾਹੂ ਬਿਹਾਵੈ ਨਟ ਨਾਟਿਕ ਨਿਰਤੇ ॥ काहू बिहावै नट नाटिक निरते ॥ किसी का जीवन कलाकार बनकर नाटक एवं नृत्य में ही व्यतीत हो जाता है,
ਕਾਹੂ ਬਿਹਾਵੈ ਜੀਆਇਹ ਹਿਰਤੇ ॥ काहू बिहावै जीआइह हिरते ॥ कोई जीव-हत्या एवं लूटपाट में जीवन व्यतीत कर देते हैं,
ਕਾਹੂ ਬਿਹਾਵੈ ਰਾਜ ਮਹਿ ਡਰਤੇ ॥ काहू बिहावै राज महि डरते ॥ कोई अपना जीवन राज-भाग के कार्यों में डरते हुए व्यतीत कर देते हैं,
ਸੰਤ ਬਿਹਾਵੈ ਹਰਿ ਜਸੁ ਕਰਤੇ ॥੬॥ संत बिहावै हरि जसु करते ॥६॥ परन्तु संत प्रभु का यशोगान करते हुए जीवन व्यतीत कर देते हैं।॥ ६॥
ਕਾਹੂ ਬਿਹਾਵੈ ਮਤਾ ਮਸੂਰਤਿ ॥ काहू बिहावै मता मसूरति ॥ किसी का जीवन दूसरों को परामर्श और सलाह देते हुए बीत जाता है।
ਕਾਹੂ ਬਿਹਾਵੈ ਸੇਵਾ ਜਰੂਰਤਿ ॥ काहू बिहावै सेवा जरूरति ॥ किसी का जीवन अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु दूसरों की सेवा करते-करते ही बीत जाता है।
ਕਾਹੂ ਬਿਹਾਵੈ ਸੋਧਤ ਜੀਵਤ ॥ काहू बिहावै सोधत जीवत ॥ किसी का जीवन-संशोधन करने में ही समय व्यतीत हो जाता है,
ਸੰਤ ਬਿਹਾਵੈ ਹਰਿ ਰਸੁ ਪੀਵਤ ॥੭॥ संत बिहावै हरि रसु पीवत ॥७॥ परन्तु संतों की पूरी जीवन हरि-नाम रूपी रस का पान करने में ही व्यतीत हो जाता है॥ ७॥
ਜਿਤੁ ਕੋ ਲਾਇਆ ਤਿਤ ਹੀ ਲਗਾਨਾ ॥ जितु को लाइआ तित ही लगाना ॥ सच तो यही है कि ईश्वर ने जीव को जिस कार्य में लगाया है, वह उस में लग गया है।
ਨਾ ਕੋ ਮੂੜੁ ਨਹੀ ਕੋ ਸਿਆਨਾ ॥ ना को मूड़ु नही को सिआना ॥ न कोई मूर्ख है और न ही कोई चतुर है।
ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਜਿਸੁ ਦੇਵੈ ਨਾਉ ॥ करि किरपा जिसु देवै नाउ ॥ परमात्मा कृपा करके जिसे अपना नाम देते हैं,
ਨਾਨਕ ਤਾ ਕੈ ਬਲਿ ਬਲਿ ਜਾਉ ॥੮॥੩॥ नानक ता कै बलि बलि जाउ ॥८॥३॥ हे नानक, मैं उस व्यक्ति के प्रति सदैव समर्पित हूँ। ॥८॥३॥
ਰਾਮਕਲੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥ रामकली महला ५ ॥ राग रामकली, पंचम गुरु: ५ ॥
ਦਾਵਾ ਅਗਨਿ ਰਹੇ ਹਰਿ ਬੂਟ ॥ दावा अगनि रहे हरि बूट ॥ जिस प्रकार जंगल की भीषण आग में भी कुछ हरे पौधे सुरक्षित रह जाते हैं।
ਮਾਤ ਗਰਭ ਸੰਕਟ ਤੇ ਛੂਟ ॥ मात गरभ संकट ते छूट ॥ जैसे माता के गर्भ के संकट में से बच्चा छूट जाता है,
ਜਾ ਕਾ ਨਾਮੁ ਸਿਮਰਤ ਭਉ ਜਾਇ ॥ जा का नामु सिमरत भउ जाइ ॥ जिसका नाम स्मरण करने से हर प्रकार का भय दूर हो जाता है,
ਤੈਸੇ ਸੰਤ ਜਨਾ ਰਾਖੈ ਹਰਿ ਰਾਇ ॥੧॥ तैसे संत जना राखै हरि राइ ॥१॥ ईश्वर अपने संतजनों की रक्षा करता है॥ १॥
ਐਸੇ ਰਾਖਨਹਾਰ ਦਇਆਲ ॥ ऐसे राखनहार दइआल ॥ दयालु ईश्वर सबकी रक्षा करने वाला है।
ਜਤ ਕਤ ਦੇਖਉ ਤੁਮ ਪ੍ਰਤਿਪਾਲ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ जत कत देखउ तुम प्रतिपाल ॥१॥ रहाउ ॥ हे दीनदयाल ! जिधर-किधर भी देखता हूँ, केवल आप ही हमारा प्रतिपालक है॥ १॥ रहाउ॥
ਜਲੁ ਪੀਵਤ ਜਿਉ ਤਿਖਾ ਮਿਟੰਤ ॥ जलु पीवत जिउ तिखा मिटंत ॥ जैसे जल पीने से प्यास मिट जाती है,
ਧਨ ਬਿਗਸੈ ਗ੍ਰਿਹਿ ਆਵਤ ਕੰਤ ॥ धन बिगसै ग्रिहि आवत कंत ॥ जैसे पति के घर में आने से पत्नी प्रसन्न हो जाती है,
ਲੋਭੀ ਕਾ ਧਨੁ ਪ੍ਰਾਣ ਅਧਾਰੁ ॥ लोभी का धनु प्राण अधारु ॥ और सांसारिक धन, लालची व्यक्ति के जीवन का एकमात्र सहारा बना रहता है।
ਤਿਉ ਹਰਿ ਜਨ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮ ਪਿਆਰੁ ॥੨॥ तिउ हरि जन हरि हरि नाम पिआरु ॥२॥ वैसे ही भक्तजनों का हरि-नाम से प्यार होता है। २॥
ਕਿਰਸਾਨੀ ਜਿਉ ਰਾਖੈ ਰਖਵਾਲਾ ॥ किरसानी जिउ राखै रखवाला ॥ जैसे कृषक अपनी कृषि की रक्षा करता है,
ਮਾਤ ਪਿਤਾ ਦਇਆ ਜਿਉ ਬਾਲਾ ॥ मात पिता दइआ जिउ बाला ॥ जैसे माता-पिता अपने बच्चे पर दया करते हैं,
ਪ੍ਰੀਤਮੁ ਦੇਖਿ ਪ੍ਰੀਤਮੁ ਮਿਲਿ ਜਾਇ ॥ प्रीतमु देखि प्रीतमु मिलि जाइ ॥ जैसे प्रियतम को देखकर प्रियतमा उसमें ही आसक्त हो जाती है,
ਤਿਉ ਹਰਿ ਜਨ ਰਾਖੈ ਕੰਠਿ ਲਾਇ ॥੩॥ तिउ हरि जन राखै कंठि लाइ ॥३॥ वैसे ही भक्तजनों को परमेश्वर अपने कंठ से लगाकर रखते हैं॥ ३॥
ਜਿਉ ਅੰਧੁਲੇ ਪੇਖਤ ਹੋਇ ਅਨੰਦ ॥ जिउ अंधुले पेखत होइ अनंद ॥ जिस प्रकार एक अंधा व्यक्ति देखने में सक्षम होने पर आनंदित महसूस करता है,
ਗੂੰਗਾ ਬਕਤ ਗਾਵੈ ਬਹੁ ਛੰਦ ॥ गूंगा बकत गावै बहु छंद ॥ जैसे कोई गूंगा बोलने लग जाए तो वह प्रसन्न होकर गीत गाने लगता है,
ਪਿੰਗੁਲ ਪਰਬਤ ਪਰਤੇ ਪਾਰਿ ॥ पिंगुल परबत परते पारि ॥ जैसे कोई लंगड़ा आदमी पर्वत पर चढ़कर प्रसन्नता व्यक्त करता है,
ਹਰਿ ਕੈ ਨਾਮਿ ਸਗਲ ਉਧਾਰਿ ॥੪॥ हरि कै नामि सगल उधारि ॥४॥ वैसे ही हरि का नाम जपने से सबका उद्धार हो जाता है।४॥
ਜਿਉ ਪਾਵਕ ਸੰਗਿ ਸੀਤ ਕੋ ਨਾਸ ॥ जिउ पावक संगि सीत को नास ॥ जैसे अग्नि जलने से शीत का प्रकोप नाश हो जाता है,
ਐਸੇ ਪ੍ਰਾਛਤ ਸੰਤਸੰਗਿ ਬਿਨਾਸ ॥ ऐसे प्राछत संतसंगि बिनास ॥ ऐसे ही संतों की संगति करने से हर प्रकार के पाप नाश हो जाते हैं।
ਜਿਉ ਸਾਬੁਨਿ ਕਾਪਰ ਊਜਲ ਹੋਤ ॥ जिउ साबुनि कापर ऊजल होत ॥ जैसे साबुन लगाकर कपड़े धोने से उज्ज्वल हो जाते हैं,
ਨਾਮ ਜਪਤ ਸਭੁ ਭ੍ਰਮੁ ਭਉ ਖੋਤ ॥੫॥ नाम जपत सभु भ्रमु भउ खोत ॥५॥ वैसे ही नाम जपने से सब भ्रम दूर हो जाते हैं।॥ ५ ॥
ਜਿਉ ਚਕਵੀ ਸੂਰਜ ਕੀ ਆਸ ॥ जिउ चकवी सूरज की आस ॥ जैसे चकवी को सूर्योदय की आशा रहती है,
ਜਿਉ ਚਾਤ੍ਰਿਕ ਬੂੰਦ ਕੀ ਪਿਆਸ ॥ जिउ चात्रिक बूंद की पिआस ॥ जैसे चातक को स्वाति बूंद की प्यास लगी रहती है,
ਜਿਉ ਕੁਰੰਕ ਨਾਦ ਕਰਨ ਸਮਾਨੇ ॥ जिउ कुरंक नाद करन समाने ॥ जैसे हिरन को संगीत के स्वर से सुख उपलब्ध होता है,
ਤਿਉ ਹਰਿ ਨਾਮ ਹਰਿ ਜਨ ਮਨਹਿ ਸੁਖਾਨੇ ॥੬॥ तिउ हरि नाम हरि जन मनहि सुखाने ॥६॥ वैसे ही प्रभु का नाम भक्तों के मन में सुख प्रदान करता है ॥६॥


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