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ੴ ਸਤਿ ਨਾਮੁ ਕਰਤਾ ਪੁਰਖੁ ਨਿਰਭਉ ਨਿਰਵੈਰੁ ਅਕਾਲ ਮੂਰਤਿ ਅਜੂਨੀ ਸੈਭੰ ਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
वह अद्वैत ईश्वर (ओंकार स्वरूप) एकमात्र सत्य है। वह आदिपुरुष है, सृष्टि का कर्ता और सर्वशक्तिमान है। उसे न भय है न वैर, और सब पर समान दृष्टि से वह प्रेमस्वरूप है। वह कालातीत, अमर ब्रह्ममूर्ति है, जन्म-मरण से परे, स्वयंजन्मा, और जिसकी प्राप्ति गुरु की कृपा से होती है।
ਰਾਗੁ ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੧ ਚਉਪਦੇ ਘਰੁ ੧ ॥
राग बिलावल, प्रथम गुरु, चार छंद, प्रथम ताल: १ ॥
ਤੂ ਸੁਲਤਾਨੁ ਕਹਾ ਹਉ ਮੀਆ ਤੇਰੀ ਕਵਨ ਵਡਾਈ ॥
हे परमात्मा ! आप समूची सृष्टि के सुलतान है, अगर मैं आपको मियाँ कहकर संबोधित कर दूँ, तो भला कौन-सी बड़ी बात है, क्योंकि आपकी महिमा का कोई अन्त नहीं।
ਜੋ ਤੂ ਦੇਹਿ ਸੁ ਕਹਾ ਸੁਆਮੀ ਮੈ ਮੂਰਖ ਕਹਣੁ ਨ ਜਾਈ ॥੧॥
हे स्वामी ! आप जैसा मुझे ज्ञान देते हैं, मैं वैसा ही प्रकट करता हूँ। मैं तो अज्ञान का पुतला हूँ, आपकी वाणी में क्या स्तुति करूं, कुछ भी नहीं जानता। ॥ १॥
ਤੇਰੇ ਗੁਣ ਗਾਵਾ ਦੇਹਿ ਬੁਝਾਈ ॥
मुझे ऐसी सूझ दीजिए ताकि मैं आपका गुणगान करूँ तथा
ਜੈਸੇ ਸਚ ਮਹਿ ਰਹਉ ਰਜਾਈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
जैसे आपकी इच्छा से मैं सत्य में ही लीन रहूँ॥ १॥ रहाउ॥
ਜੋ ਕਿਛੁ ਹੋਆ ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਤੁਝ ਤੇ ਤੇਰੀ ਸਭ ਅਸਨਾਈ ॥
दुनिया में जो कुछ भी हुआ है, वह आपके आदेश से ही हुआ। यह सब तेरा ही बड़प्पन है।
ਤੇਰਾ ਅੰਤੁ ਨ ਜਾਣਾ ਮੇਰੇ ਸਾਹਿਬ ਮੈ ਅੰਧੁਲੇ ਕਿਆ ਚਤੁਰਾਈ ॥੨॥
हे मेरे मालिक ! मैं आपका अंत नहीं जानता, फिर मुझ ज्ञानहीन की चतुराई क्या कर सकती है॥ २॥
ਕਿਆ ਹਉ ਕਥੀ ਕਥੇ ਕਥਿ ਦੇਖਾ ਮੈ ਅਕਥੁ ਨ ਕਥਨਾ ਜਾਈ ॥
हे ईश्वर ! मैं आपके गुण क्या कथन करूं ? मैं आपके गुण कथन करके देखता हूँ लेकिन आप अकथनीय है और मुझ से आपका कथन नहीं किया जाता।
ਜੋ ਤੁਧੁ ਭਾਵੈ ਸੋਈ ਆਖਾ ਤਿਲੁ ਤੇਰੀ ਵਡਿਆਈ ॥੩॥
जो आपको भाता है, वही कहता हूँ और मैं एक तिल ही आपकी प्रशंसा करता हूँ॥ ३॥
ਏਤੇ ਕੂਕਰ ਹਉ ਬੇਗਾਨਾ ਭਉਕਾ ਇਸੁ ਤਨ ਤਾਈ ॥
कितने ही कूकर (कुत्ते ) हैं, पर मैं ही एक बेगाना कूकर (कुत्ता) हूँ, जो अपने पेट के लिए भौंकता रहता हूँ।
ਭਗਤਿ ਹੀਣੁ ਨਾਨਕੁ ਜੇ ਹੋਇਗਾ ਤਾ ਖਸਮੈ ਨਾਉ ਨ ਜਾਈ ॥੪॥੧॥
भले ही दास नानक आपकी भक्ति के बिना हो, फिर भी नानक के गुरु-भगवान् की महिमा कम नहीं होगी। ॥ ४ ॥ १ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੧ ॥
राग बिलावल, प्रथम गुरु: १ ॥
ਮਨੁ ਮੰਦਰੁ ਤਨੁ ਵੇਸ ਕਲੰਦਰੁ ਘਟ ਹੀ ਤੀਰਥਿ ਨਾਵਾ ॥
हे भाई ! मेरा मन मन्दिर है और यह तन कलंदर (फकीर) का वेष है तथा यह हृदय रूपी तीर्थ में स्नान करता रहता है।
ਏਕੁ ਸਬਦੁ ਮੇਰੈ ਪ੍ਰਾਨਿ ਬਸਤੁ ਹੈ ਬਾਹੁੜਿ ਜਨਮਿ ਨ ਆਵਾ ॥੧॥
मेरे प्राणों में एक शब्द 'ब्रह्म' ही बसता है अतः मैं पुनर्जन्म में नहीं आऊँगा॥ १॥
ਮਨੁ ਬੇਧਿਆ ਦਇਆਲ ਸੇਤੀ ਮੇਰੀ ਮਾਈ ॥
हे मेरी माँ ! मेरा मन दया के घर परमात्मा (के चरणों) में भेदा गया है,
ਕਉਣੁ ਜਾਣੈ ਪੀਰ ਪਰਾਈ ॥
इसलिए पराई पीड़ा को कौन जानता है।
ਹਮ ਨਾਹੀ ਚਿੰਤ ਪਰਾਈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
हमें अब किसी की चिंता नहीं है॥ १॥ रहाउ॥
ਅਗਮ ਅਗੋਚਰ ਅਲਖ ਅਪਾਰਾ ਚਿੰਤਾ ਕਰਹੁ ਹਮਾਰੀ ॥
हे अगम्य, अगोचर, अलक्ष्य एवं अपरंपार प्रभु, आप ही हम सभी की देखभाल करते हैं।
ਜਲਿ ਥਲਿ ਮਹੀਅਲਿ ਭਰਿਪੁਰਿ ਲੀਣਾ ਘਟਿ ਘਟਿ ਜੋਤਿ ਤੁਮ੍ਹ੍ਹਾਰੀ ॥੨॥
आप समुद्र, पृथ्वी एवं आकाश में भरपूर होकर सबमें व्याप्त है और प्रत्येक शरीर में आपकी ही ज्योति विद्यमान है॥ २॥
ਸਿਖ ਮਤਿ ਸਭ ਬੁਧਿ ਤੁਮ੍ਹ੍ਹਾਰੀ ਮੰਦਿਰ ਛਾਵਾ ਤੇਰੇ ॥
हे भगवान् ! मुझे सीख, अक्ल एवं बुद्धि यह सब आपकी ही दी हुई है और मन्दिर एवं छायादार वाटिका भी आपके ही दिए हुए हैं।
ਤੁਝ ਬਿਨੁ ਅਵਰੁ ਨ ਜਾਣਾ ਮੇਰੇ ਸਾਹਿਬਾ ਗੁਣ ਗਾਵਾ ਨਿਤ ਤੇਰੇ ॥੩॥
हे मेरे मालिक! मैं आपके अतिरिक्त किसी को भी नहीं जानता और नित्य आपके ही गुण गाता रहता हूँ॥ ३॥
ਜੀਅ ਜੰਤ ਸਭਿ ਸਰਣਿ ਤੁਮ੍ਹ੍ਹਾਰੀ ਸਰਬ ਚਿੰਤ ਤੁਧੁ ਪਾਸੇ ॥
सभी जीव-जन्तु आपकी शरण में हैं और आपको उन सबकी चिंता है।
ਜੋ ਤੁਧੁ ਭਾਵੈ ਸੋਈ ਚੰਗਾ ਇਕ ਨਾਨਕ ਕੀ ਅਰਦਾਸੇ ॥੪॥੨॥
नानक की एक प्रार्थना है कि हे ईश्वर ! जो आपको भला लगता है, वही मेरे लिए उचित है॥ ४॥ २॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੧ ॥
राग बिलावल, प्रथम गुरु: १ ॥
ਆਪੇ ਸਬਦੁ ਆਪੇ ਨੀਸਾਨੁ ॥
परमात्मा स्वयं ही ब्रह्म शब्द है और वह स्वयं ही प्रतीक चिन्ह है।
ਆਪੇ ਸੁਰਤਾ ਆਪੇ ਜਾਨੁ ॥
वह स्वयं ही अपना यश सुनने वाला श्रोता है और स्वयं ही ज्ञाता है।
ਆਪੇ ਕਰਿ ਕਰਿ ਵੇਖੈ ਤਾਣੁ ॥
वह स्वयं ही दुनिया को बनाकर उसकी देखभाल करता रहता है।
ਤੂ ਦਾਤਾ ਨਾਮੁ ਪਰਵਾਣੁ ॥੧॥
हे जगत्पालक ! आप दाता है और आपका नाम ही सर्वमान्य है॥ १॥