Guru Granth Sahib Translation Project

Guru Granth Sahib Hindi Page 714

Page 714

ਜੋ ਮਾਗਹਿ ਸੋਈ ਸੋਈ ਪਾਵਹਿ ਸੇਵਿ ਹਰਿ ਕੇ ਚਰਣ ਰਸਾਇਣ ॥ प्रसन्नता के घर, परमेश्वर के चरणों की आराधना करने से भक्त जो भी कामना करते हैं, उन्हें वही प्राप्त होता है।
ਜਨਮ ਮਰਣ ਦੁਹਹੂ ਤੇ ਛੂਟਹਿ ਭਵਜਲੁ ਜਗਤੁ ਤਰਾਇਣ ॥੧॥ वे जीवन एवं मृत्यु दोनों से ही स्वतंत्र होकर भवसागर को पार कर जाते हैं।॥ १॥
ਖੋਜਤ ਖੋਜਤ ਤਤੁ ਬੀਚਾਰਿਓ ਦਾਸ ਗੋਵਿੰਦ ਪਰਾਇਣ ॥ मैंने खोज-पड़ताल करके इस तत्व पर ही विचार किया है कि भक्त तो गोविन्द परायण ही होते हैं।
ਅਬਿਨਾਸੀ ਖੇਮ ਚਾਹਹਿ ਜੇ ਨਾਨਕ ਸਦਾ ਸਿਮਰਿ ਨਾਰਾਇਣ ॥੨॥੫॥੧੦॥ हे नानक ! यदि अटल कुशल-क्षेम चाहते हो तो हमेशा ही नारायण का सिमरन करते रहो॥ २॥ ५ ॥ १०॥
ਟੋਡੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥ टोडी महला ५ ॥
ਨਿੰਦਕੁ ਗੁਰ ਕਿਰਪਾ ਤੇ ਹਾਟਿਓ ॥ गुरु की कृपा से निन्दक अब निन्दा करने से हट गया है।
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਪ੍ਰਭ ਭਏ ਦਇਆਲਾ ਸਿਵ ਕੈ ਬਾਣਿ ਸਿਰੁ ਕਾਟਿਓ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ जब परब्रह्म-प्रभु मुझ पर दयालु हो गया तो उसने कल्याणकारी नाम रूपी बाण से उसका सिर काट दिया ॥ १॥ रहाउ ॥
ਕਾਲੁ ਜਾਲੁ ਜਮੁ ਜੋਹਿ ਨ ਸਾਕੈ ਸਚ ਕਾ ਪੰਥਾ ਥਾਟਿਓ ॥ सत्य-मार्ग का अनुसरण करने से अब मृत्यु का जाल एवं यम भी दृष्टि नहीं कर सकते।
ਖਾਤ ਖਰਚਤ ਕਿਛੁ ਨਿਖੁਟਤ ਨਾਹੀ ਰਾਮ ਰਤਨੁ ਧਨੁ ਖਾਟਿਓ ॥੧॥ मैंने राम-नाम रूपी रत्न धन की कमाई की है, जो खाने एवं खर्च करने से न्यून नहीं होता ॥ १॥
ਭਸਮਾ ਭੂਤ ਹੋਆ ਖਿਨ ਭੀਤਰਿ ਅਪਨਾ ਕੀਆ ਪਾਇਆ ॥ हमारा निन्दक एक क्षण में ही भस्माभूत हुआ है और इस प्रकार उसने अपने कर्मों का फल प्राप्त किया है।
ਆਗਮ ਨਿਗਮੁ ਕਹੈ ਜਨੁ ਨਾਨਕੁ ਸਭੁ ਦੇਖੈ ਲੋਕੁ ਸਬਾਇਆ ॥੨॥੬॥੧੧॥ हे नानक ! शास्त्र एवं वेद भी कहते हैं और सम्पूर्ण विश्व इस आश्चर्य को देख रहा है।॥२॥६॥११॥
ਟੋਡੀ ਮਃ ੫ ॥ टोडी मः ५ ॥
ਕਿਰਪਨ ਤਨ ਮਨ ਕਿਲਵਿਖ ਭਰੇ ॥ हे कंजूस आदमी ! तेरा तन एवं मन दोनों ही किल्विष-पापों से भरे पड़े हैं।
ਸਾਧਸੰਗਿ ਭਜਨੁ ਕਰਿ ਸੁਆਮੀ ਢਾਕਨ ਕਉ ਇਕੁ ਹਰੇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ अत: संतों की पवित्र सभा में भगवान का भजन कर, चूंकि एक वही तुम्हारे पापों को ढककर तेरा कल्याण कर सकता है॥ १॥ रहाउ॥
ਅਨਿਕ ਛਿਦ੍ਰ ਬੋਹਿਥ ਕੇ ਛੁਟਕਤ ਥਾਮ ਨ ਜਾਹੀ ਕਰੇ ॥ जब शरीर रूपी जहाज में बहुत सारे छिद्र हो जाएँ तो वह हाथों से बंद नहीं हो सकते।
ਜਿਸ ਕਾ ਬੋਹਿਥੁ ਤਿਸੁ ਆਰਾਧੇ ਖੋਟੇ ਸੰਗਿ ਖਰੇ ॥੧॥ जिसका यह जहाज है, उसकी आराधना करने से दोषी भी महापुरुषों की संगति करने से पार हो जाते हैं।॥ १॥
ਗਲੀ ਸੈਲ ਉਠਾਵਤ ਚਾਹੈ ਓਇ ਊਹਾ ਹੀ ਹੈ ਧਰੇ ॥ यद्यपि कोई बातों द्वारा पर्वत को उठाना चाहे तो वह उठाया नहीं जा सकता अपितु वही स्थित रहता है।
ਜੋਰੁ ਸਕਤਿ ਨਾਨਕ ਕਿਛੁ ਨਾਹੀ ਪ੍ਰਭ ਰਾਖਹੁ ਸਰਣਿ ਪਰੇ ॥੨॥੭॥੧੨॥ नानक विनती करता है कि हे प्रभु ! हम जीवों के पास कोई जोर एवं शक्ति नहीं। हम तुम्हारी शरण में आए हैं, हमारी रक्षा करो।॥ २॥ ७॥ १२॥
ਟੋਡੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥ टोडी महला ५ ॥
ਹਰਿ ਕੇ ਚਰਨ ਕਮਲ ਮਨਿ ਧਿਆਉ ॥ अपने मन में परमात्मा के चरण-कमलों का चिन्तन करो।
ਕਾਢਿ ਕੁਠਾਰੁ ਪਿਤ ਬਾਤ ਹੰਤਾ ਅਉਖਧੁ ਹਰਿ ਕੋ ਨਾਉ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ परमात्मा का नाम तो वह औषधि है जो पित रूपी क्रोध एवं वात रूपी अहंकार जैसे रोगों का कुल्हाड़ा निकाल कर नाश कर देती है ॥१॥ रहाउ ॥
ਤੀਨੇ ਤਾਪ ਨਿਵਾਰਣਹਾਰਾ ਦੁਖ ਹੰਤਾ ਸੁਖ ਰਾਸਿ ॥ परमात्मा का नाम तीनों ताप-मानसिक, शारीरिक एवं क्लेश इत्यादि का नाश करने वाला है तथा दुःख नाशक एवं सुख की पूंजी है।
ਤਾ ਕਉ ਬਿਘਨੁ ਨ ਕੋਊ ਲਾਗੈ ਜਾ ਕੀ ਪ੍ਰਭ ਆਗੈ ਅਰਦਾਸਿ ॥੧॥ जो व्यक्ति अपने भगवान के समक्ष प्रार्थना करता है, उसे कोई संकट नहीं आता ॥ १॥
ਸੰਤ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ਬੈਦ ਨਾਰਾਇਣ ਕਰਣ ਕਾਰਣ ਪ੍ਰਭ ਏਕ ॥ सृष्टि का रचयिता एक प्रभु ही है और संतों की कृपा से उस वैद्य रूपी नारायण की उपलब्धि होती है।
ਬਾਲ ਬੁਧਿ ਪੂਰਨ ਸੁਖਦਾਤਾ ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਹਰਿ ਟੇਕ ॥੨॥੮॥੧੩॥ हे नानक ! वह हरि-परमेश्वर ही बाल बुद्धि वाले जीवों हेतु पूर्ण सुखदाता एवं सहारा है॥ २॥ ८॥ १३॥
ਟੋਡੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥ टोडी महला ५ ॥
ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਸਦਾ ਸਦ ਜਾਪਿ ॥ सदैव ही परमेश्वर के नाम का जाप करो,
ਧਾਰਿ ਅਨੁਗ੍ਰਹੁ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਸੁਆਮੀ ਵਸਦੀ ਕੀਨੀ ਆਪਿ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ अपनी कृपा करके परब्रह्म-प्रभु ने स्वयं ही निवास करके हृदय-नगरी को शुभ गुणों से बसा दिया है ॥१॥ रहाउ ॥
ਜਿਸ ਕੇ ਸੇ ਫਿਰਿ ਤਿਨ ਹੀ ਸਮ੍ਹ੍ਹਾਲੇ ਬਿਨਸੇ ਸੋਗ ਸੰਤਾਪ ॥ जिसने हमें उत्पन्न किया है, उसने हमारी देखभाल की है और सारे दुःख-क्लेश मिट गए हैं।
ਹਾਥ ਦੇਇ ਰਾਖੇ ਜਨ ਅਪਨੇ ਹਰਿ ਹੋਏ ਮਾਈ ਬਾਪ ॥੧॥ परमात्मा ने माता-पिता बनकर अपना हाथ देकर अपने दास की रक्षा की है॥१॥
ਜੀਅ ਜੰਤ ਹੋਏ ਮਿਹਰਵਾਨਾ ਦਯਾ ਧਾਰੀ ਹਰਿ ਨਾਥ ॥ उस मालिक-प्रभु ने बड़ी दया धारण की है और सभी लोग मेहरबान हो गए हैं।
ਨਾਨਕ ਸਰਨਿ ਪਰੇ ਦੁਖ ਭੰਜਨ ਜਾ ਕਾ ਬਡ ਪਰਤਾਪ ॥੨॥੯॥੧੪॥ हे नानक ! मैं तो सब दु:ख मिटाने वाले उस परमात्मा की शरण में हूँ, जिसका बड़ा तेज-प्रताप है॥ २॥ ६॥१४॥
ਟੋਡੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥ टोडी महला ५ ॥
ਸ੍ਵਾਮੀ ਸਰਨਿ ਪਰਿਓ ਦਰਬਾਰੇ ॥ हे स्वामी ! हम तो तेरे दरबार की शरण में पड़े हैं।
ਕੋਟਿ ਅਪਰਾਧ ਖੰਡਨ ਕੇ ਦਾਤੇ ਤੁਝ ਬਿਨੁ ਕਉਨੁ ਉਧਾਰੇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ हे करोड़ों अपराध नाश करने वाले दाता ! तेरे सिवाय हमारा कौन उद्धार कर सकता है॥ १॥
ਖੋਜਤ ਖੋਜਤ ਬਹੁ ਪਰਕਾਰੇ ਸਰਬ ਅਰਥ ਬੀਚਾਰੇ ॥ हमने तो अनेक प्रकार से खोज-पड़ताल करके समस्त अर्थों पर गहन चिन्तन किया है।
ਸਾਧਸੰਗਿ ਪਰਮ ਗਤਿ ਪਾਈਐ ਮਾਇਆ ਰਚਿ ਬੰਧਿ ਹਾਰੇ ॥੧॥ अंततः सत्य यही है कि संतों-महापुरुषों की संगति द्वारा ही मुक्ति मिलती है तथा माया के बन्धनों में फँसकर मनुष्य अपने जीवन की बाजी हार जाता है ॥१॥


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