Guru Granth Sahib Translation Project

Guru Granth Sahib Hindi Page 573

Page 573

ਏਕ ਦ੍ਰਿਸ੍ਟਿ ਹਰਿ ਏਕੋ ਜਾਤਾ ਹਰਿ ਆਤਮ ਰਾਮੁ ਪਛਾਣੀ ॥ एक द्रिस्टि हरि एको जाता हरि आतम रामु पछाणी ॥ जब मैंने सबको समदृष्टि से देखना प्रारंभ किया, तब मुझे यह अनुभूति हुई कि एक ही परमात्मा सबमें और सर्वत्र विद्यमान है और उसी क्षण मैंने उस एकमात्र सर्वोच्च सत्ता को पहचान लिया।
ਹੰਉ ਗੁਰ ਬਿਨੁ ਹੰਉ ਗੁਰ ਬਿਨੁ ਖਰੀ ਨਿਮਾਣੀ ॥੧॥ हंउ गुर बिनु हंउ गुर बिनु खरी निमाणी ॥१॥ मैं गुरु के बिना बड़ी विनीत एवं तुच्छ हूँ॥ १॥
ਜਿਨਾ ਸਤਿਗੁਰੁ ਜਿਨ ਸਤਿਗੁਰੁ ਪਾਇਆ ਤਿਨ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭੁ ਮੇਲਿ ਮਿਲਾਏ ਰਾਮ ॥ जिना सतिगुरु जिन सतिगुरु पाइआ तिन हरि प्रभु मेलि मिलाए राम ॥ जिन्होंने सतगुरु की शिक्षाओं को अपनाया और जीवन में उतारा है, ईश्वर उन भाग्यशाली आत्माओं को अपने में मिलाते हैं।
ਤਿਨ ਚਰਣ ਤਿਨ ਚਰਣ ਸਰੇਵਹ ਹਮ ਲਾਗਹ ਤਿਨ ਕੈ ਪਾਏ ਰਾਮ ॥ तिन चरण तिन चरण सरेवह हम लागह तिन कै पाए राम ॥ मेरी यही कामना है कि मैं उनके चरणों की पूजा करूँ और उनके चरण स्पर्श करता रहूँ।
ਹਰਿ ਹਰਿ ਚਰਣ ਸਰੇਵਹ ਤਿਨ ਕੇ ਜਿਨ ਸਤਿਗੁਰੁ ਪੁਰਖੁ ਪ੍ਰਭੁ ਧ੍ਯ੍ਯਾਇਆ ॥ हरि हरि चरण सरेवह तिन के जिन सतिगुरु पुरखु प्रभु ध्याइआ ॥ हे ईश्वर ! मैं उनके चरणों की पूजा करूं, जिन्होंने सतगुरु महापुरुष प्रभु का ध्यान किया है।
ਤੂ ਵਡਦਾਤਾ ਅੰਤਰਜਾਮੀ ਮੇਰੀ ਸਰਧਾ ਪੂਰਿ ਹਰਿ ਰਾਇਆ ॥ तू वडदाता अंतरजामी मेरी सरधा पूरि हरि राइआ ॥ हे परमेश्वर ! आप ही महान दाता और अन्तर्यामी है, कृपा करके मेरी अभिलाषा पूरी कीजिए।
ਗੁਰਸਿਖ ਮੇਲਿ ਮੇਰੀ ਸਰਧਾ ਪੂਰੀ ਅਨਦਿਨੁ ਰਾਮ ਗੁਣ ਗਾਏ ॥ गुरसिख मेलि मेरी सरधा पूरी अनदिनु राम गुण गाए ॥ हे प्रभु, मेरी यह प्रार्थना स्वीकार करो कि मैं सदा आपकी स्तुति में लीन रहूँ और सच्चे गुरु के भक्तों की संगति में जीवन बिताऊँ।
ਜਿਨ ਸਤਿਗੁਰੁ ਜਿਨ ਸਤਿਗੁਰੁ ਪਾਇਆ ਤਿਨ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭੁ ਮੇਲਿ ਮਿਲਾਏ ॥੨॥ जिन सतिगुरु जिन सतिगुरु पाइआ तिन हरि प्रभु मेलि मिलाए ॥२॥ जिन्होंने सतगुरु को पा लिया है, हरि-प्रभु ने उन्हें गुरु से मिलाकर अपने साथ मिला लिया है ॥ २॥
ਹੰਉ ਵਾਰੀ ਹੰਉ ਵਾਰੀ ਗੁਰਸਿਖ ਮੀਤ ਪਿਆਰੇ ਰਾਮ ॥ हंउ वारी हंउ वारी गुरसिख मीत पिआरे राम ॥ मैं अपने उस मित्र-प्यारे पर सर्वदा न्योछावर होता हूँ, जो गुरु का अनुयायी हो और उसकी शिक्षाओं पर चलता हो।
ਹਰਿ ਨਾਮੋ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਸੁਣਾਏ ਮੇਰਾ ਪ੍ਰੀਤਮੁ ਨਾਮੁ ਅਧਾਰੇ ਰਾਮ ॥ हरि नामो हरि नामु सुणाए मेरा प्रीतमु नामु अधारे राम ॥ वह मुझे हरि का नाम सुनाता है, प्रियतम-प्रभु का नाम मेरे जीवन का आधार है।
ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਮੇਰਾ ਪ੍ਰਾਨ ਸਖਾਈ ਤਿਸੁ ਬਿਨੁ ਘੜੀ ਨਿਮਖ ਨਹੀ ਜੀਵਾਂ ॥ हरि हरि नामु मेरा प्रान सखाई तिसु बिनु घड़ी निमख नही जीवां ॥ हरि का नाम मेरे प्राणों का साथी है और इसके बिना मैं एक घड़ी एवं निमेष मात्र भी जीवित नहीं रह सकता
ਹਰਿ ਹਰਿ ਕ੍ਰਿਪਾ ਕਰੇ ਸੁਖਦਾਤਾ ਗੁਰਮੁਖਿ ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਪੀਵਾਂ ॥ हरि हरि क्रिपा करे सुखदाता गुरमुखि अम्रितु पीवां ॥ अगर सुख देने वाला ईश्वर कृपा करे तो गुरुमुख बनकर मैं नामामृत का पान कर लूं।
ਹਰਿ ਆਪੇ ਸਰਧਾ ਲਾਇ ਮਿਲਾਏ ਹਰਿ ਆਪੇ ਆਪਿ ਸਵਾਰੇ ॥ हरि आपे सरधा लाइ मिलाए हरि आपे आपि सवारे ॥ ईश्वर स्वयं ही निष्ठा लगाकर अपने संग मिला लेता है और वह स्वयं ही शोभायमान करता है।
ਹੰਉ ਵਾਰੀ ਹੰਉ ਵਾਰੀ ਗੁਰਸਿਖ ਮੀਤ ਪਿਆਰੇ ॥੩॥ हंउ वारी हंउ वारी गुरसिख मीत पिआरे ॥३॥ मैं अपने प्यारे मित्र गुरु के शिष्य पर बलिहारी जाता हूँ॥ ३॥
ਹਰਿ ਆਪੇ ਹਰਿ ਆਪੇ ਪੁਰਖੁ ਨਿਰੰਜਨੁ ਸੋਈ ਰਾਮ ॥ हरि आपे हरि आपे पुरखु निरंजनु सोई राम ॥ वह निरंजन पुरुष हरि आप ही सर्वव्यापी है।
ਹਰਿ ਆਪੇ ਹਰਿ ਆਪੇ ਮੇਲੈ ਕਰੈ ਸੋ ਹੋਈ ਰਾਮ ॥ हरि आपे हरि आपे मेलै करै सो होई राम ॥ वह सर्वशक्तिमान स्वयं ही जीव को अपने साथ मिलाता है, जो कुछ वह करता है, वही होता है।
ਜੋ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭ ਭਾਵੈ ਸੋਈ ਹੋਵੈ ਅਵਰੁ ਨ ਕਰਣਾ ਜਾਈ ॥ जो हरि प्रभ भावै सोई होवै अवरु न करणा जाई ॥ जो कुछ ईश्वर को प्रिय होता है, वही घटित होता है, उसकी इच्छा के विरुद्ध न कोई कुछ कर सकता है, न कोई टाल सकता है।
ਬਹੁਤੁ ਸਿਆਣਪ ਲਇਆ ਨ ਜਾਈ ਕਰਿ ਥਾਕੇ ਸਭਿ ਚਤੁਰਾਈ ॥ बहुतु सिआणप लइआ न जाई करि थाके सभि चतुराई ॥ अधिक चतुराई करने से उसे प्राप्त नहीं किया जा सकता, क्योंकि बहुत सारे चतुराई करने वाले थक गए हैं।
ਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ਜਨ ਨਾਨਕ ਦੇਖਿਆ ਮੈ ਹਰਿ ਬਿਨੁ ਅਵਰੁ ਨ ਕੋਈ ॥ गुर प्रसादि जन नानक देखिआ मै हरि बिनु अवरु न कोई ॥ गुरु की कृपा से नानक ने देख लिया है कि मेरे हरि-परमेश्वर के अतिरिक्त दूसरा कोई सहारा नहीं है।
ਹਰਿ ਆਪੇ ਹਰਿ ਆਪੇ ਪੁਰਖੁ ਨਿਰੰਜਨੁ ਸੋਈ ॥੪॥੨॥ हरि आपे हरि आपे पुरखु निरंजनु सोई ॥४॥२॥ वह मायातीत ईश्वर ही सर्वव्यापी है॥ ४॥ २॥
ਵਡਹੰਸੁ ਮਹਲਾ ੪ ॥ वडहंसु महला ४ ॥ राग वदाहंस, चौथे गुरु: ४ ॥
ਹਰਿ ਸਤਿਗੁਰ ਹਰਿ ਸਤਿਗੁਰ ਮੇਲਿ ਹਰਿ ਸਤਿਗੁਰ ਚਰਣ ਹਮ ਭਾਇਆ ਰਾਮ ॥ हरि सतिगुर हरि सतिगुर मेलि हरि सतिगुर चरण हम भाइआ राम ॥ हे हरि ! मुझे सतगुरु से मिला दो, क्योंकि सतगुरु के सुन्दर चरण मुझे बहुत अच्छे लगते हैं।
ਤਿਮਰ ਅਗਿਆਨੁ ਗਵਾਇਆ ਗੁਰ ਗਿਆਨੁ ਅੰਜਨੁ ਗੁਰਿ ਪਾਇਆ ਰਾਮ ॥ तिमर अगिआनु गवाइआ गुर गिआनु अंजनु गुरि पाइआ राम ॥ गुरु ने ज्ञान का सुरमा डालकर मेरी अज्ञानता का अंधेरा दूर कर दिया है।
ਗੁਰ ਗਿਆਨ ਅੰਜਨੁ ਸਤਿਗੁਰੂ ਪਾਇਆ ਅਗਿਆਨ ਅੰਧੇਰ ਬਿਨਾਸੇ ॥ गुर गिआन अंजनु सतिगुरू पाइआ अगिआन अंधेर बिनासे ॥ सतगुरु से ज्ञान का सुरमा प्राप्त हुआ है, जिसने अज्ञानता का अंधेरा मिटा दिया है।
ਸਤਿਗੁਰ ਸੇਵਿ ਪਰਮ ਪਦੁ ਪਾਇਆ ਹਰਿ ਜਪਿਆ ਸਾਸ ਗਿਰਾਸੇ ॥ सतिगुर सेवि परम पदु पाइआ हरि जपिआ सास गिरासे ॥ सतगुरु की सेवा करने से मैंने परम पद प्राप्त किया है, मैंने श्वास - ग्रास हरि का नाम जपा है।
ਜਿਨ ਕੰਉ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭਿ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰੀ ਤੇ ਸਤਿਗੁਰ ਸੇਵਾ ਲਾਇਆ ॥ जिन कंउ हरि प्रभि किरपा धारी ते सतिगुर सेवा लाइआ ॥ जिस पर भी हरि प्रभु ने कृपा की है वह सतगुरु की सेवा में लगता है।
ਹਰਿ ਸਤਿਗੁਰ ਹਰਿ ਸਤਿਗੁਰ ਮੇਲਿ ਹਰਿ ਸਤਿਗੁਰ ਚਰਣ ਹਮ ਭਾਇਆ ॥੧॥ हरि सतिगुर हरि सतिगुर मेलि हरि सतिगुर चरण हम भाइआ ॥१॥ हे हरि मेरा सतगुरु से मेल करा दो, क्योकि सतगुरु के सुन्दर चरण मुझे मधुर लगते हैं।॥१॥
ਮੇਰਾ ਸਤਿਗੁਰੁ ਮੇਰਾ ਸਤਿਗੁਰੁ ਪਿਆਰਾ ਮੈ ਗੁਰ ਬਿਨੁ ਰਹਣੁ ਨ ਜਾਈ ਰਾਮ ॥ मेरा सतिगुरु मेरा सतिगुरु पिआरा मै गुर बिनु रहणु न जाई राम ॥ मेरा सतगुरु मेरा प्रियतम है और गुरु के बिना मैं रह नहीं सकता।
ਹਰਿ ਨਾਮੋ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਦੇਵੈ ਮੇਰਾ ਅੰਤਿ ਸਖਾਈ ਰਾਮ ॥ हरि नामो हरि नामु देवै मेरा अंति सखाई राम ॥ वह मुझे हरि का नाम प्रदान करता है जो अंतिम क्षण तक मेरी सहायता करता है।
ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਮੇਰਾ ਅੰਤਿ ਸਖਾਈ ਗੁਰਿ ਸਤਿਗੁਰਿ ਨਾਮੁ ਦ੍ਰਿੜਾਇਆ ॥ हरि हरि नामु मेरा अंति सखाई गुरि सतिगुरि नामु द्रिड़ाइआ ॥ हरि-नाम अंतिम क्षणों तक मेरा सहायक होगा, गुरु सतगुरु ने मेरे नाम दृढ़ किया है।
ਜਿਥੈ ਪੁਤੁ ਕਲਤ੍ਰੁ ਕੋਈ ਬੇਲੀ ਨਾਹੀ ਤਿਥੈ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮਿ ਛਡਾਇਆ ॥ जिथै पुतु कलत्रु कोई बेली नाही तिथै हरि हरि नामि छडाइआ ॥ जहाँ पुत्र, स्त्री कोई भी मेरा साथी नहीं होगा, वहाँ हरि का नाम मुझे मुक्ति प्रदान करवाएगा।
ਧਨੁ ਧਨੁ ਸਤਿਗੁਰੁ ਪੁਰਖੁ ਨਿਰੰਜਨੁ ਜਿਤੁ ਮਿਲਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਧਿਆਈ ॥ धनु धनु सतिगुरु पुरखु निरंजनु जितु मिलि हरि नामु धिआई ॥ धन्य है वह निर्मल सच्चा गुरु, जिनकी शिक्षाओं के अनुकरण से मैं प्रभु के नाम का स्मरण करता हूँ।
ਮੇਰਾ ਸਤਿਗੁਰੁ ਮੇਰਾ ਸਤਿਗੁਰੁ ਪਿਆਰਾ ਮੈ ਗੁਰ ਬਿਨੁ ਰਹਣੁ ਨ ਜਾਈ ॥੨॥ मेरा सतिगुरु मेरा सतिगुरु पिआरा मै गुर बिनु रहणु न जाई ॥२॥ मेरा सतगुरु मेरा प्रियतम है और गुरु के बिना मैं रह नहीं सकता ॥ २॥


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