Guru Granth Sahib Translation Project

Guru Granth Sahib Hindi Page 636

Page 636

ਗੁਰੁ ਅੰਕਸੁ ਜਿਨਿ ਨਾਮੁ ਦ੍ਰਿੜਾਇਆ ਭਾਈ ਮਨਿ ਵਸਿਆ ਚੂਕਾ ਭੇਖੁ ॥੭॥ जो व्यक्ति गुरु के अंकुश द्वारा नाम को अपने भीतर दृढ़ करता है, उसका आडम्बर दूर हो जाता है और भगवान का उसके मन में निवास हो जाता है॥ ७॥
ਇਹੁ ਤਨੁ ਹਾਟੁ ਸਰਾਫ ਕੋ ਭਾਈ ਵਖਰੁ ਨਾਮੁ ਅਪਾਰੁ ॥ हे भाई ! यह तन उस भगवान जौहरी की एक दुकान है, जिसमें अक्षय नाम की पूँजी विद्यमान है।
ਇਹੁ ਵਖਰੁ ਵਾਪਾਰੀ ਸੋ ਦ੍ਰਿੜੈ ਭਾਈ ਗੁਰ ਸਬਦਿ ਕਰੇ ਵੀਚਾਰੁ ॥ जो व्यापारी गुरु के शब्द का चिन्तन करता है, वह इस सौदे को दृढ़ता से प्राप्त कर लेता है।
ਧਨੁ ਵਾਪਾਰੀ ਨਾਨਕਾ ਭਾਈ ਮੇਲਿ ਕਰੇ ਵਾਪਾਰੁ ॥੮॥੨॥ नानक का कथन है कि हे भाई ! वह व्यापारी धन्य है, जो गुरु से साक्षात्कार करके नाम का व्यापार करता है ॥ ८ ॥ २ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੧ ॥ सोरठि महला १ ॥
ਜਿਨ੍ਹ੍ਹੀ ਸਤਿਗੁਰੁ ਸੇਵਿਆ ਪਿਆਰੇ ਤਿਨ੍ਹ੍ਹ ਕੇ ਸਾਥ ਤਰੇ ॥ हे मेरे प्यारे ! जिन्होंने सतगुरु की सेवा की है, उनके साथी भी भवसागर से पार हो गए हैं।
ਤਿਨ੍ਹ੍ਹਾ ਠਾਕ ਨ ਪਾਈਐ ਪਿਆਰੇ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਰਸਨ ਹਰੇ ॥ जिन की रसना हरिनामामृत चखती रहती है, उन्हें भगवान के दरबार में प्रवेश करने में कोई अड़चन नहीं आती।
ਬੂਡੇ ਭਾਰੇ ਭੈ ਬਿਨਾ ਪਿਆਰੇ ਤਾਰੇ ਨਦਰਿ ਕਰੇ ॥੧॥ हे मेरे प्यारे ! जो लोग भगवान के भय बिना पापों के भार से भरे हुए हैं, वे डूब गए हैं, यदि ईश्वर उन पर दया करे तो वे भी भवसागर से पार हो सकते हैं।॥१॥
ਭੀ ਤੂਹੈ ਸਾਲਾਹਣਾ ਪਿਆਰੇ ਭੀ ਤੇਰੀ ਸਾਲਾਹ ॥ हे प्यारे प्रभु ! मैं हमेशा ही तेरी स्तुति करता हूँ और सदा तेरी ही स्तुति करनी चाहिए।
ਵਿਣੁ ਬੋਹਿਥ ਭੈ ਡੁਬੀਐ ਪਿਆਰੇ ਕੰਧੀ ਪਾਇ ਕਹਾਹ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ हे प्यारे ! नाम-जहाज के बिना मनुष्य भवसागर में ही डूब जाता है और वह कैसे दूसरे किनारे को पा सकता है ॥१॥ रहाउ॥
ਸਾਲਾਹੀ ਸਾਲਾਹਣਾ ਪਿਆਰੇ ਦੂਜਾ ਅਵਰੁ ਨ ਕੋਇ ॥ हे प्यारे ! हमें महामहिम परमात्मा की महिमा करनी चाहिए चूंकि उसके अलावा दूसरा कोई भी महिमा के योग्य नहीं।
ਮੇਰੇ ਪ੍ਰਭ ਸਾਲਾਹਨਿ ਸੇ ਭਲੇ ਪਿਆਰੇ ਸਬਦਿ ਰਤੇ ਰੰਗੁ ਹੋਇ ॥ जो मेरे प्रभु की प्रशंसा करते हैं, वे श्रेष्ठ हैं, वे शब्द के साथ मग्न रहते हैं और उन्हें प्रभु के प्रेम-रंग की देन मिलती है।
ਤਿਸ ਕੀ ਸੰਗਤਿ ਜੇ ਮਿਲੈ ਪਿਆਰੇ ਰਸੁ ਲੈ ਤਤੁ ਵਿਲੋਇ ॥੨॥ हे प्यारे ! यदि में भी उनकी संगति में मिल जाऊँ तो नाम-रस को लेकर तत्त्व का मंथन करूं ॥ २॥
ਪਤਿ ਪਰਵਾਨਾ ਸਾਚ ਕਾ ਪਿਆਰੇ ਨਾਮੁ ਸਚਾ ਨੀਸਾਣੁ ॥ हे प्यारे ! सत्य-नाम ही प्रभु की दरगाह में जाने के लिए परवाना है और यही जीव की प्रतिष्ठा है।
ਆਇਆ ਲਿਖਿ ਲੈ ਜਾਵਣਾ ਪਿਆਰੇ ਹੁਕਮੀ ਹੁਕਮੁ ਪਛਾਣੁ ॥ इस दुनिया में आकर मनुष्य को इस प्रकार का परवाना लेकर जाना चाहिए और हुक्म करने वाले भगवान के हुक्म से परिचित होना चाहिए।
ਗੁਰ ਬਿਨੁ ਹੁਕਮੁ ਨ ਬੂਝੀਐ ਪਿਆਰੇ ਸਾਚੇ ਸਾਚਾ ਤਾਣੁ ॥੩॥ गुरु के बिना परमात्मा के हुक्म की सूझ नहीं आती और उस सच्चे प्रभु का बल सत्य है ॥३॥
ਹੁਕਮੈ ਅੰਦਰਿ ਨਿੰਮਿਆ ਪਿਆਰੇ ਹੁਕਮੈ ਉਦਰ ਮਝਾਰਿ ॥ हे प्यारे ! परमात्मा के हुक्म में ही प्राणी माता के गर्भ में आता है और उसके हुक्म में वह माता के गर्भ में ही विकसित होता है।
ਹੁਕਮੈ ਅੰਦਰਿ ਜੰਮਿਆ ਪਿਆਰੇ ਊਧਉ ਸਿਰ ਕੈ ਭਾਰਿ ॥ हे प्यारे ! ईश्वर हुक्म में ही प्राणी माता के गर्भ में सिर के भार उल्टा होकर जन्म लेता है।
ਗੁਰਮੁਖਿ ਦਰਗਹ ਜਾਣੀਐ ਪਿਆਰੇ ਚਲੈ ਕਾਰਜ ਸਾਰਿ ॥੪॥ हे प्यारे ! गुरुमुख मनुष्य ईश्वर दरबार में सम्मानित होता है और अपने सभी कार्य संवार कर दुनिया से चल देता है॥ ४॥
ਹੁਕਮੈ ਅੰਦਰਿ ਆਇਆ ਪਿਆਰੇ ਹੁਕਮੇ ਜਾਦੋ ਜਾਇ ॥ हे प्यारे ! मनुष्य भगवान के हुक्म में इस दुनिया में आया है और हुक्म में ही दुनिया से चले जाना है।
ਹੁਕਮੇ ਬੰਨ੍ਹ੍ਹਿ ਚਲਾਈਐ ਪਿਆਰੇ ਮਨਮੁਖਿ ਲਹੈ ਸਜਾਇ ॥ हुक्म में ही मनुष्य बांधकर दुनिया से भेज दिया जाता है और मनमुख व्यक्ति भगवान के दरबार में दण्ड प्राप्त करता है।
ਹੁਕਮੇ ਸਬਦਿ ਪਛਾਣੀਐ ਪਿਆਰੇ ਦਰਗਹ ਪੈਧਾ ਜਾਇ ॥੫॥ हे प्यारे ! ईश्वर के हुक्म में जीव शब्द की पहचान करता है और दरबार में बड़ी शोभा प्राप्त करता है॥ ५॥
ਹੁਕਮੇ ਗਣਤ ਗਣਾਈਐ ਪਿਆਰੇ ਹੁਕਮੇ ਹਉਮੈ ਦੋਇ ॥ ईश्वर के हुक्म में ही मनुष्य कर्मों की गणनाएँ गिनता है और ईश्वर के हुक्म में ही अभिमान एवं अहंत्व उत्पन्न होते हैं।
ਹੁਕਮੇ ਭਵੈ ਭਵਾਈਐ ਪਿਆਰੇ ਅਵਗਣਿ ਮੁਠੀ ਰੋਇ ॥ हे प्यारे ! ईश्वर के हुक्म में ही मनुष्य कर्मों में जकड़ा हुआ भटकता फिरता है और बुराइयों में ठगी हुई दुनिया विलाप करती है।
ਹੁਕਮੁ ਸਿਞਾਪੈ ਸਾਹ ਕਾ ਪਿਆਰੇ ਸਚੁ ਮਿਲੈ ਵਡਿਆਈ ਹੋਇ ॥੬॥ यदि मनुष्य ईश्वर के हुक्म को समझ ले तो उसे सत्य की प्राप्ति होती है और उसकी दुनिया में बहुत शोभा होती है॥ ६॥
ਆਖਣਿ ਅਉਖਾ ਆਖੀਐ ਪਿਆਰੇ ਕਿਉ ਸੁਣੀਐ ਸਚੁ ਨਾਉ ॥ हे प्यारे ! भगवान के नाम का बखान करना बड़ा कठिन है, फिर हम कैसे सत्य नाम को कह एवं सुन सकते हैं।
ਜਿਨ੍ਹ੍ਹੀ ਸੋ ਸਾਲਾਹਿਆ ਪਿਆਰੇ ਹਉ ਤਿਨ੍ਹ੍ਹ ਬਲਿਹਾਰੈ ਜਾਉ ॥ हे प्यारे ! जिन्होंने ईश्वर का स्तुतिगान किया है, मैं उन पर कुर्बान जाता हूँ।
ਨਾਉ ਮਿਲੈ ਸੰਤੋਖੀਆਂ ਪਿਆਰੇ ਨਦਰੀ ਮੇਲਿ ਮਿਲਾਉ ॥੭॥ ईश्वर के नाम को प्राप्त करके मुझे बड़ा संतोष हुआ है और उसकी कृपा से मैं उसके संग मिल गया हूँ ॥७॥
ਕਾਇਆ ਕਾਗਦੁ ਜੇ ਥੀਐ ਪਿਆਰੇ ਮਨੁ ਮਸਵਾਣੀ ਧਾਰਿ ॥ हे प्यारे ! यदि मेरा यह शरीर कागज बन जाए मन को दवात मान लिया जाए और
ਲਲਤਾ ਲੇਖਣਿ ਸਚ ਕੀ ਪਿਆਰੇ ਹਰਿ ਗੁਣ ਲਿਖਹੁ ਵੀਚਾਰਿ ॥ यदि मेरी यह जिव्हा सत्य की कलम बन जाए तो मैं विचार करके उस परमेश्वर की ही महिमा लिखूंगा।
ਧਨੁ ਲੇਖਾਰੀ ਨਾਨਕਾ ਪਿਆਰੇ ਸਾਚੁ ਲਿਖੈ ਉਰਿ ਧਾਰਿ ॥੮॥੩॥ नानक का कथन है कि हे प्यारे ! वह लिखने वाला धन्य है जो सत्य नाम को अपने हृदय में धारण करता और लिखता है ॥८॥३॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੧ ਪਹਿਲਾ ਦੁਤੁਕੀ ॥ सोरठि महला १ पहिला दुतुकी ॥
ਤੂ ਗੁਣਦਾਤੌ ਨਿਰਮਲੋ ਭਾਈ ਨਿਰਮਲੁ ਨਾ ਮਨੁ ਹੋਇ ॥ हे ईश्वर ! तू हमें गुण प्रदान करने वाला एवं पवित्र-पावन है लेकिन हम जीवों का मन पवित्र नहीं होता।
ਹਮ ਅਪਰਾਧੀ ਨਿਰਗੁਣੇ ਭਾਈ ਤੁਝ ਹੀ ਤੇ ਗੁਣੁ ਸੋਇ ॥੧॥ हम बड़े अपराधी एवं गुणविहीन हैं और तुझ से ही गुणों की उपलब्धि हो सकती है ॥ १॥
ਮੇਰੇ ਪ੍ਰੀਤਮਾ ਤੂ ਕਰਤਾ ਕਰਿ ਵੇਖੁ ॥ हे मेरे प्रियतम ! तू जग का रचयिता है और तू ही सबको पैदा करके देखता रहता है।
ਹਉ ਪਾਪੀ ਪਾਖੰਡੀਆ ਭਾਈ ਮਨਿ ਤਨਿ ਨਾਮ ਵਿਸੇਖੁ ॥ ਰਹਾਉ ॥ मैं बड़ा पापी एवं पाखण्डी हूँ और मेरे मन एवं तन के भीतर अपना विशेष नाम स्थापित कर दो ॥ रहाउ॥


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