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ਜੀਵਤ ਲਉ ਬਿਉਹਾਰੁ ਹੈ ਜਗ ਕਉ ਤੁਮ ਜਾਨਉ ॥
इस जगत् को तुम यू जानो कि इसका व्यवहार जीव के जीवित रहने तक ही रहता है।
ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਗੁਨ ਗਾਇ ਲੈ ਸਭ ਸੁਫਨ ਸਮਾਨਉ ॥੨॥੨॥
हे नानक! हरि का गुणगान कर लो, क्योंकि यह सब कुछ स्वप्न के सामान ही है ॥ २ ॥ २ ॥
ਤਿਲੰਗ ਮਹਲਾ ੯ ॥
राग तिलंग, नौवें गुरु: ९ ॥
ਹਰਿ ਜਸੁ ਰੇ ਮਨਾ ਗਾਇ ਲੈ ਜੋ ਸੰਗੀ ਹੈ ਤੇਰੋ ॥
हे मेरे मन ! हरि का यश गा ले, क्योंकि यही तेरा सच्चा साथी है ।
ਅਉਸਰੁ ਬੀਤਿਓ ਜਾਤੁ ਹੈ ਕਹਿਓ ਮਾਨ ਲੈ ਮੇਰੋ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
मेरा कहना मान ले, चूंकि यह जीवन-अवसर बीतता जा रहा है॥ १॥ रहाउ॥
ਸੰਪਤਿ ਰਥ ਧਨ ਰਾਜ ਸਿਉ ਅਤਿ ਨੇਹੁ ਲਗਾਇਓ ॥
संपत्ति, रथ, धन एवं राज के साथ तुमहें बहुत प्रेम है।
ਕਾਲ ਫਾਸ ਜਬ ਗਲਿ ਪਰੀ ਸਭ ਭਇਓ ਪਰਾਇਓ ॥੧॥
लेकिन जब काल की फाँसी गले में पड़ेगी तो सब कुछ पराया हो जाएगा ॥१॥
ਜਾਨਿ ਬੂਝ ਕੈ ਬਾਵਰੇ ਤੈ ਕਾਜੁ ਬਿਗਾਰਿਓ ॥
हे बावले ! तूने जानबूझ कर अपना काम आप ही बिगाड़ लिया है।
ਪਾਪ ਕਰਤ ਸੁਕਚਿਓ ਨਹੀ ਨਹ ਗਰਬੁ ਨਿਵਾਰਿਓ ॥੨॥
पाप करते समय कभी संकोच नहीं किया और न ही तूने अपना अहंकार छोड़ा है॥ २॥
ਜਿਹ ਬਿਧਿ ਗੁਰ ਉਪਦੇਸਿਆ ਸੋ ਸੁਨੁ ਰੇ ਭਾਈ ॥
हे मेरे भाई ! जैसे गुरु ने मुझे उपदेश दिया है, उसका अनुसरण करो।
ਨਾਨਕ ਕਹਤ ਪੁਕਾਰਿ ਕੈ ਗਹੁ ਪ੍ਰਭ ਸਰਨਾਈ ॥੩॥੩॥
भक्त नानक तुझे पुकार कर कहते है कि प्रभु की शरण पकड़ लो ॥ ३॥ ३ ॥
ਤਿਲੰਗ ਬਾਣੀ ਭਗਤਾ ਕੀ ਕਬੀਰ ਜੀ
राग तिलंग, भक्तों की वाणी, कबीर जी:
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ईश्वर एक है जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है। ॥
ਬੇਦ ਕਤੇਬ ਇਫਤਰਾ ਭਾਈ ਦਿਲ ਕਾ ਫਿਕਰੁ ਨ ਜਾਇ ॥
हे जिज्ञासु ! वेद-(ऋगवेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्वेद) तथा कतेब (तौरेत, जंबूर, बाईबल एवं कुरान) का ज्ञान पढ़ने से भी चिंता दूर नहीं होती।
ਟੁਕੁ ਦਮੁ ਕਰਾਰੀ ਜਉ ਕਰਹੁ ਹਾਜਿਰ ਹਜੂਰਿ ਖੁਦਾਇ ॥੧॥
यदि एक पल भर के लिए अपने चंचल मन को वश कर लोगे तो प्रभु तुम्हें प्रत्यक्ष दिखाई देंगे ॥ १॥
ਬੰਦੇ ਖੋਜੁ ਦਿਲ ਹਰ ਰੋਜ ਨਾ ਫਿਰੁ ਪਰੇਸਾਨੀ ਮਾਹਿ ॥
हे मनुष्य ! प्रतिदिन अपने हृदय का परीक्षण करके ईश्वर का स्मरण करो, तब तुम किसी चिंता या भ्रम में नहीं पड़ोगे।
ਇਹ ਜੁ ਦੁਨੀਆ ਸਿਹਰੁ ਮੇਲਾ ਦਸਤਗੀਰੀ ਨਾਹਿ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
यह संसार एक जादुई खेल जैसी माया है; इसमें कुछ भी स्थायी नहीं है, जिसे थामा जा सके। ॥ १॥ रहाउ॥
ਦਰੋਗੁ ਪੜਿ ਪੜਿ ਖੁਸੀ ਹੋਇ ਬੇਖਬਰ ਬਾਦੁ ਬਕਾਹਿ ॥
अन्य मतों की पवित्र पुस्तकों को पढ़कर और व्यर्थ की चर्चाओं में पड़कर कुछ आध्यात्मिक अज्ञानी लोग उन्हें मिथ्या सिद्ध करने में सुख अनुभव करते हैं।
ਹਕੁ ਸਚੁ ਖਾਲਕੁ ਖਲਕ ਮਿਆਨੇ ਸਿਆਮ ਮੂਰਤਿ ਨਾਹਿ ॥੨॥
शाश्वत रचयिता भगवान् अपनी सम्पूर्ण रचना में विद्यमान हैं और वह केवल श्याम मूर्ति तक सीमित नहीं है॥ २ ॥
ਅਸਮਾਨ ਮਿ੍ਯ੍ਯਾਨੇ ਲਹੰਗ ਦਰੀਆ ਗੁਸਲ ਕਰਦਨ ਬੂਦ ॥
हे भाई, ईश्वर तो तुम्हारे अंतःकरण में नदी की तरह प्रवाहित हो रहा है;तुम्हें उसे सदा ऐसे स्मरण करना चाहिए, जैसे तुम उसमें निरंतर स्नान कर रहे हो।
ਕਰਿ ਫਕਰੁ ਦਾਇਮ ਲਾਇ ਚਸਮੇ ਜਹ ਤਹਾ ਮਉਜੂਦੁ ॥੩॥
और तुम्हें इतना विनम्र बनना चाहिए, मानो तुम सर्वत्र उसे किसी सच्चे संत की ज्ञान रूपी आध्यात्मिक दृष्टि से देख रहे हो।॥ ३॥
ਅਲਾਹ ਪਾਕੰ ਪਾਕ ਹੈ ਸਕ ਕਰਉ ਜੇ ਦੂਸਰ ਹੋਇ ॥
ईश्वर परम शुद्ध हैं; मुझे इस पर केवल तभी संदेह हो सकता है, यदि उनके समान कोई दूसरा होता।
ਕਬੀਰ ਕਰਮੁ ਕਰੀਮ ਕਾ ਉਹੁ ਕਰੈ ਜਾਨੈ ਸੋਇ ॥੪॥੧॥
हे कबीर ! ऐसी जागरूकता केवल उसे ही प्राप्त होती है, जिसे ईश्वर स्वयं इसके योग्य बनाते हैं; यह पूरी तरह ईश्वर की कृपा पर निर्भर है कि वह यह आशीर्वाद किसे देते हैं।॥ ४ ॥ १॥
ਨਾਮਦੇਵ ਜੀ ॥
नामदेव जी ॥
ਮੈ ਅੰਧੁਲੇ ਕੀ ਟੇਕ ਤੇਰਾ ਨਾਮੁ ਖੁੰਦਕਾਰਾ ॥
हे प्रभु ! मैं समस्त आध्यात्मिक ज्ञान से शून्य हूँ; आपका नाम ही मेरा एकमात्र आधार और सहारा है।
ਮੈ ਗਰੀਬ ਮੈ ਮਸਕੀਨ ਤੇਰਾ ਨਾਮੁ ਹੈ ਅਧਾਰਾ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
मैं गरीब एवं विनम्र हूँ और आपका नाम ही मेरा आसरा है॥ १॥ रहाउ॥
ਕਰੀਮਾਂ ਰਹੀਮਾਂ ਅਲਾਹ ਤੂ ਗਨੀ ॥
हे करुणामय और दयालु भगवान्, आप सर्वसमृद्ध स्वामी हैं।
ਹਾਜਰਾ ਹਜੂਰਿ ਦਰਿ ਪੇਸਿ ਤੂੰ ਮਨੀ ॥੧॥
आप भीतर एवं बाहर सर्वत्र विद्यमान हैं और सदैव मेरे साथ हैं।॥ १॥
ਦਰੀਆਉ ਤੂ ਦਿਹੰਦ ਤੂ ਬਿਸੀਆਰ ਤੂ ਧਨੀ ॥
आप दया का सागर है, आप ही दाता है, आप ही बेअंत है और आप ही धनी है।
ਦੇਹਿ ਲੇਹਿ ਏਕੁ ਤੂੰ ਦਿਗਰ ਕੋ ਨਹੀ ॥੨॥
एक आप ही जीवों को सब कुछ देते और लेते है, आपके अतिरिक्त अन्य कोई नहीं॥ २॥
ਤੂੰ ਦਾਨਾਂ ਤੂੰ ਬੀਨਾਂ ਮੈ ਬੀਚਾਰੁ ਕਿਆ ਕਰੀ ॥
आप चतुर है और आप सब को देखने वाले है। मैं आपके गुणों का क्या विचार करूं ?
ਨਾਮੇ ਚੇ ਸੁਆਮੀ ਬਖਸੰਦ ਤੂੰ ਹਰੀ ॥੩॥੧॥੨॥
हे नामदेव के स्वामी ! आप सब पर अपनी कृपा करने वाले है॥ ३ ॥ १॥ २ ॥
ਹਲੇ ਯਾਰਾਂ ਹਲੇ ਯਾਰਾਂ ਖੁਸਿਖਬਰੀ ॥
हे मेरे मित्र ! आपकी स्तुति सुनकर मेरा हृदय शान्त हो जाता है।
ਬਲਿ ਬਲਿ ਜਾਂਉ ਹਉ ਬਲਿ ਬਲਿ ਜਾਂਉ ॥
हे प्रभु ! आप पर बार-बार बलिहारी जाता हूँ।
ਨੀਕੀ ਤੇਰੀ ਬਿਗਾਰੀ ਆਲੇ ਤੇਰਾ ਨਾਉ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
हे प्रभु ! आपका नाम परमश्रेष्ठ है; आपने मुझे जिस कार्य में लगाया है, वह भी सुखदायक है।॥ १॥ रहाउ॥
ਕੁਜਾ ਆਮਦ ਕੁਜਾ ਰਫਤੀ ਕੁਜਾ ਮੇ ਰਵੀ ॥
हे भगवान्, आप न तो कहीं से आये हैं, न कहीं गये हैं, और न कहीं जाने वाले हैं।
ਦ੍ਵਾਰਿਕਾ ਨਗਰੀ ਰਾਸਿ ਬੁਗੋਈ ॥੧॥
सत्य कहें, पवित्र द्वारिका नगरी में भी आप ही कृष्ण के रूप में उपस्थित थे? ॥ १॥
ਖੂਬੁ ਤੇਰੀ ਪਗਰੀ ਮੀਠੇ ਤੇਰੇ ਬੋਲ ॥
आपकी पगड़ी बहुत सुन्दर है और आपके बोल बड़े मीठे हैं।
ਦ੍ਵਾਰਿਕਾ ਨਗਰੀ ਕਾਹੇ ਕੇ ਮਗੋਲ ॥੨॥
द्वारिका नगरी में कोई मुगल कैसे हो सकता है॥ २॥
ਚੰਦੀ ਹਜਾਰ ਆਲਮ ਏਕਲ ਖਾਨਾਂ ॥
ब्रह्माण्ड के हजारों भवनों के केवल आप ही स्वामी है।
ਹਮ ਚਿਨੀ ਪਾਤਿਸਾਹ ਸਾਂਵਲੇ ਬਰਨਾਂ ॥੩॥
हे प्रभु ! सार्वभौम राजा, आप भी काले रंग के कृष्ण ही हैं।॥ ३॥
ਅਸਪਤਿ ਗਜਪਤਿ ਨਰਹ ਨਰਿੰਦ ॥
आप ही अश्वपति सूर्यदेव है, आप ही गजपति इन्द्रदेव है, आप ही नरों के नरेश ब्रह्मा है।
ਨਾਮੇ ਕੇ ਸ੍ਵਾਮੀ ਮੀਰ ਮੁਕੰਦ ॥੪॥੨॥੩॥
हे नामदेव के स्वामी ! आप सार्वभौम राजा और सभी के मुक्तिदाता हैं।॥ ४॥ २ ॥ ३ ॥