Guru Granth Sahib Translation Project

Guru Granth Sahib Hindi Page 724

Page 724

ਹੈ ਤੂਹੈ ਤੂ ਹੋਵਨਹਾਰ ॥ तू वर्तमान काल में भी है और भविष्य काल में भी तू ही होने वाला है।
ਅਗਮ ਅਗਾਧਿ ਊਚ ਆਪਾਰ ॥ तू अगम्य, असीम, सर्वोच्च एवं अपार है।
ਜੋ ਤੁਧੁ ਸੇਵਹਿ ਤਿਨ ਭਉ ਦੁਖੁ ਨਾਹਿ ॥ जो व्यक्ति तुझे स्मरण करते रहते हैं, उन्हें कोई भय एवं दुख नहीं लगता।
ਗੁਰ ਪਰਸਾਦਿ ਨਾਨਕ ਗੁਣ ਗਾਹਿ ॥੨॥ हे प्रभु ! गुरु की कृपा से नानक तेरे ही गुण गाता है॥ २॥
ਜੋ ਦੀਸੈ ਸੋ ਤੇਰਾ ਰੂਪੁ ॥ जो कुछ भी दिखाई देता है, वह तेरा ही रूप है।
ਗੁਣ ਨਿਧਾਨ ਗੋਵਿੰਦ ਅਨੂਪ ॥ हे गोविंद ! तू गुणों का भण्डार है एवं बड़ा अनूप है।
ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਜਨ ਸੋਇ ॥ भक्तजन तुझे स्मरण कर-करके तुझ जैसे ही हो जाते हैं।
ਨਾਨਕ ਕਰਮਿ ਪਰਾਪਤਿ ਹੋਇ ॥੩॥ हे नानक ! परमात्मा भाग्य से ही प्राप्त होता है॥ ३॥
ਜਿਨਿ ਜਪਿਆ ਤਿਸ ਕਉ ਬਲਿਹਾਰ ॥ जिसने परमात्मा का नाम जपा है, मैं उस पर बलिहारी जाता हूँ।
ਤਿਸ ਕੈ ਸੰਗਿ ਤਰੈ ਸੰਸਾਰ ॥ उसकी संगति करके संसार भी भवसागर से तर जाता है।
ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਭ ਲੋਚਾ ਪੂਰਿ ॥ नानक का कथन है कि हे प्रभु ! मेरी अभिलाषा पूरी करो;
ਸੰਤ ਜਨਾ ਕੀ ਬਾਛਉ ਧੂਰਿ ॥੪॥੨॥ मैं तेरे संतजनों की चरण-धूलि ही चाहता हूँ॥ ४॥ २॥
ਤਿਲੰਗ ਮਹਲਾ ੫ ਘਰੁ ੩ ॥ तिलंग महला ५ घरु ३ ॥
ਮਿਹਰਵਾਨੁ ਸਾਹਿਬੁ ਮਿਹਰਵਾਨੁ ॥ मेरा मालिक बड़ा मेहरबान है।
ਸਾਹਿਬੁ ਮੇਰਾ ਮਿਹਰਵਾਨੁ ॥ वह सब पर ही मेहरबान है और
ਜੀਅ ਸਗਲ ਕਉ ਦੇਇ ਦਾਨੁ ॥ ਰਹਾਉ ॥ सब जीवों को दान देता है। रहाउ॥
ਤੂ ਕਾਹੇ ਡੋਲਹਿ ਪ੍ਰਾਣੀਆ ਤੁਧੁ ਰਾਖੈਗਾ ਸਿਰਜਣਹਾਰੁ ॥ हे प्राणी ! तू क्यों घबराता है? जबकि तुझे पैदा करने वाला परमात्मा ही तेरी रक्षा करेगा।
ਜਿਨਿ ਪੈਦਾਇਸਿ ਤੂ ਕੀਆ ਸੋਈ ਦੇਇ ਆਧਾਰੁ ॥੧॥ जिसने तेरी पैदाइश की है, वही तेरे जीवन का आधार होगा।॥ १॥
ਜਿਨਿ ਉਪਾਈ ਮੇਦਨੀ ਸੋਈ ਕਰਦਾ ਸਾਰ ॥ जिसने यह पृथ्वी उत्पन्न की है, वही देखभाल करता है।
ਘਟਿ ਘਟਿ ਮਾਲਕੁ ਦਿਲਾ ਕਾ ਸਚਾ ਪਰਵਦਗਾਰੁ ॥੨॥ प्रत्येक शरीर में दिलों का मालिक परमात्मा मौजूद है और वह सच्चा पालनहार है ॥२॥
ਕੁਦਰਤਿ ਕੀਮ ਨ ਜਾਣੀਐ ਵਡਾ ਵੇਪਰਵਾਹੁ ॥ वह बड़ा बेपरवाह है और उसकी कुदरत की कीमत जानी नहीं जा सकती।
ਕਰਿ ਬੰਦੇ ਤੂ ਬੰਦਗੀ ਜਿਚਰੁ ਘਟ ਮਹਿ ਸਾਹੁ ॥੩॥ हे मानव ! जब तक तेरे शरीर में जीवन की साँसें हैं, तब तक तू मालिक की बंदगी कर॥ ३॥
ਤੂ ਸਮਰਥੁ ਅਕਥੁ ਅਗੋਚਰੁ ਜੀਉ ਪਿੰਡੁ ਤੇਰੀ ਰਾਸਿ ॥ हे प्रभु ! तू सर्वकला सम्पूर्ण है, अकथनीय एवं अगोचर है और यह प्राण एवं शरीर तेरी ही पूंजी है।
ਰਹਮ ਤੇਰੀ ਸੁਖੁ ਪਾਇਆ ਸਦਾ ਨਾਨਕ ਕੀ ਅਰਦਾਸਿ ॥੪॥੩॥ नानक की यही प्रार्थना है कि हे प्रभु ! तेरे रहम से मैंने सदैव ही सुख पाया है॥ ४॥ ३॥
ਤਿਲੰਗ ਮਹਲਾ ੫ ਘਰੁ ੩ ॥ तिलंग महला ५ घरु ३ ॥
ਕਰਤੇ ਕੁਦਰਤੀ ਮੁਸਤਾਕੁ ॥ हे जग के रचयिता ! तेरी कुदरत को देखकर मैं तेरा मुश्ताक (प्रेमी) बन गया हूँ।
ਦੀਨ ਦੁਨੀਆ ਏਕ ਤੂਹੀ ਸਭ ਖਲਕ ਹੀ ਤੇ ਪਾਕੁ ॥ ਰਹਾਉ ॥ एक तू ही दीनदुनिया (लोक-परलोक) का मालिक है और तू ही सारे विश्व से पवित्र पावन है॥ रहाउ॥
ਖਿਨ ਮਾਹਿ ਥਾਪਿ ਉਥਾਪਦਾ ਆਚਰਜ ਤੇਰੇ ਰੂਪ ॥ तू क्षण में ही बनाने-बिगाड़ने वाला है और तेरे रूप बड़े अद्भुत हैं।
ਕਉਣੁ ਜਾਣੈ ਚਲਤ ਤੇਰੇ ਅੰਧਿਆਰੇ ਮਹਿ ਦੀਪ ॥੧॥ तेरी लीला को कौन जान सकता है ? तू ही अज्ञानता के अन्धेरे में ज्ञान रूपी प्रकाश करने वाला दीपक है॥ १॥
ਖੁਦਿ ਖਸਮ ਖਲਕ ਜਹਾਨ ਅਲਹ ਮਿਹਰਵਾਨ ਖੁਦਾਇ ॥ हे मेरे खुदा ! तु खुद ही इस दुनिया का मालिक है और सारे जहान का मेहरबान अल्लाह है।
ਦਿਨਸੁ ਰੈਣਿ ਜਿ ਤੁਧੁ ਅਰਾਧੇ ਸੋ ਕਿਉ ਦੋਜਕਿ ਜਾਇ ॥੨॥ जो लोग दिन-रात तुझे याद करते रहते हैं, वह क्यों नरक में जाएँगे॥ २॥
ਅਜਰਾਈਲੁ ਯਾਰੁ ਬੰਦੇ ਜਿਸੁ ਤੇਰਾ ਆਧਾਰੁ ॥ हे अल्लाह ! जिसे तेरा आसरा है, मृत्यु का फरिश्ता इजराईल भी उस इन्सान का यार बन जाता है।
ਗੁਨਹ ਉਸ ਕੇ ਸਗਲ ਆਫੂ ਤੇਰੇ ਜਨ ਦੇਖਹਿ ਦੀਦਾਰੁ ॥੩॥ उसके सारे गुनाह माफ हो जाते हैं, अतः तेरे भक्तजन तेरा ही दीदार करते हैं।॥ ३॥
ਦੁਨੀਆ ਚੀਜ ਫਿਲਹਾਲ ਸਗਲੇ ਸਚੁ ਸੁਖੁ ਤੇਰਾ ਨਾਉ ॥ दुनिया की सब चीजें थोड़े समय के लिए ही हैं और एक तेरा नाम सच्चा सुख देने वाला है।
ਗੁਰ ਮਿਲਿ ਨਾਨਕ ਬੂਝਿਆ ਸਦਾ ਏਕਸੁ ਗਾਉ ॥੪॥੪॥ हे नानक ! गुरु को मिलकर मैंने सत्य को समझ लिया है और अब मैं एक परमात्मा के ही गुण गाता रहता हूँ॥ ४॥ ४॥
ਤਿਲੰਗ ਮਹਲਾ ੫ ॥ तिलंग महला ५ ॥
ਮੀਰਾਂ ਦਾਨਾਂ ਦਿਲ ਸੋਚ ॥ हे भाई ! जगत् के बादशाह एवं चतुर परमात्मा को अपने दिल में याद कर,
ਮੁਹਬਤੇ ਮਨਿ ਤਨਿ ਬਸੈ ਸਚੁ ਸਾਹ ਬੰਦੀ ਮੋਚ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ बन्धनों से मुक्त करने वाला वह सच्चा शाह मुहब्बत से ही मन एवं तन में बसता है ॥ १॥ रहाउ॥
ਦੀਦਨੇ ਦੀਦਾਰ ਸਾਹਿਬ ਕਛੁ ਨਹੀ ਇਸ ਕਾ ਮੋਲੁ ॥ उस मालिक के दर्शन-दीदार का कोई मोल नहीं।
ਪਾਕ ਪਰਵਦਗਾਰ ਤੂ ਖੁਦਿ ਖਸਮੁ ਵਡਾ ਅਤੋਲੁ ॥੧॥ हे खुदा ! तू पवित्र परवरदिगार है और खुद ही हम सबका बड़ा एवं अतुलनीय मालिक है
ਦਸ੍ਤਗੀਰੀ ਦੇਹਿ ਦਿਲਾਵਰ ਤੂਹੀ ਤੂਹੀ ਏਕ ॥ हे परमात्मा मुझे अपनी सहायता दे, क्योंकि एक तू ही तू ही मेरा मददगार है।
ਕਰਤਾਰ ਕੁਦਰਤਿ ਕਰਣ ਖਾਲਕ ਨਾਨਕ ਤੇਰੀ ਟੇਕ ॥੨॥੫॥ हे करतार ! तू ही कुदरत बनाने वाला एवं सारी सृष्टि का मालिक है और नानक को तो तेरी ही टेक है॥ २॥ ५ ॥
ਤਿਲੰਗ ਮਹਲਾ ੧ ਘਰੁ ੨ तिलंग महला १ घरु २
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ਜਿਨਿ ਕੀਆ ਤਿਨਿ ਦੇਖਿਆ ਕਿਆ ਕਹੀਐ ਰੇ ਭਾਈ ॥ हे भाई ! जिस ईश्वर ने यह जगत् उत्पन्न किया है, वही इसकी देखभाल करता है। इस बारे क्या कहा जाए ?


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