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ਰਾਗੁ ਤਿਲੰਗ ਮਹਲਾ ੧ ਘਰੁ ੧
रागु तिलंग महला १ घरु १
ੴ ਸਤਿ ਨਾਮੁ ਕਰਤਾ ਪੁਰਖੁ ਨਿਰਭਉ ਨਿਰਵੈਰੁ ਅਕਾਲ ਮੂਰਤਿ ਅਜੂਨੀ ਸੈਭੰ ਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ईश्वर एक है, उसका नाम सत्य है, वह आदिपुरुष संसार का रचनहार है, सर्वशक्तिमान है, अभय है, वैर भावना से रहित होने के कारण प्रेमस्वरूप है, वह कालातीत ब्रह्म-मूर्ति सदा अमर है, अतः जन्म-मरण के चक्र से रहित है, स्वजन्मा है अर्थात् स्वयं प्रकाशमान हुआ, जिसे गुरु-कृपा से पाया जाता है।
ਯਕ ਅਰਜ ਗੁਫਤਮ ਪੇਸਿ ਤੋ ਦਰ ਗੋਸ ਕੁਨ ਕਰਤਾਰ ॥
हे करतार ! मैंने तेरे पास एक अर्ज की है, जरा इसे कान लगाकर ध्यान से सुन।
ਹਕਾ ਕਬੀਰ ਕਰੀਮ ਤੂ ਬੇਐਬ ਪਰਵਦਗਾਰ ॥੧॥
तू सदैव सत्य है, बहुत बड़ा है, कृपा करने वाला है, तुझमें किसी प्रकार का कोई ऐब नहीं, अपितु सबका पोषक है॥ १॥
ਦੁਨੀਆ ਮੁਕਾਮੇ ਫਾਨੀ ਤਹਕੀਕ ਦਿਲ ਦਾਨੀ ॥
हे मेरे दिल ! तू यह सत्य जान ले कि यह दुनिया नाश होने वाला मुकाम है।
ਮਮ ਸਰ ਮੂਇ ਅਜਰਾਈਲ ਗਿਰਫਤਹ ਦਿਲ ਹੇਚਿ ਨ ਦਾਨੀ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
तू कुछ भी नहीं जानता कि मृत्यु के फरिश्ते इजराईल ने मेरे सिर के बाल पकड़े हुए हैं।॥ १॥ रहाउ॥
ਜਨ ਪਿਸਰ ਪਦਰ ਬਿਰਾਦਰਾਂ ਕਸ ਨੇਸ ਦਸਤੰਗੀਰ ॥
स्त्री, पुत्र, पिता एवं भाई-इन में से कोई भी मेरा मददगार नहीं है।
ਆਖਿਰ ਬਿਅਫਤਮ ਕਸ ਨ ਦਾਰਦ ਚੂੰ ਸਵਦ ਤਕਬੀਰ ॥੨॥
जब आखिर में मेरी मृत्यु आ जाएगी और मृतक शरीर को दफनाने की नमाज पढ़ी जाएगी, तब कोई भी मुझे यहाँ रख नहीं सकेगा ॥ २॥
ਸਬ ਰੋਜ ਗਸਤਮ ਦਰ ਹਵਾ ਕਰਦੇਮ ਬਦੀ ਖਿਆਲ ॥
मैं जीवन भर लालच में ही भटकता रहा, बुराई का ही ख्याल करता रहा।
ਗਾਹੇ ਨ ਨੇਕੀ ਕਾਰ ਕਰਦਮ ਮਮ ਈ ਚਿਨੀ ਅਹਵਾਲ ॥੩॥
मेरी दशा यह है कि मैंने कभी कोई भलाई का कार्य नहीं किया।॥ ३॥
ਬਦਬਖਤ ਹਮ ਚੁ ਬਖੀਲ ਗਾਫਿਲ ਬੇਨਜਰ ਬੇਬਾਕ ॥
मुझ जैसा दुनिया में कोई बदनसीब, चुगलखोर, गाफिल, निर्लज्ज एवं निडर नहीं है।
ਨਾਨਕ ਬੁਗੋਯਦ ਜਨੁ ਤੁਰਾ ਤੇਰੇ ਚਾਕਰਾਂ ਪਾ ਖਾਕ ॥੪॥੧॥
दास नानक यही कहता है कि हे प्रभु! मुझ पर ऐसी मेहर करो कि तेरे सेवकों की चरण-धूलि मिल जाए॥ ४॥ १॥
ਤਿਲੰਗ ਮਹਲਾ ੧ ਘਰੁ ੨
तिलंग महला १ घरु २
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ਭਉ ਤੇਰਾ ਭਾਂਗ ਖਲੜੀ ਮੇਰਾ ਚੀਤੁ ॥
हे मालिक ! तेरा डर मेरी भाँग है और मेरा चित इस भाँग को पाने वाला चमड़े का थेला
ਮੈ ਦੇਵਾਨਾ ਭਇਆ ਅਤੀਤੁ ॥
में डर रूपी भाँग को पीकर दिवाना एवं विरक्त बन गया हूँ।
ਕਰ ਕਾਸਾ ਦਰਸਨ ਕੀ ਭੂਖ ॥
मुझे तेरे दर्शनों की भूख लगी है और मेरे दोनों हाथ तेरे द्वार पर भीख माँगने के खप्पर हैं।
ਮੈ ਦਰਿ ਮਾਗਉ ਨੀਤਾ ਨੀਤ ॥੧॥
मैं नित्य ही तेरे द्वार पर दर्शनों की भीख माँगता रहता हूँ॥ १॥
ਤਉ ਦਰਸਨ ਕੀ ਕਰਉ ਸਮਾਇ ॥
मैं तेरे दर्शन ही माँगता हूँ।
ਮੈ ਦਰਿ ਮਾਗਤੁ ਭੀਖਿਆ ਪਾਇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
मैं भिखारी तेरे द्वार पर हा हूँ, मुझे दर्शनों की भीख दो ॥ १॥ रहाउ॥
ਕੇਸਰਿ ਕੁਸਮ ਮਿਰਗਮੈ ਹਰਣਾ ਸਰਬ ਸਰੀਰੀ ਚੜ੍ਹ੍ਹਣਾ ॥
केसर, फूल, कस्तूरी एवं सोना इत्यादि सबने पर चढ़ना होता है।
ਚੰਦਨ ਭਗਤਾ ਜੋਤਿ ਇਨੇਹੀ ਸਰਬੇ ਪਰਮਲੁ ਕਰਣਾ ॥੨॥
ऐसी चन्दन जैसी भक्तों में ज्योति बसती है, जो सबको अपनी ज्ञान सुगन्धि देती है॥ २॥
ਘਿਅ ਪਟ ਭਾਂਡਾ ਕਹੈ ਨ ਕੋਇ ॥
घी एवं रेशम को कोई बुरा नहीं कहता।
ਐਸਾ ਭਗਤੁ ਵਰਨ ਮਹਿ ਹੋਇ ॥
हे प्रभु ! तेरा भक्त भी ऐसा ही होता है कि कोई भी उसे बुरा नहीं कहता चाहे वह ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र किसी भी जाति में से हो।
ਤੇਰੈ ਨਾਮਿ ਨਿਵੇ ਰਹੇ ਲਿਵ ਲਾਇ ॥
जो तेरे नाम में लीन रहते हैं और तुझ में वृत्ति लगाए रखते हैं,
ਨਾਨਕ ਤਿਨ ਦਰਿ ਭੀਖਿਆ ਪਾਇ ॥੩॥੧॥੨॥
नानक की विनती है कि हे मालिक ! उनके द्वार पर अपने दर्शनों की भिक्षा दो ॥ ३ ॥ १॥ २ ॥
ਤਿਲੰਗ ਮਹਲਾ ੧ ਘਰੁ ੩
तिलंग महला १ घरु ३
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ਇਹੁ ਤਨੁ ਮਾਇਆ ਪਾਹਿਆ ਪਿਆਰੇ ਲੀਤੜਾ ਲਬਿ ਰੰਗਾਏ ॥
हे मेरे प्यारे ! मेरा यह तन रूपी चोला माया की लाग से लग गया है और मैंने इसे लालच रूपी रंग में रंग लिया है।