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ਮਹਾ ਕਲੋਲ ਬੁਝਹਿ ਮਾਇਆ ਕੇ ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਮੇਰੇ ਦੀਨ ਦਇਆਲ ॥
हे मेरे दीन-दयालु प्रभु ! मुझ पर अपनी कृपा करो, ताकि मेरे मन में से माया के बड़े आनंद-कौतुक प्राप्त करने की तृष्णा बुझ जाए।
ਅਪਣਾ ਨਾਮੁ ਦੇਹਿ ਜਪਿ ਜੀਵਾ ਪੂਰਨ ਹੋਇ ਦਾਸ ਕੀ ਘਾਲ ॥੧॥
मुझे अपना नाम प्रदान कीजिए, जिसका जाप करके मैं जीवित रहूँ और तेरे दास की साधना सफल हो जाए॥१॥
ਸਰਬ ਮਨੋਰਥ ਰਾਜ ਸੂਖ ਰਸ ਸਦ ਖੁਸੀਆ ਕੀਰਤਨੁ ਜਪਿ ਨਾਮ ॥
हरि-कीर्तन करने एवं नाम का जाप करने से सदैव ही खुशियाँ बनी रहती हैं, सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं तथा राज के सभी सुख एवं आनंद प्राप्त हो जाते हैं।
ਜਿਸ ਕੈ ਕਰਮਿ ਲਿਖਿਆ ਧੁਰਿ ਕਰਤੈ ਨਾਨਕ ਜਨ ਕੇ ਪੂਰਨ ਕਾਮ ॥੨॥੨੦॥੫੧॥
हे नानक ! जिसकी किस्मत में कर्ता-प्रभु ने प्रारम्भ से ही ऐसा लेख लिखा होता है, उस व्यक्ति के सब काम पूर्ण होते हैं॥२॥२०॥५१॥
ਧਨਾਸਰੀ ਮਃ ੫ ॥
धनासरी म: ५ ॥
ਜਨ ਕੀ ਕੀਨੀ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮਿ ਸਾਰ ॥
परब्रह्म ने अपने दास की देखरेख की है,
ਨਿੰਦਕ ਟਿਕਨੁ ਨ ਪਾਵਨਿ ਮੂਲੇ ਊਡਿ ਗਏ ਬੇਕਾਰ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
अब दास के समक्ष निन्दक तो सर्वथा टिक ही नहीं पाते और बेकार ही बादलों की तरह उड़ गए हैं ॥१॥ रहाउ
ਜਹ ਜਹ ਦੇਖਉ ਤਹ ਤਹ ਸੁਆਮੀ ਕੋਇ ਨ ਪਹੁਚਨਹਾਰ ॥
जहाँ कहीं भी मैं देखता हूँ, वहाँ ही मेरा स्वामी प्रभु स्थित है और कोई भी उसकी बराबरी नहीं कर सकता।
ਜੋ ਜੋ ਕਰੈ ਅਵਗਿਆ ਜਨ ਕੀ ਹੋਇ ਗਇਆ ਤਤ ਛਾਰ ॥੧॥
जो कोई भी दास की अवज्ञा करता है, वह तुरंत ही नष्ट हो गया है॥१॥
ਕਰਨਹਾਰੁ ਰਖਵਾਲਾ ਹੋਆ ਜਾ ਕਾ ਅੰਤੁ ਨ ਪਾਰਾਵਾਰ ॥
जिसका न कोई अन्त है, न ही कोई आर-पार है, वह सबका रचियता प्रभु स्वयं रखवाला बन गया है।
ਨਾਨਕ ਦਾਸ ਰਖੇ ਪ੍ਰਭਿ ਅਪੁਨੈ ਨਿੰਦਕ ਕਾਢੇ ਮਾਰਿ ॥੨॥੨੧॥੫੨॥
हे नानक ! प्रभु ने अपने दास को बचा लिया है और निन्दकों को मार कर संगत में से बाहर निकाल दिया है॥२॥२१॥५२॥
ਧਨਾਸਰੀ ਮਹਲਾ ੫ ਘਰੁ ੯ ਪੜਤਾਲ
धनासरी महला ५ घरु ९ पड़ताल
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ईश्वर एक है, जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है।
ਹਰਿ ਚਰਨ ਸਰਨ ਗੋਬਿੰਦ ਦੁਖ ਭੰਜਨਾ ਦਾਸ ਅਪੁਨੇ ਕਉ ਨਾਮੁ ਦੇਵਹੁ ॥
हे दुःख नाश करने वाले गोविन्द ! हे हरि ! मैं तेरे चरणों की शरण चाहता हूँ, अपने दास को अपना अमूल्य नाम प्रदान करो।
ਦ੍ਰਿਸਟਿ ਪ੍ਰਭ ਧਾਰਹੁ ਕ੍ਰਿਪਾ ਕਰਿ ਤਾਰਹੁ ਭੁਜਾ ਗਹਿ ਕੂਪ ਤੇ ਕਾਢਿ ਲੇਵਹੁ ॥ ਰਹਾਉ ॥
हे प्रभु ! मुझ पर कृपा-दृष्टि करो; मुझे भवसागर में से पार कर दो और मेरी भुजा पकड़ कर अज्ञान के कुएँ में से निकाल लो॥ रहाउ ॥
ਕਾਮ ਕ੍ਰੋਧ ਕਰਿ ਅੰਧ ਮਾਇਆ ਕੇ ਬੰਧ ਅਨਿਕ ਦੋਖਾ ਤਨਿ ਛਾਦਿ ਪੂਰੇ ॥
काम, क्रोध के कारण मैं अन्धा होकर माया के बंधनों में फँसा हुआ हूँ और मेरे शरीर पर अनेक पाप पूर्णतया भरे हुए हैं।
ਪ੍ਰਭ ਬਿਨਾ ਆਨ ਨ ਰਾਖਨਹਾਰਾ ਨਾਮੁ ਸਿਮਰਾਵਹੁ ਸਰਨਿ ਸੂਰੇ ॥੧॥
प्रभु के अलावा अन्य कोई भी बंधनों से बचाने वाला नही हैं। हे शूरवीर प्रभु ! मैं तेरी शरण में आया हूँ, अंतः मुझसे अपने नाम का सिमरन करवाओ ॥१॥
ਪਤਿਤ ਉਧਾਰਣਾ ਜੀਅ ਜੰਤ ਤਾਰਣਾ ਬੇਦ ਉਚਾਰ ਨਹੀ ਅੰਤੁ ਪਾਇਓ ॥
हे ईश्वर ! तू पतितों का उद्वार करने वाला एवं जीव-जन्तुओं का कल्याण करने वाला हैं। वेदों का अध्ययन करने वाले पण्डित भी तेरी महिमा का अन्त नहीं पा सके।
ਗੁਣਹ ਸੁਖ ਸਾਗਰਾ ਬ੍ਰਹਮ ਰਤਨਾਗਰਾ ਭਗਤਿ ਵਛਲੁ ਨਾਨਕ ਗਾਇਓ ॥੨॥੧॥੫੩॥
हे ब्रह्म ! तू गुणों एवं सुखों का सागर है और तू ही रत्नों की खान है। नानक ने तो भक्तवत्सल परमात्मा का ही स्तुतिगान किया है॥ २॥ १॥ ५३॥
ਧਨਾਸਰੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
धनासरी महला ५ ॥
ਹਲਤਿ ਸੁਖੁ ਪਲਤਿ ਸੁਖੁ ਨਿਤ ਸੁਖੁ ਸਿਮਰਨੋ ਨਾਮੁ ਗੋਬਿੰਦ ਕਾ ਸਦਾ ਲੀਜੈ ॥
सदा-सर्वदा गोविन्द का नाम जपना चाहिए; नाम-सिमरन से इहलोक एवं परलोक में भी नित्य ही सुख प्राप्त होता है।
ਮਿਟਹਿ ਕਮਾਣੇ ਪਾਪ ਚਿਰਾਣੇ ਸਾਧਸੰਗਤਿ ਮਿਲਿ ਮੁਆ ਜੀਜੈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
साधु-संगति में शामिल होने से आध्यात्मिक तौर पर मृत व्यक्ति भी जीवित हो जाता है अर्थात् शाक्त से गुरुमुख बन जाता है तथा उसके पूर्वकृत पाप भी मिट जाते हैं॥१॥ रहाउ॥
ਰਾਜ ਜੋਬਨ ਬਿਸਰੰਤ ਹਰਿ ਮਾਇਆ ਮਹਾ ਦੁਖੁ ਏਹੁ ਮਹਾਂਤ ਕਹੈ ॥
राज एवं यौवन में मनुष्य को भगवान भूल जाता है।महापुरुष यही बात कहते हैं कि माया का मोह एक महां दुःख है।
ਆਸ ਪਿਆਸ ਰਮਣ ਹਰਿ ਕੀਰਤਨ ਏਹੁ ਪਦਾਰਥੁ ਭਾਗਵੰਤੁ ਲਹੈ ॥੧॥
मनुष्य को भगवान का कीर्तन करने की अभिलाषा एवं प्यास लगी रहनी चाहिए परन्तु यह अनमोल पदार्थ कोई भाग्यवान् ही प्राप्त करता है॥ १॥
ਸਰਣਿ ਸਮਰਥ ਅਕਥ ਅਗੋਚਰਾ ਪਤਿਤ ਉਧਾਰਣ ਨਾਮੁ ਤੇਰਾ ॥
हे अगोचर एवं अकथनीय प्रभु ! तू अपने भक्तों को शरण देने में समर्थ है, तेरा नाम पापियों का उद्धार करने वाला है।
ਅੰਤਰਜਾਮੀ ਨਾਨਕ ਕੇ ਸੁਆਮੀ ਸਰਬਤ ਪੂਰਨ ਠਾਕੁਰੁ ਮੇਰਾ ॥੨॥੨॥੫੪॥
हे नानक के स्वामी प्रभु ! तू अन्तर्यामी है। मेरा ठाकुर सर्वव्यापी है ॥२॥२॥५४॥
ਧਨਾਸਰੀ ਮਹਲਾ ੫ ਘਰੁ ੧੨
धनासरी महला ५ घरु १२
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ईश्वर एक है, जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है।
ਬੰਦਨਾ ਹਰਿ ਬੰਦਨਾ ਗੁਣ ਗਾਵਹੁ ਗੋਪਾਲ ਰਾਇ ॥ ਰਹਾਉ ॥
भगवान की हमेशा वन्दना करो, जगतपालक परमात्मा का गुणगान करो ॥ रहाउ ॥
ਵਡੈ ਭਾਗਿ ਭੇਟੇ ਗੁਰਦੇਵਾ ॥
अहोभाग्य से ही गुरुदेव से भेंट होती है।
ਕੋਟਿ ਪਰਾਧ ਮਿਟੇ ਹਰਿ ਸੇਵਾ ॥੧॥
भगवान की भक्ति करने से करोड़ों ही अपराध मिट जाते हैं।॥१॥