Guru Granth Sahib Translation Project

Guru Granth Sahib Hindi Page 620

Page 620

ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥ सोरठि महला ५ ॥ राग सोरठ, पाँचवें गुरु:
ਦੁਰਤੁ ਗਵਾਇਆ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭਿ ਆਪੇ ਸਭੁ ਸੰਸਾਰੁ ਉਬਾਰਿਆ ॥ दुरतु गवाइआ हरि प्रभि आपे सभु संसारु उबारिआ ॥ हरि-प्रभु ने अपनी अपार शक्ति से पाप निवृत्त करके समस्त संसार को अधर्म व बुराइयों से रक्षा प्रदान की।
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮਿ ਪ੍ਰਭਿ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰੀ ਅਪਣਾ ਬਿਰਦੁ ਸਮਾਰਿਆ ॥੧॥ पारब्रहमि प्रभि किरपा धारी अपणा बिरदु समारिआ ॥१॥ सर्वोच्च परमेश्वर ने अपनी करुणा बरसाई और अपने सहज, शाश्वत स्वभाव को अक्षुण्ण रखा।॥ १ ॥
ਹੋਈ ਰਾਜੇ ਰਾਮ ਕੀ ਰਖਵਾਲੀ ॥ होई राजे राम की रखवाली ॥ मुझे राजा राम का संरक्षण मिल गया है।
ਸੂਖ ਸਹਜ ਆਨਦ ਗੁਣ ਗਾਵਹੁ ਮਨੁ ਤਨੁ ਦੇਹ ਸੁਖਾਲੀ ॥ ਰਹਾਉ ॥ सूख सहज आनद गुण गावहु मनु तनु देह सुखाली ॥ रहाउ ॥ सहज सुख एवं आनंद में भगवान् का गुणगान करो, इससे मन, तन एवं शरीर सुखी हो जाएगा ॥ रहाउ॥
ਪਤਿਤ ਉਧਾਰਣੁ ਸਤਿਗੁਰੁ ਮੇਰਾ ਮੋਹਿ ਤਿਸ ਕਾ ਭਰਵਾਸਾ ॥ पतित उधारणु सतिगुरु मेरा मोहि तिस का भरवासा ॥ मेरा सतगुरु तो पतितों का कल्याण करने वाले हैं और मुझे तो उस पर ही भरोसा है।
ਬਖਸਿ ਲਏ ਸਭਿ ਸਚੈ ਸਾਹਿਬਿ ਸੁਣਿ ਨਾਨਕ ਕੀ ਅਰਦਾਸਾ ॥੨॥੧੭॥੪੫॥ बखसि लए सभि सचै साहिबि सुणि नानक की अरदासा ॥२॥१७॥४५॥ नानक की प्रार्थना सुनकर सच्चे परमेश्वर ने उसके समस्त अवगुण क्षमा कर दिए हैं।॥ २॥१७॥ ४५ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥ सोरठि महला ५ ॥ राग सोरठ, पाँचवें गुरु: ५ ॥
ਬਖਸਿਆ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਪਰਮੇਸਰਿ ਸਗਲੇ ਰੋਗ ਬਿਦਾਰੇ ॥ बखसिआ पारब्रहम परमेसरि सगले रोग बिदारे ॥ पारब्रह्म-परमेश्वर ने क्षमा करके समस्त रोग नष्ट कर दिए हैं।
ਗੁਰ ਪੂਰੇ ਕੀ ਸਰਣੀ ਉਬਰੇ ਕਾਰਜ ਸਗਲ ਸਵਾਰੇ ॥੧॥ गुर पूरे की सरणी उबरे कारज सगल सवारे ॥१॥ जो पूर्ण गुरु की शरण में आता है, उसका उद्धार हो जाता है और समस्त कार्य भी सम्पूर्ण हो जाते हैं।॥ १॥
ਹਰਿ ਜਨਿ ਸਿਮਰਿਆ ਨਾਮ ਅਧਾਰਿ ॥ हरि जनि सिमरिआ नाम अधारि ॥ हरि के दास ने नाम-सिमरन ही किया है और नाम का ही आसरा लिया है।
ਤਾਪੁ ਉਤਾਰਿਆ ਸਤਿਗੁਰਿ ਪੂਰੈ ਅਪਣੀ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰਿ ॥ ਰਹਾਉ ॥ तापु उतारिआ सतिगुरि पूरै अपणी किरपा धारि ॥ रहाउ ॥ पूर्ण सतगुरु ने अपनी कृपा करके बालक हरिगोविन्द का ताप उतार दिया है॥ रहाउ॥
ਸਦਾ ਅਨੰਦ ਕਰਹ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਹਰਿ ਗੋਵਿਦੁ ਗੁਰਿ ਰਾਖਿਆ ॥ सदा अनंद करह मेरे पिआरे हरि गोविदु गुरि राखिआ ॥ हे मेरे प्यारे ! अब सभी सदैव ही आनंद करो, चूंकि मेरे गुरु ने श्री हरिगोविन्द को बचा लिया है।
ਵਡੀ ਵਡਿਆਈ ਨਾਨਕ ਕਰਤੇ ਕੀ ਸਾਚੁ ਸਬਦੁ ਸਤਿ ਭਾਖਿਆ ॥੨॥੧੮॥੪੬॥ वडी वडिआई नानक करते की साचु सबदु सति भाखिआ ॥२॥१८॥४६॥ हे नानक ! कर्ता परमेश्वर की महिमा महान् है, चूंकि उसके शब्द सत्य हैं और उसकी वाणी भी सत्य है॥ २॥ १८॥ ४६॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥ सोरठि महला ५ ॥ राग सोरठ, पाँचवें गुरु: ५ ॥
ਭਏ ਕ੍ਰਿਪਾਲ ਸੁਆਮੀ ਮੇਰੇ ਤਿਤੁ ਸਾਚੈ ਦਰਬਾਰਿ ॥ भए क्रिपाल सुआमी मेरे तितु साचै दरबारि ॥ मेरे प्रभु मुझ पर कृपालु हो गए हैं और मैं उनके सच्चे दरबार में सत्कृत हो गया हूँ॥
ਸਤਿਗੁਰਿ ਤਾਪੁ ਗਵਾਇਆ ਭਾਈ ਠਾਂਢਿ ਪਈ ਸੰਸਾਰਿ ॥ सतिगुरि तापु गवाइआ भाई ठांढि पई संसारि ॥ हे भाई ! सच्चे गुरु ने सभी कष्ट दूर कर दिए हैं और पूरे विश्व में शांति कायम हो गई है।
ਅਪਣੇ ਜੀਅ ਜੰਤ ਆਪੇ ਰਾਖੇ ਜਮਹਿ ਕੀਓ ਹਟਤਾਰਿ ॥੧॥ अपणे जीअ जंत आपे राखे जमहि कीओ हटतारि ॥१॥ अपने जीव की प्रभु ने स्वयं ही रक्षा की है और मृत्यु भी अप्रभावी हो गई है॥ १॥
ਹਰਿ ਕੇ ਚਰਣ ਰਿਦੈ ਉਰਿ ਧਾਰਿ ॥ हरि के चरण रिदै उरि धारि ॥ भगवान् के सुन्दर चरण अपने हृदय में धारण करो।
ਸਦਾ ਸਦਾ ਪ੍ਰਭੁ ਸਿਮਰੀਐ ਭਾਈ ਦੁਖ ਕਿਲਬਿਖ ਕਾਟਣਹਾਰੁ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ सदा सदा प्रभु सिमरीऐ भाई दुख किलबिख काटणहारु ॥१॥ रहाउ ॥ हे भाई! हमें सदा-सर्वदा ही प्रभु का ध्यान करना चाहिए, चूंकि वह दुःख-मुसीबतों एवं पापों का नाश करने वाला है॥ १॥ रहाउ॥
ਤਿਸ ਕੀ ਸਰਣੀ ਊਬਰੈ ਭਾਈ ਜਿਨਿ ਰਚਿਆ ਸਭੁ ਕੋਇ ॥ तिस की सरणी ऊबरै भाई जिनि रचिआ सभु कोइ ॥ हे भाई ! जिसने सबको पैदा किया है, उसकी शरण में जाने से ही उद्धार होता है।
ਕਰਣ ਕਾਰਣ ਸਮਰਥੁ ਸੋ ਭਾਈ ਸਚੈ ਸਚੀ ਸੋਇ ॥ करण कारण समरथु सो भाई सचै सची सोइ ॥ वह तो समस्त कार्य करने एवं कराने में समर्थ है, उस परम-सत्य परमेश्वर की कीर्ति भी सत्य है।
ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਭੂ ਧਿਆਈਐ ਭਾਈ ਮਨੁ ਤਨੁ ਸੀਤਲੁ ਹੋਇ ॥੨॥੧੯॥੪੭॥ नानक प्रभू धिआईऐ भाई मनु तनु सीतलु होइ ॥२॥१९॥४७॥ नानक कहते हैंं कि हे भाई ! हमें प्रभु का ही ध्यान करना चाहिए, जिसके फलस्वरुप मन तन शीतल हो जाता है॥ २॥ १६॥ ४७ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥ सोरठि महला ५ ॥ राग सोरठ, पाँचवें गुरु: ५ ॥
ਸੰਤਹੁ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਧਿਆਈ ॥ संतहु हरि हरि नामु धिआई ॥ हे संतो ! मैंने तो हरि-नाम का ही ध्यान-मनन किया है।
ਸੁਖ ਸਾਗਰ ਪ੍ਰਭੁ ਵਿਸਰਉ ਨਾਹੀ ਮਨ ਚਿੰਦਿਅੜਾ ਫਲੁ ਪਾਈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ सुख सागर प्रभु विसरउ नाही मन चिंदिअड़ा फलु पाई ॥१॥ रहाउ ॥ मैं सुखों के सागर प्रभु को कदापि विस्मृत नहीं करता और मनोवांछित फल प्राप्त करता हूँ॥ १॥ रहाउ॥
ਸਤਿਗੁਰਿ ਪੂਰੈ ਤਾਪੁ ਗਵਾਇਆ ਅਪਣੀ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰੀ ॥ सतिगुरि पूरै तापु गवाइआ अपणी किरपा धारी ॥ पूर्ण सतगुरु ने अपनी कृपा करके हरिगोविन्द का ताप (बुखार) उतार दिया है।
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਪ੍ਰਭ ਭਏ ਦਇਆਲਾ ਦੁਖੁ ਮਿਟਿਆ ਸਭ ਪਰਵਾਰੀ ॥੧॥ पारब्रहम प्रभ भए दइआला दुखु मिटिआ सभ परवारी ॥१॥ परब्रह्म-प्रभु मुझ पर दयालु हो गए हैं और मेरे सारे परिवार का दुःख मिट गया है॥ १॥
ਸਰਬ ਨਿਧਾਨ ਮੰਗਲ ਰਸ ਰੂਪਾ ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਅਧਾਰੋ ॥ सरब निधान मंगल रस रूपा हरि का नामु अधारो ॥ मुझे हरि के नाम का ही सहारा है, जो समस्त खुशियों, अमृत एवं सुन्दरता का खजाना है।
ਨਾਨਕ ਪਤਿ ਰਾਖੀ ਪਰਮੇਸਰਿ ਉਧਰਿਆ ਸਭੁ ਸੰਸਾਰੋ ॥੨॥੨੦॥੪੮॥ नानक पति राखी परमेसरि उधरिआ सभु संसारो ॥२॥२०॥४८॥ हे नानक ! उस परमेश्वर ने मेरी लाज-प्रतिष्ठा को बचा लिया है और सारी दुनिया का कल्याण हो गया है॥ २॥ २०॥ ४८ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥ सोरठि महला ५ ॥ राग सोरठ, पाँचवें गुरु:
ਮੇਰਾ ਸਤਿਗੁਰੁ ਰਖਵਾਲਾ ਹੋਆ ॥ मेरा सतिगुरु रखवाला होआ ॥ मेरा सतगुरु (बालक हरिगोबिन्द का) रखवाला हुआ है।
ਧਾਰਿ ਕ੍ਰਿਪਾ ਪ੍ਰਭ ਹਾਥ ਦੇ ਰਾਖਿਆ ਹਰਿ ਗੋਵਿਦੁ ਨਵਾ ਨਿਰੋਆ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ धारि क्रिपा प्रभ हाथ दे राखिआ हरि गोविदु नवा निरोआ ॥१॥ रहाउ ॥ अपनी कृपा करके प्रभु ने हाथ देकर श्री हरिगोबिन्द की रक्षा की है और अब वह बिल्कुल स्वस्थ है॥ १॥ रहाउ॥
ਤਾਪੁ ਗਇਆ ਪ੍ਰਭਿ ਆਪਿ ਮਿਟਾਇਆ ਜਨ ਕੀ ਲਾਜ ਰਖਾਈ ॥ तापु गइआ प्रभि आपि मिटाइआ जन की लाज रखाई ॥ श्री हरिगोविन्द का बुखार अब निवृत्त हो गया है, जिसे प्रभु ने स्वयं मिटाया है और अपने सेवक की लाज-प्रतिष्ठा बचा ली है।
ਸਾਧਸੰਗਤਿ ਤੇ ਸਭ ਫਲ ਪਾਏ ਸਤਿਗੁਰ ਕੈ ਬਲਿ ਜਾਂਈ ॥੧॥ साधसंगति ते सभ फल पाए सतिगुर कै बलि जांई ॥१॥ सत्संगति से ही हमें सभी फल प्राप्त हुए हैं और सतगुरु पर मैं बलिहारी जाता हूँ॥ १॥
ਹਲਤੁ ਪਲਤੁ ਪ੍ਰਭ ਦੋਵੈ ਸਵਾਰੇ ਹਮਰਾ ਗੁਣੁ ਅਵਗੁਣੁ ਨ ਬੀਚਾਰਿਆ ॥ हलतु पलतु प्रभ दोवै सवारे हमरा गुणु अवगुणु न बीचारिआ ॥ प्रभु ने मेरे गुणों या दोषों की ओर दृष्टि नहीं की, अपितु कृपा करके मुझे इस लोक और परलोक दोनों से मुक्ति प्रदान की।


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