Guru Granth Sahib Translation Project

Guru Granth Sahib Hindi Page 538

Page 538

ਗੁਰਮਤਿ ਮਨੁ ਠਹਰਾਈਐ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਅਨਤ ਨ ਕਾਹੂ ਡੋਲੇ ਰਾਮ ॥ गुरमति मनु ठहराईऐ मेरी जिंदुड़ीए अनत न काहू डोले राम ॥ हे मेरी आत्मा ! गुरु उपदेशानुसार अपने मन को टिकाना चाहिए, फिर यह दोबारा किसी अन्य स्थान पर नहीं भटकता।
ਮਨ ਚਿੰਦਿਅੜਾ ਫਲੁ ਪਾਇਆ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭੁ ਗੁਣ ਨਾਨਕ ਬਾਣੀ ਬੋਲੇ ਰਾਮ ॥੧॥ मन चिंदिअड़ा फलु पाइआ हरि प्रभु गुण नानक बाणी बोले राम ॥१॥ हे नानक ! जो व्यक्ति हरि-प्रभु के गुणों की वाणी उच्चारित करता है, उसे मनोवांछित फल मिल जाता है।॥ १
ਗੁਰਮਤਿ ਮਨਿ ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਵੁਠੜਾ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਮੁਖਿ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਬੈਣ ਅਲਾਏ ਰਾਮ ॥ गुरमति मनि अम्रितु वुठड़ा मेरी जिंदुड़ीए मुखि अम्रित बैण अलाए राम ॥ हे मेरी आत्मा ! गुरु उपदेशानुसार अमृत नाम प्राणी के हृदय में निवास कर जाता है और तब वह अपने मुख से अमृत वचन बोलता रहता है।
ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਬਾਣੀ ਭਗਤ ਜਨਾ ਕੀ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਮਨਿ ਸੁਣੀਐ ਹਰਿ ਲਿਵ ਲਾਏ ਰਾਮ ॥ अम्रित बाणी भगत जना की मेरी जिंदुड़ीए मनि सुणीऐ हरि लिव लाए राम ॥ आत्मा हे मेरे प्राण ! भक्तों के शब्द अमृत समान हैं; हमें प्रेमपूर्वक भगवान् के नाम का स्मरण करते हुए उनकी बात ध्यान से सुननी चाहिए
ਚਿਰੀ ਵਿਛੁੰਨਾ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭੁ ਪਾਇਆ ਗਲਿ ਮਿਲਿਆ ਸਹਜਿ ਸੁਭਾਏ ਰਾਮ ॥ चिरी विछुंना हरि प्रभु पाइआ गलि मिलिआ सहजि सुभाए राम ॥ चिरकाल से बिछुड़े हुए हरि-प्रभु मुझे प्राप्त हो गए हैं और उन्होंने सहज-स्वभाव ही मुझे अपने गले लगाया है।
ਜਨ ਨਾਨਕ ਮਨਿ ਅਨਦੁ ਭਇਆ ਹੈ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਅਨਹਤ ਸਬਦ ਵਜਾਏ ਰਾਮ ॥੨॥ जन नानक मनि अनदु भइआ है मेरी जिंदुड़ीए अनहत सबद वजाए राम ॥२॥ हे मेरी आत्मा ! दास नानक के हृदय में आनंद उत्पन्न हो गया है और उसके भीतर अनहद शब्द गूंज रहा है॥ २॥
ਸਖੀ ਸਹੇਲੀ ਮੇਰੀਆ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਕੋਈ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭੁ ਆਣਿ ਮਿਲਾਵੈ ਰਾਮ ॥ सखी सहेली मेरीआ मेरी जिंदुड़ीए कोई हरि प्रभु आणि मिलावै राम ॥ हे मेरी आत्मा ! मेरी कोई सखी-सहेली आकर मुझे मेरे हरि-प्रभु से मिला दे।
ਹਉ ਮਨੁ ਦੇਵਉ ਤਿਸੁ ਆਪਣਾ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭ ਕੀ ਹਰਿ ਕਥਾ ਸੁਣਾਵੈ ਰਾਮ ॥ हउ मनु देवउ तिसु आपणा मेरी जिंदुड़ीए हरि प्रभ की हरि कथा सुणावै राम ॥ मैं अपना मन उसे अर्पित करता हूँ, जो मुझे प्रभु की हरि-कथा सुनाता है।
ਗੁਰਮੁਖਿ ਸਦਾ ਅਰਾਧਿ ਹਰਿ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਮਨ ਚਿੰਦਿਅੜਾ ਫਲੁ ਪਾਵੈ ਰਾਮ ॥ गुरमुखि सदा अराधि हरि मेरी जिंदुड़ीए मन चिंदिअड़ा फलु पावै राम ॥ हे मेरी आत्मा ! गुरुमुख बनकर तू सदैव ही हरि की आराधना कर, तुझे मनोवांछित फल प्राप्त हो जाएगा।
ਨਾਨਕ ਭਜੁ ਹਰਿ ਸਰਣਾਗਤੀ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਵਡਭਾਗੀ ਨਾਮੁ ਧਿਆਵੈ ਰਾਮ ॥੩॥ नानक भजु हरि सरणागती मेरी जिंदुड़ीए वडभागी नामु धिआवै राम ॥३॥ नानक कहते हैं कि हे मेरी आत्मा ! हरि की शरणागत आकर उसका भजन कर, क्योंकि भाग्यशाली ही राम के नाम का ध्यान करते हैं।॥ ३॥
ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਪ੍ਰਭ ਆਇ ਮਿਲੁ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਗੁਰਮਤਿ ਨਾਮੁ ਪਰਗਾਸੇ ਰਾਮ ॥ करि किरपा प्रभ आइ मिलु मेरी जिंदुड़ीए गुरमति नामु परगासे राम ॥ हे मेरी आत्मा! भगवान् अपनी दया से हमारे पास आते हैं, और गुरु की शिक्षा के माध्यम से ही उनका नाम हमारे हृदय में प्रकट होता है।।
ਹਉ ਹਰਿ ਬਾਝੁ ਉਡੀਣੀਆ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਜਿਉ ਜਲ ਬਿਨੁ ਕਮਲ ਉਦਾਸੇ ਰਾਮ ॥ हउ हरि बाझु उडीणीआ मेरी जिंदुड़ीए जिउ जल बिनु कमल उदासे राम ॥ हे मेरी आत्मा ! हरि के बिना मैं ऐसे हतोत्साहित हूँ, जैसे जल के बिना कमल उदासीन होता है।
ਗੁਰਿ ਪੂਰੈ ਮੇਲਾਇਆ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਹਰਿ ਸਜਣੁ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭੁ ਪਾਸੇ ਰਾਮ ॥ गुरि पूरै मेलाइआ मेरी जिंदुड़ीए हरि सजणु हरि प्रभु पासे राम ॥ हे मेरी आत्मा ! पूर्ण गुरु ने सज्जन हरि से मिला दिया है, वह हरि-प्रभु आस-पास मेरे साथ ही रहता है।
ਧਨੁ ਧਨੁ ਗੁਰੂ ਹਰਿ ਦਸਿਆ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਜਨ ਨਾਨਕ ਨਾਮਿ ਬਿਗਾਸੇ ਰਾਮ ॥੪॥੧॥ धनु धनु गुरू हरि दसिआ मेरी जिंदुड़ीए जन नानक नामि बिगासे राम ॥४॥१॥ हे मेरी आत्मा ! वह गुरुदेव धन्य-धन्य है जिसने मुझे हरि के बारे में बताया है, जिसके नाम से दास नानक फूल की तरह खिल गया है॥ ४॥ १ ॥
ਰਾਗੁ ਬਿਹਾਗੜਾ ਮਹਲਾ ੪ ॥ रागु बिहागड़ा महला ४ ॥ राग बिहाग्र, चौथा गुरु: ४ ॥
ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਹੈ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਗੁਰਮਤਿ ਪਾਏ ਰਾਮ ॥ अम्रितु हरि हरि नामु है मेरी जिंदुड़ीए अम्रितु गुरमति पाए राम ॥ हे मेरी आत्मा ! परमेश्वर का नाम अमृत समान है, पर यह अमृत गुरु के उपदेश से ही प्राप्त होता है।
ਹਉਮੈ ਮਾਇਆ ਬਿਖੁ ਹੈ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਹਰਿ ਅੰਮ੍ਰਿਤਿ ਬਿਖੁ ਲਹਿ ਜਾਏ ਰਾਮ ॥ हउमै माइआ बिखु है मेरी जिंदुड़ीए हरि अम्रिति बिखु लहि जाए राम ॥ यह अहंकार माया रूपी विष है, हे मेरी आत्मा ! हरि के नामामृत द्वारा यह विष उतर जाता है।
ਮਨੁ ਸੁਕਾ ਹਰਿਆ ਹੋਇਆ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਧਿਆਏ ਰਾਮ ॥ मनु सुका हरिआ होइआ मेरी जिंदुड़ीए हरि हरि नामु धिआए राम ॥ हे मेरी आत्मा ! हरि के नाम का ध्यान करने से मेरा सूखा हुआ मन हरा-भरा हो गया है।
ਹਰਿ ਭਾਗ ਵਡੇ ਲਿਖਿ ਪਾਇਆ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਜਨ ਨਾਨਕ ਨਾਮਿ ਸਮਾਏ ਰਾਮ ॥੧॥ हरि भाग वडे लिखि पाइआ मेरी जिंदुड़ीए जन नानक नामि समाए राम ॥१॥ नानक कहते हैं कि हे मेरी आत्मा ! मेरे भाग्य में आदि से लिखे हुए अच्छे भाग्य से मैंने भगवान् को पा लिया है और मैं राम-नाम में समा गया हूँ॥ १॥
ਹਰਿ ਸੇਤੀ ਮਨੁ ਬੇਧਿਆ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਜਿਉ ਬਾਲਕ ਲਗਿ ਦੁਧ ਖੀਰੇ ਰਾਮ ॥ हरि सेती मनु बेधिआ मेरी जिंदुड़ीए जिउ बालक लगि दुध खीरे राम ॥ हे मेरी आत्मा ! मेरा चित्त हरि के साथ ऐसे जुड़ा हुआ है, जैसे नवजात बालक का चित्त दूध से लगा होता है।
ਹਰਿ ਬਿਨੁ ਸਾਂਤਿ ਨ ਪਾਈਐ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਜਿਉ ਚਾਤ੍ਰਿਕੁ ਜਲ ਬਿਨੁ ਟੇਰੇ ਰਾਮ ॥ हरि बिनु सांति न पाईऐ मेरी जिंदुड़ीए जिउ चात्रिकु जल बिनु टेरे राम ॥ हे मेरी आत्मा ! जैसे चातक वर्षा की बूंदों के बिना पुकारता रहता है वैसे ही हरि के बिना मुझे शांति प्राप्त नहीं होती।
ਸਤਿਗੁਰ ਸਰਣੀ ਜਾਇ ਪਉ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਗੁਣ ਦਸੇ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭ ਕੇਰੇ ਰਾਮ ॥ सतिगुर सरणी जाइ पउ मेरी जिंदुड़ीए गुण दसे हरि प्रभ केरे राम ॥ हे मेरी आत्मा ! सच्चे गुरु की शरण में पड़ो, वहाँ तुझे भगवान् के गुणों के बारे में ज्ञान प्राप्त होगा।
ਜਨ ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਮੇਲਾਇਆ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਘਰਿ ਵਾਜੇ ਸਬਦ ਘਣੇਰੇ ਰਾਮ ॥੨॥ जन नानक हरि मेलाइआ मेरी जिंदुड़ीए घरि वाजे सबद घणेरे राम ॥२॥ हे मेरी आत्मा ! दास नानक को हरि ने अपने साथ मिला लिया है और उसके घर में अनेक शब्द गूंज रहे हैं।॥२॥
ਮਨਮੁਖਿ ਹਉਮੈ ਵਿਛੁੜੇ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਬਿਖੁ ਬਾਧੇ ਹਉਮੈ ਜਾਲੇ ਰਾਮ ॥ मनमुखि हउमै विछुड़े मेरी जिंदुड़ीए बिखु बाधे हउमै जाले राम ॥ हे मेरी आत्मा ! अहंकार ने स्वेच्छाचारी लोगों को प्रभु से अलग कर दिया है और वे विषैले पापों से बंधे अहंकार की अग्नि में जल रहे हैं।
ਜਿਉ ਪੰਖੀ ਕਪੋਤਿ ਆਪੁ ਬਨ੍ਹ੍ਹਾਇਆ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਤਿਉ ਮਨਮੁਖ ਸਭਿ ਵਸਿ ਕਾਲੇ ਰਾਮ ॥ जिउ पंखी कपोति आपु बन्हाइआ मेरी जिंदुड़ीए तिउ मनमुख सभि वसि काले राम ॥ हे मेरी आत्मा ! जैसे पक्षी कबूतर आप ही दाने के लोभ के कारण जाल में फंस जाता है, वैसे ही सभी स्वेच्छाचारी मृत्यु के वश में आ जाते हैं।
ਜੋ ਮੋਹਿ ਮਾਇਆ ਚਿਤੁ ਲਾਇਦੇ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਸੇ ਮਨਮੁਖ ਮੂੜ ਬਿਤਾਲੇ ਰਾਮ ॥ जो मोहि माइआ चितु लाइदे मेरी जिंदुड़ीए से मनमुख मूड़ बिताले राम ॥ हे मेरी आत्मा ! जो मोह-माया में चित्त लगाते हैं, वे स्वेच्छाचारी मूर्ख तथा पिशाच हैं।


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