Guru Granth Sahib Translation Project

Guru Granth Sahib Hindi Page 294

Page 294

ਬਨਿ ਤਿਨਿ ਪਰਬਤਿ ਹੈ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ॥ पारब्रह्म-प्रभु वनों, तृणों एवं पर्वतों में व्यापक है।
ਜੈਸੀ ਆਗਿਆ ਤੈਸਾ ਕਰਮੁ ॥ जैसी उसकी आज्ञा होती है, वैसे ही जीव के कर्म हैं।
ਪਉਣ ਪਾਣੀ ਬੈਸੰਤਰ ਮਾਹਿ ॥ भगवान् पवन, जल एवं अग्नि में विद्यमान है।
ਚਾਰਿ ਕੁੰਟ ਦਹ ਦਿਸੇ ਸਮਾਹਿ ॥ वह चारों ओर और दसों दिशाओं में समाया हुआ है।
ਤਿਸ ਤੇ ਭਿੰਨ ਨਹੀ ਕੋ ਠਾਉ ॥ उससे भिन्न कोई स्थान नहीं।
ਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ਨਾਨਕ ਸੁਖੁ ਪਾਉ ॥੨॥ गुरु की कृपा से नानक ने सुख पा लिया है॥ २॥
ਬੇਦ ਪੁਰਾਨ ਸਿੰਮ੍ਰਿਤਿ ਮਹਿ ਦੇਖੁ ॥ उस भगवान् को वेद, पुराण एवं स्मृतियों में देखो।
ਸਸੀਅਰ ਸੂਰ ਨਖ੍ਯ੍ਯਤ੍ਰ ਮਹਿ ਏਕੁ ॥ चन्द्रमा, सूर्य एवं तारों में वही एक ईश्वर है।
ਬਾਣੀ ਪ੍ਰਭ ਕੀ ਸਭੁ ਕੋ ਬੋਲੈ ॥ प्रत्येक जीव प्रभु की वाणी बोलता है।
ਆਪਿ ਅਡੋਲੁ ਨ ਕਬਹੂ ਡੋਲੈ ॥ वह अटल है और कभी विचलित नहीं होता।
ਸਰਬ ਕਲਾ ਕਰਿ ਖੇਲੈ ਖੇਲ ॥ सर्व कला रचकर (सृष्टि का) खेल खेलता है।
ਮੋਲਿ ਨ ਪਾਈਐ ਗੁਣਹ ਅਮੋਲ ॥ उसका मूल्यांकन नहीं किया जा सकता, (क्योंकि) उसके गुण अमूल्य हैं।
ਸਰਬ ਜੋਤਿ ਮਹਿ ਜਾ ਕੀ ਜੋਤਿ ॥ ईश्वर की ज्योति समस्त ज्योतियों में प्रज्वलित है।
ਧਾਰਿ ਰਹਿਓ ਸੁਆਮੀ ਓਤਿ ਪੋਤਿ ॥ प्रभु ने संसार का ताना-बाना अपने वश में किया हुआ है।
ਗੁਰ ਪਰਸਾਦਿ ਭਰਮ ਕਾ ਨਾਸੁ ॥ हे नानक ! गुरु की कृपा से जिसके भ्रम का नाश हो जाता है,
ਨਾਨਕ ਤਿਨ ਮਹਿ ਏਹੁ ਬਿਸਾਸੁ ॥੩॥ उसके भीतर यह दृढ़ विश्वास बन जाता है ॥३॥
ਸੰਤ ਜਨਾ ਕਾ ਪੇਖਨੁ ਸਭੁ ਬ੍ਰਹਮ ॥ संतजन हर जगह पर भगवान् को ही देखते हैं।
ਸੰਤ ਜਨਾ ਕੈ ਹਿਰਦੈ ਸਭਿ ਧਰਮ ॥ संतजनों के मन में सब धर्म ही होता है।
ਸੰਤ ਜਨਾ ਸੁਨਹਿ ਸੁਭ ਬਚਨ ॥ संतजन शुभ वचन सुनते हैं।
ਸਰਬ ਬਿਆਪੀ ਰਾਮ ਸੰਗਿ ਰਚਨ ॥ वे सर्वव्यापक राम में लीन रहते हैं।
ਜਿਨਿ ਜਾਤਾ ਤਿਸ ਕੀ ਇਹ ਰਹਤ ॥ जिस जिस संत-धर्मात्मा ने (ईश्वर को) समझ लिया है, उसका जीवन-आचरण ही यह बन जाता है।
ਸਤਿ ਬਚਨ ਸਾਧੂ ਸਭਿ ਕਹਤ ॥ साधु सदैव सत्य वचन करता है।
ਜੋ ਜੋ ਹੋਇ ਸੋਈ ਸੁਖੁ ਮਾਨੈ ॥ जो कुछ भी होता है, वह इसे सुख मानता है।
ਕਰਨ ਕਰਾਵਨਹਾਰੁ ਪ੍ਰਭੁ ਜਾਨੈ ॥ यह जानता है कि प्रभु समस्त कार्य करने वाला एवं कराने वाला है।
ਅੰਤਰਿ ਬਸੇ ਬਾਹਰਿ ਭੀ ਓਹੀ ॥ संतजनों हेतु ईश्वर भीतर-बाहर सर्वत्र बसता है।
ਨਾਨਕ ਦਰਸਨੁ ਦੇਖਿ ਸਭ ਮੋਹੀ ॥੪॥ हे नानक ! उसके दर्शन करके हरेक व्यक्ति मुग्ध हो जाता है ॥४॥
ਆਪਿ ਸਤਿ ਕੀਆ ਸਭੁ ਸਤਿ ॥ ईश्वर सत्य है और उसकी सृष्टि-रचना भी सत्य है।
ਤਿਸੁ ਪ੍ਰਭ ਤੇ ਸਗਲੀ ਉਤਪਤਿ ॥ उस परमेश्वर से समूचा जगत् उत्पन्न हुआ है।
ਤਿਸੁ ਭਾਵੈ ਤਾ ਕਰੇ ਬਿਸਥਾਰੁ ॥ जब उसे भला लगता है तो वह सृष्टि का प्रसार कर देता है।
ਤਿਸੁ ਭਾਵੈ ਤਾ ਏਕੰਕਾਰੁ ॥ यदि एक ईश्वर को उपयुक्त लगे तो वह स्वयं ही एक रूप हो जाता है।
ਅਨਿਕ ਕਲਾ ਲਖੀ ਨਹ ਜਾਇ ॥ उसकी अनेक कलाएँ (शक्तियां) हैं, जिनका वर्णन नहीं किया जा सकता।
ਜਿਸੁ ਭਾਵੈ ਤਿਸੁ ਲਏ ਮਿਲਾਇ ॥ जिस किसी को वह चाहता है, उसे अपने साथ मिला लेता है।
ਕਵਨ ਨਿਕਟਿ ਕਵਨ ਕਹੀਐ ਦੂਰਿ ॥ वह पारब्रह्म किसी से दूर एवं किसी से निकट कहा जा सकता है ?
ਆਪੇ ਆਪਿ ਆਪ ਭਰਪੂਰਿ ॥ लेकिन ईश्वर स्वयं ही सर्वव्यापक है।
ਅੰਤਰਗਤਿ ਜਿਸੁ ਆਪਿ ਜਨਾਏ ॥ हे नानक ! वह उस मनुष्य को (अपनी सर्वव्यापकता की) सूझ देता है,
ਨਾਨਕ ਤਿਸੁ ਜਨ ਆਪਿ ਬੁਝਾਏ ॥੫॥ जिसे (ईश्वर) स्वयं भीतरी उच्च अवस्था सुझा देता है ॥५॥
ਸਰਬ ਭੂਤ ਆਪਿ ਵਰਤਾਰਾ ॥ सारी दुनिया के लोगों में परमात्मा स्वयं ही छाया हुआ है।
ਸਰਬ ਨੈਨ ਆਪਿ ਪੇਖਨਹਾਰਾ ॥ सब नयनों द्वारा वह स्वयं ही देख रहा है।
ਸਗਲ ਸਮਗ੍ਰੀ ਜਾ ਕਾ ਤਨਾ ॥ यह सारी सृष्टि-रचना उसका शरीर है।
ਆਪਨ ਜਸੁ ਆਪ ਹੀ ਸੁਨਾ ॥ वह अपनी महिमा स्वयं ही सुनता है।
ਆਵਨ ਜਾਨੁ ਇਕੁ ਖੇਲੁ ਬਨਾਇਆ ॥ लोगों का आवागमन (जन्म-मरण) ईश्वर ने एक खेल रचा है।
ਆਗਿਆਕਾਰੀ ਕੀਨੀ ਮਾਇਆ ॥ माया को उसने अपना आज्ञाकारी बनाया हुआ है।
ਸਭ ਕੈ ਮਧਿ ਅਲਿਪਤੋ ਰਹੈ ॥ सबके भीतर होता हुआ भी प्रभु निर्लिप्त रहता है।
ਜੋ ਕਿਛੁ ਕਹਣਾ ਸੁ ਆਪੇ ਕਹੈ ॥ जो कुछ कहना होता है, वह स्वयं ही कहता है।
ਆਗਿਆ ਆਵੈ ਆਗਿਆ ਜਾਇ ॥ उसकी आज्ञानुसार प्राणी (दुनिया में) जन्म लेता है और आज्ञानुसार प्राण त्याग देता है।
ਨਾਨਕ ਜਾ ਭਾਵੈ ਤਾ ਲਏ ਸਮਾਇ ॥੬॥ हे नानक ! जब उसे लुभाता है तो वह प्राणी को अपने साथ मिला लेता है॥ ६॥
ਇਸ ਤੇ ਹੋਇ ਸੁ ਨਾਹੀ ਬੁਰਾ ॥ भगवान् द्वारा जो कुछ भी होता है, दुनिया के लिए बुरा नहीं होता।
ਓਰੈ ਕਹਹੁ ਕਿਨੈ ਕਛੁ ਕਰਾ ॥ कहो, उस भगवान् के अलावा कभी किसी ने कुछ किया है ?
ਆਪਿ ਭਲਾ ਕਰਤੂਤਿ ਅਤਿ ਨੀਕੀ ॥ ईश्वर स्वयं भला है और सबसे भले उसके कर्म हैं।
ਆਪੇ ਜਾਨੈ ਅਪਨੇ ਜੀ ਕੀ ॥ अपने हृदय की बात वह स्वयं ही जानता है।
ਆਪਿ ਸਾਚੁ ਧਾਰੀ ਸਭ ਸਾਚੁ ॥ वह स्वयं सत्य है और उसकी सृष्टि-रचना भी सत्य है।
ਓਤਿ ਪੋਤਿ ਆਪਨ ਸੰਗਿ ਰਾਚੁ ॥ ताने-वाने की भाँति उसने स्वयं सृष्टि को अपने साथ मिलाया हुआ है।
ਤਾ ਕੀ ਗਤਿ ਮਿਤਿ ਕਹੀ ਨ ਜਾਇ ॥ उसकी गति एवं विस्तार व्यक्त नहीं किए जा सकते।
ਦੂਸਰ ਹੋਇ ਤ ਸੋਝੀ ਪਾਇ ॥ यदि कोई दूसरा उस समान होता तो बह उसको समझ सकता।
ਤਿਸ ਕਾ ਕੀਆ ਸਭੁ ਪਰਵਾਨੁ ॥ ईश्वर का किया हुआ लोगों को स्वीकार करना पड़ता है
ਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ਨਾਨਕ ਇਹੁ ਜਾਨੁ ॥੭॥ हे नानक ! गुरु की कृपा से यह तथ्य समझो ॥ ७ ॥
ਜੋ ਜਾਨੈ ਤਿਸੁ ਸਦਾ ਸੁਖੁ ਹੋਇ ॥ जो व्यक्ति ईश्वर को समझता है, उसे सदैव सुख मिलता है।
ਆਪਿ ਮਿਲਾਇ ਲਏ ਪ੍ਰਭੁ ਸੋਇ ॥ वह ईश्वर उसे अपने साथ मिला लेता है।
ਓਹੁ ਧਨਵੰਤੁ ਕੁਲਵੰਤੁ ਪਤਿਵੰਤੁ ॥ वह धनवान, कुलवान एवं मान-प्रतिष्ठा वाला बन जाता है।
ਜੀਵਨ ਮੁਕਤਿ ਜਿਸੁ ਰਿਦੈ ਭਗਵੰਤੁ ॥ जिस जीव के हृदय में भगवान् बसता है, वह जीवित ही मुक्ति पा लेता है।
ਧੰਨੁ ਧੰਨੁ ਧੰਨੁ ਜਨੁ ਆਇਆ ॥ उस महापुरुष का दुनिया में जन्म लेना धन्य-धन्य है,
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