Guru Granth Sahib Translation Project

Guru Granth Sahib Hindi Page 283

Page 283

ਪੁਰਬ ਲਿਖੇ ਕਾ ਲਿਖਿਆ ਪਾਈਐ ॥ तुझे वह सब कुछ मिलेगा, जो तेरे पूर्व जन्म के कर्मों द्वारा लिखा हुआ है।
ਦੂਖ ਸੂਖ ਪ੍ਰਭ ਦੇਵਨਹਾਰੁ ॥ प्रभु दुःख एवं सुख देने वाला है।
ਅਵਰ ਤਿਆਗਿ ਤੂ ਤਿਸਹਿ ਚਿਤਾਰੁ ॥ अन्य सब कुछ छोड़कर तू उसकी ही आराधना कर।
ਜੋ ਕਛੁ ਕਰੈ ਸੋਈ ਸੁਖੁ ਮਾਨੁ ॥ परमात्मा जो कुछ करता है, उसको सुख समझ।
ਭੂਲਾ ਕਾਹੇ ਫਿਰਹਿ ਅਜਾਨ ॥ हे मूर्ख ! तुम क्यों भटकते फेिरते हो।
ਕਉਨ ਬਸਤੁ ਆਈ ਤੇਰੈ ਸੰਗ ॥ कौन-सी वस्तु तेरे साथ आई है।
ਲਪਟਿ ਰਹਿਓ ਰਸਿ ਲੋਭੀ ਪਤੰਗ ॥ हे लालची परवाने ! तुम सांसारिक ऐश्वर्य-भोग में मस्त हो रहे हो ?
ਰਾਮ ਨਾਮ ਜਪਿ ਹਿਰਦੇ ਮਾਹਿ ॥ तू अपने मन में राम के नाम का जाप कर।
ਨਾਨਕ ਪਤਿ ਸੇਤੀ ਘਰਿ ਜਾਹਿ ॥੪॥ हे नानक ! इस तरह तुम सम्मानपूर्वक अपने धाम (परलोक) को जाओगे ॥ ४॥
ਜਿਸੁ ਵਖਰ ਕਉ ਲੈਨਿ ਤੂ ਆਇਆ ॥ "हे जीव ! राम नाम का धन, जिसे पाने लिए तुम इस दुनिया में आए हो,
ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਸੰਤਨ ਘਰਿ ਪਾਇਆ ॥ वह राम नाम रूपी सौदा संतों के घर से मिलता है।
ਤਜਿ ਅਭਿਮਾਨੁ ਲੇਹੁ ਮਨ ਮੋਲਿ ॥ अपने अभिमान को त्याग दे,
ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਹਿਰਦੇ ਮਹਿ ਤੋਲਿ ॥ राम का नाम अपने हृदय में तोल और अपने मन से इसे खरीद।
ਲਾਦਿ ਖੇਪ ਸੰਤਹ ਸੰਗਿ ਚਾਲੁ ॥ संतों के पवित्र संग में चलकर भगवान् के नाम का धन प्यार से ध्यान द्वारा धारण कर लो,
ਅਵਰ ਤਿਆਗਿ ਬਿਖਿਆ ਜੰਜਾਲ ॥ माया के दूसरे जंजाल त्याग दे।
ਧੰਨਿ ਧੰਨਿ ਕਹੈ ਸਭੁ ਕੋਇ ॥ प्रत्येक तुझे धन्य ! धन्य ! कहेगा।
ਮੁਖ ਊਜਲ ਹਰਿ ਦਰਗਹ ਸੋਇ ॥ उस प्रभु के दरबार में तेरा मुख उज्ज्वल होगा।
ਇਹੁ ਵਾਪਾਰੁ ਵਿਰਲਾ ਵਾਪਾਰੈ ॥ यह व्यापार कोई दुर्लभ व्यापारी ही करता है।
ਨਾਨਕ ਤਾ ਕੈ ਸਦ ਬਲਿਹਾਰੈ ॥੫॥ हे नानक ! मैं ऐसे व्यापारी पर सदा बलिहारी जाता हूँ॥ ५ ॥
ਚਰਨ ਸਾਧ ਕੇ ਧੋਇ ਧੋਇ ਪੀਉ ॥ हे जीव !साधुओं के चरण धो-धोकर पी।
ਅਰਪਿ ਸਾਧ ਕਉ ਅਪਨਾ ਜੀਉ ॥ साधुओं पर अपनी आत्मा भी अर्पण कर दे,"
ਸਾਧ ਕੀ ਧੂਰਿ ਕਰਹੁ ਇਸਨਾਨੁ ॥ साधुओं के चरणों की धूलि से स्नान कर।
ਸਾਧ ਊਪਰਿ ਜਾਈਐ ਕੁਰਬਾਨੁ ॥ साधु पर कुर्बान हो जाना चाहिए।
ਸਾਧ ਸੇਵਾ ਵਡਭਾਗੀ ਪਾਈਐ ॥ साधु की सेवा सौभाग्य से ही मिलती है।
ਸਾਧਸੰਗਿ ਹਰਿ ਕੀਰਤਨੁ ਗਾਈਐ ॥ साधु की संगति में हरि भजन का गुणगान करना चाहिए।
ਅਨਿਕ ਬਿਘਨ ਤੇ ਸਾਧੂ ਰਾਖੈ ॥ साधु अनेक विघ्नों से मनुष्य की रक्षा करता है।
ਹਰਿ ਗੁਨ ਗਾਇ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਰਸੁ ਚਾਖੈ ॥ जो प्रभु की गुणस्तुति करता है, वह अमृत रस का आस्वादन करता है।
ਓਟ ਗਹੀ ਸੰਤਹ ਦਰਿ ਆਇਆ ॥ जिसने संतों का सहारा पकड़ा है और उनके द्वार पर आ गिरा है,
ਸਰਬ ਸੂਖ ਨਾਨਕ ਤਿਹ ਪਾਇਆ ॥੬॥ हे नानक ! वह सर्व सुख प्राप्त कर लेता है॥ ६॥
ਮਿਰਤਕ ਕਉ ਜੀਵਾਲਨਹਾਰ ॥ परमात्मा मृतक प्राणी को भी जीवित करने वाला है।
ਭੂਖੇ ਕਉ ਦੇਵਤ ਅਧਾਰ ॥ वह भूखे को भी भोजन प्रदान करता है।
ਸਰਬ ਨਿਧਾਨ ਜਾ ਕੀ ਦ੍ਰਿਸਟੀ ਮਾਹਿ ॥ सभी खजाने उसकी दृष्टि में हैं।
ਪੁਰਬ ਲਿਖੇ ਕਾ ਲਹਣਾ ਪਾਹਿ ॥ परन्तु प्राणी अपने पूर्व जन्म के किए कर्मों का फल भोगते हैं।
ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਤਿਸ ਕਾ ਓਹੁ ਕਰਨੈ ਜੋਗੁ ॥ सब कुछ उस परमात्मा का ही है और वही सब कुछ करने में समर्थवान है।
ਤਿਸੁ ਬਿਨੁ ਦੂਸਰ ਹੋਆ ਨ ਹੋਗੁ ॥ उसके अलावा कोई दूसरा न ही था और न ही होगा।
ਜਪਿ ਜਨ ਸਦਾ ਸਦਾ ਦਿਨੁ ਰੈਣੀ ॥ हे जीव ! दिन-रात सदैव उसकी आराधना कर।
ਸਭ ਤੇ ਊਚ ਨਿਰਮਲ ਇਹ ਕਰਣੀ ॥ यह जीवन-आचरण सबसे ऊँचा एवं पवित्र है।
ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਜਿਸ ਕਉ ਨਾਮੁ ਦੀਆ ॥ जिस पुरुष पर परमात्मा ने कृपा धारण करके अपना नाम प्रदान किया है,
ਨਾਨਕ ਸੋ ਜਨੁ ਨਿਰਮਲੁ ਥੀਆ ॥੭॥ हे नानक ! वह पवित्र हो जाता है॥ ७ ॥
ਜਾ ਕੈ ਮਨਿ ਗੁਰ ਕੀ ਪਰਤੀਤਿ ॥ जिसके मन में गुरु जी पर आस्था है,
ਤਿਸੁ ਜਨ ਆਵੈ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭੁ ਚੀਤਿ ॥ वह मनुष्य हरि-प्रभु को स्मरण करने लग जाता है।
ਭਗਤੁ ਭਗਤੁ ਸੁਨੀਐ ਤਿਹੁ ਲੋਇ ॥ वह तीनों लोकों में प्रसिद्ध भक्त हो जाता है
ਜਾ ਕੈ ਹਿਰਦੈ ਏਕੋ ਹੋਇ ॥ जिसके हृदय में एक ईश्वर विद्यमान होता है।
ਸਚੁ ਕਰਣੀ ਸਚੁ ਤਾ ਕੀ ਰਹਤ ॥ उसका कर्म सत्य है और जीवन-मर्यादा भी सत्य है।
ਸਚੁ ਹਿਰਦੈ ਸਤਿ ਮੁਖਿ ਕਹਤ ॥ उसके मन में सत्य है और वह अपने मुख से सत्य ही बोलता है।
ਸਾਚੀ ਦ੍ਰਿਸਟਿ ਸਾਚਾ ਆਕਾਰੁ ॥ उसकी दृष्टि सत्य है और उसका स्वरूप भी सत्य है।
ਸਚੁ ਵਰਤੈ ਸਾਚਾ ਪਾਸਾਰੁ ॥ वह सत्य बांटता है और सत्य ही फैलाता है।
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਜਿਨਿ ਸਚੁ ਕਰਿ ਜਾਤਾ ॥ हे नानक ! जो पुरुष परब्रह्म को सत्य समझता है,
ਨਾਨਕ ਸੋ ਜਨੁ ਸਚਿ ਸਮਾਤਾ ॥੮॥੧੫॥ वह पुरुष सत्य में ही समा जाता है ॥८॥१५॥
ਸਲੋਕੁ ॥ श्लोक॥
ਰੂਪੁ ਨ ਰੇਖ ਨ ਰੰਗੁ ਕਿਛੁ ਤ੍ਰਿਹੁ ਗੁਣ ਤੇ ਪ੍ਰਭ ਭਿੰਨ ॥ परमेश्वर का न कोई रूप अथवा चिन्ह है और न ही कोई रंग है। वह माया के तीनों गुणों से परे है।
ਤਿਸਹਿ ਬੁਝਾਏ ਨਾਨਕਾ ਜਿਸੁ ਹੋਵੈ ਸੁਪ੍ਰਸੰਨ ॥੧॥ हे नानक ! परमात्मा स्वयं उस पुरुष को समझाता है, जिस पर स्वयं प्रसन्न होता है॥ १॥
ਅਸਟਪਦੀ ॥ अष्टपदी ॥
ਅਬਿਨਾਸੀ ਪ੍ਰਭੁ ਮਨ ਮਹਿ ਰਾਖੁ ॥ (हे जीव !) अपने मन में अनश्वर प्रभु को याद रख
ਮਾਨੁਖ ਕੀ ਤੂ ਪ੍ਰੀਤਿ ਤਿਆਗੁ ॥ और मनुष्य का प्रेम (मोह) त्याग दे।
ਤਿਸ ਤੇ ਪਰੈ ਨਾਹੀ ਕਿਛੁ ਕੋਇ ॥ उससे परे कोई वस्तु नहीं।
ਸਰਬ ਨਿਰੰਤਰਿ ਏਕੋ ਸੋਇ ॥ वह एक ईश्वर समस्त जीव-जन्तुओं के भीतर स्थित है।
ਆਪੇ ਬੀਨਾ ਆਪੇ ਦਾਨਾ ॥ वह स्वयं सब कुछ देखने वाला और स्वयं ही सब कुछ जानने वाला है।
ਗਹਿਰ ਗੰਭੀਰੁ ਗਹੀਰੁ ਸੁਜਾਨਾ ॥ प्रभु अथाह गम्भीर, गहरा एवं परम बुद्धिमान है।
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਪਰਮੇਸੁਰ ਗੋਬਿੰਦ ॥ वह पारब्रह्म, परमेश्वर एवं गोबिन्द
ਕ੍ਰਿਪਾ ਨਿਧਾਨ ਦਇਆਲ ਬਖਸੰਦ ॥ कृपा का भण्डार, बड़ा दयालु एवं क्षमाशील है।
ਸਾਧ ਤੇਰੇ ਕੀ ਚਰਨੀ ਪਾਉ ॥ हे प्रभु ! तेरे साधुओं के चरणों पर नतमस्तक होवे
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