Guru Granth Sahib Translation Project

Guru Granth Sahib Hindi Page 271

Page 271

ਪ੍ਰਭ ਕਿਰਪਾ ਤੇ ਹੋਇ ਪ੍ਰਗਾਸੁ ॥ प्रभ किरपा ते होइ प्रगासु ॥ प्रभु की कृपा से हृदय में दिव्य ज्ञान का प्रकाश होता है।
ਪ੍ਰਭੂ ਦਇਆ ਤੇ ਕਮਲ ਬਿਗਾਸੁ ॥ प्रभू दइआ ते कमल बिगासु ॥ प्रभु की कृपा से हृदय-कमल प्रफुल्लित होता है।
ਪ੍ਰਭ ਸੁਪ੍ਰਸੰਨ ਬਸੈ ਮਨਿ ਸੋਇ ॥ प्रभ सुप्रसंन बसै मनि सोइ ॥ जब प्रभु सुप्रसन्न होते हैं, तो वह मनुष्य के हृदय में आ निवास करते हैं।
ਪ੍ਰਭ ਦਇਆ ਤੇ ਮਤਿ ਊਤਮ ਹੋਇ ॥ प्रभ दइआ ते मति ऊतम होइ ॥ प्रभु की दया से मनुष्य की बुद्धि उत्तम हो जाती है।
ਸਰਬ ਨਿਧਾਨ ਪ੍ਰਭ ਤੇਰੀ ਮਇਆ ॥ सरब निधान प्रभ तेरी मइआ ॥ हे प्रभु ! समस्त खजाने आपकी दया में हैं।
ਆਪਹੁ ਕਛੂ ਨ ਕਿਨਹੂ ਲਇਆ ॥ आपहु कछू न किनहू लइआ ॥ अपने आप किसी को कुछ भी प्राप्त नहीं होता।
ਜਿਤੁ ਜਿਤੁ ਲਾਵਹੁ ਤਿਤੁ ਲਗਹਿ ਹਰਿ ਨਾਥ ॥ जितु जितु लावहु तितु लगहि हरि नाथ ॥ हे हरि-परमेश्वर ! आप जिस ओर प्राणियों को लगाते हो, वे उधर ही लग जाते हैं।
ਨਾਨਕ ਇਨ ਕੈ ਕਛੂ ਨ ਹਾਥ ॥੮॥੬॥ नानक इन कै कछू न हाथ ॥८॥६॥ हे नानक ! इन प्राणियों के वश में कुछ नहीं है ॥८॥६॥
ਸਲੋਕੁ ॥ सलोकु ॥ श्लोक॥
ਅਗਮ ਅਗਾਧਿ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਸੋਇ ॥ अगम अगाधि पारब्रहमु सोइ ॥ वह पारब्रह्म प्रभु अगम्य एवं अनन्त है।
ਜੋ ਜੋ ਕਹੈ ਸੁ ਮੁਕਤਾ ਹੋਇ ॥ जो जो कहै सु मुकता होइ ॥ जो कोई भी उसके नाम का जाप करता है, वह मोक्ष प्राप्त कर लेता है।
ਸੁਨਿ ਮੀਤਾ ਨਾਨਕੁ ਬਿਨਵੰਤਾ ॥ सुनि मीता नानकु बिनवंता ॥ नानक प्रार्थना करते हैं, हे मेरे मित्र ! ध्यानपूर्वक सुन,
ਸਾਧ ਜਨਾ ਕੀ ਅਚਰਜ ਕਥਾ ॥੧॥ साध जना की अचरज कथा ॥१॥ साधुओं की कथा बड़ी अद्भुत है॥ १॥
ਅਸਟਪਦੀ ॥ असटपदी ॥ अष्टपदी।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਮੁਖ ਊਜਲ ਹੋਤ ॥ साध कै संगि मुख ऊजल होत ॥ साधुओं की संगति करने से मुख उज्ज्वल हो जाता है।
ਸਾਧਸੰਗਿ ਮਲੁ ਸਗਲੀ ਖੋਤ ॥ साधसंगि मलु सगली खोत ॥ साधुओं की संगति करने से विकारों की समस्त मैल दूर हो जाती है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਮਿਟੈ ਅਭਿਮਾਨੁ ॥ साध कै संगि मिटै अभिमानु ॥ साधुओं की संगति करने से अभिमान मिट जाता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਪ੍ਰਗਟੈ ਸੁਗਿਆਨੁ ॥ साध कै संगि प्रगटै सुगिआनु ॥ साधुओं की संगति करने से आत्म-ज्ञान प्रगट हो जाता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਬੁਝੈ ਪ੍ਰਭੁ ਨੇਰਾ ॥ साध कै संगि बुझै प्रभु नेरा ॥ साधुओं की संगति करने से प्रभु निकट ही रहता हुआ प्रतीत होता है।
ਸਾਧਸੰਗਿ ਸਭੁ ਹੋਤ ਨਿਬੇਰਾ ॥ साधसंगि सभु होत निबेरा ॥ साधुओं की संगति करने से सभी विवाद निपट जाते हैं।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਪਾਏ ਨਾਮ ਰਤਨੁ ॥ साध कै संगि पाए नाम रतनु ॥ साधुओं की संगति करने से नाम-रत्न प्राप्त हो जाता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਏਕ ਊਪਰਿ ਜਤਨੁ ॥ साध कै संगि एक ऊपरि जतनु ॥ साधुओं की संगति में मनुष्य केवल एक ईश्वर हेतु ही प्रयास करता है।
ਸਾਧ ਕੀ ਮਹਿਮਾ ਬਰਨੈ ਕਉਨੁ ਪ੍ਰਾਨੀ ॥ साध की महिमा बरनै कउनु प्रानी ॥ कौन-सा प्राणी साधुओं की महिमा का वर्णन कर सकता है ?
ਨਾਨਕ ਸਾਧ ਕੀ ਸੋਭਾ ਪ੍ਰਭ ਮਾਹਿ ਸਮਾਨੀ ॥੧॥ नानक साध की सोभा प्रभ माहि समानी ॥१॥ हे नानक ! साधुओं की शोभा प्रभु (की महिमा) में ही लीन हुई है॥ १॥
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਅਗੋਚਰੁ ਮਿਲੈ ॥ साध कै संगि अगोचरु मिलै ॥ साधुओं की संगति करने से अगोचर प्रभु मिल जाते हैं।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਸਦਾ ਪਰਫੁਲੈ ॥ साध कै संगि सदा परफुलै ॥ साधुओं की संगति करने से प्राणी सदा प्रफुल्लित रहता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਆਵਹਿ ਬਸਿ ਪੰਚਾ ॥ साध कै संगि आवहि बसि पंचा ॥ साधुओं की संगति करने से पाँच शत्रु (काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार) वश में आ जाते हैं।
ਸਾਧਸੰਗਿ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਰਸੁ ਭੁੰਚਾ ॥ साधसंगि अम्रित रसु भुंचा ॥ साधुओं की संगति करने से मनुष्य अमृत रूप नाम का रस चख लेता है।
ਸਾਧਸੰਗਿ ਹੋਇ ਸਭ ਕੀ ਰੇਨ ॥ साधसंगि होइ सभ की रेन ॥ साधुओं की संगति करने से मनुष्य सबकी धूलि बन जाता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਮਨੋਹਰ ਬੈਨ ॥ साध कै संगि मनोहर बैन ॥ साधुओं की संगति करने से वाणी मनोहर हो जाती है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਨ ਕਤਹੂੰ ਧਾਵੈ ॥ साध कै संगि न कतहूं धावै ॥ साधुओं की संगति करने से मन कहीं नहीं भटकता।
ਸਾਧਸੰਗਿ ਅਸਥਿਤਿ ਮਨੁ ਪਾਵੈ ॥ साधसंगि असथिति मनु पावै ॥ साधुओं की संगति करने से मन स्थिरता प्राप्त कर लेता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਮਾਇਆ ਤੇ ਭਿੰਨ ॥ साध कै संगि माइआ ते भिंन ॥ साधुओं की संगति में यह माया से मुक्ति प्राप्त कर लेता है।
ਸਾਧਸੰਗਿ ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਭ ਸੁਪ੍ਰਸੰਨ ॥੨॥ साधसंगि नानक प्रभ सुप्रसंन ॥२॥ हे नानक ! साधुओं की संगति में रहने से प्रभु सुप्रसन्न हो जाते हैं। ॥ २॥
ਸਾਧਸੰਗਿ ਦੁਸਮਨ ਸਭਿ ਮੀਤ ॥ साधसंगि दुसमन सभि मीत ॥ साधु की संगति करने से सभी दुश्मन भी मित्र बन जाते हैं।
ਸਾਧੂ ਕੈ ਸੰਗਿ ਮਹਾ ਪੁਨੀਤ ॥ साधू कै संगि महा पुनीत ॥ साधु की संगति करने से मनुष्य महापवित्र हो जाता है।
ਸਾਧਸੰਗਿ ਕਿਸ ਸਿਉ ਨਹੀ ਬੈਰੁ ॥ साधसंगि किस सिउ नही बैरु ॥ साधुओं की संगति करने से वह किसी से वैर नहीं करता।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਨ ਬੀਗਾ ਪੈਰੁ ॥ साध कै संगि न बीगा पैरु ॥ साधुओं की संगति में रहने से मनुष्य कुमार्ग की ओर नहीं चलता।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਨਾਹੀ ਕੋ ਮੰਦਾ ॥ साध कै संगि नाही को मंदा ॥ साधु की संगति करने से कुछ भी बुरा दिखाई नहीं देता।
ਸਾਧਸੰਗਿ ਜਾਨੇ ਪਰਮਾਨੰਦਾ ॥ साधसंगि जाने परमानंदा ॥ साधुओं की संगति करने से मनुष्य महान सुख के स्वामी ईश्वर को ही जानता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਨਾਹੀ ਹਉ ਤਾਪੁ ॥ साध कै संगि नाही हउ तापु ॥ साधुओं की संगति करने से मनुष्य के अहंकार का ताप उतर जाता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਤਜੈ ਸਭੁ ਆਪੁ ॥ साध कै संगि तजै सभु आपु ॥ साधुओं की संगति करने से मनुष्य समस्त अहंत्व को त्याग देता है।
ਆਪੇ ਜਾਨੈ ਸਾਧ ਬਡਾਈ ॥ आपे जानै साध बडाई ॥ ईश्वर स्वयं ही साधुओं की महिमा को जानते हैं।
ਨਾਨਕ ਸਾਧ ਪ੍ਰਭੂ ਬਨਿ ਆਈ ॥੩॥ नानक साध प्रभू बनि आई ॥३॥ हे नानक ! साधु एवं परमेश्वर का प्रेम परिपक्व हो जाता है॥ ३ ॥
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਨ ਕਬਹੂ ਧਾਵੈ ॥ साध कै संगि न कबहू धावै ॥ साधु की संगति करने से प्राणी का मन कभी नहीं भटकता।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਸਦਾ ਸੁਖੁ ਪਾਵੈ ॥ साध कै संगि सदा सुखु पावै ॥ साधु की संगति करने से वह सदा सुख प्राप्त करता है।
ਸਾਧਸੰਗਿ ਬਸਤੁ ਅਗੋਚਰ ਲਹੈ ॥ साधसंगि बसतु अगोचर लहै ॥ साधुओं की संगति करने से नाम रूपी अगोचर वस्तु प्राप्त हो जाती है।
ਸਾਧੂ ਕੈ ਸੰਗਿ ਅਜਰੁ ਸਹੈ ॥ साधू कै संगि अजरु सहै ॥ साधुओं की संगति करने से मनुष्य शिथिल न होने वाली शक्ति को सहन कर लेता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਬਸੈ ਥਾਨਿ ਊਚੈ ॥ साध कै संगि बसै थानि ऊचै ॥ साधुओं की संगति करने से प्राणी सर्वोच्च स्थान में निवास करता है।
ਸਾਧੂ ਕੈ ਸੰਗਿ ਮਹਲਿ ਪਹੂਚੈ ॥ साधू कै संगि महलि पहूचै ॥ साधुओं की संगति में रहने से मनुष्य आत्मस्वरूप में पहुँच जाता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਦ੍ਰਿੜੈ ਸਭਿ ਧਰਮ ॥ साध कै संगि द्रिड़ै सभि धरम ॥ साधुओं की संगति करने से प्राणी का धर्म पूरी तरह सुदृढ़ हो जाता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਕੇਵਲ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ॥ साध कै संगि केवल पारब्रहम ॥ साधुओं की संगति में रहने से मनुष्य केवल पारब्रह्म की ही आराधना करता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਪਾਏ ਨਾਮ ਨਿਧਾਨ ॥ साध कै संगि पाए नाम निधान ॥ साधुओं की संगति में रहने से मनुष्य नाम रूपी खजाना प्राप्त कर लेता है।
ਨਾਨਕ ਸਾਧੂ ਕੈ ਕੁਰਬਾਨ ॥੪॥ नानक साधू कै कुरबान ॥४॥ हे नानक ! मैं उन साधुओं पर तन-मन से न्यौछावर हूँ॥ ४॥
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਸਭ ਕੁਲ ਉਧਾਰੈ ॥ साध कै संगि सभ कुल उधारै ॥ साधुओं की संगति द्वारा मनुष्य के समूचे वंश का उद्धार हो जाता है।
ਸਾਧਸੰਗਿ ਸਾਜਨ ਮੀਤ ਕੁਟੰਬ ਨਿਸਤਾਰੈ ॥ साधसंगि साजन मीत कुट्मब निसतारै ॥ साधुओं की संगति में रहने से मनुष्य के मित्र-सज्जन एवं परिवार का भवसागर से उद्धार हो जाता है।
ਸਾਧੂ ਕੈ ਸੰਗਿ ਸੋ ਧਨੁ ਪਾਵੈ ॥ साधू कै संगि सो धनु पावै ॥ साधुओं की संगति में रहने से वह धन प्राप्त हो जाता है,
ਜਿਸੁ ਧਨ ਤੇ ਸਭੁ ਕੋ ਵਰਸਾਵੈ ॥ जिसु धन ते सभु को वरसावै ॥ जिस धन से प्रत्येक पुरुष लाभ प्राप्त करता है और तृप्त हो जाता है।
ਸਾਧਸੰਗਿ ਧਰਮ ਰਾਇ ਕਰੇ ਸੇਵਾ ॥ साधसंगि धरम राइ करे सेवा ॥ साधुओं की संगति में रहने से यमराज भी सेवा करता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਸੋਭਾ ਸੁਰਦੇਵਾ ॥ साध कै संगि सोभा सुरदेवा ॥ जो साधुओं की संगति में रहता है, देवदूत एवं देवतागण भी उसका यशोगान करते हैं।
ਸਾਧੂ ਕੈ ਸੰਗਿ ਪਾਪ ਪਲਾਇਨ ॥ साधू कै संगि पाप पलाइन ॥ साधुओं की संगति करने से समूचे पाप नाश हो जाते हैं।
ਸਾਧਸੰਗਿ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਗੁਨ ਗਾਇਨ ॥ साधसंगि अम्रित गुन गाइन ॥ साधुओं की संगति द्वारा मनुष्य अमृतमयी नाम का यश गायन करता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਸ੍ਰਬ ਥਾਨ ਗੰਮਿ ॥ साध कै संगि स्रब थान गमि ॥ साधुओं की संगति द्वारा मनुष्य की समस्त स्थानों पर पहुँच हो जाती है।


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