Guru Granth Sahib Translation Project

Guru Granth Sahib Hindi Page 264

Page 264

ਅਸਟਪਦੀ ॥ अष्टपदी।
ਜਹ ਮਾਤ ਪਿਤਾ ਸੁਤ ਮੀਤ ਨ ਭਾਈ ॥ जहाँ माता, पिता, पुत्र, मित्र एवं भाई, कोई (सहायक) नहीं,
ਮਨ ਊਹਾ ਨਾਮੁ ਤੇਰੈ ਸੰਗਿ ਸਹਾਈ ॥ वहाँ हे मेरे मन ! ईश्वर का नाम तेरे साथ सहायक होगा।
ਜਹ ਮਹਾ ਭਇਆਨ ਦੂਤ ਜਮ ਦਲੈ ॥ जहाँ महा भयानक यमदूत तुझे कुचलेगा,
ਤਹ ਕੇਵਲ ਨਾਮੁ ਸੰਗਿ ਤੇਰੈ ਚਲੈ ॥ वहाँ केवल प्रभु का नाम ही तेरे साथ जाएगा।
ਜਹ ਮੁਸਕਲ ਹੋਵੈ ਅਤਿ ਭਾਰੀ ॥ जहाँ बहुत भारी मुश्किल होगी ,
ਹਰਿ ਕੋ ਨਾਮੁ ਖਿਨ ਮਾਹਿ ਉਧਾਰੀ ॥ वहाँ ईश्वर का नाम एक क्षण में ही तेरी रक्षा करेगा।
ਅਨਿਕ ਪੁਨਹਚਰਨ ਕਰਤ ਨਹੀ ਤਰੈ ॥ अनेकों धार्मिक कर्म करने से भी मनुष्य की पापों से मुक्ति नहीं होती,
ਹਰਿ ਕੋ ਨਾਮੁ ਕੋਟਿ ਪਾਪ ਪਰਹਰੈ ॥ परन्तु ईश्वर का नाम करोड़ों ही पापों का नाश कर देता है।
ਗੁਰਮੁਖਿ ਨਾਮੁ ਜਪਹੁ ਮਨ ਮੇਰੇ ॥ हे मेरे मन ! गुरु के सान्निध्य में रहकर प्रभु के नाम का जाप कर।
ਨਾਨਕ ਪਾਵਹੁ ਸੂਖ ਘਨੇਰੇ ॥੧॥ हे नानक ! ऐसे तुझे बहुत सुख प्राप्त होगा ॥१॥
ਸਗਲ ਸ੍ਰਿਸਟਿ ਕੋ ਰਾਜਾ ਦੁਖੀਆ ॥ सारे संसार का राजा (बनकर भी मनुष्य) दु:खी होता है।
ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਜਪਤ ਹੋਇ ਸੁਖੀਆ ॥ लेकिन ईश्वर का नाम-स्मरण करने से सुखी हो जाता है।
ਲਾਖ ਕਰੋਰੀ ਬੰਧੁ ਨ ਪਰੈ ॥ चाहे मनुष्य लाखों-करोड़ बन्धनों में फँसा हो, (किन्तु)
ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਜਪਤ ਨਿਸਤਰੈ ॥ प्रभु के नाम का जाप करने से वह मुक्त हो जाता है।
ਅਨਿਕ ਮਾਇਆ ਰੰਗ ਤਿਖ ਨ ਬੁਝਾਵੈ ॥ धन-दौलत की अत्याधिक खुशियाँ मनुष्य की तृष्णा को नहीं मिटा सकते। (लेकिन)
ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਜਪਤ ਆਘਾਵੈ ॥ ईश्वर का नाम-स्मरण करने से वह तृप्त हो जाता है।
ਜਿਹ ਮਾਰਗਿ ਇਹੁ ਜਾਤ ਇਕੇਲਾ ॥ जिस (यम) मार्ग पर प्राणी अकेला जाता है,
ਤਹ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਸੰਗਿ ਹੋਤ ਸੁਹੇਲਾ ॥ वहाँ ईश्वर का नाम सुखदायक होता है।
ਐਸਾ ਨਾਮੁ ਮਨ ਸਦਾ ਧਿਆਈਐ ॥ हे मेरे मन ! ऐसा नाम सदा स्मरण करो,
ਨਾਨਕ ਗੁਰਮੁਖਿ ਪਰਮ ਗਤਿ ਪਾਈਐ ॥੨॥ हे नानक ! गुरु की शरण में नाम-स्मरण करने से परमगति प्राप्त हो जाती है॥ २॥
ਛੂਟਤ ਨਹੀ ਕੋਟਿ ਲਖ ਬਾਹੀ ॥ जहाँ लाखों-करोड़ों भुजाओं के होते हुए भी मनुष्य की मुक्ति नहीं हो सकती,
ਨਾਮੁ ਜਪਤ ਤਹ ਪਾਰਿ ਪਰਾਹੀ ॥ वहाँ नाम-स्मरण करने से मनुष्य का उद्धार हो जाता है।
ਅਨਿਕ ਬਿਘਨ ਜਹ ਆਇ ਸੰਘਾਰੈ ॥ जहाँ अनेक विघ्न (विपत्तियाँ) आकर मनुष्य को नष्ट करती हैं,
ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਤਤਕਾਲ ਉਧਾਰੈ ॥ वहाँ प्रभु का नाम तत्काल उसकी रक्षा करता है।
ਅਨਿਕ ਜੋਨਿ ਜਨਮੈ ਮਰਿ ਜਾਮ ॥ जो व्यक्ति अनेक योनियों में जन्मता-मरता रहता है,
ਨਾਮੁ ਜਪਤ ਪਾਵੈ ਬਿਸ੍ਰਾਮ ॥ वह प्रभु के नाम का जाप करने से सुख प्राप्त कर लेता है।
ਹਉ ਮੈਲਾ ਮਲੁ ਕਬਹੁ ਨ ਧੋਵੈ ॥ अहंकार से मैला हुआ प्राणी कभी यह मैल धो नहीं सकता,
ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਕੋਟਿ ਪਾਪ ਖੋਵੈ ॥ (परन्तु) ईश्वर का नाम करोड़ों पापों को नाश कर देता है।
ਐਸਾ ਨਾਮੁ ਜਪਹੁ ਮਨ ਰੰਗਿ ॥ हे मेरे मन ! ईश्वर के ऐसे नाम को प्रेमपूर्वक स्मरण करो।
ਨਾਨਕ ਪਾਈਐ ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ॥੩॥ हे नानक ! ईश्वर का नाम संतों की संगति में ही प्राप्त होता है॥ ३॥
ਜਿਹ ਮਾਰਗ ਕੇ ਗਨੇ ਜਾਹਿ ਨ ਕੋਸਾ ॥ जिस (जीवन रूपी) मार्ग के कोस इत्यादि गिने नहीं जा सकते,
ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਊਹਾ ਸੰਗਿ ਤੋਸਾ ॥ ईश्वर का नाम वहाँ तेरे साथ राशि-पूंजी होगा।
ਜਿਹ ਪੈਡੈ ਮਹਾ ਅੰਧ ਗੁਬਾਰਾ ॥ जिस मार्ग में घोर-अंधकार है,
ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਸੰਗਿ ਉਜੀਆਰਾ ॥ वहाँ ईश्वर का नाम रूपी प्रकाश तेरे साथ होगा।
ਜਹਾ ਪੰਥਿ ਤੇਰਾ ਕੋ ਨ ਸਿਞਾਨੂ ॥ जिस मार्ग पर तेरा कोई जानकार नहीं,
ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਤਹ ਨਾਲਿ ਪਛਾਨੂ ॥ वहाँ ईश्वर का नाम तेरे साथ जानने वाला (जानकार) होगा।
ਜਹ ਮਹਾ ਭਇਆਨ ਤਪਤਿ ਬਹੁ ਘਾਮ ॥ जहाँ अत्याधिक भयानक गर्मी एवं अत्याधिक धूप है,
ਤਹ ਹਰਿ ਕੇ ਨਾਮ ਕੀ ਤੁਮ ਊਪਰਿ ਛਾਮ ॥ वहाँ ईश्वर के नाम की तुझ पर छाया होगी।
ਜਹਾ ਤ੍ਰਿਖਾ ਮਨ ਤੁਝੁ ਆਕਰਖੈ ॥ हे प्राणी ! जहाँ (माया की) प्यास तुझे खींचती है,
ਤਹ ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਹਰਿ ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਬਰਖੈ ॥੪॥ वहाँ हे नानक ! हरि-परमेश्वर के नाम के अमृत की वर्षा होती है॥ ४ ॥
ਭਗਤ ਜਨਾ ਕੀ ਬਰਤਨਿ ਨਾਮੁ ॥ ईश्वर का नाम भक्तजनों हेतु व्यावहारिक सामग्री है।
ਸੰਤ ਜਨਾ ਕੈ ਮਨਿ ਬਿਸ੍ਰਾਮੁ ॥ ईश्वर का नाम संतजनों के मन को सुख विश्राम देता है।
ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਦਾਸ ਕੀ ਓਟ ॥ ईश्वर का नाम उसके सेवक का सहारा है।
ਹਰਿ ਕੈ ਨਾਮਿ ਉਧਰੇ ਜਨ ਕੋਟਿ ॥ ईश्वर के नाम द्वारा करोड़ों ही प्राणियों का कल्याण हो गया है।
ਹਰਿ ਜਸੁ ਕਰਤ ਸੰਤ ਦਿਨੁ ਰਾਤਿ ॥ संतजन दिन-रात हरि का यशोगान करते रहते हैं।
ਹਰਿ ਹਰਿ ਅਉਖਧੁ ਸਾਧ ਕਮਾਤਿ ॥ संत हरि-परमेश्वर के नाम को अपनी औषधि के रूप में उपयोग करते हैं।
ਹਰਿ ਜਨ ਕੈ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਨਿਧਾਨੁ ॥ ईश्वर का नाम ईश्वर के सेवक का खजाना है।
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮਿ ਜਨ ਕੀਨੋ ਦਾਨ ॥ पारब्रह्म ने उसे यह दान किया है।
ਮਨ ਤਨ ਰੰਗਿ ਰਤੇ ਰੰਗ ਏਕੈ ॥ जो मन एवं तन से एक ईश्वर के प्रेम में रंगे हुए हैं।
ਨਾਨਕ ਜਨ ਕੈ ਬਿਰਤਿ ਬਿਬੇਕੈ ॥੫॥ हे नानक ! उन दासों की वृत्ति ज्ञान वाली हुई है॥ ५ ॥
ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਜਨ ਕਉ ਮੁਕਤਿ ਜੁਗਤਿ ॥ भगवान् का नाम ही भक्त हेतु मुक्ति का साधन है।
ਹਰਿ ਕੈ ਨਾਮਿ ਜਨ ਕਉ ਤ੍ਰਿਪਤਿ ਭੁਗਤਿ ॥ भगवान् का भक्त उसके नाम-भोजन से तृप्त हो जाता है।
ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਜਨ ਕਾ ਰੂਪ ਰੰਗੁ ॥ भगवान् का नाम उसके भक्त का सौन्दर्य एवं हर्ष है।
ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਜਪਤ ਕਬ ਪਰੈ ਨ ਭੰਗੁ ॥ भगवान् के नाम का जाप करने से मनुष्य को कभी बाधा नहीं पड़ती।
ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਜਨ ਕੀ ਵਡਿਆਈ ॥ भगवान् का नाम उसके भक्त की मान-प्रतिष्ठा है।
ਹਰਿ ਕੈ ਨਾਮਿ ਜਨ ਸੋਭਾ ਪਾਈ ॥ भगवान् के नाम द्वारा उसके भक्त को दुनिया में शोभा प्राप्त होती है।
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