Guru Granth Sahib Translation Project

Guru Granth Sahib Hindi Page 249

Page 249

ਭਗਤਿ ਵਛਲ ਪੁਰਖ ਪੂਰਨ ਮਨਹਿ ਚਿੰਦਿਆ ਪਾਈਐ ॥ हे मन ! पूर्ण परमेश्वर भक्तवत्सल है, उससे मनवांछित मनोकामनाएँ प्राप्त होती हैं।
ਤਮ ਅੰਧ ਕੂਪ ਤੇ ਉਧਾਰੈ ਨਾਮੁ ਮੰਨਿ ਵਸਾਈਐ ॥ प्रभु मनुष्य को अन्धकूप से बाहर निकाल लेता है। उसके नाम को अपने हृदय में बसाओ।
ਸੁਰ ਸਿਧ ਗਣ ਗੰਧਰਬ ਮੁਨਿ ਜਨ ਗੁਣ ਅਨਿਕ ਭਗਤੀ ਗਾਇਆ ॥ हे प्रभु ! देवते, सिद्ध पुरुष, देवगण, गन्धर्व, मुनिजन एवं भक्त तेरी ही भक्ति का यशोगान करते हैं।
ਬਿਨਵੰਤਿ ਨਾਨਕ ਕਰਹੁ ਕਿਰਪਾ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਹਰਿ ਰਾਇਆ ॥੨॥ नानक प्रार्थना करता है - हे मेरे पारब्रह्म ! हे हरि बादशाह ! मुझ पर कृपा करो। २॥
ਚੇਤਿ ਮਨਾ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਪਰਮੇਸਰੁ ਸਰਬ ਕਲਾ ਜਿਨਿ ਧਾਰੀ ॥ हे मेरे मन ! उस पारब्रह्म परमेश्वर का भजन कर, जो सर्वकला सम्पूर्ण है।
ਕਰੁਣਾ ਮੈ ਸਮਰਥੁ ਸੁਆਮੀ ਘਟ ਘਟ ਪ੍ਰਾਣ ਅਧਾਰੀ ॥ प्रभु समर्थावान एवं दया का पुंज है। वह प्रत्येक हृदय के प्राणों का आधार है।
ਪ੍ਰਾਣ ਮਨ ਤਨ ਜੀਅ ਦਾਤਾ ਬੇਅੰਤ ਅਗਮ ਅਪਾਰੋ ॥ अनन्त, अगम्य, अपार प्रभु प्राण, मन एवं तन का दाता है।
ਸਰਣਿ ਜੋਗੁ ਸਮਰਥੁ ਮੋਹਨੁ ਸਰਬ ਦੋਖ ਬਿਦਾਰੋ ॥ शरण में आने वाले की रक्षा करने वाला, समर्थावान एवं मन चुराने वाला मोहन तमाम दुख निवृत्त कर देता है।
ਰੋਗ ਸੋਗ ਸਭਿ ਦੋਖ ਬਿਨਸਹਿ ਜਪਤ ਨਾਮੁ ਮੁਰਾਰੀ ॥ हे मन ! मुरारी प्रभु के नाम का भजन करने से समस्त रोग, शोक एवं दोष नाश हो जाते हैं।
ਬਿਨਵੰਤਿ ਨਾਨਕ ਕਰਹੁ ਕਿਰਪਾ ਸਮਰਥ ਸਭ ਕਲ ਧਾਰੀ ॥੩॥ नानक प्रार्थना करता है - हे समर्थावान प्रभु ! तू सर्वकला सम्पूर्ण हैं, मुझ पर भी कृपा करो।॥ ३॥
ਗੁਣ ਗਾਉ ਮਨਾ ਅਚੁਤ ਅਬਿਨਾਸੀ ਸਭ ਤੇ ਊਚ ਦਇਆਲਾ ॥ हे मेरे मन ! जो सदा अटल रहने वाला, अनश्वर है एवं जो सर्वोपरि है, उस दया के घर परमात्मा की महिमा-स्तुति करते रहो।
ਬਿਸੰਭਰੁ ਦੇਵਨ ਕਉ ਏਕੈ ਸਰਬ ਕਰੈ ਪ੍ਰਤਿਪਾਲਾ ॥ केवल विश्वंभर ही दुनिया को देन देने वाला है और वह समस्त जीव-जन्तुओं का पोषण करता है।
ਪ੍ਰਤਿਪਾਲ ਮਹਾ ਦਇਆਲ ਦਾਨਾ ਦਇਆ ਧਾਰੇ ਸਭ ਕਿਸੈ ॥ परम दयालु एवं बुद्धिमान सृष्टि का पालनहार सब पर दया करता है।
ਕਾਲੁ ਕੰਟਕੁ ਲੋਭੁ ਮੋਹੁ ਨਾਸੈ ਜੀਅ ਜਾ ਕੈ ਪ੍ਰਭੁ ਬਸੈ ॥ जिस इन्सान के हृदय में प्रभु आ बसता है, दुखदायक काल, लोभ, मोह उससे भाग जाते हैं।
ਸੁਪ੍ਰਸੰਨ ਦੇਵਾ ਸਫਲ ਸੇਵਾ ਭਈ ਪੂਰਨ ਘਾਲਾ ॥ हे मन ! जिस पर प्रभु देवा सुप्रसन्न हो जाता है, उसकी सेवा फलदायक एवं परिश्रम सम्पूर्ण हो जाता है।
ਬਿਨਵੰਤ ਨਾਨਕ ਇਛ ਪੁਨੀ ਜਪਤ ਦੀਨ ਦੈਆਲਾ ॥੪॥੩॥ नानक प्रार्थना करता है-दीनदयाल ईश्वर का भजन करने से प्रत्येक इच्छा पूर्ण हो जाती है ॥४॥३॥
ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥ गउड़ी महला ५ ॥
ਸੁਣਿ ਸਖੀਏ ਮਿਲਿ ਉਦਮੁ ਕਰੇਹਾ ਮਨਾਇ ਲੈਹਿ ਹਰਿ ਕੰਤੈ ॥ हे मेरी सत्संगी सखी ! सुन, हम मिलकर (भजन) उपाय करके अपने पति-परमेश्वर को प्रसन्न करें।
ਮਾਨੁ ਤਿਆਗਿ ਕਰਿ ਭਗਤਿ ਠਗਉਰੀ ਮੋਹਹ ਸਾਧੂ ਮੰਤੈ ॥ अपना अहंकार त्यागकर भक्ति को ठगबूटी बनाकर और संतों (गुरु) के मन्त्र (वाणी) द्वारा आओ हम मिलकर उसे (पति) मुग्ध कर लें।
ਸਖੀ ਵਸਿ ਆਇਆ ਫਿਰਿ ਛੋਡਿ ਨ ਜਾਈ ਇਹ ਰੀਤਿ ਭਲੀ ਭਗਵੰਤੈ ॥ हे मेरी सत्संगी सखी ! यदि वह एक बार हमारे वश में हो जाए तो वह फिर हमें त्याग कर नहीं जाएगा। उस भगवान की यही सुन्दर मर्यादा है।
ਨਾਨਕ ਜਰਾ ਮਰਣ ਭੈ ਨਰਕ ਨਿਵਾਰੈ ਪੁਨੀਤ ਕਰੈ ਤਿਸੁ ਜੰਤੈ ॥੧॥ हे नानक ! (जो उसकी शरण में आता है) परमेश्वर उस प्राणी का बुढ़ापा, मृत्यु एवं नरक का भय दूर कर देता है और वह प्रसन्न होकर उसको पवित्र कर देता है ॥१॥
ਸੁਣਿ ਸਖੀਏ ਇਹ ਭਲੀ ਬਿਨੰਤੀ ਏਹੁ ਮਤਾਂਤੁ ਪਕਾਈਐ ॥ हे मेरी सखियों ! इस भली प्रार्थना की तरफ ध्यान दो। आओ हम मिलकर सुदृढ़ फैसला करें।
ਸਹਜਿ ਸੁਭਾਇ ਉਪਾਧਿ ਰਹਤ ਹੋਇ ਗੀਤ ਗੋਵਿੰਦਹਿ ਗਾਈਐ ॥ रोगों से रहित होकर आओ हम सहज ही गोविन्द का यश गायन करें।
ਕਲਿ ਕਲੇਸ ਮਿਟਹਿ ਭ੍ਰਮ ਨਾਸਹਿ ਮਨਿ ਚਿੰਦਿਆ ਫਲੁ ਪਾਈਐ ॥ इससे (हमारे विकारों का) क्लेश एवं लड़ाई झगड़े निवृत्त हो जाएँगे। दुविधा मिट जाएगी और हम मनोवांछित फल प्राप्त कर लेंगे।
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਪੂਰਨ ਪਰਮੇਸਰ ਨਾਨਕ ਨਾਮੁ ਧਿਆਈਐ ॥੨॥ हे नानक ! आओ हम पूर्ण परब्रह्म परमेश्वर के नाम का ध्यान करें ॥ २॥
ਸਖੀ ਇਛ ਕਰੀ ਨਿਤ ਸੁਖ ਮਨਾਈ ਪ੍ਰਭ ਮੇਰੀ ਆਸ ਪੁਜਾਏ ॥ हे मेरी सत्संगी सखी ! मैं सदैव उसकी इच्छा करती हूँ और उससे सुख माँगती हूँ। प्रभु मेरी आशा पूर्ण करे।
ਚਰਨ ਪਿਆਸੀ ਦਰਸ ਬੈਰਾਗਨਿ ਪੇਖਉ ਥਾਨ ਸਬਾਏ ॥ मैं प्रभु के चरणों की प्यासी हूँ और उसके दर्शनों की इच्छा करती हूँ। उसको में सर्वव्यापक देखती है।
ਖੋਜਿ ਲਹਉ ਹਰਿ ਸੰਤ ਜਨਾ ਸੰਗੁ ਸੰਮ੍ਰਿਥ ਪੁਰਖ ਮਿਲਾਏ ॥ (हे सखी !) ईश्वर को खोज कर मैं संतों की संगति प्राप्त करती हूँ। (क्योंकि) साधु-संत ही प्राणी को समर्थावान प्रभु से मिला देते हैं।
ਨਾਨਕ ਤਿਨ ਮਿਲਿਆ ਸੁਰਿਜਨੁ ਸੁਖਦਾਤਾ ਸੇ ਵਡਭਾਗੀ ਮਾਏ ॥੩॥ हे नानक ! हे माता! वही व्यक्ति भाग्यशाली हैं जिन्हें देवलोक का स्वामी एवं सुखों का दाता प्रभु मिल जाता है ॥३॥
ਸਖੀ ਨਾਲਿ ਵਸਾ ਅਪੁਨੇ ਨਾਹ ਪਿਆਰੇ ਮੇਰਾ ਮਨੁ ਤਨੁ ਹਰਿ ਸੰਗਿ ਹਿਲਿਆ ॥ हे मेरी सत्संगी सखी ! अब मैं प्रियतम पति के साथ रहती हूँ। मेरा मन एवं तन प्रभु के साथ एक हो गया है।
ਸੁਣਿ ਸਖੀਏ ਮੇਰੀ ਨੀਦ ਭਲੀ ਮੈ ਆਪਨੜਾ ਪਿਰੁ ਮਿਲਿਆ ॥ हे मेरी सत्संगी सखी ! सुनो, मेरी नींद भली है, क्योंकि मुझे अपना प्रियतम पति मिल गया है।
ਭ੍ਰਮੁ ਖੋਇਓ ਸਾਂਤਿ ਸਹਜਿ ਸੁਆਮੀ ਪਰਗਾਸੁ ਭਇਆ ਕਉਲੁ ਖਿਲਿਆ ॥ मेरी दुविधा दूर हो गई है। मुझे शांति एवं सुख प्राप्त हो गए हैं। प्रभु का मेरे भीतर प्रकाश हो गया है और मेरा कमल रूपी ह्रदय प्रफुल्लित हो गया है।
ਵਰੁ ਪਾਇਆ ਪ੍ਰਭੁ ਅੰਤਰਜਾਮੀ ਨਾਨਕ ਸੋਹਾਗੁ ਨ ਟਲਿਆ ॥੪॥੪॥੨॥੫॥੧੧॥ हे नानक ! अन्तर्यामी प्रभु को मैंने वर के रूप में पा लिया है, मेरा सुहाग कभी समाप्त नही होगा ॥४॥४॥२॥५॥११॥


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