Guru Granth Sahib Translation Project

Guru Granth Sahib Hindi Page 214

Page 214

ਹੈ ਨਾਨਕ ਨੇਰ ਨੇਰੀ ॥੩॥੩॥੧੫੬॥
ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਮਾਤੋ ਹਰਿ ਰੰਗਿ ਮਾਤੋ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ (हे योगी !) मैं भी मतवाला हूँ, लेकिन ईश्वर की प्रेम-भक्ति की मदिरा से मतवाला हो रहा हूँ॥ १॥ रहाउ ॥
ਓ‍ੁਹੀ ਪੀਓ ਓ‍ੁਹੀ ਖੀਓ ਗੁਰਹਿ ਦੀਓ ਦਾਨੁ ਕੀਓ ॥ मैं उस प्रेम की मदिरा का पान करता हूँ. उससे मैं मस्त हुआ हूँ। गुरु जी ने मुझे वह दान के तौर पर प्रदान की है।
ਉਆਹੂ ਸਿਉ ਮਨੁ ਰਾਤੋ ॥੧॥ अब मेरा मन उस नाम-मद में ही मग्न है॥ १॥
ਓ‍ੁਹੀ ਭਾਠੀ ਓ‍ੁਹੀ ਪੋਚਾ ਉਹੀ ਪਿਆਰੋ ਉਹੀ ਰੂਚਾ ॥ (हे योगी !) ईश्वर का नाम ही अग्नि-कुण्ड है, प्रभु नाम ही शीतलदायक वस्त्र है, परमेश्वर का नाम ही प्याला है और नाम ही मेरी रुचि है!
ਮਨਿ ਓਹੋ ਸੁਖੁ ਜਾਤੋ ॥੨॥ (हे योगी !) मेरा मन उसको ही सुख समझता है ॥२
ਸਹਜ ਕੇਲ ਅਨਦ ਖੇਲ ਰਹੇ ਫੇਰ ਭਏ ਮੇਲ ॥ਨਾਨਕ ਗੁਰ ਸਬਦਿ ਪਰਾਤੋ ॥੩॥੪॥੧੫੭॥ हे नानक ! मैं प्रभु से ही आनंद प्राप्त करता और हर्षोल्लास में खेलता हूँ। मेरा जन्म-मरण का चक्र मिट गया है और मैं उस ईश्वर में लीन हो गया हूँ।वह गुरु के शब्द में लीन हो गया है॥ ३॥ ४॥ १५७ ॥
ਰਾਗੁ ਗੌੜੀ ਮਾਲਵਾ ਮਹਲਾ ੫ रागु गौड़ी मालवा महला ५
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥ ईश्वर एक है, जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है।
ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਲੇਹੁ ਮੀਤਾ ਲੇਹੁ ਆਗੈ ਬਿਖਮ ਪੰਥੁ ਭੈਆਨ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ हे मेरे मित्र ! परमेश्वर के नाम का भजन करो। जिस जीवन पथ पर तुम चल रहे हो, वह पथ वड़ा विषम एवं भयानक है ॥ १ ॥ रहाउ॥
ਸੇਵਤ ਸੇਵਤ ਸਦਾ ਸੇਵਿ ਤੇਰੈ ਸੰਗਿ ਬਸਤੁ ਹੈ ਕਾਲੁ ॥ परमेश्वर की सदैव पूजा-अर्चना, ध्यान एवं श्रद्धापूर्वक सेवा करो, क्योंकि काल (मृत्यु) तेरे सिर पर खड़ा है।
ਕਰਿ ਸੇਵਾ ਤੂੰ ਸਾਧ ਕੀ ਹੋ ਕਾਟੀਐ ਜਮ ਜਾਲੁ ॥੧॥ तू संतों की भरपूर सेवा कर, इस तरह मृत्यु का फँदा कट जाता है॥ १॥
ਹੋਮ ਜਗ ਤੀਰਥ ਕੀਏ ਬਿਚਿ ਹਉਮੈ ਬਧੇ ਬਿਕਾਰ ॥ हवन, यज्ञ एवं तीर्थ यात्रा करने के अहंकार में पापों में और भी वृद्धि होती है
ਨਰਕੁ ਸੁਰਗੁ ਦੁਇ ਭੁੰਚਨਾ ਹੋਇ ਬਹੁਰਿ ਬਹੁਰਿ ਅਵਤਾਰ ॥੨॥ प्राणी नरक-स्वर्ग दोनों भोगता है और बार-बार नश्वर संसार में जन्म लेता है ॥ २ ॥
ਸਿਵ ਪੁਰੀ ਬ੍ਰਹਮ ਇੰਦ੍ਰ ਪੁਰੀ ਨਿਹਚਲੁ ਕੋ ਥਾਉ ਨਾਹਿ ॥ शिवलोक, ब्रह्मलोक एवं इन्द्रलोक इनमें से कोई भी लोक अटल नहीं।
ਬਿਨੁ ਹਰਿ ਸੇਵਾ ਸੁਖੁ ਨਹੀ ਹੋ ਸਾਕਤ ਆਵਹਿ ਜਾਹਿ ॥੩॥ प्रभु की सेवा-भक्ति के बिना कोई सुख नहीं। (भगवान से टूटा हुआ) शाक्त मनुष्य आवागमन के चक्र में ही फँसा रहता है॥ ३॥
ਜੈਸੋ ਗੁਰਿ ਉਪਦੇਸਿਆ ਮੈ ਤੈਸੋ ਕਹਿਆ ਪੁਕਾਰਿ ॥ जैसे गुरु ने मुझे उपदेश प्रदान किया है, वैसे ही मैंने उच्च स्वर में कथन किया है।
ਨਾਨਕੁ ਕਹੈ ਸੁਨਿ ਰੇ ਮਨਾ ਕਰਿ ਕੀਰਤਨੁ ਹੋਇ ਉਧਾਰੁ ॥੪॥੧॥੧੫੮॥ नानक कहता है हे मेरे मन ! ध्यानपूर्वक सुन, ईश्वर का भजन-कीर्तन करने से तेरी भवसागर से मुक्ति हो जाएगी ॥ ४ ॥ १ ॥ १५८ ॥
ਰਾਗੁ ਗਉੜੀ ਮਾਲਾ ਮਹਲਾ ੫ रागु गउड़ी माला महला ५
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥ ईश्वर एक है, जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है।
ਪਾਇਓ ਬਾਲ ਬੁਧਿ ਸੁਖੁ ਰੇ ॥ हे बन्धु ! जिसने भी सुख प्राप्त किया है, उसने बालबुद्धि में ही प्राप्त किया है।
ਹਰਖ ਸੋਗ ਹਾਨਿ ਮਿਰਤੁ ਦੂਖ ਸੁਖ ਚਿਤਿ ਸਮਸਰਿ ਗੁਰ ਮਿਲੇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ गुरु को मिलने से हर्ष, शोक, हानि, मृत्यु, दुःख-सुख मेरे हृदय को एक समान लगते हैं॥ १ ॥ रहाउ ॥
ਜਉ ਲਉ ਹਉ ਕਿਛੁ ਸੋਚਉ ਚਿਤਵਉ ਤਉ ਲਉ ਦੁਖਨੁ ਭਰੇ ॥ जब तक मैं कुछ कल्पनाएँ एवं युक्तियों की बातें करता रहा, तब तक मैं दुःखों से भरा रहा।
ਜਉ ਕ੍ਰਿਪਾਲੁ ਗੁਰੁ ਪੂਰਾ ਭੇਟਿਆ ਤਉ ਆਨਦ ਸਹਜੇ ॥੧॥ लेकिन जब कृपा के घर पूर्ण गुरु जी मिल गए तो मुझे सहज ही प्रसन्नता प्राप्त हो गई॥ १॥
ਜੇਤੀ ਸਿਆਨਪ ਕਰਮ ਹਉ ਕੀਏ ਤੇਤੇ ਬੰਧ ਪਰੇ ॥ जितने अधिक कर्म मैंने चतुराई द्वारा किए, उतने ही अधिकतर बंधन पड़ते गए।
ਜਉ ਸਾਧੂ ਕਰੁ ਮਸਤਕਿ ਧਰਿਓ ਤਬ ਹਮ ਮੁਕਤ ਭਏ ॥੨॥ जब संतों (गुरु) ने अपना हाथ मेरे मस्तक पर रख दिया तो मैं मुक्त हो गया ॥ २ ॥
ਜਉ ਲਉ ਮੇਰੋ ਮੇਰੋ ਕਰਤੋ ਤਉ ਲਉ ਬਿਖੁ ਘੇਰੇ ॥ जब तक मैं कहता रहा कि 'यह (गृह) मेरा है, यह (धन) मेरा है'; तब तक मुझे (मोह-माया के) विष ने घेरे हुआ था।
ਮਨੁ ਤਨੁ ਬੁਧਿ ਅਰਪੀ ਠਾਕੁਰ ਕਉ ਤਬ ਹਮ ਸਹਜਿ ਸੋਏ ॥੩॥ जब मैंने अपना तन, मन एवं बुद्धि परमेश्वर को समर्पित कर दी, तो मैं सुख की नींद में सो गया ॥ ३॥
ਜਉ ਲਉ ਪੋਟ ਉਠਾਈ ਚਲਿਅਉ ਤਉ ਲਉ ਡਾਨ ਭਰੇ ॥ हे नानक ! जब तक मैं सांसारिक मोह की पोटली सिर पर उठा कर घूमता रहा, तो मैं (सांसारिक भय का) दण्ड भरता रहा।
ਪੋਟ ਡਾਰਿ ਗੁਰੁ ਪੂਰਾ ਮਿਲਿਆ ਤਉ ਨਾਨਕ ਨਿਰਭਏ ॥੪॥੧॥੧੫੯॥ जब मैंने इस पोटली को फेंक दिया तो मुझे पूर्ण गुरु जी मिल गए और मैं निडर हो गया हूँ॥ ४॥ १॥ १५६॥
ਗਉੜੀ ਮਾਲਾ ਮਹਲਾ ੫ ॥ गउड़ी माला महला ५ ॥
ਭਾਵਨੁ ਤਿਆਗਿਓ ਰੀ ਤਿਆਗਿਓ ॥ हे मेरी सखी ! मैंने अपनी इच्छाएँ त्याग दी हैं, सदा के लिए इसे छोड़ दिया है।
ਤਿਆਗਿਓ ਮੈ ਗੁਰ ਮਿਲਿ ਤਿਆਗਿਓ ॥ गुरु को मिलकर तमाम संकल्प-विकल्पों को मैंने त्याग दिया है।
ਸਰਬ ਸੁਖ ਆਨੰਦ ਮੰਗਲ ਰਸ ਮਾਨਿ ਗੋਬਿੰਦੈ ਆਗਿਓ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ गोविन्द की आज्ञा का पालन करके मैंने सर्वसुख, आनन्द, सौभाग्य एवं रस प्राप्त कर लिए हैं।॥ १॥ रहाउ॥


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