Guru Granth Sahib Translation Project

Guru Granth Sahib Hindi Page 1390

Page 1390

ਗਾਵਹਿ ਗੁਣ ਬਰਨ ਚਾਰਿ ਖਟ ਦਰਸਨ ਬ੍ਰਹਮਾਦਿਕ ਸਿਮਰੰਥਿ ਗੁਨਾ ॥ ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र- चार वर्ण, योगी, सन्यासी, वैष्णव इत्यादि छः शास्त्रं, ब्रह्मा इत्यादि सब लोग गुरु नानक का गुणगान करते हुए उनका स्मरण कर रहे हैं।
ਗਾਵੈ ਗੁਣ ਸੇਸੁ ਸਹਸ ਜਿਹਬਾ ਰਸ ਆਦਿ ਅੰਤਿ ਲਿਵ ਲਾਗਿ ਧੁਨਾ ॥ हजार जिव्हाओं से युग-युग ध्यान लगाकर शेषनाग भी उनकी महिमा-गान में लीन है।
ਗਾਵੈ ਗੁਣ ਮਹਾਦੇਉ ਬੈਰਾਗੀ ਜਿਨਿ ਧਿਆਨ ਨਿਰੰਤਰਿ ਜਾਣਿਓ ॥ जिसने निरन्तर ध्यान लगाकर ब्रह्मा को जाना है, वैरागी शिवशंकर भी उनके स्तोत्र गा रहा है।
ਕਬਿ ਕਲ ਸੁਜਸੁ ਗਾਵਉ ਗੁਰ ਨਾਨਕ ਰਾਜੁ ਜੋਗੁ ਜਿਨਿ ਮਾਣਿਓ ॥੫॥ कवि कल्ह का कथन है कि मैं गुरु नानक देव जी का यशोगान कर रहा हूँ, जिन्होंने राज-योग का आनंद लिया ॥५॥
ਰਾਜੁ ਜੋਗੁ ਮਾਣਿਓ ਬਸਿਓ ਨਿਰਵੈਰੁ ਰਿਦੰਤਰਿ ॥ उस गुरु नानक ने राज-योग का पूर्ण आनंद लिया है, जिसके हृदय में निर्वेर ईश्वर बस रहा है।
ਸ੍ਰਿਸਟਿ ਸਗਲ ਉਧਰੀ ਨਾਮਿ ਲੇ ਤਰਿਓ ਨਿਰੰਤਰਿ ॥ हरिनाम का जाप करके गुरु नानक देव जी स्वयं तो संसार-सागर से पार हुए ही हैं, उन्होंने समूची सृष्टि को भी पार उतार दिया है।
ਗੁਣ ਗਾਵਹਿ ਸਨਕਾਦਿ ਆਦਿ ਜਨਕਾਦਿ ਜੁਗਹ ਲਗਿ ॥ ब्रह्मा-सुत सनक इत्यादि एवं जनक सरीखे युग-युग से गुण-गान कर रहे हैं।
ਧੰਨਿ ਧੰਨਿ ਗੁਰੁ ਧੰਨਿ ਜਨਮੁ ਸਕਯਥੁ ਭਲੌ ਜਗਿ ॥ हे गुरु नानक ! तू धन्य है, महान् है, प्रशंसा के योग्य है, दुनिया का भला करने के कारण तेरा जन्म सफल हो गया है।
ਪਾਤਾਲ ਪੁਰੀ ਜੈਕਾਰ ਧੁਨਿ ਕਬਿ ਜਨ ਕਲ ਵਖਾਣਿਓ ॥ कवि कल्ह बखान करता है कि पातालपुरी से जय-जयकार की ध्वनि सुनाई दे रही है।
ਹਰਿ ਨਾਮ ਰਸਿਕ ਨਾਨਕ ਗੁਰ ਰਾਜੁ ਜੋਗੁ ਤੈ ਮਾਣਿਓ ॥੬॥ हरिनाम के रसिया, गुरु नानक ! तूने राज एवं योग दोनों का आनंद प्राप्त किया है॥ ६ ॥
ਸਤਜੁਗਿ ਤੈ ਮਾਣਿਓ ਛਲਿਓ ਬਲਿ ਬਾਵਨ ਭਾਇਓ ॥ हे गुरु नानक ! सतयुग में भी तूने ही राज-योग का आनंद लिया और वामनावतार में राजा बलि को छलना तेरी ही मर्जी थी।
ਤ੍ਰੇਤੈ ਤੈ ਮਾਣਿਓ ਰਾਮੁ ਰਘੁਵੰਸੁ ਕਹਾਇਓ ॥ त्रेतायुग में तुम्हीं रघुवंशी राम कहलाए और तब भी तूने ही राज-योग का आनंद लिया।
ਦੁਆਪੁਰਿ ਕ੍ਰਿਸਨ ਮੁਰਾਰਿ ਕੰਸੁ ਕਿਰਤਾਰਥੁ ਕੀਓ ॥ द्वापर युग में कृष्णावतार में तूने ही कंस को मुक्ति दी,
ਉਗ੍ਰਸੈਣ ਕਉ ਰਾਜੁ ਅਭੈ ਭਗਤਹ ਜਨ ਦੀਓ ॥ राजा उग्रसेन को राज दिया और भक्तजनों को अभयदान दिया।
ਕਲਿਜੁਗਿ ਪ੍ਰਮਾਣੁ ਨਾਨਕ ਗੁਰੁ ਅੰਗਦੁ ਅਮਰੁ ਕਹਾਇਓ ॥ कलियुग में भी साक्षी रूप में गुरु नानक, गुरु अंगद, गुरु अमरदास कहलाए।
ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਰਾਜੁ ਅਬਿਚਲੁ ਅਟਲੁ ਆਦਿ ਪੁਰਖਿ ਫੁਰਮਾਇਓ ॥੭॥ अनादि परमपिता परमेश्वर का हुक्म है कि श्री गुरु नानक का राज्य सदा अविचल एवं अटल है॥७ ॥
ਗੁਣ ਗਾਵੈ ਰਵਿਦਾਸੁ ਭਗਤੁ ਜੈਦੇਵ ਤ੍ਰਿਲੋਚਨ ॥ भक्त रविदास, जयदेव, त्रिलोचन गुरु नानक जी का गुणानुवाद कर रहे हैं और
ਨਾਮਾ ਭਗਤੁ ਕਬੀਰੁ ਸਦਾ ਗਾਵਹਿ ਸਮ ਲੋਚਨ ॥ भक्त नामदेव एवं कबीर भी समदृष्टि मानते हुए सदा गुरु नानक साहिब का स्तुतिगान करते हैं।
ਭਗਤੁ ਬੇਣਿ ਗੁਣ ਰਵੈ ਸਹਜਿ ਆਤਮ ਰੰਗੁ ਮਾਣੈ ॥ भक्त बेणी भी उनके यशोगान में लीन है, जो सहजावस्था में आनंद पाता है और
ਜੋਗ ਧਿਆਨਿ ਗੁਰ ਗਿਆਨਿ ਬਿਨਾ ਪ੍ਰਭ ਅਵਰੁ ਨ ਜਾਣੈ ॥ गुरु ज्ञान द्वारा उसी में ध्यानमग्न होकर प्रभु के सिवा किसी अन्य को नहीं मानता।
ਸੁਖਦੇਉ ਪਰੀਖ੍ਯ੍ਯਤੁ ਗੁਣ ਰਵੈ ਗੋਤਮ ਰਿਖਿ ਜਸੁ ਗਾਇਓ ॥ शुकदेव, राजा परीक्षित एवं गौतम ऋषि भी गुरु नानक का मंगलगान कर रहे हैं।
ਕਬਿ ਕਲ ਸੁਜਸੁ ਨਾਨਕ ਗੁਰ ਨਿਤ ਨਵਤਨੁ ਜਗਿ ਛਾਇਓ ॥੮॥ कवि कल्ह भी उस गुरु नानक का सुयश गा रहा है, जिसकी नित्यनवीन कीर्ति पूरे जगत में फैली हुई है॥८॥
ਗੁਣ ਗਾਵਹਿ ਪਾਯਾਲਿ ਭਗਤ ਨਾਗਾਦਿ ਭੁਯੰਗਮ ॥ पाताललोक में नाग, भुजंग इत्यादिभक्त भी (गुरु नानक का) कीर्ति-गान कर रहे हैं।
ਮਹਾਦੇਉ ਗੁਣ ਰਵੈ ਸਦਾ ਜੋਗੀ ਜਤਿ ਜੰਗਮ ॥ महादेव, योगी, सन्यासी, जंगम इत्यादि सदा उसी के गौरव-गान में लीन रहते हैं।
ਗੁਣ ਗਾਵੈ ਮੁਨਿ ਬ੍ਯ੍ਯਾਸੁ ਜਿਨਿ ਬੇਦ ਬ੍ਯ੍ਯਾਕਰਣ ਬੀਚਾਰਿਅ ॥ वेद एवं व्याकरण का चिंतन करने वाले मुनि व्यास भी गुरु नानक का ही गुणगान कर रहा है।
ਬ੍ਰਹਮਾ ਗੁਣ ਉਚਰੈ ਜਿਨਿ ਹੁਕਮਿ ਸਭ ਸ੍ਰਿਸਟਿ ਸਵਾਰੀਅ ॥ जिसके हुक्म से समूची सृष्टि की सृजना हुई, वह ब्रह्मा भी स्तुतिगान कर रहा है।
ਬ੍ਰਹਮੰਡ ਖੰਡ ਪੂਰਨ ਬ੍ਰਹਮੁ ਗੁਣ ਨਿਰਗੁਣ ਸਮ ਜਾਣਿਓ ॥ जिसने ब्रह्माण्ड के सब खण्डों में पूर्णब्रह्म को सगुण-निर्गुण रूप में एक समान माना है,
ਜਪੁ ਕਲ ਸੁਜਸੁ ਨਾਨਕ ਗੁਰ ਸਹਜੁ ਜੋਗੁ ਜਿਨਿ ਮਾਣਿਓ ॥੯॥ जिस गुरु नानक ने सहज योग का आनंद लिया है, कवि कल्ह उसी का जाप करते हुए सुयश गा रहा है।॥६॥
ਗੁਣ ਗਾਵਹਿ ਨਵ ਨਾਥ ਧੰਨਿ ਗੁਰੁ ਸਾਚਿ ਸਮਾਇਓ ॥ गोरख, मच्छन्द्र, गोपी इत्यादि नौ नाथ भी गुण गाते हैं और उनका कथन है कि सत्य में समाहित गुरु नानक धन्य हैं।
ਮਾਂਧਾਤਾ ਗੁਣ ਰਵੈ ਜੇਨ ਚਕ੍ਰਵੈ ਕਹਾਇਓ ॥ चक्रवर्ती कहे जाने वाले मानधाता भी गुणानुवाद करते हैं।
ਗੁਣ ਗਾਵੈ ਬਲਿ ਰਾਉ ਸਪਤ ਪਾਤਾਲਿ ਬਸੰਤੌ ॥ सातवें पाताल में रहने वाला राजा बलि भी गुरु नानक का स्तुतिगान कर रहा है।
ਭਰਥਰਿ ਗੁਣ ਉਚਰੈ ਸਦਾ ਗੁਰ ਸੰਗਿ ਰਹੰਤੌ ॥ गुरु नानक के संग रहने वाला भर्तृहरि योगी भी उनकी प्रशंसा गा रहा है।
ਦੂਰਬਾ ਪਰੂਰਉ ਅੰਗਰੈ ਗੁਰ ਨਾਨਕ ਜਸੁ ਗਾਇਓ ॥ दुर्वासा ऋषि, राजा पुरुरवा एवं अंगिरा मुनि भी गुरु नानक का यशोगान कर रहे हैं।
ਕਬਿ ਕਲ ਸੁਜਸੁ ਨਾਨਕ ਗੁਰ ਘਟਿ ਘਟਿ ਸਹਜਿ ਸਮਾਇਓ ॥੧੦॥ कवि कल्ह घट घट में समाहित गुरु नानक देव जी का सुयश गा रहा है॥१०॥


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