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ਕਾਮਿ ਕਰੋਧਿ ਨ ਮੋਹੀਐ ਬਿਨਸੈ ਲੋਭੁ ਸੁਆਨੁ ॥
इस तरह काम-क्रोध मोहित नहीं करते और लालच का कूकर (कुत्ता) नाश हो जाता है।
ਸਚੈ ਮਾਰਗਿ ਚਲਦਿਆ ਉਸਤਤਿ ਕਰੇ ਜਹਾਨੁ ॥
जो लोग सद्मार्ग पर चलते हैं उनकी प्रशंसा सम्पूर्ण विश्व में होती है।
ਅਠਸਠਿ ਤੀਰਥ ਸਗਲ ਪੁੰਨ ਜੀਅ ਦਇਆ ਪਰਵਾਨੁ ॥
अठसठ तीर्थ स्थानों पर स्नान, समस्त जीवों पर दया एवं दान-पुण्य आदि पुण्य कर्म ईश्वरीय सेवा में सम्मिलित हैं।
ਜਿਸ ਨੋ ਦੇਵੈ ਦਇਆ ਕਰਿ ਸੋਈ ਪੁਰਖੁ ਸੁਜਾਨੁ ॥
जिस पर दया करके ईश्वर यह गुण प्रदान करता है वह बुद्धिमान पुरुष है।
ਜਿਨਾ ਮਿਲਿਆ ਪ੍ਰਭੁ ਆਪਣਾ ਨਾਨਕ ਤਿਨ ਕੁਰਬਾਨੁ ॥
नानक उन पर बलिहारी (कुर्बान) जाता है जो अपने ईश्वर से मिल गए हैं।
ਮਾਘਿ ਸੁਚੇ ਸੇ ਕਾਂਢੀਅਹਿ ਜਿਨ ਪੂਰਾ ਗੁਰੁ ਮਿਹਰਵਾਨੁ ॥੧੨॥
माघ महीने में वहीं जीव पवित्र कहे जाते हैं जिन पर पूर्ण गुरदेव जी कृपा करते हैं।॥ १२॥
ਫਲਗੁਣਿ ਅਨੰਦ ਉਪਾਰਜਨਾ ਹਰਿ ਸਜਣ ਪ੍ਰਗਟੇ ਆਇ ॥
फाल्गुन के महीने में केवल वही जीव आध्यात्मिक आनंद प्राप्त करते हैं, जिनके हृदय में साजन हरि प्रभु प्रकट हुआ है।
ਸੰਤ ਸਹਾਈ ਰਾਮ ਕੇ ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਦੀਆ ਮਿਲਾਇ ॥
संतजन राम से मिलन करवाने हेतु जीव पर दया कर उसकी सहायता कहते हैं।
ਸੇਜ ਸੁਹਾਵੀ ਸਰਬ ਸੁਖ ਹੁਣਿ ਦੁਖਾ ਨਾਹੀ ਜਾਇ ॥
उसकी हृदय रूपी शैय्या बहुत सुन्दर एवं शांत है, वें सभी सुखों का आनंद लेते हैं और उनके जीवन में दु:खों के लिए कोई स्थान नहीं।
ਇਛ ਪੁਨੀ ਵਡਭਾਗਣੀ ਵਰੁ ਪਾਇਆ ਹਰਿ ਰਾਇ ॥
भाग्यशाली जीव-स्त्री की इच्छा तब पूरी होती है, जब उसे हरि-प्रभु वर के रूप में मिलते हैं।
ਮਿਲਿ ਸਹੀਆ ਮੰਗਲੁ ਗਾਵਹੀ ਗੀਤ ਗੋਵਿੰਦ ਅਲਾਇ ॥
वह अपनी सत्संगी सखियों सहित मिलकर वह गोविन्द के ही मंगल भजन करती रहती है।
ਹਰਿ ਜੇਹਾ ਅਵਰੁ ਨ ਦਿਸਈ ਕੋਈ ਦੂਜਾ ਲਵੈ ਨ ਲਾਇ ॥
हरि-प्रभु समान उसे अन्य कोई दिखाई नहीं देता। उस प्रभु के समान अन्य कोई नहीं है।
ਹਲਤੁ ਪਲਤੁ ਸਵਾਰਿਓਨੁ ਨਿਹਚਲ ਦਿਤੀਅਨੁ ਜਾਇ ॥
प्रभु ने उसका लोक-परलोक संवार दिया है और उसे अपने शाश्वत धाम में स्थान दे दिया है।
ਸੰਸਾਰ ਸਾਗਰ ਤੇ ਰਖਿਅਨੁ ਬਹੁੜਿ ਨ ਜਨਮੈ ਧਾਇ ॥
प्रभु ने उसे संसार रूपी विकारों के भवसागर में डूबने से बचा लिया है और वह पुनः जन्म-मरण के चक्र में नहीं आएगा।
ਜਿਹਵਾ ਏਕ ਅਨੇਕ ਗੁਣ ਤਰੇ ਨਾਨਕ ਚਰਣੀ ਪਾਇ ॥
हे नानक ! मनुष्य की रसना तो एक है परन्तु प्रभु के गुण असीम हैं। मनुष्य उसके चरणों से लगकर भवसागर से पार हो जाता है।
ਫਲਗੁਣਿ ਨਿਤ ਸਲਾਹੀਐ ਜਿਸ ਨੋ ਤਿਲੁ ਨ ਤਮਾਇ ॥੧੩॥
हे मनुष्य ! फाल्गुन के महीने में हमें सदैव उस प्रभु की महिमा-स्तुति करनी चाहिए, जिसे तिल मात्र भी अपनी महिमा करवाने की लालसा नहीं ॥ १३ ॥
ਜਿਨਿ ਜਿਨਿ ਨਾਮੁ ਧਿਆਇਆ ਤਿਨ ਕੇ ਕਾਜ ਸਰੇ ॥
जिन-जिन प्राणियों ने भगवान का नाम-सिमरन किया है, उनके समस्त कार्य सम्पूर्ण हुए हैं।
ਹਰਿ ਗੁਰੁ ਪੂਰਾ ਆਰਾਧਿਆ ਦਰਗਹ ਸਚਿ ਖਰੇ ॥
जो परमेश्वर स्वरूप पूर्ण गुरु का चिन्तन करते हैं, वह हरि के दरबार में सच्चे एवं शुद्ध सिद्ध हुए हैं।
ਸਰਬ ਸੁਖਾ ਨਿਧਿ ਚਰਣ ਹਰਿ ਭਉਜਲੁ ਬਿਖਮੁ ਤਰੇ ॥
ईश्वर के चरण-कमल सर्व-सुखों का भण्डार हैं। जो मनुष्य उनके प्रति समर्पित होते हैं वह भयानक एवं विषम संसार-सागर से पार हो जाते हैं।
ਪ੍ਰੇਮ ਭਗਤਿ ਤਿਨ ਪਾਈਆ ਬਿਖਿਆ ਨਾਹਿ ਜਰੇ ॥
वे प्रेमा-भक्ति को प्राप्त होते हैं और विषय-वासनाओं में नहीं जलते।
ਕੂੜ ਗਏ ਦੁਬਿਧਾ ਨਸੀ ਪੂਰਨ ਸਚਿ ਭਰੇ ॥
उनका सारा मिथ्यात्व लुप्त हो गया है और द्वैत भाव मिट गया है और वह पूर्णतः शाश्वत ईश्वर के प्रति समर्पित हो गया हैं।
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਪ੍ਰਭੁ ਸੇਵਦੇ ਮਨ ਅੰਦਰਿ ਏਕੁ ਧਰੇ ॥
वह पारब्रह्म प्रभु की भरपूर सेवा करते हैं और अद्वितीय प्रभु को अपने हृदय में धारण कर उनका स्मरण करते रहते हैं।
ਮਾਹ ਦਿਵਸ ਮੂਰਤ ਭਲੇ ਜਿਸ ਕਉ ਨਦਰਿ ਕਰੇ ॥
जिन पर प्रभु अपनी दया-दृष्टि करते हैं उनके लिये सारे महीने, दिवस एवं मुहूर्त उनके लिए शुभ ही होते हैं।
ਨਾਨਕੁ ਮੰਗੈ ਦਰਸ ਦਾਨੁ ਕਿਰਪਾ ਕਰਹੁ ਹਰੇ ॥੧੪॥੧॥
हे परमात्मा ! नानक तेरे दर्शनों के दान की याचना करता है। हे प्रभु ! अपनी कृपा उस पर न्यौछावर कीजिए॥ १४॥ १॥
ਮਾਝ ਮਹਲਾ ੫ ਦਿਨ ਰੈਣਿ
माझ राग, पाँचवें गुरु द्वारा: ५ दिन और रात
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ईश्वर एक है, जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है।
ਸੇਵੀ ਸਤਿਗੁਰੁ ਆਪਣਾ ਹਰਿ ਸਿਮਰੀ ਦਿਨ ਸਭਿ ਰੈਣ ॥
हे प्रभु ! मैं प्रार्थना करता हूँ कि अपने सतगुरु की सेवा करके समस्त दिन-रात्रि आपकी आराधना करता रहूँ।
ਆਪੁ ਤਿਆਗਿ ਸਰਣੀ ਪਵਾਂ ਮੁਖਿ ਬੋਲੀ ਮਿਠੜੇ ਵੈਣ ॥
अपना अहंकार त्याग कर मैं ईश्वर का आश्रय ग्रहण करूं और अपने मुख से मधुर वचन उच्चारण करूँ।
ਜਨਮ ਜਨਮ ਕਾ ਵਿਛੁੜਿਆ ਹਰਿ ਮੇਲਹੁ ਸਜਣੁ ਸੈਣ ॥
और उनसे प्रार्थना करता हूँ कि वे मुझे मेरे सबसे घनिष्ठ मित्र ईश्वर से मिला दें, जिनसे मैं कई जन्मों से अलग रहा हूं।
ਜੋ ਜੀਅ ਹਰਿ ਤੇ ਵਿਛੁੜੇ ਸੇ ਸੁਖਿ ਨ ਵਸਨਿ ਭੈਣ ॥
हे मेरी बहन ! जो प्राणी ईश्वर से बिछुड़े हुए हैं, वह सुख प्राप्त नहीं करते।
ਹਰਿ ਪਿਰ ਬਿਨੁ ਚੈਨੁ ਨ ਪਾਈਐ ਖੋਜਿ ਡਿਠੇ ਸਭਿ ਗੈਣ ॥
मैंने समस्त मण्डल खोज कर देख लिए हैं। ईश्वर पति के अतिरिक्त कहीं भी सुख प्राप्त नहीं होता।
ਆਪ ਕਮਾਣੈ ਵਿਛੁੜੀ ਦੋਸੁ ਨ ਕਾਹੂ ਦੇਣ ॥
मेरे अपने दुष्कर्मों ने ही मुझे ईश्वर से अलग किया है। फिर मैं किसे इस के लिए दोष दूँ ?
ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਪ੍ਰਭ ਰਾਖਿ ਲੇਹੁ ਹੋਰੁ ਨਾਹੀ ਕਰਣ ਕਰੇਣ ॥
हे नाथ ! कृपा करके मेरी रक्षा करें। आपके सिवा अन्य कोई भी कुछ करने एवं करवाने में समर्थ नहीं।
ਹਰਿ ਤੁਧੁ ਵਿਣੁ ਖਾਕੂ ਰੂਲਣਾ ਕਹੀਐ ਕਿਥੈ ਵੈਣ ॥
हे हरि ! आप से विरक्ति मानो धूल में मिलने के समान है। हम अपने दु:खों के वचन किसके समक्ष व्यक्त करूँ ?
ਨਾਨਕ ਕੀ ਬੇਨੰਤੀਆ ਹਰਿ ਸੁਰਜਨੁ ਦੇਖਾ ਨੈਣ ॥੧॥
नानक यही प्रार्थना करता है, अपने नेत्रों से मैं अपने परमात्मा के ही दर्शन करूं ॥ १॥
ਜੀਅ ਕੀ ਬਿਰਥਾ ਸੋ ਸੁਣੇ ਹਰਿ ਸੰਮ੍ਰਿਥ ਪੁਰਖੁ ਅਪਾਰੁ ॥
जो सर्वशक्तिमान एवं अनन्त हरि है, वही प्राणी की पीड़ा को सुनता है।
ਮਰਣਿ ਜੀਵਣਿ ਆਰਾਧਣਾ ਸਭਨਾ ਕਾ ਆਧਾਰੁ ॥
हमें जीवन भर प्रेमपूर्वक भक्तिपूर्वक प्रभु का स्मरण करना चाहिए, क्योंकि वे सभी प्राणियों के आधार हैं।