Guru Granth Sahib Translation Project

Guru Granth Sahib Hindi Page 1342

Page 1342

ਪ੍ਰਭਾਤੀ ਅਸਟਪਦੀਆ ਮਹਲਾ ੧ ਬਿਭਾਸ हे सर्व रक्षक ! हमारा तुझे नमस्कार है। हम तो मन में केवल प्रभु की आराधना करते रहते हैं।
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥ नानक का फुरमान है कि संतों की चरण-धूलि में स्नान करने से अनेकों ही सुख प्राप्त होते हैं।॥ २॥२॥१५॥
ਦੁਬਿਧਾ ਬਉਰੀ ਮਨੁ ਬਉਰਾਇਆ ॥ बावली दुविधा ने इस मन को भी बावला बना दिया है।
ਝੂਠੈ ਲਾਲਚਿ ਜਨਮੁ ਗਵਾਇਆ ॥ झूठे लालच में फँसकर अमूल्य जीवन गंवा दिया है।
ਲਪਟਿ ਰਹੀ ਫੁਨਿ ਬੰਧੁ ਨ ਪਾਇਆ ॥ यह इस प्रकार जीव से लिपट रही है कि इसे पुनः रोका नहीं जा रहा।
ਸਤਿਗੁਰਿ ਰਾਖੇ ਨਾਮੁ ਦ੍ਰਿੜਾਇਆ ॥੧॥ सच्चा गुरु ही प्रभु के नाम का जाप करवा कर इससे बचाता है॥ १॥
ਨਾ ਮਨੁ ਮਰੈ ਨ ਮਾਇਆ ਮਰੈ ॥ न ही मन की वासनाएँ मिटती हैं और न ही माया का मोह समाप्त होता है।
ਜਿਨਿ ਕਿਛੁ ਕੀਆ ਸੋਈ ਜਾਣੈ ਸਬਦੁ ਵੀਚਾਰਿ ਭਉ ਸਾਗਰੁ ਤਰੈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ जिसने कुछ प्राप्त किया है, वही जानता है, शब्द के चिंतन द्वारा वह भयानक संसार-सागर से पार उतर जाता है॥ १॥रहाउ॥
ਮਾਇਆ ਸੰਚਿ ਰਾਜੇ ਅਹੰਕਾਰੀ ॥ माया संचित करके राजा अहंकारी बन जाते हैं,
ਮਾਇਆ ਸਾਥਿ ਨ ਚਲੈ ਪਿਆਰੀ ॥ परन्तु प्यारी माया उनका साथ नहीं देती।
ਮਾਇਆ ਮਮਤਾ ਹੈ ਬਹੁ ਰੰਗੀ ॥ माया-ममता अनेक रंग दिखाती है,
ਬਿਨੁ ਨਾਵੈ ਕੋ ਸਾਥਿ ਨ ਸੰਗੀ ॥੨॥ पर परमात्मा के नाम बिना कोई साथ नहीं देता॥ २॥
ਜਿਉ ਮਨੁ ਦੇਖਹਿ ਪਰ ਮਨੁ ਤੈਸਾ ॥ मन जिस प्रकार ,किसी को देखता है, उसे वैसा ही दूसरे का मन लगता है।
ਜੈਸੀ ਮਨਸਾ ਤੈਸੀ ਦਸਾ ॥ जैसी कामना होती है, वैसी दशा हो जाती है।
ਜੈਸਾ ਕਰਮੁ ਤੈਸੀ ਲਿਵ ਲਾਵੈ ॥ वह जैसे कर्म करता है, वैसी ही लगन लग जाती है।
ਸਤਿਗੁਰੁ ਪੂਛਿ ਸਹਜ ਘਰੁ ਪਾਵੈ ॥੩॥ गुरु के उपदेश का पालन करने से सहजावस्था प्राप्त होती है॥ ३॥
ਰਾਗਿ ਨਾਦਿ ਮਨੁ ਦੂਜੈ ਭਾਇ ॥ राग-संगीत में लीन मन द्वैतभाव में लिप्त रहता है।
ਅੰਤਰਿ ਕਪਟੁ ਮਹਾ ਦੁਖੁ ਪਾਇ ॥ मन में छल-कपट की वजह से मनुष्य महा दुख प्राप्त करता है।
ਸਤਿਗੁਰੁ ਭੇਟੈ ਸੋਝੀ ਪਾਇ ॥ जब सतगुरु से भेंट होती है तो ही ज्ञान प्राप्त होता है,
ਸਚੈ ਨਾਮਿ ਰਹੈ ਲਿਵ ਲਾਇ ॥੪॥ फिर परमात्मा के नाम में ध्यान लगा रहता है।॥ ४॥
ਸਚੈ ਸਬਦਿ ਸਚੁ ਕਮਾਵੈ ॥ वह गुरु के सच्चे उपदेश से सत्कर्म करता है और
ਸਚੀ ਬਾਣੀ ਹਰਿ ਗੁਣ ਗਾਵੈ ॥ शुद्ध वाणी से परमात्मा का गुणानुवाद करता है।
ਨਿਜ ਘਰਿ ਵਾਸੁ ਅਮਰ ਪਦੁ ਪਾਵੈ ॥ वह अपने सच्चे घर में रहकर अमर पदवी पा लेता है।
ਤਾ ਦਰਿ ਸਾਚੈ ਸੋਭਾ ਪਾਵੈ ॥੫॥ इस तरह प्रभु के द्वार पर शोभा प्राप्त करता है॥ ५॥
ਗੁਰ ਸੇਵਾ ਬਿਨੁ ਭਗਤਿ ਨ ਹੋਈ ॥ गुरु की सेवा बिना भक्ति नहीं होती
ਅਨੇਕ ਜਤਨ ਕਰੈ ਜੇ ਕੋਈ ॥ बेशक कोई अनेय यत्न कर ले ।
ਹਉਮੈ ਮੇਰਾ ਸਬਦੇ ਖੋਈ ॥ जब गुरु के वचन से अहम्-भाव दूर होता है तो
ਨਿਰਮਲ ਨਾਮੁ ਵਸੈ ਮਨਿ ਸੋਈ ॥੬॥ मन में निर्मल नाम बस जाता है।॥ ६॥
ਇਸੁ ਜਗ ਮਹਿ ਸਬਦੁ ਕਰਣੀ ਹੈ ਸਾਰੁ ॥ इस दुनिया में ब्रह्म-शब्द ही श्रेष्ठ प्राप्ति है।
ਬਿਨੁ ਸਬਦੈ ਹੋਰੁ ਮੋਹੁ ਗੁਬਾਰੁ ॥ प्रभु-शब्द के बिना सब मोह एवं अंधकार है और
ਸਬਦੇ ਨਾਮੁ ਰਖੈ ਉਰਿ ਧਾਰਿ ॥ शब्द से ही नाम हृदय में धारण होता है।
ਸਬਦੇ ਗਤਿ ਮਤਿ ਮੋਖ ਦੁਆਰੁ ॥੭॥ शब्द की इतनी महता है कि इससे मुक्ति प्राप्त होती है।॥ ७॥
ਅਵਰੁ ਨਾਹੀ ਕਰਿ ਦੇਖਣਹਾਰੋ ॥ भगवान के बिना अन्य कोई भी नहीं है, जो रचना करके पोषण करने वाला हो।
ਸਾਚਾ ਆਪਿ ਅਨੂਪੁ ਅਪਾਰੋ ॥ वह सत्यस्वरूप, अनुपम एवं अपार है।
ਰਾਮ ਨਾਮ ਊਤਮ ਗਤਿ ਹੋਈ ॥ गुरु नानक उपदेश करते हैं- राम नाम के स्मरण से ही उतम गति होती है,
ਨਾਨਕ ਖੋਜਿ ਲਹੈ ਜਨੁ ਕੋਈ ॥੮॥੧॥ कोई भी जिज्ञासु खोज कर पा लेता है ॥८॥१॥
ਪ੍ਰਭਾਤੀ ਮਹਲਾ ੧ ॥ प्रभाती महला १ ॥
ਮਾਇਆ ਮੋਹਿ ਸਗਲ ਜਗੁ ਛਾਇਆ ॥ पूरे संसार में माया का मोह फैला हुआ है।
ਕਾਮਣਿ ਦੇਖਿ ਕਾਮਿ ਲੋਭਾਇਆ ॥ सुन्दर युवती को देखकर कामपिपासु उस पर लुब्ध हो जाता है।
ਸੁਤ ਕੰਚਨ ਸਿਉ ਹੇਤੁ ਵਧਾਇਆ ॥ जीव ने अपने पुत्र एवं धन-दौलत से प्रेम लगाया हुआ है।
ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਅਪਨਾ ਇਕੁ ਰਾਮੁ ਪਰਾਇਆ ॥੧॥ सब चीजों को तो वह अपना मानता है, लेकिन एक परमेश्वर ही उसके लिए पराया बना हुआ है॥ १॥
ਐਸਾ ਜਾਪੁ ਜਪਉ ਜਪਮਾਲੀ ॥ माला लेकर ऐसा जाप करो कि
ਦੁਖ ਸੁਖ ਪਰਹਰਿ ਭਗਤਿ ਨਿਰਾਲੀ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ दुख सुख से रहित होकर भक्ति में लीन हो जाओ॥ १॥रहाउ॥
ਗੁਣ ਨਿਧਾਨ ਤੇਰਾ ਅੰਤੁ ਨ ਪਾਇਆ ॥ हे गुणों के खजाने ! तेरा रहस्य कोई नहीं पा सकता,
ਸਾਚ ਸਬਦਿ ਤੁਝ ਮਾਹਿ ਸਮਾਇਆ ॥ सच्चे शब्द द्वारा ही जीव तुझ में लीन होता है।
ਆਵਾ ਗਉਣੁ ਤੁਧੁ ਆਪਿ ਰਚਾਇਆ ॥ जन्म-मरण तूने स्वयं ही बनाया है।
ਸੇਈ ਭਗਤ ਜਿਨ ਸਚਿ ਚਿਤੁ ਲਾਇਆ ॥੨॥ वही परम भक्त है, जिसने परमात्मा में मन लगाया है॥ २॥
ਗਿਆਨੁ ਧਿਆਨੁ ਨਰਹਰਿ ਨਿਰਬਾਣੀ ॥ ईश्वर के ज्ञान ध्यान को
ਬਿਨੁ ਸਤਿਗੁਰ ਭੇਟੇ ਕੋਇ ਨ ਜਾਣੀ ॥ सतगुरु के साक्षात्कार के बिना कोई नहीं जान सकता।
ਸਗਲ ਸਰੋਵਰ ਜੋਤਿ ਸਮਾਣੀ ॥ सबके अन्तर्मन में उसी की ज्योति फैली हुई है,
ਆਨਦ ਰੂਪ ਵਿਟਹੁ ਕੁਰਬਾਣੀ ॥੩॥ मैं उस आनंदरूप प्रभु पर सदा कुर्बान जाता हूँ॥ ३॥
ਭਾਉ ਭਗਤਿ ਗੁਰਮਤੀ ਪਾਏ ॥ गुरु की शिक्षा से ही भाव-भक्ति प्राप्त होती है और
ਹਉਮੈ ਵਿਚਹੁ ਸਬਦਿ ਜਲਾਏ ॥ शब्द से मन का अहंकार जल जाता है।


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