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ਲਿਖਿਆ ਪਲੈ ਪਾਇ ਸੋ ਸਚੁ ਜਾਣੀਐ ॥
दरअसल इस सच्चाई को मानना चाहिए कि पूर्व कर्मानुसार फल भोगना पड़ता है।
ਹੁਕਮੀ ਹੋਇ ਨਿਬੇੜੁ ਗਇਆ ਜਾਣੀਐ ॥
उसके हुक्म के अन्तर्गत ही किए कर्मों का फैसला होता है।
ਭਉਜਲ ਤਾਰਣਹਾਰੁ ਸਬਦਿ ਪਛਾਣੀਐ ॥
यह भी जान लो कि भयानक संसार-सागर से शब्द-गुरु ही पार करवाने वाला है।
ਚੋਰ ਜਾਰ ਜੂਆਰ ਪੀੜੇ ਘਾਣੀਐ ॥
चोरों, जुआरियों एवं बुरे लोगों को कोल्हू में पिराया जाता है।
ਨਿੰਦਕ ਲਾਇਤਬਾਰ ਮਿਲੇ ਹੜ੍ਹ੍ਹਵਾਣੀਐ ॥
चुगलखोर, निंदक पापियों को कठोर दण्ड प्राप्त होता है।
ਗੁਰਮੁਖਿ ਸਚਿ ਸਮਾਇ ਸੁ ਦਰਗਹ ਜਾਣੀਐ ॥੨੧॥
गुरु के द्वारा सत्य में लीन रहने वाले ही प्रभु की अदालत में इज्जत के हकदार बनते हैं।॥२१॥
ਸਲੋਕ ਮਃ ੨ ॥
श्लोक महला २॥
ਨਾਉ ਫਕੀਰੈ ਪਾਤਿਸਾਹੁ ਮੂਰਖ ਪੰਡਿਤੁ ਨਾਉ ॥
(कलियुग में सब उलट ही चल रहा है क्योंकि) दौलत के पुजारी को बादशाह माना जा रहा है, मूर्ख व्यक्ति विद्वान के नाम से मशहूर हो रहा है।
ਅੰਧੇ ਕਾ ਨਾਉ ਪਾਰਖੂ ਏਵੈ ਕਰੇ ਗੁਆਉ ॥
अज्ञानांध को पारखी माना जा रहा है, इस तरह की बातें हो रही हैं।
ਇਲਤਿ ਕਾ ਨਾਉ ਚਉਧਰੀ ਕੂੜੀ ਪੂਰੇ ਥਾਉ ॥
बदमाशी करने वाले का नाम चौधरी है और झूठ एवं मक्कारी का हर तरफ बोलबाला है।
ਨਾਨਕ ਗੁਰਮੁਖਿ ਜਾਣੀਐ ਕਲਿ ਕਾ ਏਹੁ ਨਿਆਉ ॥੧॥
हे नानक ! गुरु से यही सच्चाई पता चलती है कि कलियुग का यह उलटा ही इंसाफ है॥१॥
ਮਃ ੧ ॥
महला १॥
ਹਰਣਾਂ ਬਾਜਾਂ ਤੈ ਸਿਕਦਾਰਾਂ ਏਨ੍ਹ੍ਹਾ ਪੜਿ੍ਹ੍ਹਆ ਨਾਉ ॥
हिरण की तरह (व्यक्ति जिस कुटिल कार्य में फंस जाता है, वे अपने अन्य संगियों को भी उसी दलदल में फंसा देता है) बाज सरीखे (चालबाज अपनों को ही लूटते हैं) और सरकारी कर्मचारी अपनों के साथ रिश्वत एवं अत्याचार करते हैं।
ਫਾਂਧੀ ਲਗੀ ਜਾਤਿ ਫਹਾਇਨਿ ਅਗੈ ਨਾਹੀ ਥਾਉ ॥
जिस फंदे में फंसे होते हैं, अपने सगे-संबंधियों को भी फसा देते हैं और आगे ठिकाना नहीं मिलता।
ਸੋ ਪੜਿਆ ਸੋ ਪੰਡਿਤੁ ਬੀਨਾ ਜਿਨ੍ਹ੍ਹੀ ਕਮਾਣਾ ਨਾਉ ॥
दरअसल वही शिक्षित, पण्डित एवं विद्वान माने जाते हैं, जो प्रभु उपासना का कर्म करते हैं।
ਪਹਿਲੋ ਦੇ ਜੜ ਅੰਦਰਿ ਜੰਮੈ ਤਾ ਉਪਰਿ ਹੋਵੈ ਛਾਂਉ ॥
सर्वप्रथम भूमि में पौधे की जड़ लगती है, तदन्तर वृक्ष बना कर छांव देता है।
ਰਾਜੇ ਸੀਹ ਮੁਕਦਮ ਕੁਤੇ ॥
आजकल स्थिति यह है कि राजे शेर की मानिंद अत्याचार करके जनता का लहू बहा रहे हैं और
ਜਾਇ ਜਗਾਇਨ੍ਹ੍ਹਿ ਬੈਠੇ ਸੁਤੇ ॥
सरकारी कर्मचारी कुत्तों की तरह किसी भी जगह पहुँच कर अच्छे भले लोगों को परेशान कर रहे हैं।
ਚਾਕਰ ਨਹਦਾ ਪਾਇਨ੍ਹ੍ਹਿ ਘਾਉ ॥
नौकर नाखुनों की तरह लोगों को जख्म पहुँचाते हैं और
ਰਤੁ ਪਿਤੁ ਕੁਤਿਹੋ ਚਟਿ ਜਾਹੁ ॥
कुतों की तरह जनता पर जुल्म करके उनका खून चूस रहे हैं।
ਜਿਥੈ ਜੀਆਂ ਹੋਸੀ ਸਾਰ ॥
जहाँ प्रभु की अदालत में किए कर्मो का हिसाब होगा,
ਨਕੀ ਵਢੀ ਲਾਇਤਬਾਰ ॥੨॥
ऐसे बुरे लोगों की नाक काट दी जाएगी॥२॥
ਪਉੜੀ ॥
पउड़ी॥
ਆਪਿ ਉਪਾਏ ਮੇਦਨੀ ਆਪੇ ਕਰਦਾ ਸਾਰ ॥
निरंकार स्वयं दुनिया को उत्पन्न करता है और स्वयं ही रोजी देकर पोषण करता है।
ਭੈ ਬਿਨੁ ਭਰਮੁ ਨ ਕਟੀਐ ਨਾਮਿ ਨ ਲਗੈ ਪਿਆਰੁ ॥
प्रभु भय-भाव बिना भ्रम नहीं कटता और न ही प्रभु नाम से प्रेम उत्पन्न होता है।
ਸਤਿਗੁਰ ਤੇ ਭਉ ਊਪਜੈ ਪਾਈਐ ਮੋਖ ਦੁਆਰ ॥
सतगुरु से ही परमात्मा के प्रति श्रद्धा भाव उत्पन्न होता है और मोक्ष का द्वार प्राप्त हो जाता है।
ਭੈ ਤੇ ਸਹਜੁ ਪਾਈਐ ਮਿਲਿ ਜੋਤੀ ਜੋਤਿ ਅਪਾਰ ॥
प्रभु-भय से ही सुख शान्ति प्राप्त होती है और आत्म-ज्योति परम-ज्योति में विलीन हो जाती है।
ਭੈ ਤੇ ਭੈਜਲੁ ਲੰਘੀਐ ਗੁਰਮਤੀ ਵੀਚਾਰੁ ॥
गुरु की शिक्षाओं का मनन करके परमात्मा के भय-भाव से ही भयानक संसार समुद्र से पार हुआ जाता है।
ਭੈ ਤੇ ਨਿਰਭਉ ਪਾਈਐ ਜਿਸ ਦਾ ਅੰਤੁ ਨ ਪਾਰਾਵਾਰੁ ॥
भय से निर्भय प्रभु प्राप्त होता है, जिसका कोई अन्त एवं आर-पार नहीं।
ਮਨਮੁਖ ਭੈ ਕੀ ਸਾਰ ਨ ਜਾਣਨੀ ਤ੍ਰਿਸਨਾ ਜਲਤੇ ਕਰਹਿ ਪੁਕਾਰ ॥
स्वेच्छाचारी प्रभु भय-भाव का महत्व नहीं जानते और तृष्णा में जलते हुए पुकार करते रहते हैं।
ਨਾਨਕ ਨਾਵੈ ਹੀ ਤੇ ਸੁਖੁ ਪਾਇਆ ਗੁਰਮਤੀ ਉਰਿ ਧਾਰ ॥੨੨॥
हे नानक ! गुरु की शिक्षानुसार प्रभु-नाम को हृदय में बसाकर ही परम सुख पाया जाता है।॥२२॥
ਸਲੋਕ ਮਃ ੧ ॥
श्लोक महला १॥
ਰੂਪੈ ਕਾਮੈ ਦੋਸਤੀ ਭੁਖੈ ਸਾਦੈ ਗੰਢੁ ॥
रूप-जवानी की कामवासना से दोस्ती है और भूख का स्वाद से नाता है।
ਲਬੈ ਮਾਲੈ ਘੁਲਿ ਮਿਲਿ ਮਿਚਲਿ ਊਂਘੈ ਸਉੜਿ ਪਲੰਘੁ ॥
लालची धन दौलत से ही घुलमिल जाता है और नींद से ऊँघे हुए जीव के लिए छोटी-सी जगह भी पलंग बन जाता है।
ਭੰਉਕੈ ਕੋਪੁ ਖੁਆਰੁ ਹੋਇ ਫਕੜੁ ਪਿਟੇ ਅੰਧੁ ॥
क्रोध कुत्ते की तरह भौंकता है, ख्वार होता है और अन्धा बनकर व्यर्थ चिल्लाता है।
ਚੁਪੈ ਚੰਗਾ ਨਾਨਕਾ ਵਿਣੁ ਨਾਵੈ ਮੁਹਿ ਗੰਧੁ ॥੧॥
हे नानक ! चुप रहना ही भला है, अन्यथा हरिनाम के बिना मुँह से गंदगी निकलती है॥१॥
ਮਃ ੧ ॥
महला १॥
ਰਾਜੁ ਮਾਲੁ ਰੂਪੁ ਜਾਤਿ ਜੋਬਨੁ ਪੰਜੇ ਠਗ ॥
राज, माल, रूप, जाति एवं यौयन पाँचों ही ठग हैं।
ਏਨੀ ਠਗੀਂ ਜਗੁ ਠਗਿਆ ਕਿਨੈ ਨ ਰਖੀ ਲਜ ॥
इन ठगों ने पूरे जगत को ठग लिया है और कोई शर्म नहीं रखी।
ਏਨਾ ਠਗਨ੍ਹ੍ਹਿ ਠਗ ਸੇ ਜਿ ਗੁਰ ਕੀ ਪੈਰੀ ਪਾਹਿ ॥
जो गुरु के चरणों में लीन हो गए हैं, इन ठगों को उन्होंने ही ठगा है।
ਨਾਨਕ ਕਰਮਾ ਬਾਹਰੇ ਹੋਰਿ ਕੇਤੇ ਮੁਠੇ ਜਾਹਿ ॥੨॥
हे नानक ! दुर्भाग्यशाली कितने ही लोग लुटते जा रहे हैं।॥२॥
ਪਉੜੀ ॥
पउड़ी॥
ਪੜਿਆ ਲੇਖੇਦਾਰੁ ਲੇਖਾ ਮੰਗੀਐ ॥
किसी लायक पढ़े-लिखे पुरुष से यदि हिसाब मांगा जाए तो वह जिम्मेदार बनता है।
ਵਿਣੁ ਨਾਵੈ ਕੂੜਿਆਰੁ ਅਉਖਾ ਤੰਗੀਐ ॥
ईश्वर के नाम से विहीन व्यक्ति झूठा ही सिद्ध होता है और मुश्किल एवं तंगी काटता है।
ਅਉਘਟ ਰੁਧੇ ਰਾਹ ਗਲੀਆਂ ਰੋਕੀਆਂ ॥
उसके लिए सभी राह कठिन एवं गलियों में बाधा उत्पन्न होती है।
ਸਚਾ ਵੇਪਰਵਾਹੁ ਸਬਦਿ ਸੰਤੋਖੀਆਂ ॥
सच्चा बेपरवाह प्रभु शब्द के चिंतन से संतोष प्रदान करता है।
ਗਹਿਰ ਗਭੀਰ ਅਥਾਹੁ ਹਾਥ ਨ ਲਭਈ ॥
वह गहन गंभीर एवं अथाह है, उस तक पहुँचना संभव नहीं।
ਮੁਹੇ ਮੁਹਿ ਚੋਟਾ ਖਾਹੁ ਵਿਣੁ ਗੁਰ ਕੋਇ ਨ ਛੁਟਸੀ ॥
ईश्वर से विमुख रहने वाला दुख, मुसीबतें एवं परेशानियां झेलता है और गुरु के बिना कोई मुक्त नहीं होता।
ਪਤਿ ਸੇਤੀ ਘਰਿ ਜਾਹੁ ਨਾਮੁ ਵਖਾਣੀਐ ॥
प्रभु नाम की चर्चा करके सम्मानपूर्वक अपने सच्चे घर जाओ।
ਹੁਕਮੀ ਸਾਹ ਗਿਰਾਹ ਦੇਂਦਾ ਜਾਣੀਐ ॥੨੩॥
यह सच्चाई जान लो कि ईश्वर अपने हुक्म से जीवन-सांसें एवं रोजी-रोटी देता है॥२३॥