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ਸਚੁ ਕਮਾਵੈ ਸੋਈ ਕਾਜੀ ॥
सत्य का आचरण अपनाने वाला ही सच्चा काजी हैं
ਜੋ ਦਿਲੁ ਸੋਧੈ ਸੋਈ ਹਾਜੀ ॥
जो अपने दिल को शुद्ध कर लेता है, वास्तव में वहीं मक्के का हज्ज़ करने वाला हाजी है।
ਸੋ ਮੁਲਾ ਮਲਊਨ ਨਿਵਾਰੈ ਸੋ ਦਰਵੇਸੁ ਜਿਸੁ ਸਿਫਤਿ ਧਰਾ ॥੬॥
वहीं मुल्ला हैं, जो अपने मन की अहम् रूपी मैल को दूर करता है और दरवेश वहीं कहलाता है,जो अल्लाह की प्रशंसा का सहारा लेता है॥६॥
ਸਭੇ ਵਖਤ ਸਭੇ ਕਰਿ ਵੇਲਾ ॥ ਖਾਲਕੁ ਯਾਦਿ ਦਿਲੈ ਮਹਿ ਮਉਲਾ ॥
हर वक्त को बंदगी करने का समय बना लो," दुनिया को बनाने वाले उस परवरदगार को हर समय अपने दिल में याद करो।
ਤਸਬੀ ਯਾਦਿ ਕਰਹੁ ਦਸ ਮਰਦਨੁ ਸੁੰਨਤਿ ਸੀਲੁ ਬੰਧਾਨਿ ਬਰਾ ॥੭॥
खुदा को याद करते रहो, यहीं तस्बीह अर्थात् माला जपना है, दस इन्द्रियों को मार देना ही सुन्नत करवाना है और शील स्वभाव ही सबसे बड़ा नियंत्रण है॥७॥
ਦਿਲ ਮਹਿ ਜਾਨਹੁ ਸਭ ਫਿਲਹਾਲਾ ॥
अपने दिल में यह बात समझ लो जगत् का सब कुछ थोड़े समय के लिए ही रहने वाला हैं।
ਖਿਲਖਾਨਾ ਬਿਰਾਦਰ ਹਮੂ ਜੰਜਾਲਾ ॥
है मेरे भाई ! परिवार एवं घरबार जंजाल ही हैं।
ਮੀਰ ਮਲਕ ਉਮਰੇ ਫਾਨਾਇਆ ਏਕ ਮੁਕਾਮ ਖੁਦਾਇ ਦਰਾ ॥੮॥
एक खुदा का दरबार ही सदा अटल रहने वाला मुकाम है और बादशाह, मलिक एवं सरदार फना होने वाले हैं॥ ८॥
ਅਵਲਿ ਸਿਫਤਿ ਦੂਜੀ ਸਾਬੂਰੀ ॥
अल्लाह की प्रशंसा पहली नमाज, संतोष रखना दूसरी नमाज,"
ਤੀਜੈ ਹਲੇਮੀ ਚਉਥੈ ਖੈਰੀ ॥
नम्रता धारण करना तीसरे वक्त की नमाज, जरुरतमंदों को दान-पुण्य करना चौथी नमाज और
ਪੰਜਵੈ ਪੰਜੇ ਇਕਤੁ ਮੁਕਾਮੈ ਏਹਿ ਪੰਜਿ ਵਖਤ ਤੇਰੇ ਅਪਰਪਰਾ ॥੯॥
पॉच इन्द्रियों को एक स्थान पर स्थिर करके रखना तेरी पाँचवी नमाज है। तेरी नमाज़ के ये पाँच वक्त ही सबसे उत्तम हैं॥९॥
ਸਗਲੀ ਜਾਨਿ ਕਰਹੁ ਮਉਦੀਫਾ ॥
यह समझकर कि खुदा सारी दुनिया में रहता है, इस ज्ञान को वज़ीफा बना अर्थात् अपने मनोरथ पूर्ति का पाठ बना और
ਬਦ ਅਮਲ ਛੋਡਿ ਕਰਹੁ ਹਥਿ ਕੂਜਾ ॥
पाप कर्मों के त्याग को हाथ में पकड़ने वाला लोटा बना।
ਖੁਦਾਇ ਏਕੁ ਬੁਝਿ ਦੇਵਹੁ ਬਾਂਗਾਂ ਬੁਰਗੂ ਬਰਖੁਰਦਾਰ ਖਰਾ ॥੧੦॥
खुदा को एक ही समझकर मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए बाँग दिया कर और उस खुदा का नेक पुत्र बनना ही बिगुल बजाना है। १०॥
ਹਕੁ ਹਲਾਲੁ ਬਖੋਰਹੁ ਖਾਣਾ ॥
हक की कमाई का ही भोजन किया करो,"
ਦਿਲ ਦਰੀਆਉ ਧੋਵਹੁ ਮੈਲਾਣਾ ॥
अपने दिल को दरिया की तरह बड़ा बनाओं और मन की मैल साफ कर लो।
ਪੀਰੁ ਪਛਾਣੈ ਭਿਸਤੀ ਸੋਈ ਅਜਰਾਈਲੁ ਨ ਦੋਜ ਠਰਾ ॥੧੧॥
अपने पीर को पहचान कर सेवा में लीन रहने वाला ही बिहिश्त में जाने का हकदार हैं और मृत्यु का फरिश्ता (यम) उसे दोजख (नरक) में नहीं डालता॥ ११॥
ਕਾਇਆ ਕਿਰਦਾਰ ਅਉਰਤ ਯਕੀਨਾ ॥
जिस शरीर द्वारा तू शुभाशुभ कर्म करता है, उसे अपनी विश्वासपात्र औरत बना और
ਰੰਗ ਤਮਾਸੇ ਮਾਣਿ ਹਕੀਨਾ ॥
फिर उस द्वारा खुदा को मिलकर रंग-तमाशों का आनंद भोग।
ਨਾਪਾਕ ਪਾਕੁ ਕਰਿ ਹਦੂਰਿ ਹਦੀਸਾ ਸਾਬਤ ਸੂਰਤਿ ਦਸਤਾਰ ਸਿਰਾ ॥੧੨॥
हे नापाक बंदे ! अपने आपको पवित्र बना। खुदा को साक्षात् समझना ही कुरान की हदीसों को पढ़ना हैं। साबत सूरत रहना ही सिर पर पगड़ी पहनना है॥ १२
ਮੁਸਲਮਾਣੁ ਮੋਮ ਦਿਲਿ ਹੋਵੈ ॥
सच्चा मुसलमान वहीं है, जिसका दिल मोम की तरह नरम होता है,"
ਅੰਤਰ ਕੀ ਮਲੁ ਦਿਲ ਤੇ ਧੋਵੈ ॥
वह अपने अन्तर्मन की मैल को दिल से धो देता है।
ਦੁਨੀਆ ਰੰਗ ਨ ਆਵੈ ਨੇੜੈ ਜਿਉ ਕੁਸਮ ਪਾਟੁ ਘਿਉ ਪਾਕੁ ਹਰਾ ॥੧੩॥
वह दुनिया के रंग-तमाशों के निकट नहीं आता और यूं पवित्र होता है, जिस प्रकार फूल, रेशम, घी एवं मृग-चरम पाक पवित्र होता है| १३॥
ਜਾ ਕਉ ਮਿਹਰ ਮਿਹਰ ਮਿਹਰਵਾਨਾ ॥
जिस पर मेहरबान अल्लाह की मेहर होती है,"
ਸੋਈ ਮਰਦੁ ਮਰਦੁ ਮਰਦਾਨਾ ॥
वास्तव में वहीं मर्दो में शूरवीर मर्द है।
ਸੋਈ ਸੇਖੁ ਮਸਾਇਕੁ ਹਾਜੀ ਸੋ ਬੰਦਾ ਜਿਸੁ ਨਜਰਿ ਨਰਾ ॥੧੪॥
जिस पर खुदा की कृपा-दृष्टि है, वहीं शेख, शेखों का पीर, हाजी एवं खुदा का नेक बंदा है॥ १४॥
ਕੁਦਰਤਿ ਕਾਦਰ ਕਰਣ ਕਰੀਮਾ ॥
हे कृपालु, रहमदिल, सच्चे खुदा ! तू कुदरत का रचयिता है,"
ਸਿਫਤਿ ਮੁਹਬਤਿ ਅਥਾਹ ਰਹੀਮਾ ॥
सब को बनाने वाला है, तेरी स्तुति एवं मुहब्बत अथाह है, तेरा हुक्म भी सत्य है।
ਹਕੁ ਹੁਕਮੁ ਸਚੁ ਖੁਦਾਇਆ ਬੁਝਿ ਨਾਨਕ ਬੰਦਿ ਖਲਾਸ ਤਰਾ ॥੧੫॥੩॥੧੨॥
हे नानक ! उस खुदा के भेद को बूझने वाला आदमी बन्धनों से मुक्त होकर संसार-सागर से पार हो जाता हैं॥१५॥ ३॥ १२॥
ਮਾਰੂ ਮਹਲਾ ੫ ॥
मारू महला ५॥
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਸਭ ਊਚ ਬਿਰਾਜੇ ॥
परब्रहा सर्वोच्च स्थान पर विराजमान है,"
ਆਪੇ ਥਾਪਿ ਉਥਾਪੇ ਸਾਜੇ ॥
सारी दुनिया को बनाने, मिटाने एवं पुनः स्थापना करने वाला भी वह आप ही हैं।
ਪ੍ਰਭ ਕੀ ਸਰਣਿ ਗਹਤ ਸੁਖੁ ਪਾਈਐ ਕਿਛੁ ਭਉ ਨ ਵਿਆਪੈ ਬਾਲ ਕਾ ॥੧॥
उस सर्वोच्च शक्ति प्रभु की शरण लेने से ही सुख प्राप्त होता है और मृत्यु इत्यादि कोई भय व्याप्त नहीं होता॥१॥
ਗਰਭ ਅਗਨਿ ਮਹਿ ਜਿਨਹਿ ਉਬਾਰਿਆ ॥
जिस निरंकार ने गर्भ-अग्नि में से बचाया है,"
ਰਕਤ ਕਿਰਮ ਮਹਿ ਨਹੀ ਸੰਘਾਰਿਆ ॥
माँ के रक्त में छोटा-सा कृमि होने के बावजूद भी मिटने नहीं दिया,"
ਅਪਨਾ ਸਿਮਰਨੁ ਦੇ ਪ੍ਰਤਿਪਾਲਿਆ ਓਹੁ ਸਗਲ ਘਟਾ ਕਾ ਮਾਲਕਾ ॥੨॥
जिसने अपना सिमरन देकर पोषण किया है, वह सब शरीरों का मालिक हैं॥२३॥
ਚਰਣ ਕਮਲ ਸਰਣਾਈ ਆਇਆ ॥
मैं तो प्रभु के चरण-कमल की शरण में आया हैं,"
ਸਾਧਸੰਗਿ ਹੈ ਹਰਿ ਜਸੁ ਗਾਇਆ ॥
सज्जन साधुओं के संग ईश्वर का हीं यश गाया है।
ਜਨਮ ਮਰਣ ਸਭਿ ਦੂਖ ਨਿਵਾਰੇ ਜਪਿ ਹਰਿ ਹਰਿ ਭਉ ਨਹੀ ਕਾਲ ਕਾ ॥੩॥
परमात्मा का नाम जपने से जन्म-मरण के सभी दुख टूट जाते हैं और मृत्यु का भय भी नहीं रहता॥३॥
ਸਮਰਥ ਅਕਥ ਅਗੋਚਰ ਦੇਵਾ ॥
देवाधिदेव सर्वोच्च शक्ति परमेश्वर सर्वकला समर्थ हैं, उसकी लीलाएँ अकथनीय हैं, वह अदृष्ट है।
ਜੀਅ ਜੰਤ ਸਭਿ ਤਾ ਕੀ ਸੇਵਾ ॥
सृष्टि के सब जीव उसकी ही उपासना करते हैं।
ਅੰਡਜ ਜੇਰਜ ਸੇਤਜ ਉਤਭੁਜ ਬਹੁ ਪਰਕਾਰੀ ਪਾਲਕਾ ॥੪॥
अण्डज, जेरज, स्वदेज एवं उभिज्ज से पैदा होने वाले अनेक प्रकार के सब जीवों का पोषण कर रहा है॥४॥
ਤਿਸਹਿ ਪਰਾਪਤਿ ਹੋਇ ਨਿਧਾਨਾ ॥
सुखों का खजाना उसे ही प्राप्त होता है,"
ਰਾਮ ਨਾਮ ਰਸੁ ਅੰਤਰਿ ਮਾਨਾ ॥
जो अपने अन्तर्मन में राम नाम का आनंद लेता है।
ਕਰੁ ਗਹਿ ਲੀਨੇ ਅੰਧ ਕੂਪ ਤੇ ਵਿਰਲੇ ਕੇਈ ਸਾਲਕਾ ॥੫॥
उसने स्वयं ही हाथ पकड़कर संसार-सागर रूपी अन्धकूप में से बाहर निकाल लिया है, परन्तु कोई विरला ही ऐसा साधक है॥५॥