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ਰਾਜੰ ਤ ਮਾਨੰ ਅਭਿਮਾਨੰ ਤ ਹੀਨੰ ॥
राज्य प्राप्त होता है तो मान भी घर कर लेता है। अभिमान के कारण अनादर भी प्राप्त होता है।
ਪ੍ਰਵਿਰਤਿ ਮਾਰਗੰ ਵਰਤੰਤਿ ਬਿਨਾਸਨੰ ॥
दरअसल दुनियादारी में सब नाशवान है।
ਗੋਬਿੰਦ ਭਜਨ ਸਾਧ ਸੰਗੇਣ ਅਸਥਿਰੰ ਨਾਨਕ ਭਗਵੰਤ ਭਜਨਾਸਨੰ ॥੧੨॥
साधु पुरुषों के साथ परमात्मा का भजन ही स्थाई है, अतः नानक का फुरमान है कि भगवान के भजन में लीन रहो॥ १२॥
ਕਿਰਪੰਤ ਹਰੀਅੰ ਮਤਿ ਤਤੁ ਗਿਆਨੰ ॥
जब भगवान अपनी कृपा कर देता है तो तत्व ज्ञान प्राप्त हो जाता है,
ਬਿਗਸੀਧੵਿ ਬੁਧਾ ਕੁਸਲ ਥਾਨੰ ॥
बुद्धि का विकास होता है और सुख-शान्ति का स्थान प्राप्त होता है।
ਬਸੵਿੰਤ ਰਿਖਿਅੰ ਤਿਆਗਿ ਮਾਨੰ ॥
इन्द्रियाँ वश में आ जाती हैं और अभिमान का त्याग होता है।
ਸੀਤਲੰਤ ਰਿਦਯੰ ਦ੍ਰਿੜੁ ਸੰਤ ਗਿਆਨੰ ॥
संत-महात्मा पुरुषों से ज्ञान पा कर हृदय शीतल हो जाता है और
ਰਹੰਤ ਜਨਮੰ ਹਰਿ ਦਰਸ ਲੀਣਾ ॥
हरि-दर्शन में लीन रहकर जन्म-मरण से मुक्ति हो जाती है।
ਬਾਜੰਤ ਨਾਨਕ ਸਬਦ ਬੀਣਾਂ ॥੧੩॥
गुरु नानक फुरमाते हैं- फिर अन्तर्मन में शब्द की वीणा ही बजती रहती है॥ १३॥
ਕਹੰਤ ਬੇਦਾ ਗੁਣੰਤ ਗੁਨੀਆ ਸੁਣੰਤ ਬਾਲਾ ਬਹੁ ਬਿਧਿ ਪ੍ਰਕਾਰਾ ॥
गुणवान् पुरुष वेदों की व्याख्या करते हैं, जिनको जिज्ञासु अनेक प्रकार से श्रवण करते हैं।
ਦ੍ਰਿੜੰਤ ਸੁਬਿਦਿਆ ਹਰਿ ਹਰਿ ਕ੍ਰਿਪਾਲਾ ॥
लेकिन जिस पर परमात्मा की कृपा होती है, वही उत्तम विद्या पाते हैं।
ਨਾਮ ਦਾਨੁ ਜਾਚੰਤ ਨਾਨਕ ਦੈਨਹਾਰ ਗੁਰ ਗੋਪਾਲਾ ॥੧੪॥
हे नानक ! वे नाम दान की कामना करते हैं, जिसे गुरु-परमेश्वर ही देने वाला है॥ १४॥
ਨਹ ਚਿੰਤਾ ਮਾਤ ਪਿਤ ਭ੍ਰਾਤਹ ਨਹ ਚਿੰਤਾ ਕਛੁ ਲੋਕ ਕਹ ॥
माता-पिता, भाई की चिंता मत करो, न ही अन्य रिश्तेदारों की चिन्ता करो।
ਨਹ ਚਿੰਤਾ ਬਨਿਤਾ ਸੁਤ ਮੀਤਹ ਪ੍ਰਵਿਰਤਿ ਮਾਇਆ ਸਨਬੰਧਨਹ ॥
पत्नी, पुत्र एवं दोस्तों की भी चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं, दरअसल ये दुनियादारी के संबंध मात्र माया के कारण हैं।
ਦਇਆਲ ਏਕ ਭਗਵਾਨ ਪੁਰਖਹ ਨਾਨਕ ਸਰਬ ਜੀਅ ਪ੍ਰਤਿਪਾਲਕਹ ॥੧੫॥
नानक का फुरमान है कि भगवान इतना दयालु है कि वह सब जीवों को रोज़ी-रोटी देकर पोषण कर रहा है॥ १५॥
ਅਨਿਤੵ ਵਿਤੰ ਅਨਿਤੵ ਚਿਤੰ ਅਨਿਤੵ ਆਸਾ ਬਹੁ ਬਿਧਿ ਪ੍ਰਕਾਰੰ ॥
धन-दौलत सदा नहीं रहती, मन की ख्वाहिशें अस्थाई हैं और अनेक प्रकार की कामनाएँ भी अल्पकालिक हैं।
ਅਨਿਤੵ ਹੇਤੰ ਅਹੰ ਬੰਧੰ ਭਰਮ ਮਾਇਆ ਮਲਨੰ ਬਿਕਾਰੰ ॥
अहंकार के बन्धन में किया गया प्रेम, माया का भ्रम एवं मलिन विकार नाशवान हैं।
ਫਿਰੰਤ ਜੋਨਿ ਅਨੇਕ ਜਠਰਾਗਨਿ ਨਹ ਸਿਮਰੰਤ ਮਲੀਣ ਬੁਧੵੰ ॥
खोटी बुद्धि वाला मनुष्य जठराग्नि में पड़कर अनेक योनियों में घूमता है, लेकिन ईश्वर का सुमिरन (स्मरण) नहीं करता।
ਹੇ ਗੋਬਿੰਦ ਕਰਤ ਮਇਆ ਨਾਨਕ ਪਤਿਤ ਉਧਾਰਣ ਸਾਧ ਸੰਗਮਹ ॥੧੬॥
नानक विनती करते हैं कि हे गोविन्द ! कृपा करो, साधु पुरुषों की संगत में पतित-पापी जीवों का उद्धार कर दो॥ १६॥
ਗਿਰੰਤ ਗਿਰਿ ਪਤਿਤ ਪਾਤਾਲੰ ਜਲੰਤ ਦੇਦੀਪੵ ਬੈਸ੍ਵਾਂਤਰਹ ॥
मनुष्य बेशक पहाड़ से गिर जाए, पाताल में चला जाए, भड़कती हुई आग में जलता रहे।
ਬਹੰਤਿ ਅਗਾਹ ਤੋਯੰ ਤਰੰਗੰ ਦੁਖੰਤ ਗ੍ਰਹ ਚਿੰਤਾ ਜਨਮੰ ਤ ਮਰਣਹ ॥
चाहे वह पानी की तरंगों में बहता हुआ कितना ही दुखी क्यों न हो परन्तु घर की चिन्ता इन सबसे दुखदायक है, यही जन्म-मरण का कारण है।
ਅਨਿਕ ਸਾਧਨੰ ਨ ਸਿਧੵਤੇ ਨਾਨਕ ਅਸਥੰਭੰ ਅਸਥੰਭੰ ਅਸਥੰਭੰ ਸਬਦ ਸਾਧ ਸ੍ਵਜਨਹ ॥੧੭॥
अनेक साधनों का उपयोग करने पर भी घर की परेशानियां दूर नहीं होती।अतः नानक का जनमानस को फुरमान है कि साधु-महापुरुषों का वचन (हरिनाम) ही आसरा देने वाला है॥ १७॥
ਘੋਰ ਦੁਖੵੰ ਅਨਿਕ ਹਤੵੰ ਜਨਮ ਦਾਰਿਦ੍ਰੰ ਮਹਾ ਬਿਖੵਾਦੰ ॥
चाहे घोर दुःख - मुसीबते बानी हो अनेक जुर्म किये हों, जन्म जन्मांतर की गरीबी अथवा पाप-संकट से घिरे हुए हों।
ਮਿਟੰਤ ਸਗਲ ਸਿਮਰੰਤ ਹਰਿ ਨਾਮ ਨਾਨਕ ਜੈਸੇ ਪਾਵਕ ਕਾਸਟ ਭਸਮੰ ਕਰੋਤਿ ॥੧੮॥
गुरु नानक फुरमान करते हैं- ईश्वर के भजन-सिमरन से ये सब यू मिट जाते हैं, जैसे अग्नि लकड़ियों को जलाकर राख कर देती हैं॥ १८॥
ਅੰਧਕਾਰ ਸਿਮਰਤ ਪ੍ਰਕਾਸੰ ਗੁਣ ਰਮੰਤ ਅਘ ਖੰਡਨਹ ॥
परमात्मा का स्मरण करने से अंधेरे में भी उजाला हो जाता है, पापों का अन्त होता है, जीव गुणवान बन जाता है।
ਰਿਦ ਬਸੰਤਿ ਭੈ ਭੀਤ ਦੂਤਹ ਕਰਮ ਕਰਤ ਮਹਾ ਨਿਰਮਲਹ ॥
जब भगवान हृदय में बस जाता है तो यमदूत भी डरने लगते हैं, शुभ कर्मो से मन पवित्र हो जाता है।
ਜਨਮ ਮਰਣ ਰਹੰਤ ਸ੍ਰੋਤਾ ਸੁਖ ਸਮੂਹ ਅਮੋਘ ਦਰਸਨਹ ॥
हरि-कीर्तन सुनने से जीव जन्म-मरण के बन्धनों से मुक्त हो जाता है। ईश्वर के अमोघ दर्शनों से सर्व सुख प्राप्त होते हैं।
ਸਰਣਿ ਜੋਗੰ ਸੰਤ ਪ੍ਰਿਅ ਨਾਨਕ ਸੋ ਭਗਵਾਨ ਖੇਮੰ ਕਰੋਤਿ ॥੧੯॥
भक्तों का प्यारा प्रभु शरण देने मे समर्थ है, गुरु नानक फुरमान करते हैं- भगवान हर सुख-कल्याण प्रदान करने वाला है॥ १६॥
ਪਾਛੰ ਕਰੋਤਿ ਅਗ੍ਰਣੀਵਹ ਨਿਰਾਸੰ ਆਸ ਪੂਰਨਹ ॥
वह स्रष्टा पीछे रहने वाले (नाकामयाब) लोगों को सफलता की बुलंदी पर पहुँचा देता है और निराश व्यक्तियों की हर आशा पूरी कर देता है।
ਨਿਰਧਨ ਭਯੰ ਧਨਵੰਤਹ ਰੋਗੀਅੰ ਰੋਗ ਖੰਡਨਹ ॥
उसकी रज़ा हो तो वह निर्धनों को धनवान् बना देता है और रोगियों के असाध्य रोग भी नष्ट कर देता है।
ਭਗਤੵੰ ਭਗਤਿ ਦਾਨੰ ਰਾਮ ਨਾਮ ਗੁਣ ਕੀਰਤਨਹ ॥
वह भक्तों को भक्ति प्रदान करता है इस तरह भक्तजन राम नाम के गुणगान एवं कीर्तन में ही लीन रहते हैं।
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਪੁਰਖ ਦਾਤਾਰਹ ਨਾਨਕ ਗੁਰ ਸੇਵਾ ਕਿੰ ਨ ਲਭੵਤੇ ॥੨੦॥
गुरु नानक फुरमाते हैं की परब्रह्म परमेश्वर इतना बड़ा दाता है, तो फिर उस गुरु की सेवा से क्या नहीं प्राप्त हो सकता॥ २०॥
ਅਧਰੰ ਧਰੰ ਧਾਰਣਹ ਨਿਰਧਨੰ ਧਨ ਨਾਮ ਨਰਹਰਹ ॥
नारायण का नाम बेसहारा लोगों को सहारा देने वाला है, हरिनाम निर्धनों के लिए धन है।
ਅਨਾਥ ਨਾਥ ਗੋਬਿੰਦਹ ਬਲਹੀਣ ਬਲ ਕੇਸਵਹ ॥
गोविन्द अनाथों का नाथ है, वह केशव बलहीन लोगों का बल है।
ਸਰਬ ਭੂਤ ਦਯਾਲ ਅਚੁਤ ਦੀਨ ਬਾਂਧਵ ਦਾਮੋਦਰਹ ॥
वह पूरी दुनिया पर दया करने वाला है, अटल है, वही गरीबों का मसीहा है।
ਸਰਬਗੵ ਪੂਰਨ ਪੁਰਖ ਭਗਵਾਨਹ ਭਗਤਿ ਵਛਲ ਕਰੁਣਾ ਮਯਹ ॥
वह परमपुरुष सर्वज्ञ है, भगवान अपने भक्तों से प्रेम करने वाला है एवं करुणामय है।