Guru Granth Sahib Translation Project

Guru Granth Sahib Hindi Page 1269

Page 1269

ਮਨਿ ਤਨਿ ਰਵਿ ਰਹਿਆ ਜਗਦੀਸੁਰ ਪੇਖਤ ਸਦਾ ਹਜੂਰੇ ॥ मनि तनि रवि रहिआ जगदीसुर पेखत सदा हजूरे ॥ जगदीश्वर मेरे मन तन में ही अवस्थित है और मैं सदा उसे आस-पास ही देखता हूँ।
ਨਾਨਕ ਰਵਿ ਰਹਿਓ ਸਭ ਅੰਤਰਿ ਸਰਬ ਰਹਿਆ ਭਰਪੂਰੇ ॥੨॥੮॥੧੨॥ नानक रवि रहिओ सभ अंतरि सरब रहिआ भरपूरे ॥२॥८॥१२॥ हे नानक ! ईश्वर सबके अन्तर्मन में स्थित है, वह सर्वव्यापक है॥२॥८॥१२॥
ਮਲਾਰ ਮਹਲਾ ੫ ॥ मलार महला ५ ॥ मलार महला ५ ॥
ਹਰਿ ਕੈ ਭਜਨਿ ਕਉਨ ਕਉਨ ਨ ਤਾਰੇ ॥ हरि कै भजनि कउन कउन न तारे ॥ परमात्मा के भजन द्वारा किस-किस की मुक्ति न हुई,
ਖਗ ਤਨ ਮੀਨ ਤਨ ਮ੍ਰਿਗ ਤਨ ਬਰਾਹ ਤਨ ਸਾਧੂ ਸੰਗਿ ਉਧਾਰੇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ खग तन मीन तन म्रिग तन बराह तन साधू संगि उधारे ॥१॥ रहाउ ॥ पक्षी का शरीर धारण करने वाले (जटायु), मछली का शरीर धारण करने वाले (मत्स्यावतार), हिरण का शरीर धारण करने वाले (मरीचि ऋषि) एवं वाराह का रूप धारण करने वाला (वाराहावतार) इत्यादि सबका महापुरुषों की संगत में उद्धार हो गया॥१॥रहाउ॥
ਦੇਵ ਕੁਲ ਦੈਤ ਕੁਲ ਜਖੵ ਕਿੰਨਰ ਨਰ ਸਾਗਰ ਉਤਰੇ ਪਾਰੇ ॥ देव कुल दैत कुल जख्य किंनर नर सागर उतरे पारे ॥ देव कुल, दैत्य कुल, यक्ष, किन्नर, मनुष्य सब संसार-सागर से पार उतर गए।
ਜੋ ਜੋ ਭਜਨੁ ਕਰੈ ਸਾਧੂ ਸੰਗਿ ਤਾ ਕੇ ਦੂਖ ਬਿਦਾਰੇ ॥੧॥ जो जो भजनु करै साधू संगि ता के दूख बिदारे ॥१॥ जो जो साधु-महापुरुषों के साथ परमात्मा का भजन करते हैं, उनके दुखों का अंत हो जाता है।॥१॥
ਕਾਮ ਕਰੋਧ ਮਹਾ ਬਿਖਿਆ ਰਸ ਇਨ ਤੇ ਭਏ ਨਿਰਾਰੇ ॥ काम करोध महा बिखिआ रस इन ते भए निरारे ॥ संत-पुरुष काम, क्रोध एवं महाविकारों के रस से अलिप्त ही रहते हैं।
ਦੀਨ ਦਇਆਲ ਜਪਹਿ ਕਰੁਣਾ ਮੈ ਨਾਨਕ ਸਦ ਬਲਿਹਾਰੇ ॥੨॥੯॥੧੩॥ दीन दइआल जपहि करुणा मै नानक सद बलिहारे ॥२॥९॥१३॥ वे दीनदयाल, करुणामय परमेश्वर का जाप करते हैं, नानक सदैव उन पर कुर्बान जाता है॥२॥६॥१३॥
ਮਲਾਰ ਮਹਲਾ ੫ ॥ मलार महला ५ ॥ मलार महला ५ ॥
ਆਜੁ ਮੈ ਬੈਸਿਓ ਹਰਿ ਹਾਟ ॥ आजु मै बैसिओ हरि हाट ॥ आज मैं ईश्वर के बाज़ार अर्थात् सत्संगत में बैठा हुआ हूँ और
ਨਾਮੁ ਰਾਸਿ ਸਾਝੀ ਕਰਿ ਜਨ ਸਿਉ ਜਾਂਉ ਨ ਜਮ ਕੈ ਘਾਟ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ नामु रासि साझी करि जन सिउ जांउ न जम कै घाट ॥१॥ रहाउ ॥ भक्तजनों के साथ हरिनाम राशि की हिस्सेदारी की है, जिस कारण यम के रास्ते पर नहीं जाऊँगा॥१॥रहाउ॥
ਧਾਰਿ ਅਨੁਗ੍ਰਹੁ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮਿ ਰਾਖੇ ਭ੍ਰਮ ਕੇ ਖੁਲੇ੍ਹ੍ਹ ਕਪਾਟ ॥ धारि अनुग्रहु पारब्रहमि राखे भ्रम के खुल्हे कपाट ॥ परब्रह्म ने कृपा करके रक्षा की है और भ्रम के कपाट खोल दिए हैं।
ਬੇਸੁਮਾਰ ਸਾਹੁ ਪ੍ਰਭੁ ਪਾਇਆ ਲਾਹਾ ਚਰਨ ਨਿਧਿ ਖਾਟ ॥੧॥ बेसुमार साहु प्रभु पाइआ लाहा चरन निधि खाट ॥१॥ मैंने गुणों के अनंत भण्डार, शाह प्रभु को पा लिया है और सुखमय चरणों का लाभ प्राप्त किया है॥१॥
ਸਰਨਿ ਗਹੀ ਅਚੁਤ ਅਬਿਨਾਸੀ ਕਿਲਬਿਖ ਕਾਢੇ ਹੈ ਛਾਂਟਿ ॥ सरनि गही अचुत अबिनासी किलबिख काढे है छांटि ॥ मैंने अटल, अविनाशी परमेश्वर की शरण ली है और उसने पापों को छांट कर निकाल दिया है।
ਕਲਿ ਕਲੇਸ ਮਿਟੇ ਦਾਸ ਨਾਨਕ ਬਹੁਰਿ ਨ ਜੋਨੀ ਮਾਟ ॥੨॥੧੦॥੧੪॥ कलि कलेस मिटे दास नानक बहुरि न जोनी माट ॥२॥१०॥१४॥ दास नानक के सभी दुख-क्लेश मिट गए हैं और वह योनियों के चक्र से मुक्त हो गया है॥२॥१०॥१४॥
ਮਲਾਰ ਮਹਲਾ ੫ ॥ मलार महला ५ ॥ मलार महला ५ ॥
ਬਹੁ ਬਿਧਿ ਮਾਇਆ ਮੋਹ ਹਿਰਾਨੋ ॥ बहु बिधि माइआ मोह हिरानो ॥ माया मोह अनेक प्रकार से मनुष्य को ठग रहा है।
ਕੋਟਿ ਮਧੇ ਕੋਊ ਬਿਰਲਾ ਸੇਵਕੁ ਪੂਰਨ ਭਗਤੁ ਚਿਰਾਨੋ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ कोटि मधे कोऊ बिरला सेवकु पूरन भगतु चिरानो ॥१॥ रहाउ ॥ करोड़ों में से कोई विरला सेवक है, जो अनंतकाल से परमात्मा का पूर्ण भक्त माना जाता है।॥१॥रहाउ॥
ਇਤ ਉਤ ਡੋਲਿ ਡੋਲਿ ਸ੍ਰਮੁ ਪਾਇਓ ਤਨੁ ਧਨੁ ਹੋਤ ਬਿਰਾਨੋ ॥ इत उत डोलि डोलि स्रमु पाइओ तनु धनु होत बिरानो ॥ इधर-उधर भागदौड़ करके मनुष्य बहुत मेहनत करता है और आखिरकार तन मन पराया हो जाता है।
ਲੋਗ ਦੁਰਾਇ ਕਰਤ ਠਗਿਆਈ ਹੋਤੌ ਸੰਗਿ ਨ ਜਾਨੋ ॥੧॥ लोग दुराइ करत ठगिआई होतौ संगि न जानो ॥१॥ लोगों से छिपकर छल, कपट, धोखा देकर धन दौलत तो जमा करता है लेकिन जो परमात्मा आस-पास ही है, उसका मनन नहीं करता॥१॥
ਮ੍ਰਿਗ ਪੰਖੀ ਮੀਨ ਦੀਨ ਨੀਚ ਇਹ ਸੰਕਟ ਫਿਰਿ ਆਨੋ ॥ म्रिग पंखी मीन दीन नीच इह संकट फिरि आनो ॥ जब कर्मो का हिसाब होता है तो हिरण, पक्षी, मछली दीन एवं नीच इन योनियों के संकट में पुनः आता है।
ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਪਾਹਨ ਪ੍ਰਭ ਤਾਰਹੁ ਸਾਧਸੰਗਤਿ ਸੁਖ ਮਾਨੋ ॥੨॥੧੧॥੧੫॥ कहु नानक पाहन प्रभ तारहु साधसंगति सुख मानो ॥२॥११॥१५॥ नानक प्रार्थना करते हैं कि हे प्रभु! मुझ सरीखे पत्थर को संसार-सागर से पार करवा दो, ताकि साधु पुरुषों की संगत में सुख उपलब्ध हो जाए॥२॥११॥१५॥
ਮਲਾਰ ਮਹਲਾ ੫ ॥ मलार महला ५ ॥ मलार महला ५ ॥
ਦੁਸਟ ਮੁਏ ਬਿਖੁ ਖਾਈ ਰੀ ਮਾਈ ॥ दुसट मुए बिखु खाई री माई ॥ हे साई ! दुष्ट पाप-विकार जहर खाकर मौत की नींद सो गए हैं।
ਜਿਸ ਕੇ ਜੀਅ ਤਿਨ ਹੀ ਰਖਿ ਲੀਨੇ ਮੇਰੇ ਪ੍ਰਭ ਕਉ ਕਿਰਪਾ ਆਈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ जिस के जीअ तिन ही रखि लीने मेरे प्रभ कउ किरपा आई ॥१॥ रहाउ ॥ जिसके जीव थे, उसी ने बचा लिया है, मेरे प्रभु ने कृपा की है॥१॥रहाउ॥
ਅੰਤਰਜਾਮੀ ਸਭ ਮਹਿ ਵਰਤੈ ਤਾਂ ਭਉ ਕੈਸਾ ਭਾਈ ॥ अंतरजामी सभ महि वरतै तां भउ कैसा भाई ॥ अन्तर्यामी परमेश्वर सब में व्याप्त है तो कोई भय कैसे हो सकता है।
ਸੰਗਿ ਸਹਾਈ ਛੋਡਿ ਨ ਜਾਈ ਪ੍ਰਭੁ ਦੀਸੈ ਸਭਨੀ ਠਾਈ ॥੧॥ संगि सहाई छोडि न जाई प्रभु दीसै सभनी ठाईं ॥१॥ वह सहायता करने वाला हमारे साथ ही है, उसे छोड़कर नहीं जाता, मेरा प्रभु सब स्थानों में दिखाई देता है॥१॥
ਅਨਾਥਾ ਨਾਥੁ ਦੀਨ ਦੁਖ ਭੰਜਨ ਆਪਿ ਲੀਏ ਲੜਿ ਲਾਈ ॥ अनाथा नाथु दीन दुख भंजन आपि लीए लड़ि लाई ॥ वह गरीबों का मसीहा है, दीनों के दुख नाश करने वाला है और वह स्वयं ही गले लगा लेता है।
ਹਰਿ ਕੀ ਓਟ ਜੀਵਹਿ ਦਾਸ ਤੇਰੇ ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਭ ਸਰਣਾਈ ॥੨॥੧੨॥੧੬॥ हरि की ओट जीवहि दास तेरे नानक प्रभ सरणाई ॥२॥१२॥१६॥ नानक का कथन है कि हे प्रभु ! भक्त तेरे आसरे ही जीते हैं और तेरी शरण में ही पड़े रहते हैं।२॥१२॥१६॥
ਮਲਾਰ ਮਹਲਾ ੫ ॥ मलार महला ५ ॥ मलार महला ५ ॥
ਮਨ ਮੇਰੇ ਹਰਿ ਕੇ ਚਰਨ ਰਵੀਜੈ ॥ मन मेरे हरि के चरन रवीजै ॥ मेरा मन परमात्मा के चरणों में ही लीन है।
ਦਰਸ ਪਿਆਸ ਮੇਰੋ ਮਨੁ ਮੋਹਿਓ ਹਰਿ ਪੰਖ ਲਗਾਇ ਮਿਲੀਜੈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ दरस पिआस मेरो मनु मोहिओ हरि पंख लगाइ मिलीजै ॥१॥ रहाउ ॥ उसके दर्शनों की तीव्र लालसा ने मन को मोहित कर दिया है। हे प्रभु ! पंख लगाकर तुझसे ही मिलना चाहता हूँ॥१॥रहाउ॥
ਖੋਜਤ ਖੋਜਤ ਮਾਰਗੁ ਪਾਇਓ ਸਾਧੂ ਸੇਵ ਕਰੀਜੈ ॥ खोजत खोजत मारगु पाइओ साधू सेव करीजै ॥ खोजते-खोजते यही रास्ता प्राप्त हुआ है कि साधु महापुरुषों की सेवा करो।
ਧਾਰਿ ਅਨੁਗ੍ਰਹੁ ਸੁਆਮੀ ਮੇਰੇ ਨਾਮੁ ਮਹਾ ਰਸੁ ਪੀਜੈ ॥੧॥ धारि अनुग्रहु सुआमी मेरे नामु महा रसु पीजै ॥१॥ हे मेरे स्वामी ! ऐसी कृपा धारण करो कि नाम का महारस पान किया जाए॥१॥
ਤ੍ਰਾਹਿ ਤ੍ਰਾਹਿ ਕਰਿ ਸਰਨੀ ਆਏ ਜਲਤਉ ਕਿਰਪਾ ਕੀਜੈ ॥ त्राहि त्राहि करि सरनी आए जलतउ किरपा कीजै ॥ “हमें बचा लो, हमारी रक्षा करो” यही कहते हुए तेरी शरण में आए हैं, इस जलते मन पर कृपा करो।
ਕਰੁ ਗਹਿ ਲੇਹੁ ਦਾਸ ਅਪੁਨੇ ਕਉ ਨਾਨਕ ਅਪੁਨੋ ਕੀਜੈ ॥੨॥੧੩॥੧੭॥ करु गहि लेहु दास अपुने कउ नानक अपुनो कीजै ॥२॥१३॥१७॥ नानक की विनती है कि अपने दास का हाथ थाम लो और कृपा करके उसे अपना बना लो॥२॥१३॥१७॥


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