Guru Granth Sahib Translation Project

Guru Granth Sahib Hindi Page 905

Page 905

ਜਿਸੁ ਗੁਰ ਪਰਸਾਦੀ ਨਾਮੁ ਅਧਾਰੁ ॥ जिसु गुर परसादी नामु अधारु ॥ गुरु की कृपा से जिसे परमात्मा के नाम का आधार मिल गया है,
ਕੋਟਿ ਮਧੇ ਕੋ ਜਨੁ ਆਪਾਰੁ ॥੭॥ कोटि मधे को जनु आपारु ॥७॥ करोड़ों में कोई विरला ही प्रभु का भक्त है॥ ७॥
ਏਕੁ ਬੁਰਾ ਭਲਾ ਸਚੁ ਏਕੈ ॥ एकु बुरा भला सचु एकै ॥ दुनिया में चाहे कोई बुरा अथवा भला है, लेकिन सभी में एक ही परमात्मा का वास है।
ਬੂਝੁ ਗਿਆਨੀ ਸਤਗੁਰ ਕੀ ਟੇਕੈ ॥ बूझु गिआनी सतगुर की टेकै ॥ हे ज्ञानी ! सतगुरु का सहारा लेकर इस रहस्य को समझो।
ਗੁਰਮੁਖਿ ਵਿਰਲੀ ਏਕੋ ਜਾਣਿਆ ॥ गुरमुखि विरली एको जाणिआ ॥ गुरु से उपदेश लेकर किसी विरले ने एक ईश्वर को समझा है और
ਆਵਣੁ ਜਾਣਾ ਮੇਟਿ ਸਮਾਣਿਆ ॥੮॥ आवणु जाणा मेटि समाणिआ ॥८॥ वह आवागमन मिटा कर सत्य में ही विलीन हो गया है॥ ८॥
ਜਿਨ ਕੈ ਹਿਰਦੈ ਏਕੰਕਾਰੁ ॥ जिन कै हिरदै एकंकारु ॥ जिसके हृदय में प्रभु विद्यमान है,
ਸਰਬ ਗੁਣੀ ਸਾਚਾ ਬੀਚਾਰੁ ॥ सरब गुणी साचा बीचारु ॥ वह सर्वगुणसम्पन्न है और उनके स्वरूप में शाश्वत ईश्वर की झलक मिलती है।
ਗੁਰ ਕੈ ਭਾਣੈ ਕਰਮ ਕਮਾਵੈ ॥ गुर कै भाणै करम कमावै ॥ हे नानक ! ऐसा जीव गुरु की इच्छानुसार कर्म करता है और
ਨਾਨਕ ਸਾਚੇ ਸਾਚਿ ਸਮਾਵੈ ॥੯॥੪॥ नानक साचे साचि समावै ॥९॥४॥ परम सत्य में ही विलीन हो जाता है॥ ६ ॥ ४॥
ਰਾਮਕਲੀ ਮਹਲਾ ੧ ॥ रामकली महला १ ॥ राग रामकली, प्रथम गुरु: १ ॥
ਹਠੁ ਨਿਗ੍ਰਹੁ ਕਰਿ ਕਾਇਆ ਛੀਜੈ ॥ हठु निग्रहु करि काइआ छीजै ॥ हठयोग की क्रिया एवं इन्द्रियों को निग्रह करने से काया क्षीण हो जाती है।
ਵਰਤੁ ਤਪਨੁ ਕਰਿ ਮਨੁ ਨਹੀ ਭੀਜੈ ॥ वरतु तपनु करि मनु नही भीजै ॥ व्रत-उपवास एवं तपस्या करने से भी मन संतुष्ट नहीं होता।
ਰਾਮ ਨਾਮ ਸਰਿ ਅਵਰੁ ਨ ਪੂਜੈ ॥੧॥ राम नाम सरि अवरु न पूजै ॥१॥ भक्तिपूर्वक राम-नाम लेना सर्वश्रेष्ठ कर्म है; इसके समकक्ष कोई अन्य कार्य नहीं।॥ १॥
ਗੁਰੁ ਸੇਵਿ ਮਨਾ ਹਰਿ ਜਨ ਸੰਗੁ ਕੀਜੈ ॥ गुरु सेवि मना हरि जन संगु कीजै ॥ हे मन ! गुरु वचनों का अनुसरण करो और भक्तजनों की संगति करो।
ਜਮੁ ਜੰਦਾਰੁ ਜੋਹਿ ਨਹੀ ਸਾਕੈ ਸਰਪਨਿ ਡਸਿ ਨ ਸਕੈ ਹਰਿ ਕਾ ਰਸੁ ਪੀਜੈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ जमु जंदारु जोहि नही साकै सरपनि डसि न सकै हरि का रसु पीजै ॥१॥ रहाउ ॥ हरि नाम का अमृत पीने से निर्दयी यमदूत भी पास नहीं आते और माया रूपी नागिन भी डंक नहीं मार सकती ॥ १॥ रहाउ॥
ਵਾਦੁ ਪੜੈ ਰਾਗੀ ਜਗੁ ਭੀਜੈ ॥ वादु पड़ै रागी जगु भीजै ॥ यह संसार धर्मशास्त्रों को तर्क-वितर्क के लिए पढ़ता है, पर मन माया के सुखों में ही उलझा रहता है।
ਤ੍ਰੈ ਗੁਣ ਬਿਖਿਆ ਜਨਮਿ ਮਰੀਜੈ ॥ त्रै गुण बिखिआ जनमि मरीजै ॥ त्रिगुणात्मक माया रूपी विष में पड़कर जीव जन्मता-मरता रहता है और
ਰਾਮ ਨਾਮ ਬਿਨੁ ਦੂਖੁ ਸਹੀਜੈ ॥੨॥ राम नाम बिनु दूखु सहीजै ॥२॥ राम-नाम के बिना बड़ा दुःख सहन करता है॥ २।
ਚਾੜਸਿ ਪਵਨੁ ਸਿੰਘਾਸਨੁ ਭੀਜੈ ॥ चाड़सि पवनु सिंघासनु भीजै ॥ प्रबल साधना में लीन योगी जब प्राण को भ्रूमध्य तक उठाता है, तब उसके तप की उष्मा पसीने में परिवर्तित होकर आसन को नम कर देती है।
ਨਿਉਲੀ ਕਰਮ ਖਟੁ ਕਰਮ ਕਰੀਜੈ ॥ निउली करम खटु करम करीजै ॥ वह आत्मा की शुद्धि हेतु नियोली कर्म और छह योगाभ्यासों का पालन करते हैं।
ਰਾਮ ਨਾਮ ਬਿਨੁ ਬਿਰਥਾ ਸਾਸੁ ਲੀਜੈ ॥੩॥ राम नाम बिनु बिरथा सासु लीजै ॥३॥ परन्तु राम नाम का स्मरण किए बिना प्रत्येक श्वास लेना व्यर्थ है। ३॥
ਅੰਤਰਿ ਪੰਚ ਅਗਨਿ ਕਿਉ ਧੀਰਜੁ ਧੀਜੈ ॥ अंतरि पंच अगनि किउ धीरजु धीजै ॥ जब अन्तर्मन में काम-क्रोध इत्यादि पाँच विकारों की अग्नि जलती रहती है तो कैसे धैर्य मिल सकता है।
ਅੰਤਰਿ ਚੋਰੁ ਕਿਉ ਸਾਦੁ ਲਹੀਜੈ ॥ अंतरि चोरु किउ सादु लहीजै ॥ अन्तर्मन में कामादिक चौरों का वास है, फिर जीवन का कैसे स्वाद मिल सकता है ?"
ਗੁਰਮੁਖਿ ਹੋਇ ਕਾਇਆ ਗੜੁ ਲੀਜੈ ॥੪॥ गुरमुखि होइ काइआ गड़ु लीजै ॥४॥ इसलिए गुरु के उपदेशों का अनुसरण करो और शरीर के किले में बसे विद्रोही मन को परास्त करो। ४॥
ਅੰਤਰਿ ਮੈਲੁ ਤੀਰਥ ਭਰਮੀਜੈ ॥ अंतरि मैलु तीरथ भरमीजै ॥ अपने मन में अहंकार और पापों की गंदगी लेकर हम तीर्थ स्थानों पर भटकते रहते हैं।
ਮਨੁ ਨਹੀ ਸੂਚਾ ਕਿਆ ਸੋਚ ਕਰੀਜੈ ॥ मनु नही सूचा किआ सोच करीजै ॥ यदि मन ही शुद्ध नहीं तो अनुष्ठान करने से क्या अभिप्राय है ?
ਕਿਰਤੁ ਪਇਆ ਦੋਸੁ ਕਾ ਕਉ ਦੀਜੈ ॥੫॥ किरतु पइआ दोसु का कउ दीजै ॥५॥ प्रत्येक व्यक्ति अपने पूर्व कर्मों का फल भोगता है; ऐसे में और किसे दोषी ठहराया जा सकता है? ॥ ५ ॥
ਅੰਨੁ ਨ ਖਾਹਿ ਦੇਹੀ ਦੁਖੁ ਦੀਜੈ ॥ अंनु न खाहि देही दुखु दीजै ॥ जो भोजन नहीं करता, उपवास रखता है। वह तो अपने शरीर को कष्ट ही देता है।
ਬਿਨੁ ਗੁਰ ਗਿਆਨ ਤ੍ਰਿਪਤਿ ਨਹੀ ਥੀਜੈ ॥ बिनु गुर गिआन त्रिपति नही थीजै ॥ गुरु के ज्ञान बिना जीव की तृप्ति नहीं होती और
ਮਨਮੁਖਿ ਜਨਮੈ ਜਨਮਿ ਮਰੀਜੈ ॥੬॥ मनमुखि जनमै जनमि मरीजै ॥६॥ स्वेच्छाचारी जीव आवागमन के चक्र में पड़कर जन्मता मरता रहता है॥ ६ ॥
ਸਤਿਗੁਰ ਪੂਛਿ ਸੰਗਤਿ ਜਨ ਕੀਜੈ ॥ सतिगुर पूछि संगति जन कीजै ॥ सतगुरु की शिक्षा ग्रहण करते हुए हमें भक्तजनों की संगति करनी चाहिए।
ਮਨੁ ਹਰਿ ਰਾਚੈ ਨਹੀ ਜਨਮਿ ਮਰੀਜੈ ॥ मनु हरि राचै नही जनमि मरीजै ॥ यदि मन परमात्मा में लीन रहे तो वह जन्म-मरण से छूट जाता है।
ਰਾਮ ਨਾਮ ਬਿਨੁ ਕਿਆ ਕਰਮੁ ਕੀਜੈ ॥੭॥ राम नाम बिनु किआ करमु कीजै ॥७॥ राम-नाम का सिमरन किए बिना अन्य धर्म-कर्म करने का कोई लाभ नहीं है॥ ७ ॥
ਊਂਦਰ ਦੂੰਦਰ ਪਾਸਿ ਧਰੀਜੈ ॥ ऊंदर दूंदर पासि धरीजै ॥ हमें अपने मन से सभी संदेह और बुरे विचारों को जो अंतःकरण में चूहे की तरह शोर मचाते है उन्हें त्याग देना चाहिए।
ਧੁਰ ਕੀ ਸੇਵਾ ਰਾਮੁ ਰਵੀਜੈ ॥ धुर की सेवा रामु रवीजै ॥ हमें प्रेमपूर्वक ईश्वर का स्मरण करना चाहिए, जिसकी सेवा हमें आरंभ से ही सौंपी गई है।
ਨਾਨਕ ਨਾਮੁ ਮਿਲੈ ਕਿਰਪਾ ਪ੍ਰਭ ਕੀਜੈ ॥੮॥੫॥ नानक प्रार्थना करते हैं कि हे प्रभु ! ऐसी कृपा करो केि मुझे नाम का दान मिल जाए ॥ ८ ॥ ५॥
ਰਾਮਕਲੀ ਮਹਲਾ ੧ ॥ रामकली महला १ ॥
ਅੰਤਰਿ ਉਤਭੁਜੁ ਅਵਰੁ ਨ ਕੋਈ ॥ परमात्मा के अलावा अन्य कोई भी वनस्पति इत्यादि जीवों की उत्पति करने वाला नहीं
ਜੋ ਕਹੀਐ ਸੋ ਪ੍ਰਭ ਤੇ ਹੋਈ ॥ जिस वस्तु का भी कथन किया जाए, वह प्रभु से ही पैदा हुई है।
ਜੁਗਹ ਜੁਗੰਤਰਿ ਸਾਹਿਬੁ ਸਚੁ ਸੋਈ ॥ युग-युगान्तरों से एक परमेश्वर ही सत्य है,
ਉਤਪਤਿ ਪਰਲਉ ਅਵਰੁ ਨ ਕੋਈ ॥੧॥ विश्व की उत्पति एवं प्रलय करने वाला उसके अतिरिक्त कोई नहीं है।॥ १॥
ਐਸਾ ਮੇਰਾ ਠਾਕੁਰੁ ਗਹਿਰ ਗੰਭੀਰੁ ॥ मेरा ठाकुर ऐसा गहन-गंभीर है,
ਜਿਨਿ ਜਪਿਆ ਤਿਨ ਹੀ ਸੁਖੁ ਪਾਇਆ ਹਰਿ ਕੈ ਨਾਮਿ ਨ ਲਗੈ ਜਮ ਤੀਰੁ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ जिसने भी उसका जाप किया है, उसे ही सुख उपलब्ध हुआ है। हरि का नाम-स्मरण करने से यम का तीर नहीं लगता॥ १॥ रहाउ॥
ਨਾਮੁ ਰਤਨੁ ਹੀਰਾ ਨਿਰਮੋਲੁ ॥ प्रभु का नाम अमूल्य रत्न एवं हीरा है,
ਸਾਚਾ ਸਾਹਿਬੁ ਅਮਰੁ ਅਤੋਲੁ ॥ वह सच्चा मालिक अमर एवं अतुलनीय है।
ਜਿਹਵਾ ਸੂਚੀ ਸਾਚਾ ਬੋਲੁ ॥ उसकी जिह्म शुद्ध एवं वचन सत्य है।
ਘਰਿ ਦਰਿ ਸਾਚਾ ਨਾਹੀ ਰੋਲੁ ॥੨॥ उसका घर द्वार सदैव सत्य है और कोई अस्त-व्यस्तता नहीं है॥ २ ॥
ਇਕਿ ਬਨ ਮਹਿ ਬੈਸਹਿ ਡੂਗਰਿ ਅਸਥਾਨੁ ॥ कोई जगलों में जाकर बैठता है तो कोई पहाड़ों में गुफा इत्यादि स्थान पर बैठ जाता है।
ਨਾਮੁ ਬਿਸਾਰਿ ਪਚਹਿ ਅਭਿਮਾਨੁ ॥ ऐसे व्यक्ति नाम को भुलाकर अभिमान में पीडित होते हैं।
ਨਾਮ ਬਿਨਾ ਕਿਆ ਗਿਆਨ ਧਿਆਨੁ ॥ परमात्मा के नाम बिना ज्ञान-ध्यान का कोई महत्व नहीं।
ਗੁਰਮੁਖਿ ਪਾਵਹਿ ਦਰਗਹਿ ਮਾਨੁ ॥੩॥ गुरमुख ही सत्य के दरबार में शोभा का पात्र बनता है॥ ३॥
ਹਠੁ ਅਹੰਕਾਰੁ ਕਰੈ ਨਹੀ ਪਾਵੈ ॥ जो व्यक्ति हठ एवं अहंकार करता है, उसे सत्य की प्राप्ति नहीं होती।
ਪਾਠ ਪੜੈ ਲੇ ਲੋਕ ਸੁਣਾਵੈ ॥ कोई धार्मिक ग्रंथों का पाठ पढ़कर लोगों को सुनाता है एवं


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