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ਮੇਰੀ ਮੇਰੀ ਕੈਰਉ ਕਰਤੇ ਦੁਰਜੋਧਨ ਸੇ ਭਾਈ ॥
जिनके भाई दुर्योधन जैसे पराक्रमी शूरवीर थे, वे कौरव भी अहंकार में आकर ‘मेरी-मेरी' करते थे।
ਬਾਰਹ ਜੋਜਨ ਛਤ੍ਰੁ ਚਲੈ ਥਾ ਦੇਹੀ ਗਿਰਝਨ ਖਾਈ ॥੨॥
जिस दुर्योधन का साम्राज्य बारह योजन तक फैला हुआ था, उसकी मृतक देह को भी गिद्धों ने अपना भक्षण बनाया॥२॥
ਸਰਬ ਸੋੁਇਨ ਕੀ ਲੰਕਾ ਹੋਤੀ ਰਾਵਨ ਸੇ ਅਧਿਕਾਈ ॥
महाबली लंकापति रावण की सारी लंका सोने की बनी हुई थी
ਕਹਾ ਭਇਓ ਦਰਿ ਬਾਂਧੇ ਹਾਥੀ ਖਿਨ ਮਹਿ ਭਈ ਪਰਾਈ ॥੩॥
परन्तु उसके द्वार पर बंधे हुए हाथी भी उसके किसी काम नहीं आए और क्षण भर में ही उसकी सारी लंका पराई हो गई॥३॥
ਦੁਰਬਾਸਾ ਸਿਉ ਕਰਤ ਠਗਉਰੀ ਜਾਦਵ ਏ ਫਲ ਪਾਏ ॥
दुर्वासा ऋषि से कपट करके यादवों ने यह फल प्राप्त किया कि उसके श्राप देने से उनके समूचे वंश का ही सर्वनाश हो गया।
ਕ੍ਰਿਪਾ ਕਰੀ ਜਨ ਅਪੁਨੇ ਊਪਰ ਨਾਮਦੇਉ ਹਰਿ ਗੁਨ ਗਾਏ ॥੪॥੧॥
भगवान ने स्वयं ही अपने भक्त पर कृपा की है और नामदेव अब भगवान का ही गुणगान करता रहता है ॥४॥१॥
ਦਸ ਬੈਰਾਗਨਿ ਮੋਹਿ ਬਸਿ ਕੀਨ੍ਹ੍ਹੀ ਪੰਚਹੁ ਕਾ ਮਿਟ ਨਾਵਉ ॥
मैंने अपनी दसों इन्द्रियों को अपने नियन्त्रण में कर लिया है और मन में से मेरे पाँचों शत्रु काम, क्रोध, लालच, मोह एवं अहंकार का तो नामोनिशान ही मिट गया है।
ਸਤਰਿ ਦੋਇ ਭਰੇ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਸਰਿ ਬਿਖੁ ਕਉ ਮਾਰਿ ਕਢਾਵਉ ॥੧॥
मैंने अपने शरीर के सरोवरों को नामामृत से भर लिया है एवं विष रूपी विषय-विकारों का दमन करके बाहर निकाल दिया है॥१॥
ਪਾਛੈ ਬਹੁਰਿ ਨ ਆਵਨੁ ਪਾਵਉ ॥
अब मैं इन विकारों को वापिस नहीं आने दूँगा।
ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਬਾਣੀ ਘਟ ਤੇ ਉਚਰਉ ਆਤਮ ਕਉ ਸਮਝਾਵਉ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
अब मैं एकाग्रचित होकर अमृत वाणी का ही उच्चारण करता रहता हूँ और अपनी आत्मा को इसी कार्य में लगे रहने का उपदेश देता रहता हूँ॥१॥ रहाउ॥
ਬਜਰ ਕੁਠਾਰੁ ਮੋਹਿ ਹੈ ਛੀਨਾਂ ਕਰਿ ਮਿੰਨਤਿ ਲਗਿ ਪਾਵਉ ॥
मैं निवेदन करके गुरु के चरणों में लग गया हूँ और नाम रूपी वज्र कुठार से मोह को नाश कर दिया है।
ਸੰਤਨ ਕੇ ਹਮ ਉਲਟੇ ਸੇਵਕ ਭਗਤਨ ਤੇ ਡਰਪਾਵਉ ॥੨॥
मैं संसार की तरफ से विमुख होकर संतों का सेवक बन गया हूँ और भक्तों का भय अपने मन में रखने लग गया हूँ॥२॥
ਇਹ ਸੰਸਾਰ ਤੇ ਤਬ ਹੀ ਛੂਟਉ ਜਉ ਮਾਇਆ ਨਹ ਲਪਟਾਵਉ ॥
इस संसार के बन्धनों से मैं तभी मुक्त होऊँगा यदि मैं माया के साथ संलग्न नहीं होऊँगा।
ਮਾਇਆ ਨਾਮੁ ਗਰਭ ਜੋਨਿ ਕਾ ਤਿਹ ਤਜਿ ਦਰਸਨੁ ਪਾਵਉ ॥੩॥
माया तो उस शक्ति का नाम है, जो जीवों को गर्भ-योनि में भटकाती रहती है और इसका त्याग करके ही में भगवान के दर्शन प्राप्त कर सकता हूँ॥३॥
ਇਤੁ ਕਰਿ ਭਗਤਿ ਕਰਹਿ ਜੋ ਜਨ ਤਿਨ ਭਉ ਸਗਲ ਚੁਕਾਈਐ ॥
जो व्यक्ति इस प्रकार अर्थात् माया का त्याग करके भक्ति करते है, उनका जन्म-मरण का सारा भय दूर हो जाता है।
ਕਹਤ ਨਾਮਦੇਉ ਬਾਹਰਿ ਕਿਆ ਭਰਮਹੁ ਇਹ ਸੰਜਮ ਹਰਿ ਪਾਈਐ ॥੪॥੨॥
नामदेव जी का कथन है कि हे भाई ! भगवान को ढूंढने के लिए बाहर वनों में क्यों भटकते हो ? क्योंकि उपरोक्त विधि द्वारा वह तो हृदय-घर में ही प्राप्त हो जाता है। ॥४॥२॥
ਮਾਰਵਾੜਿ ਜੈਸੇ ਨੀਰੁ ਬਾਲਹਾ ਬੇਲਿ ਬਾਲਹਾ ਕਰਹਲਾ ॥
मारवाड़ देश में जैसे जल प्यारा होता है और ऊँट को लता प्यारी लगती है।
ਜਿਉ ਕੁਰੰਕ ਨਿਸਿ ਨਾਦੁ ਬਾਲਹਾ ਤਿਉ ਮੇਰੈ ਮਨਿ ਰਾਮਈਆ ॥੧॥
जैसे मृग को रात्रिकाल में ध्वनि मधुर लगती है, वैसे ही मेरे मन में मुझे राम बहुत प्यारा लगता है॥१॥
ਤੇਰਾ ਨਾਮੁ ਰੂੜੋ ਰੂਪੁ ਰੂੜੋ ਅਤਿ ਰੰਗ ਰੂੜੋ ਮੇਰੋ ਰਾਮਈਆ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
हे मेरे राम ! तेरा नाम बहुत सुन्दर है, तेरा रूप सुन्दर है और तेरा रंग भी अति सुन्दर है॥१॥ रहाउ ॥
ਜਿਉ ਧਰਣੀ ਕਉ ਇੰਦ੍ਰੁ ਬਾਲਹਾ ਕੁਸਮ ਬਾਸੁ ਜੈਸੇ ਭਵਰਲਾ ॥
जैसे धरती को बादल प्यारा लगता है, भंवरे को जैसे फूलों की महक प्यारी लगती है और
ਜਿਉ ਕੋਕਿਲ ਕਉ ਅੰਬੁ ਬਾਲਹਾ ਤਿਉ ਮੇਰੈ ਮਨਿ ਰਾਮਈਆ ॥੨॥
कोयल जैसे आम अति प्रिय है, वैसे ही मेरे मन में मुझे राम अति प्रिय है॥२॥
ਚਕਵੀ ਕਉ ਜੈਸੇ ਸੂਰੁ ਬਾਲਹਾ ਮਾਨ ਸਰੋਵਰ ਹੰਸੁਲਾ ॥
जैसे चकवी को सूर्य प्रिय होता है और हंस को मानसरोवर प्रिय होता है।
ਜਿਉ ਤਰੁਣੀ ਕਉ ਕੰਤੁ ਬਾਲਹਾ ਤਿਉ ਮੇਰੈ ਮਨਿ ਰਾਮਈਆ ॥੩॥
जैसे युवती को अपना पति बहुत प्यारा है, वैसे ही मेरे मन को राम बड़ा प्रिय है॥ ३॥
ਬਾਰਿਕ ਕਉ ਜੈਸੇ ਖੀਰੁ ਬਾਲਹਾ ਚਾਤ੍ਰਿਕ ਮੁਖ ਜੈਸੇ ਜਲਧਰਾ ॥
जैसे बालक का दूध से अत्याधिक प्रेम होता जैसे पपीहे को मुंह में स्वाति बूंद की धारा बहुत प्यारी होती है।
ਮਛੁਲੀ ਕਉ ਜੈਸੇ ਨੀਰੁ ਬਾਲਹਾ ਤਿਉ ਮੇਰੈ ਮਨਿ ਰਾਮਈਆ ॥੪॥
जैसे मछली का जल से है, वैसे ही मेरे मन में राम से बहुत प्रेम है॥ ४॥
ਸਾਧਿਕ ਸਿਧ ਸਗਲ ਮੁਨਿ ਚਾਹਹਿ ਬਿਰਲੇ ਕਾਹੂ ਡੀਠੁਲਾ ॥
तमाम साधक, सिद्ध एवं मुनिजन राम के दर्शन करने की अभिलाषा करते हैं परन्तु किसी विरले को ही उसके दर्शन प्राप्त होते हैं।
ਸਗਲ ਭਵਣ ਤੇਰੋ ਨਾਮੁ ਬਾਲਹਾ ਤਿਉ ਨਾਮੇ ਮਨਿ ਬੀਠੁਲਾ ॥੫॥੩॥
हे राम ! जैसे तीन लोकों के जीवों को तेरा नाम बहुत प्यारा है, वैसे ही नामदेव के मन को बिट्टल भगवान बहुत प्यारा है॥ ५॥ ३॥
ਪਹਿਲ ਪੁਰੀਏ ਪੁੰਡਰਕ ਵਨਾ ॥
सर्वप्रथम विष्णु जी की नाभि से कमल पैदा हुआ, फिर उस कमल में से ब्रह्मा जी पैदा हुए और
ਤਾ ਚੇ ਹੰਸਾ ਸਗਲੇ ਜਨਾਂ ॥
फिर इस जगत के समस्त जीव ब्रह्मा जी से उत्पन्न हुए हैं।
ਕ੍ਰਿਸ੍ਨਾ ਤੇ ਜਾਨਊ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਚੰਤੀ ਨਾਚਨਾ ॥੧॥
आदिपुरुष परमात्मा की पैदा की हुई सृष्टि माया में फँसकर जीवन रूपी नृत्य कर रही है॥१॥
ਪਹਿਲ ਪੁਰਸਾਬਿਰਾ ॥
सर्वप्रथम आदिपुरुष परमात्मा प्रगट हुआ और
ਅਥੋਨ ਪੁਰਸਾਦਮਰਾ ॥
फिर आदिपुरुष से प्रकृति पैदा हुई।
ਅਸਗਾ ਅਸ ਉਸਗਾ ॥
यह सारी सृष्टि इस प्रकृति एवं उस आदिपुरुष दोनों के सम्मिलन से रची हुई है।
ਹਰਿ ਕਾ ਬਾਗਰਾ ਨਾਚੈ ਪਿੰਧੀ ਮਹਿ ਸਾਗਰਾ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
यह जगत भगवान का एक सुन्दर उपवन है, जिसमें जीव यू नृत्य करते हैं जैसे कुएँ की रहटों में पानी नृत्य करता है ॥१॥ रहाउ ॥
ਨਾਚੰਤੀ ਗੋਪੀ ਜੰਨਾ ॥
स्त्री एवं पुरुष नृत्य कर रहे हैं।
ਨਈਆ ਤੇ ਬੈਰੇ ਕੰਨਾ ॥
इस जग में जीवों से नृत्य कराने वाला परमेश्वर के सिवाय अन्य कोई नहीं है।
ਤਰਕੁ ਨ ਚਾ ॥ ਭ੍ਰਮੀਆ ਚਾ ॥
तर्क करने से भ्रम उत्पन्न होता है।
ਕੇਸਵਾ ਬਚਉਨੀ ਅਈਏ ਮਈਏ ਏਕ ਆਨ ਜੀਉ ॥੨॥
प्रभु का वचन है कि इस जगत में एक मैं ही हूँ और एक मैं ही अन्य सब रूपों में विद्यमान हो रहा हूँ ॥२॥