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ਲਿਖੇ ਬਾਝਹੁ ਸੁਰਤਿ ਨਾਹੀ ਬੋਲਿ ਬੋਲਿ ਗਵਾਈਐ ॥
लिखे बाझहु सुरति नाही बोलि बोलि गवाईऐ ॥
किन्तु पूर्वनिर्धारित भाग्य के बिना कोई भी आत्मिक रूप से उन्नति नहीं कर सकता; केवल दिव्य ज्ञान की चर्चा करना निरर्थक है।
ਜਿਥੈ ਜਾਇ ਬਹੀਐ ਭਲਾ ਕਹੀਐ ਸੁਰਤਿ ਸਬਦੁ ਲਿਖਾਈਐ ॥
जिथै जाइ बहीऐ भला कहीऐ सुरति सबदु लिखाईऐ ॥
जहाँ भी जाकर हम बैठते हैं, वहाँ शुभ गुणों की बातें करनी चाहिए और परमात्मा के नाम को हृदय में अंकित करना चाहिए।
ਕਾਇਆ ਕੂੜਿ ਵਿਗਾੜਿ ਕਾਹੇ ਨਾਈਐ ॥੧॥
काइआ कूड़ि विगाड़ि काहे नाईऐ ॥१॥
झूठ से दूषित किए हुए शरीर को स्नान करवाने का क्या अभिप्राय है ?॥ १॥
ਤਾ ਮੈ ਕਹਿਆ ਕਹਣੁ ਜਾ ਤੁਝੈ ਕਹਾਇਆ ॥
ता मै कहिआ कहणु जा तुझै कहाइआ ॥
हे हरि ! मैं आपकी स्तुति तभी कर सका जब आपने मुझे भक्ति के लिए प्रेरित किया।
ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਮੇਰੈ ਮਨਿ ਭਾਇਆ ॥
अम्रितु हरि का नामु मेरै मनि भाइआ ॥
हरि का अमृत नाम मेरे मन को अच्छा लगा है।
ਨਾਮੁ ਮੀਠਾ ਮਨਹਿ ਲਾਗਾ ਦੂਖਿ ਡੇਰਾ ਢਾਹਿਆ ॥
नामु मीठा मनहि लागा दूखि डेरा ढाहिआ ॥
हरि-नाम मेरे मन को मधुर लगा है और इसने मेरे दु:खों के घर को ध्वस्त कर दिया है।
ਸੂਖੁ ਮਨ ਮਹਿ ਆਇ ਵਸਿਆ ਜਾਮਿ ਤੈ ਫੁਰਮਾਇਆ ॥
सूखु मन महि आइ वसिआ जामि तै फुरमाइआ ॥
हे प्रभु, जब आपने अपना आदेश दिया, तभी से मेरे अंतर्मन में आध्यात्मिक शांति प्रस्फुटित हुई।
ਨਦਰਿ ਤੁਧੁ ਅਰਦਾਸਿ ਮੇਰੀ ਜਿੰਨਿ ਆਪੁ ਉਪਾਇਆ ॥
नदरि तुधु अरदासि मेरी जिंनि आपु उपाइआ ॥
हे प्रभु, आप ही इस संपूर्ण जगत के रचयिता हैं; मैं आपसे प्रार्थना भी तभी कर पाता हूँ जब आपकी कृपा से भीतर से प्रेरणा मिलती है।
ਤਾ ਮੈ ਕਹਿਆ ਕਹਣੁ ਜਾ ਤੁਝੈ ਕਹਾਇਆ ॥੨॥
ता मै कहिआ कहणु जा तुझै कहाइआ ॥२॥
हे हरि ! जब आपने मुझसे कहलाया तो ही मैंने यह सब आपकी महिमा की है॥ २॥
ਵਾਰੀ ਖਸਮੁ ਕਢਾਏ ਕਿਰਤੁ ਕਮਾਵਣਾ ॥
वारी खसमु कढाए किरतु कमावणा ॥
शुभाशुभ कर्मों के अनुसार परमात्मा जीव को अमूल्य मनुष्य जन्म का अवसर देता है।
ਮੰਦਾ ਕਿਸੈ ਨ ਆਖਿ ਝਗੜਾ ਪਾਵਣਾ ॥
मंदा किसै न आखि झगड़ा पावणा ॥
इसलिए किसी को भी बुरा कहकर झगड़ा नहीं खड़ा करना चाहिए।
ਨਹ ਪਾਇ ਝਗੜਾ ਸੁਆਮਿ ਸੇਤੀ ਆਪਿ ਆਪੁ ਵਞਾਵਣਾ ॥
नह पाइ झगड़ा सुआमि सेती आपि आपु वञावणा ॥
अपने स्वामी से झगड़ा करके संकट उत्पन्न मत कर, क्योंकि इससे अपने आपको पूर्णतया नष्ट करना ही है।
ਜਿਸੁ ਨਾਲਿ ਸੰਗਤਿ ਕਰਿ ਸਰੀਕੀ ਜਾਇ ਕਿਆ ਰੂਆਵਣਾ ॥
जिसु नालि संगति करि सरीकी जाइ किआ रूआवणा ॥
जिस ईश्वर के चरणों में स्थान चाहिए, उसी से विरोध करके आंसू बहाना कैसी विडंबना है?
ਜੋ ਦੇਇ ਸਹਣਾ ਮਨਹਿ ਕਹਣਾ ਆਖਿ ਨਾਹੀ ਵਾਵਣਾ ॥
जो देइ सहणा मनहि कहणा आखि नाही वावणा ॥
परमेश्वर जो सुख-दुख प्रदान करता है, उसे खुशी-खुशी मानना चाहिए और अपने मन को समझाना चाहिए कि निरर्थक ही डांवाडोल न हो।
ਵਾਰੀ ਖਸਮੁ ਕਢਾਏ ਕਿਰਤੁ ਕਮਾਵਣਾ ॥੩॥
वारी खसमु कढाए किरतु कमावणा ॥३॥
किए हुए शुभाशुभ कर्मों के अनुसार ही परमात्मा जीव को अमूल्य मनुष्य जन्म का अवसर प्रदान करता है॥ ३॥
ਸਭ ਉਪਾਈਅਨੁ ਆਪਿ ਆਪੇ ਨਦਰਿ ਕਰੇ ॥
सभ उपाईअनु आपि आपे नदरि करे ॥
परमात्मा ने आप ही समूचे जगत् का निर्माण किया है और आप ही सब पर कृपा-दृष्टि करते है।
ਕਉੜਾ ਕੋਇ ਨ ਮਾਗੈ ਮੀਠਾ ਸਭ ਮਾਗੈ ॥
कउड़ा कोइ न मागै मीठा सभ मागै ॥
कोई भी प्राणी दुःख नहीं माँगता और सभी सुख ही माँगते हैं।
ਸਭੁ ਕੋਇ ਮੀਠਾ ਮੰਗਿ ਦੇਖੈ ਖਸਮ ਭਾਵੈ ਸੋ ਕਰੇ ॥
सभु कोइ मीठा मंगि देखै खसम भावै सो करे ॥
हर कोई जीव चाहे सुख की ही अभिलाषा कर लें किन्तु प्रभु वही करते हैं जो उनकी इच्छा होती है।
ਕਿਛੁ ਪੁੰਨ ਦਾਨ ਅਨੇਕ ਕਰਣੀ ਨਾਮ ਤੁਲਿ ਨ ਸਮਸਰੇ ॥
किछु पुंन दान अनेक करणी नाम तुलि न समसरे ॥
दान-पुण्य एवं अनेकों धर्म-कर्म परमेश्वर के नाम के बराबर भी नहीं।
ਨਾਨਕਾ ਜਿਨ ਨਾਮੁ ਮਿਲਿਆ ਕਰਮੁ ਹੋਆ ਧੁਰਿ ਕਦੇ ॥
नानका जिन नामु मिलिआ करमु होआ धुरि कदे ॥
हे नानक ! जिन्हें नाम की देन प्राप्त हुई है, उन्हें प्रारम्भ से ही कभी उसका कर्म हुआ है।
ਸਭ ਉਪਾਈਅਨੁ ਆਪਿ ਆਪੇ ਨਦਰਿ ਕਰੇ ॥੪॥੧॥
सभ उपाईअनु आपि आपे नदरि करे ॥४॥१॥
परमात्मा ने आप ही सारी दुनिया को पैदा किया है और आप ही सब पर कृपा-दृष्टि करता है॥॥४॥१॥
ਵਡਹੰਸੁ ਮਹਲਾ ੧ ॥
वडहंसु महला १ ॥
राग वदाहंस, प्रथम गुरु: १ ॥
ਕਰਹੁ ਦਇਆ ਤੇਰਾ ਨਾਮੁ ਵਖਾਣਾ ॥
करहु दइआ तेरा नामु वखाणा ॥
हे परमात्मा ! मुझ पर दया करो, ताकि आपके नाम का जाप करता रहूँ।
ਸਭ ਉਪਾਈਐ ਆਪਿ ਆਪੇ ਸਰਬ ਸਮਾਣਾ ॥
सभ उपाईऐ आपि आपे सरब समाणा ॥
आपने स्वयं ही सारी दुनिया पैदा की है और स्वयं ही सब जीवों में समाए हुए हैं।
ਸਰਬੇ ਸਮਾਣਾ ਆਪਿ ਤੂਹੈ ਉਪਾਇ ਧੰਧੈ ਲਾਈਆ ॥
सरबे समाणा आपि तूहै उपाइ धंधै लाईआ ॥
आप स्वयं ही सब जीवों में विद्यमान है और आपने ही उन्हें पैदा करके जगत के धंधों में लगाया हुआ है।
ਇਕਿ ਤੁਝ ਹੀ ਕੀਏ ਰਾਜੇ ਇਕਨਾ ਭਿਖ ਭਵਾਈਆ ॥
इकि तुझ ही कीए राजे इकना भिख भवाईआ ॥
किसी को आपने स्वयं ही बादशाह बनाया हुआ है और किसी को भिखारी बनाकर दर-दर पर भिक्षा माँगने के लिए भटका रहे हैं।
ਲੋਭੁ ਮੋਹੁ ਤੁਝੁ ਕੀਆ ਮੀਠਾ ਏਤੁ ਭਰਮਿ ਭੁਲਾਣਾ ॥
लोभु मोहु तुझु कीआ मीठा एतु भरमि भुलाणा ॥
लोभ एवं मोह को रचकर इतना मीठा बना दिया है कि इस भ्रम में फँसकर दुनिया भटक रही है।
ਸਦਾ ਦਇਆ ਕਰਹੁ ਅਪਣੀ ਤਾਮਿ ਨਾਮੁ ਵਖਾਣਾ ॥੧॥
सदा दइआ करहु अपणी तामि नामु वखाणा ॥१॥
हे प्रभु ! मुझ पर सर्वदा ही दया करो, चूंकि आपके नाम का जाप करता रहूँ॥ १॥
ਨਾਮੁ ਤੇਰਾ ਹੈ ਸਾਚਾ ਸਦਾ ਮੈ ਮਨਿ ਭਾਣਾ ॥
नामु तेरा है साचा सदा मै मनि भाणा ॥
हे जगत् के रचयिता ! आपका नाम सदा सत्य है और यह हमेशा ही मेरे मन को भला लगता है।
ਦੂਖੁ ਗਇਆ ਸੁਖੁ ਆਇ ਸਮਾਣਾ ॥
दूखु गइआ सुखु आइ समाणा ॥
मेरा दुःख नाश हो गया है तथा सुख मेरे हृदय में आकर समा गया है।
ਗਾਵਨਿ ਸੁਰਿ ਨਰ ਸੁਘੜ ਸੁਜਾਣਾ ॥
गावनि सुरि नर सुघड़ सुजाणा ॥
हे परमेश्वर ! देवता, मनुष्य, विद्वान एवं बुद्धिमान मनुष्य आपका ही गुणगान करते हैं।
ਸੁਰਿ ਨਰ ਸੁਘੜ ਸੁਜਾਣ ਗਾਵਹਿ ਜੋ ਤੇਰੈ ਮਨਿ ਭਾਵਹੇ ॥
सुरि नर सुघड़ सुजाण गावहि जो तेरै मनि भावहे ॥
जो आपके मन को अच्छे लगते हैं, वही देवता, नर, विद्वान एवं चतुर मनुष्य आपका यशोगान करते हैं।
ਮਾਇਆ ਮੋਹੇ ਚੇਤਹਿ ਨਾਹੀ ਅਹਿਲਾ ਜਨਮੁ ਗਵਾਵਹੇ ॥
माइआ मोहे चेतहि नाही अहिला जनमु गवावहे ॥
माया के मोह में मुग्ध हुए व्यक्ति परमात्मा को याद नहीं करते और अमूल्य जीवन व्यर्थ ही गंवा देते हैं।
ਇਕਿ ਮੂੜ ਮੁਗਧ ਨ ਚੇਤਹਿ ਮੂਲੇ ਜੋ ਆਇਆ ਤਿਸੁ ਜਾਣਾ ॥
इकि मूड़ मुगध न चेतहि मूले जो आइआ तिसु जाणा ॥
कुछ विमूढ़ एवं मूर्ख लोग कदापि ईश्वर को स्मरण नहीं करते उन्हें यह ध्यान नहीं कि जो जन्म लेकर दुनिया में आया है, उसने जीवन छोड़कर अवश्य चले जाना है।
ਨਾਮੁ ਤੇਰਾ ਸਦਾ ਸਾਚਾ ਸੋਇ ਮੈ ਮਨਿ ਭਾਣਾ ॥੨॥
नामु तेरा सदा साचा सोइ मै मनि भाणा ॥२॥
हे जगत् के मालिक ! आपका नाम सदैव सत्य है और वह मेरे मन को हमेशा मीठा लगता है ॥२॥
ਤੇਰਾ ਵਖਤੁ ਸੁਹਾਵਾ ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਤੇਰੀ ਬਾਣੀ ॥
तेरा वखतु सुहावा अम्रितु तेरी बाणी ॥
हे सच्चे परमेश्वर ! वह समय बहुत सुहावना है, जब आपकी आराधना की जाती है और आपकी वाणी अमृत समान है।
ਸੇਵਕ ਸੇਵਹਿ ਭਾਉ ਕਰਿ ਲਾਗਾ ਸਾਉ ਪਰਾਣੀ ॥
सेवक सेवहि भाउ करि लागा साउ पराणी ॥
आपके सेवक प्रेमपूर्वक आपकी सेवा-भक्ति करते हैं और उन प्राणियों को आपकी सेवा-भक्ति का स्वाद प्राप्त हुआ है।
ਸਾਉ ਪ੍ਰਾਣੀ ਤਿਨਾ ਲਾਗਾ ਜਿਨੀ ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਪਾਇਆ ॥
साउ प्राणी तिना लागा जिनी अम्रितु पाइआ ॥
केवल वही प्राणी परमात्मा की सेवा-भक्ति का स्वाद प्राप्त करते हैं, जिन्हें नामामृत की देन प्राप्त हुई है।
ਨਾਮਿ ਤੇਰੈ ਜੋਇ ਰਾਤੇ ਨਿਤ ਚੜਹਿ ਸਵਾਇਆ ॥
नामि तेरै जोइ राते नित चड़हि सवाइआ ॥
जो जीव आपके नाम में लीन हैं, वे नित्य ही प्रफुल्लित होते रहते हैं।
ਇਕੁ ਕਰਮੁ ਧਰਮੁ ਨ ਹੋਇ ਸੰਜਮੁ ਜਾਮਿ ਨ ਏਕੁ ਪਛਾਣੀ ॥
इकु करमु धरमु न होइ संजमु जामि न एकु पछाणी ॥
कुछ लोग जो एक परमात्मा को नहीं पहचानते, उनसे कर्म-धर्म एवं संयम की साधना नहीं होती।
ਵਖਤੁ ਸੁਹਾਵਾ ਸਦਾ ਤੇਰਾ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਤੇਰੀ ਬਾਣੀ ॥੩॥
वखतु सुहावा सदा तेरा अम्रित तेरी बाणी ॥३॥
हे परमेश्वर ! वह समय हमेशा सुहावना है, जब आपकी आराधना की जाती है और आपकी वाणी अमृत समान है॥ ३॥
ਹਉ ਬਲਿਹਾਰੀ ਸਾਚੇ ਨਾਵੈ ॥
हउ बलिहारी साचे नावै ॥
हे परमेश्वर ! मैं आपके सत्य-नाम पर न्यौछावर हूँ।