Guru Granth Sahib Translation Project

Guru Granth Sahib Hindi Page 540

Page 540

ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਜਪਿ ਸੁਖੁ ਪਾਇਆ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਸਭਿ ਦੂਖ ਨਿਵਾਰਣਹਾਰੋ ਰਾਮ ॥੧॥ नानक हरि जपि सुखु पाइआ मेरी जिंदुड़ीए सभि दूख निवारणहारो राम ॥१॥ नानक कहते हैं कि हे मेरी आत्मा ! हरि का जाप करने से सुख की उपलब्धि होती है, क्योंकि वह सर्व दुःख नाशक है॥ १॥
ਸਾ ਰਸਨਾ ਧਨੁ ਧੰਨੁ ਹੈ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਗੁਣ ਗਾਵੈ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭ ਕੇਰੇ ਰਾਮ ॥ सा रसना धनु धंनु है मेरी जिंदुड़ीए गुण गावै हरि प्रभ केरे राम ॥ हे मेरी आत्मा ! वह रसना धन्य-धन्य है जो भगवान् का यशोगान करती रहती है।
ਤੇ ਸ੍ਰਵਨ ਭਲੇ ਸੋਭਨੀਕ ਹਹਿ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਹਰਿ ਕੀਰਤਨੁ ਸੁਣਹਿ ਹਰਿ ਤੇਰੇ ਰਾਮ ॥ ते स्रवन भले सोभनीक हहि मेरी जिंदुड़ीए हरि कीरतनु सुणहि हरि तेरे राम ॥ वे कान भी भले तथा अति सुन्दर हैं जो भगवान् का भजन-कीर्तन सुनते रहते हैं।
ਸੋ ਸੀਸੁ ਭਲਾ ਪਵਿਤ੍ਰ ਪਾਵਨੁ ਹੈ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਜੋ ਜਾਇ ਲਗੈ ਗੁਰ ਪੈਰੇ ਰਾਮ ॥ सो सीसु भला पवित्र पावनु है मेरी जिंदुड़ीए जो जाइ लगै गुर पैरे राम ॥ वह सिर भी भला तथा पवित्र-पावन है जो गुरु के चरणों में जाकर लगता है।
ਗੁਰ ਵਿਟਹੁ ਨਾਨਕੁ ਵਾਰਿਆ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਜਿਨਿ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਚਿਤੇਰੇ ਰਾਮ ॥੨॥ गुर विटहु नानकु वारिआ मेरी जिंदुड़ीए जिनि हरि हरि नामु चितेरे राम ॥२॥ हे मेरी आत्मा ! दास नानक उस गुरु पर न्यौछावर होते हैं, जिन्होंने भगवान् का नाम याद करवाया है॥ २॥
ਤੇ ਨੇਤ੍ਰ ਭਲੇ ਪਰਵਾਣੁ ਹਹਿ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਜੋ ਸਾਧੂ ਸਤਿਗੁਰੁ ਦੇਖਹਿ ਰਾਮ ॥ ते नेत्र भले परवाणु हहि मेरी जिंदुड़ीए जो साधू सतिगुरु देखहि राम ॥ हे मेरी आत्मा! वे आँखें धन्य हैं जो सच्चे गुरु के दर्शन करके उनके दिव्य स्वरूप का अनुभव करती हैं।
ਤੇ ਹਸਤ ਪੁਨੀਤ ਪਵਿਤ੍ਰ ਹਹਿ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਜੋ ਹਰਿ ਜਸੁ ਹਰਿ ਹਰਿ ਲੇਖਹਿ ਰਾਮ ॥ ते हसत पुनीत पवित्र हहि मेरी जिंदुड़ीए जो हरि जसु हरि हरि लेखहि राम ॥ वे हाथ भी पुनीत एवं पवित्र हैं जो हरि यश एवं हरि-हरि नाम लिखते रहते हैं।
ਤਿਸੁ ਜਨ ਕੇ ਪਗ ਨਿਤ ਪੂਜੀਅਹਿ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਜੋ ਮਾਰਗਿ ਧਰਮ ਚਲੇਸਹਿ ਰਾਮ ॥ तिसु जन के पग नित पूजीअहि मेरी जिंदुड़ीए जो मारगि धरम चलेसहि राम ॥ उस भक्त के चरणों की नित्य ही पूजा करनी चाहिए, जो धर्म-मार्ग का अनुसरण करता रहता है।
ਨਾਨਕੁ ਤਿਨ ਵਿਟਹੁ ਵਾਰਿਆ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਹਰਿ ਸੁਣਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਮਨੇਸਹਿ ਰਾਮ ॥੩॥ नानकु तिन विटहु वारिआ मेरी जिंदुड़ीए हरि सुणि हरि नामु मनेसहि राम ॥३॥ हे मेरी आत्मा ! नानक उन पर न्यौछावर होता है, जो हरि-यश सुनते हैं और उसके नाम पर आस्था रखते हैं।॥ ३॥
ਧਰਤਿ ਪਾਤਾਲੁ ਆਕਾਸੁ ਹੈ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਸਭ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਧਿਆਵੈ ਰਾਮ ॥ धरति पातालु आकासु है मेरी जिंदुड़ीए सभ हरि हरि नामु धिआवै राम ॥ हे मेरी आत्मा ! धरती, पाताल तथा आकाश सभी परमात्मा के नाम की आराधना करते हैं।
ਪਉਣੁ ਪਾਣੀ ਬੈਸੰਤਰੋ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਨਿਤ ਹਰਿ ਹਰਿ ਹਰਿ ਜਸੁ ਗਾਵੈ ਰਾਮ ॥ पउणु पाणी बैसंतरो मेरी जिंदुड़ीए नित हरि हरि हरि जसु गावै राम ॥ पवन, पानी एवं अग्नि नित्य ही परमेश्वर का यश गाते रहते हैं।
ਵਣੁ ਤ੍ਰਿਣੁ ਸਭੁ ਆਕਾਰੁ ਹੈ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਮੁਖਿ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਧਿਆਵੈ ਰਾਮ ॥ वणु त्रिणु सभु आकारु है मेरी जिंदुड़ीए मुखि हरि हरि नामु धिआवै राम ॥ वन, तृण तथा सारा जगत् ही अपने मुख से ईश्वर के नाम का सिमरन करता है।
ਨਾਨਕ ਤੇ ਹਰਿ ਦਰਿ ਪੈਨ੍ਹ੍ਹਾਇਆ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਜੋ ਗੁਰਮੁਖਿ ਭਗਤਿ ਮਨੁ ਲਾਵੈ ਰਾਮ ॥੪॥੪॥ नानक ते हरि दरि पैन्हाइआ मेरी जिंदुड़ीए जो गुरमुखि भगति मनु लावै राम ॥४॥४॥ नानक कहते हैं कि हे मेरी आत्मा ! जो व्यक्ति गुरुमुख बनकर परमात्मा की भक्ति को मन में धारण करते हैं, उन्हें सत्य के दरबार में ऐश्वर्य-परिधान पहनाकर प्रतिष्ठित किया जाता है॥ ४॥ ४ ॥
ਬਿਹਾਗੜਾ ਮਹਲਾ ੪ ॥ बिहागड़ा महला ४ ॥ राग बिहाग्र, चौथे गुरु:४ ॥
ਜਿਨ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਨ ਚੇਤਿਓ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਤੇ ਮਨਮੁਖ ਮੂੜ ਇਆਣੇ ਰਾਮ ॥ जिन हरि हरि नामु न चेतिओ मेरी जिंदुड़ीए ते मनमुख मूड़ इआणे राम ॥ हे मेरी आत्मा ! जिन्होंने प्रभु के नाम को कभी याद नहीं किया, वे स्वेच्छाचारी जीव विमूढ़ तथा नासमझ हैं।
ਜੋ ਮੋਹਿ ਮਾਇਆ ਚਿਤੁ ਲਾਇਦੇ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਸੇ ਅੰਤਿ ਗਏ ਪਛੁਤਾਣੇ ਰਾਮ ॥ जो मोहि माइआ चितु लाइदे मेरी जिंदुड़ीए से अंति गए पछुताणे राम ॥ हे मेरी आत्मा ! जो व्यक्ति अपना चित्त मोह-माया में लगाते हैं, वे अंतकाल में मृत्युलोक से पश्चाताप की अग्नि में जलते हुए चले जाते हैं।
ਹਰਿ ਦਰਗਹ ਢੋਈ ਨਾ ਲਹਨ੍ਹ੍ਹਿ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਜੋ ਮਨਮੁਖ ਪਾਪਿ ਲੁਭਾਣੇ ਰਾਮ ॥ हरि दरगह ढोई ना लहन्हि मेरी जिंदुड़ीए जो मनमुख पापि लुभाणे राम ॥ जो स्वेच्छाचारी जीव पापों में अनुरक्त बने हुए हैं, उन्हें हरि के दरबार में सहारा नहीं मिलता।
ਜਨ ਨਾਨਕ ਗੁਰ ਮਿਲਿ ਉਬਰੇ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਹਰਿ ਜਪਿ ਹਰਿ ਨਾਮਿ ਸਮਾਣੇ ਰਾਮ ॥੧॥ जन नानक गुर मिलि उबरे मेरी जिंदुड़ीए हरि जपि हरि नामि समाणे राम ॥१॥ नानक कहते हैं कि हे मेरी आत्मा ! गुरु को मिलने से जीव का भवसागर से उद्धार हो जाता है तथा प्रभु के नाम का चिंतन करते हुए जीव नाम में ही समा जाता है॥ १॥
ਸਭਿ ਜਾਇ ਮਿਲਹੁ ਸਤਿਗੁਰੂ ਕਉ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਜੋ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਦ੍ਰਿੜਾਵੈ ਰਾਮ ॥ सभि जाइ मिलहु सतिगुरू कउ मेरी जिंदुड़ीए जो हरि हरि नामु द्रिड़ावै राम ॥ हे मेरी आत्मा ! तुम सभी जाकर सच्चे गुरु से मिलो, जो हरि का नाम चित्त में बसाता है।
ਹਰਿ ਜਪਦਿਆ ਖਿਨੁ ਢਿਲ ਨ ਕੀਜਈ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਮਤੁ ਕਿ ਜਾਪੈ ਸਾਹੁ ਆਵੈ ਕਿ ਨ ਆਵੈ ਰਾਮ ॥ हरि जपदिआ खिनु ढिल न कीजई मेरी जिंदुड़ीए मतु कि जापै साहु आवै कि न आवै राम ॥ हरि का नाम-स्मरण करने में क्षण भर के लिए भी देरी मत करो चूंकि क्या पता कि अग्रिम श्वास जीव को आएगी अथवा नहीं।
ਸਾ ਵੇਲਾ ਸੋ ਮੂਰਤੁ ਸਾ ਘੜੀ ਸੋ ਮੁਹਤੁ ਸਫਲੁ ਹੈ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਜਿਤੁ ਹਰਿ ਮੇਰਾ ਚਿਤਿ ਆਵੈ ਰਾਮ ॥ सा वेला सो मूरतु सा घड़ी सो मुहतु सफलु है मेरी जिंदुड़ीए जितु हरि मेरा चिति आवै राम ॥ हे मेरी आत्मा ! वह समय, मुहूर्त, घड़ी तथा पल शुभ हैं, जब मेरा परमात्मा चित्त में आ जाता है।
ਜਨ ਨਾਨਕ ਨਾਮੁ ਧਿਆਇਆ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਜਮਕੰਕਰੁ ਨੇੜਿ ਨ ਆਵੈ ਰਾਮ ॥੨॥ जन नानक नामु धिआइआ मेरी जिंदुड़ीए जमकंकरु नेड़ि न आवै राम ॥२॥ नानक कहते हैं कि हे मेरी आत्मा ! जिसने परमात्मा के नाम का सिमरन किया है, यमदूत उसके निकट नहीं आता ॥ २॥
ਹਰਿ ਵੇਖੈ ਸੁਣੈ ਨਿਤ ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਸੋ ਡਰੈ ਜਿਨਿ ਪਾਪ ਕਮਤੇ ਰਾਮ ॥ हरि वेखै सुणै नित सभु किछु मेरी जिंदुड़ीए सो डरै जिनि पाप कमते राम ॥ हे मेरी आत्मा ! भगवान् नित्य ही सब कुछ देखते एवं सुनते हैं, किंतु डरते वहीं है जो लोग पाप करते रहते हैं।
ਜਿਸੁ ਅੰਤਰੁ ਹਿਰਦਾ ਸੁਧੁ ਹੈ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਤਿਨਿ ਜਨਿ ਸਭਿ ਡਰ ਸੁਟਿ ਘਤੇ ਰਾਮ ॥ जिसु अंतरु हिरदा सुधु है मेरी जिंदुड़ीए तिनि जनि सभि डर सुटि घते राम ॥ जिस मनुष्य का हृदय शुद्ध है, वह अपने सभी भय दूर फ़ेंक देता है।
ਹਰਿ ਨਿਰਭਉ ਨਾਮਿ ਪਤੀਜਿਆ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਸਭਿ ਝਖ ਮਾਰਨੁ ਦੁਸਟ ਕੁਪਤੇ ਰਾਮ ॥ हरि निरभउ नामि पतीजिआ मेरी जिंदुड़ीए सभि झख मारनु दुसट कुपते राम ॥ हे मेरी आत्मा ! जो व्यक्ति निर्भय ईश्वर में अटूट विश्वास रखता है, वह उन दुष्ट और बुरे लोगों से नहीं डरता, जो उस पर व्यर्थ में आक्रमण करते हैं या उसे हानि पहुँचाना चाहते हैं।


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