Guru Granth Sahib Translation Project

Guru Granth Sahib Hindi Page 452

Page 452

ਪਿਰ ਰਤਿਅੜੇ ਮੈਡੇ ਲੋਇਣ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਚਾਤ੍ਰਿਕ ਬੂੰਦ ਜਿਵੈ ॥ हे मेरे प्रिय, जैसे चातक पंछी उस पहली वर्षा-बूँद के लिए चहचहाता है, वैसे ही मेरी आँखें तुम्हारे प्रेम में हर पल भीगती रहती हैं।
ਮਨੁ ਸੀਤਲੁ ਹੋਆ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਹਰਿ ਬੂੰਦ ਪੀਵੈ ॥ हे प्यारे ! हरी नाम रूपी स्वाति बूंदो का पान करने से मेरा मन शीतल हो गया है।
ਤਨਿ ਬਿਰਹੁ ਜਗਾਵੈ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਨੀਦ ਨ ਪਵੈ ਕਿਵੈ ॥ हे मेरे प्यारे ! मेरे तन में उपजा हुआ जुदाई का दर्द मुझे जगाये रखता है और किसी तरह भी मुझे नींद नहीं आती।
ਹਰਿ ਸਜਣੁ ਲਧਾ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਨਾਨਕ ਗੁਰੂ ਲਿਵੈ ॥੩॥ नानक कहते हैं, हे मेरे प्यारे ! मैंने गुरु के वचन में लीन होकर अपने भीतर में ही अपने प्यारे परमेश्वर को पा लिया है।
ਚੜਿ ਚੇਤੁ ਬਸੰਤੁ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਭਲੀਅ ਰੁਤੇ ॥ हे मेरे प्यारे ! चैत्र के माह में बसंत की सुहावनी ऋतु आ गयी है।
ਪਿਰ ਬਾਝੜਿਅਹੁ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਆਂਗਣਿ ਧੂੜਿ ਲੁਤੇ ॥ लेकिन प्रियतम प्रभु के बिना मेरे हृदय आँगन में धूल ही उड़ती है।
ਮਨਿ ਆਸ ਉਡੀਣੀ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਦੁਇ ਨੈਨ ਜੁਤੇ ॥ मेरे उदास मन में अभी भी आशा है और मेरे दोनों नेत्र उस प्रियतम का इंतजार कर रहे है।
ਗੁਰੁ ਨਾਨਕੁ ਦੇਖਿ ਵਿਗਸੀ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਜਿਉ ਮਾਤ ਸੁਤੇ ॥੪॥ नानक कहते हैं कि हे मेरे प्यारे ! अब गुरु को देखकर मेरा मन यूँ प्रसन्न हो गया है जैसे बालक अपनी माता को देखकर खिल जाता है॥ ४॥
ਹਰਿ ਕੀਆ ਕਥਾ ਕਹਾਣੀਆ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਸਤਿਗੁਰੂ ਸੁਣਾਈਆ ॥ हे मेरे प्यारे ! मेरे सच्चे गुरु ने मुझे हरि की कथा-कहानियाँ सुनाई हैं।
ਗੁਰ ਵਿਟੜਿਅਹੁ ਹਉ ਘੋਲੀ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਜਿਨਿ ਹਰਿ ਮੇਲਾਈਆ ॥ हे मेरे प्यारे ! मैं अपने गुरु पर बलिहारी जाता हूँ, जिन्होंने मुझे प्रभु से मिला दिया है।
ਸਭਿ ਆਸਾ ਹਰਿ ਪੂਰੀਆ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਮਨਿ ਚਿੰਦਿਅੜਾ ਫਲੁ ਪਾਇਆ ॥ हे मेरे प्यारे ! प्रभु ने मेरी सभी आशाएँ पूरी कर दी हैं और मुझे मनोवांछित फल प्राप्त हो गया है।
ਹਰਿ ਤੁਠੜਾ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਜਨੁ ਨਾਨਕੁ ਨਾਮਿ ਸਮਾਇਆ ॥੫॥ हे मेरे प्यारे ! जब प्रभु प्रसन्न हुए तो भक्त नानक उसके नाम में समा गए। ॥ ५॥
ਪਿਆਰੇ ਹਰਿ ਬਿਨੁ ਪ੍ਰੇਮੁ ਨ ਖੇਲਸਾ ॥ हे प्यारे ! अपने प्रियतम प्रभु के अतिरिक्त मैं किसी दूसरे से प्रेम का खेल नहीं खेलूंगा।
ਕਿਉ ਪਾਈ ਗੁਰੁ ਜਿਤੁ ਲਗਿ ਪਿਆਰਾ ਦੇਖਸਾ ॥ मैं गुरु को कैसे प्राप्त करूँ, जिसके द्वारा प्रभु के दर्शन कर सकता हूँ?
ਹਰਿ ਦਾਤੜੇ ਮੇਲਿ ਗੁਰੂ ਮੁਖਿ ਗੁਰਮੁਖਿ ਮੇਲਸਾ ॥ हे दाता हरि ! मुझे गुरु से मिला दे। केवल गुरु के द्वारा ही मैं आपसे मिल सकता हूँ।
ਗੁਰੁ ਨਾਨਕੁ ਪਾਇਆ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਧੁਰਿ ਮਸਤਕਿ ਲੇਖੁ ਸਾ ॥੬॥੧੪॥੨੧॥ नानक कहते हैं कि हे मेरे प्यारे ! मुझे गुरु प्राप्त हो गया है, क्योंकि आदि से ही माथे पर ऐसा लेख लिखा हुआ था॥ ६॥ १४॥ २१॥
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥ ईश्वर एक है, जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है।
ਰਾਗੁ ਆਸਾ ਮਹਲਾ ੫ ਛੰਤ ਘਰੁ ੧ ॥ राग आसा, पांचवें गुरु: छंद, पहला ताल: १ ॥
ਅਨਦੋ ਅਨਦੁ ਘਣਾ ਮੈ ਸੋ ਪ੍ਰਭੁ ਡੀਠਾ ਰਾਮ ॥ मेरी अन्तरात्मा में आनंद ही आनंद हो गया है क्योंकि मैंने भगवान् के दर्शन कर लिए हैं।
ਚਾਖਿਅੜਾ ਚਾਖਿਅੜਾ ਮੈ ਹਰਿ ਰਸੁ ਮੀਠਾ ਰਾਮ ॥ मैंने मीठा हरि रस चख लिया है।
ਹਰਿ ਰਸੁ ਮੀਠਾ ਮਨ ਮਹਿ ਵੂਠਾ ਸਤਿਗੁਰੁ ਤੂਠਾ ਸਹਜੁ ਭਇਆ ॥ सच्चे सद्गुरु की दया से, मेरे अंतर्मन में प्रभु नाम का अमृत बरसा है; अब मुझे आत्मिक शांति और अनंत सुख का अनुभव हो रहा है।
ਗ੍ਰਿਹੁ ਵਸਿ ਆਇਆ ਮੰਗਲੁ ਗਾਇਆ ਪੰਚ ਦੁਸਟ ਓਇ ਭਾਗਿ ਗਇਆ ॥ अब मेरा मन वश में आ गया है; हर्षित होकर मैं आनंद के गीत गा रहा हूँ, क्योंकि काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार जैसे पाँच विकार मुझसे दूर हो गए हैं।
ਸੀਤਲ ਆਘਾਣੇ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਬਾਣੇ ਸਾਜਨ ਸੰਤ ਬਸੀਠਾ ॥ अमृतमयी वाणी से मैं शीतल एवं तृप्त हो गया हूँ, साजन संत गुरुदेव मेरे वकील बने हैं।
ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਸਿਉ ਮਨੁ ਮਾਨਿਆ ਸੋ ਪ੍ਰਭੁ ਨੈਣੀ ਡੀਠਾ ॥੧॥ हे नानक ! मेरा मन ईश्वर के साथ लीन हो गया है और अपने नयनों से उसके दर्शन कर लिए हैं॥ १॥
ਸੋਹਿਅੜੇ ਸੋਹਿਅੜੇ ਮੇਰੇ ਬੰਕ ਦੁਆਰੇ ਰਾਮ ॥ हे राम ! मेरे मन के सुन्दर द्वार शोभायमान हो गए हैं।
ਪਾਹੁਨੜੇ ਪਾਹੁਨੜੇ ਮੇਰੇ ਸੰਤ ਪਿਆਰੇ ਰਾਮ ॥ मेरे प्यारे संत अतिथि बने हुए हैं।
ਸੰਤ ਪਿਆਰੇ ਕਾਰਜ ਸਾਰੇ ਨਮਸਕਾਰ ਕਰਿ ਲਗੇ ਸੇਵਾ ॥ जब मैं उन्हें प्रणाम करके उनकी सेवा में जुट गया तो उन्होंने मेरा विवाह कार्य सम्पूर्ण कर दिया।
ਆਪੇ ਜਾਞੀ ਆਪੇ ਮਾਞੀ ਆਪਿ ਸੁਆਮੀ ਆਪਿ ਦੇਵਾ ॥ प्रभु स्वयं ही बराती है, स्वयं ही कन्या पक्ष, स्वयं ही स्वामी और स्वयं ही देवा है।
ਅਪਣਾ ਕਾਰਜੁ ਆਪਿ ਸਵਾਰੇ ਆਪੇ ਧਾਰਨ ਧਾਰੇ ॥ वह अपना कार्य स्वयं ही संवारते है और स्वयं ही सृष्टि को सहारा प्रदान करते हैं।
ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਸਹੁ ਘਰ ਮਹਿ ਬੈਠਾ ਸੋਹੇ ਬੰਕ ਦੁਆਰੇ ॥੨॥ हे नानक ! पति-परमेश्वर मेरे हृदय-घर में विराजमान हो गए है और हृदय-घर के सुन्दर द्वार शोभा से युक्त हुए हैं।॥ २॥
ਨਵ ਨਿਧੇ ਨਉ ਨਿਧੇ ਮੇਰੇ ਘਰ ਮਹਿ ਆਈ ਰਾਮ ॥ हे राम ! मेरे हृदय घर में विश्व की नवनिधियों आ गई हैं।
ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਮੈ ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਪਾਇਆ ਨਾਮੁ ਧਿਆਈ ਰਾਮ ॥ राम नाम का ध्यान करने से मैंने सब कुछ प्राप्त कर लिया है।
ਨਾਮੁ ਧਿਆਈ ਸਦਾ ਸਖਾਈ ਸਹਜ ਸੁਭਾਈ ਗੋਵਿੰਦਾ ॥ सहज-स्वभाव से नाम का ध्यान करने से गोविन्द सदैव के लिए सखा बन गए हैं।
ਗਣਤ ਮਿਟਾਈ ਚੂਕੀ ਧਾਈ ਕਦੇ ਨ ਵਿਆਪੈ ਮਨ ਚਿੰਦਾ ॥ ईश्वर ने मेरे समस्त कर्मों का लेखा-जोखा समाप्त कर दिया है; मेरी जीवन-भटकन अब समाप्त हो चुकी है, और कोई भी चिंता अब मेरे मन को विचलित नहीं कर सकती।
ਗੋਵਿੰਦ ਗਾਜੇ ਅਨਹਦ ਵਾਜੇ ਅਚਰਜ ਸੋਭ ਬਣਾਈ ॥ जब गोविन्द प्रगट हो जाता है तो अनहद नाद बजता है और आश्चर्यजनक शोभा का दृश्य बन जाता है।
ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਪਿਰੁ ਮੇਰੈ ਸੰਗੇ ਤਾ ਮੈ ਨਵ ਨਿਧਿ ਪਾਈ ॥੩॥ हे नानक ! जब मेरा प्रियतम-प्रभु मेरे साथ है तो मुझे विश्व की नवनिधियाँ प्राप्त हो गई हैं।॥ ३॥
ਸਰਸਿਅੜੇ ਸਰਸਿਅੜੇ ਮੇਰੇ ਭਾਈ ਸਭ ਮੀਤਾ ਰਾਮ ॥ हे राम ! मेरे सभी भाई एवं मित्र सुप्रसन्न हो गए हैं।


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