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ਰਾਗੁ ਆਸਾ ਮਹਲਾ ੧ ਅਸਟਪਦੀਆ ਘਰੁ ੩
राग आसा, तृतीय ताल, अष्टपदी, प्रथम गुरु: ३
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ईश्वर एक है, जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है।
ਜਿਨ ਸਿਰਿ ਸੋਹਨਿ ਪਟੀਆ ਮਾਂਗੀ ਪਾਇ ਸੰਧੂਰੁ ॥
जिन सुन्दर नारियों के सिर पर माँग में सिन्दूर एवं काले केशों की पट्टियाँ शोभायमान होती थीं,
ਸੇ ਸਿਰ ਕਾਤੀ ਮੁੰਨੀਅਨ੍ਹ੍ਹਿ ਗਲ ਵਿਚਿ ਆਵੈ ਧੂੜਿ ॥
उनके सिर कैंची से काटे जा रहे हैं और मुँह में मिट्टी डाली जा रही है।
ਮਹਲਾ ਅੰਦਰਿ ਹੋਦੀਆ ਹੁਣਿ ਬਹਣਿ ਨ ਮਿਲਨ੍ਹ੍ਹਿ ਹਦੂਰਿ ॥੧॥
जो पहले सुन्दर महलों में बसती थीं, अब उन्हें महलों के निकट भी बैठने नहीं दिया जाता॥ १॥
ਆਦੇਸੁ ਬਾਬਾ ਆਦੇਸੁ ॥
हे परमपिता ! आपको शत-शत प्रणाम है।
ਆਦਿ ਪੁਰਖ ਤੇਰਾ ਅੰਤੁ ਨ ਪਾਇਆ ਕਰਿ ਕਰਿ ਦੇਖਹਿ ਵੇਸ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
हे प्रभो! हम आपकी रहस्यमयी लीला को समझने में असमर्थ हैं। आप ही निरंतर इस ब्रह्मांडीय नाटक का निर्माण करते हैं और स्वयं उसे देखते रहते हैं।॥ १॥ रहाउ॥
ਜਦਹੁ ਸੀਆ ਵੀਆਹੀਆ ਲਾੜੇ ਸੋਹਨਿ ਪਾਸਿ ॥
जब इन सुन्दरियों का विवाह हुआ था, उनके दूल्हे उनके समीप अति सुन्दर लगते थे।
ਹੀਡੋਲੀ ਚੜਿ ਆਈਆ ਦੰਦ ਖੰਡ ਕੀਤੇ ਰਾਸਿ ॥
वे डोली में बैठकर आई थीं, इन्होंने हाथी दांत के सुन्दर चूड़े सजाए हुए थे।
ਉਪਰਹੁ ਪਾਣੀ ਵਾਰੀਐ ਝਲੇ ਝਿਮਕਨਿ ਪਾਸਿ ॥੨॥
ससुराल आगमन पर स्वागत् के समय उन पर शगुनों का जल वार दिया था, झिलमिल करते पंखे उन पर फेरे जाते थे॥ २॥
ਇਕੁ ਲਖੁ ਲਹਨ੍ਹ੍ਹਿ ਬਹਿਠੀਆ ਲਖੁ ਲਹਨ੍ਹ੍ਹਿ ਖੜੀਆ ॥
ससुराल में स्वागत उपहार के रूप में उन्हें सैकड़ों-हजारों सिक्के दिए गए।
ਗਰੀ ਛੁਹਾਰੇ ਖਾਂਦੀਆ ਮਾਣਨ੍ਹ੍ਹਿ ਸੇਜੜੀਆ ॥
वह गिरी छुहारे खाती थीं और सुन्दर सेज़ों पर शयन करती थीं।
ਤਿਨ੍ਹ੍ ਗਲਿ ਸਿਲਕਾ ਪਾਈਆ ਤੁਟਨ੍ਹ੍ਹਿ ਮੋਤਸਰੀਆ ॥੩॥
उन के गले की मोतियों की माला अब क्रूर आक्रमणकारियों द्वारा छीन ली गई है, और उनकी जगह अपमानस्वरूप रस्सियों का फंदा डाल दिया गया है।॥ ३॥
ਧਨੁ ਜੋਬਨੁ ਦੁਇ ਵੈਰੀ ਹੋਏ ਜਿਨ੍ਹ੍ਹੀ ਰਖੇ ਰੰਗੁ ਲਾਇ ॥
धन एवं यौवन पर उनको बहुत गर्व था परन्तु आज दोनों ही उनके वैरी बन गए हैं।
ਦੂਤਾ ਨੋ ਫੁਰਮਾਇਆ ਲੈ ਚਲੇ ਪਤਿ ਗਵਾਇ ॥
बाबर ने अपने क्रूर सिपाहियों को आदेश दिया हुआ है, जो उनकी इज्जत लूटकर उन्हें ले जा रहे हैं।
ਜੇ ਤਿਸੁ ਭਾਵੈ ਦੇ ਵਡਿਆਈ ਜੇ ਭਾਵੈ ਦੇਇ ਸਜਾਇ ॥੪॥
यदि ईश्वर को भला लगे तो वह आदर-सम्मान प्रदान करता है, यदि उसकी इच्छा हो तो वह दण्ड देता है॥ ४॥
ਅਗੋ ਦੇ ਜੇ ਚੇਤੀਐ ਤਾਂ ਕਾਇਤੁ ਮਿਲੈ ਸਜਾਇ ॥
यदि जीव पहले ही प्रभु का नाम याद करता रहे, तो उसे दण्ड क्यों मिले?"
ਸਾਹਾਂ ਸੁਰਤਿ ਗਵਾਈਆ ਰੰਗਿ ਤਮਾਸੈ ਚਾਇ ॥
रंग-तमाशों एवं रंगरलियों में लिप्त पठान राजा अपने विवेक को खो बैठे थे और राज्य की रक्षा जैसे अपने मुख्य कर्तव्यों को पूरी तरह भूल चुके थे।
ਬਾਬਰਵਾਣੀ ਫਿਰਿ ਗਈ ਕੁਇਰੁ ਨ ਰੋਟੀ ਖਾਇ ॥੫॥
जब बाबर के शासन का ढिंढोरा पिट गया तो किसी (पठान) शहजादे ने भोजन नहीं खाया ॥ ५॥
ਇਕਨਾ ਵਖਤ ਖੁਆਈਅਹਿ ਇਕਨ੍ਹ੍ਹਾ ਪੂਜਾ ਜਾਇ ॥
कई मुसलमानों के पाँच नमाजों के वक्त छिन गए हैं और कई हिन्दुओं का पूजा-पाठ का समय चला गया है।
ਚਉਕੇ ਵਿਣੁ ਹਿੰਦਵਾਣੀਆ ਕਿਉ ਟਿਕੇ ਕਢਹਿ ਨਾਇ ॥
हिन्दु स्त्रियों न स्नान करके तिलक लगा सकती हैं, न ही उनके चौके पवित्र रह गए हैं।
ਰਾਮੁ ਨ ਕਬਹੂ ਚੇਤਿਓ ਹੁਣਿ ਕਹਣਿ ਨ ਮਿਲੈ ਖੁਦਾਇ ॥੬॥
जिन हिन्दुओं ने कभी भी राम को याद नहीं किया था। वे अब बर्बर आक्रमणकारियों के भय से खुदा का नाम लेने का साहस भी नहीं कर पा रहे हैं।॥ ६॥
ਇਕਿ ਘਰਿ ਆਵਹਿ ਆਪਣੈ ਇਕਿ ਮਿਲਿ ਮਿਲਿ ਪੁਛਹਿ ਸੁਖ ॥
बाबर के बन्दीगृह से जो विरले पुरुष बचकर अपने घर आते हैं, वे परस्पर मिलकर कुशलक्षेम पूछते हैं।
ਇਕਨ੍ਹ੍ਹਾ ਏਹੋ ਲਿਖਿਆ ਬਹਿ ਬਹਿ ਰੋਵਹਿ ਦੁਖ ॥
उनके भाग्य में यह मुसीबत पूर्वलिखित थी, वे एक दूसरे के पास बैठकर अपना-अपना दु:ख रोते हैं।
ਜੋ ਤਿਸੁ ਭਾਵੈ ਸੋ ਥੀਐ ਨਾਨਕ ਕਿਆ ਮਾਨੁਖ ॥੭॥੧੧॥
हे नानक ! बेचारे मनुष्य के वश में क्या है? जो कुछ परमात्मा को उपयुक्त लगता है, केवल वही होता है॥ ७॥ ११॥
ਆਸਾ ਮਹਲਾ ੧ ॥
राग आसा, प्रथम गुरु: १ ॥
ਕਹਾ ਸੁ ਖੇਲ ਤਬੇਲਾ ਘੋੜੇ ਕਹਾ ਭੇਰੀ ਸਹਨਾਈ ॥
अभी की बात है कि सैदपुर में खुशियाँ एवं रौनक ही थी लेकिन वे खेल, अस्तबल और घोड़े कहाँ हैं ? नगारे और शहनाई कहाँ है ?"
ਕਹਾ ਸੁ ਤੇਗਬੰਦ ਗਾਡੇਰੜਿ ਕਹਾ ਸੁ ਲਾਲ ਕਵਾਈ ॥
कहाँ हैं पश्मीने के तेगबन्द और कहाँ है वे लाल वर्दियाँ ?
ਕਹਾ ਸੁ ਆਰਸੀਆ ਮੁਹ ਬੰਕੇ ਐਥੈ ਦਿਸਹਿ ਨਾਹੀ ॥੧॥
वह शीशे-जड़ित अंगूठियाँ एवं सुन्दर चेहरे कहाँ हैं ? वह अब यहाँ दिखाई नहीं देते ॥१॥
ਇਹੁ ਜਗੁ ਤੇਰਾ ਤੂ ਗੋਸਾਈ ॥
हे ईश्वर ! यह जगत आपका पैदा किया हुआ है, आप सभी के मालिक है।
ਏਕ ਘੜੀ ਮਹਿ ਥਾਪਿ ਉਥਾਪੇ ਜਰੁ ਵੰਡਿ ਦੇਵੈ ਭਾਂਈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
इस सृष्टि की एक घड़ी में ही रचना करके इसे नष्ट भी कर देते हैं। आप सांसारिक धन को अपनी इच्छानुसार वितरित करते हैं।॥ १॥ रहाउ ॥
ਕਹਾਂ ਸੁ ਘਰ ਦਰ ਮੰਡਪ ਮਹਲਾ ਕਹਾ ਸੁ ਬੰਕ ਸਰਾਈ ॥
कहाँ है वह घर, दर, मण्डप एवं महल ? कहीं है वह सुन्दर सराय ?
ਕਹਾਂ ਸੁ ਸੇਜ ਸੁਖਾਲੀ ਕਾਮਣਿ ਜਿਸੁ ਵੇਖਿ ਨੀਦ ਨ ਪਾਈ ॥
कहाँ है सुन्दरी की वह सुखदायक सेज, जिसे देखकर रात को नींद नहीं आती थी ?
ਕਹਾ ਸੁ ਪਾਨ ਤੰਬੋਲੀ ਹਰਮਾ ਹੋਈਆ ਛਾਈ ਮਾਈ ॥੨॥
कहाँ है पान और पान बेचने वाली स्त्रियाँ और कहाँ हैं पर्दे में रहने वाली नारियाँ ? सब कहीं लुप्त हो गई हैं। २॥
ਇਸੁ ਜਰ ਕਾਰਣਿ ਘਣੀ ਵਿਗੁਤੀ ਇਨਿ ਜਰ ਘਣੀ ਖੁਆਈ ॥
इस धन के कारण बहुत तबाह हो गए हैं। इस धन ने अधिकतर को अपमानित किया है।
ਪਾਪਾ ਬਾਝਹੁ ਹੋਵੈ ਨਾਹੀ ਮੁਇਆ ਸਾਥਿ ਨ ਜਾਈ ॥
पाप कर्म के बिना यह धन एकत्रित नहीं होता और मृतकों के साथ यह नहीं जाता।
ਜਿਸ ਨੋ ਆਪਿ ਖੁਆਏ ਕਰਤਾ ਖੁਸਿ ਲਏ ਚੰਗਿਆਈ ॥੩॥
जिसे कर्ता प्रभु स्वयं नष्ट करता है पहले वह उससे अच्छाई छीन लेता है॥ ३॥
ਕੋਟੀ ਹੂ ਪੀਰ ਵਰਜਿ ਰਹਾਏ ਜਾ ਮੀਰੁ ਸੁਣਿਆ ਧਾਇਆ ॥
जब पठान शासकों ने बादशाह बाबर के आक्रमण के बारे में सुना, तो कई मुस्लिम संतों को प्रार्थना के साथ आक्रमणकारी को भगाने के लिए कहीं भी जाने से मना कर दिया गया।