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ਥਾਨ ਮੁਕਾਮ ਜਲੇ ਬਿਜ ਮੰਦਰ ਮੁਛਿ ਮੁਛਿ ਕੁਇਰ ਰੁਲਾਇਆ ॥
मुगलों ने पठानों के घर, सुख के निवास एवं मजबूत महल जला दिए और टुकड़े-टुकड़े किए हुए शहजादों को मिट्टी में मिला दिया।
ਕੋਈ ਮੁਗਲੁ ਨ ਹੋਆ ਅੰਧਾ ਕਿਨੈ ਨ ਪਰਚਾ ਲਾਇਆ ॥੪॥
कोई मुगल अन्धा न हुआ और किसी ने भी कोई करिश्मा नहीं दिखाया॥ ४॥
ਮੁਗਲ ਪਠਾਣਾ ਭਈ ਲੜਾਈ ਰਣ ਮਹਿ ਤੇਗ ਵਗਾਈ ॥
मुगलों एवं पठानों के बीच भयंकर लड़ाई हुई और रणभूमि में खूब तलवार चलाई गई।
ਓਨ੍ਹ੍ਹੀ ਤੁਪਕ ਤਾਣਿ ਚਲਾਈ ਓਨ੍ਹ੍ਹੀ ਹਸਤਿ ਚਿੜਾਈ ॥
मुगलों ने अपनी बन्दूकों के निशाने लगा-लगाकर गोलियाँ चलाई और उन पठानों ने हाथियों से आक्रमण किया!
ਜਿਨ੍ਹ੍ਹ ਕੀ ਚੀਰੀ ਦਰਗਹ ਪਾਟੀ ਤਿਨ੍ਹ੍ਹਾ ਮਰਣਾ ਭਾਈ ॥੫॥
हे भाई ! प्रभु के दरबार से जिनकी आयु की चिट्ठी फाड़ दी जाती है, उन्हें अवश्य ही मरना पड़ता है॥ ५॥
ਇਕ ਹਿੰਦਵਾਣੀ ਅਵਰ ਤੁਰਕਾਣੀ ਭਟਿਆਣੀ ਠਕੁਰਾਣੀ ॥
क्या हिन्दू नारियाँ, क्या मुसलमान औरतें, क्या भाटों एवं ठाकुरों की स्त्रियां-
ਇਕਨ੍ਹ੍ਹਾ ਪੇਰਣ ਸਿਰ ਖੁਰ ਪਾਟੇ ਇਕਨ੍ਹ੍ਹਾ ਵਾਸੁ ਮਸਾਣੀ ॥
कितनी ही औरतों के वस्त्र सिर से पैरों तक फटे हुए थे और कितनी ही औरतों का निवास श्मशान में हो गया था।
ਜਿਨ੍ਹ੍ਹ ਕੇ ਬੰਕੇ ਘਰੀ ਨ ਆਇਆ ਤਿਨ੍ਹ੍ਹ ਕਿਉ ਰੈਣਿ ਵਿਹਾਣੀ ॥੬॥
जिनके सुन्दर पति घरों में नहीं आए, उनकी रात्रि कैसे बीती होगी॥ ६॥
ਆਪੇ ਕਰੇ ਕਰਾਏ ਕਰਤਾ ਕਿਸ ਨੋ ਆਖਿ ਸੁਣਾਈਐ ॥
यह दर्द भरी दास्तान किसे कहकर सुनाई जाए ? क्योंकि कर्ता प्रभु स्वयं ही करता और जीवों से करवाता है।
ਦੁਖੁ ਸੁਖੁ ਤੇਰੈ ਭਾਣੈ ਹੋਵੈ ਕਿਸ ਥੈ ਜਾਇ ਰੂਆਈਐ ॥
हे जग के रचयिता ! जीवों को दुःख-सुख आपके आदेशानुसार ही होता है। आपके अतिरिक्त किसके पास जाकर अपना दुःख रोएं।
ਹੁਕਮੀ ਹੁਕਮਿ ਚਲਾਏ ਵਿਗਸੈ ਨਾਨਕ ਲਿਖਿਆ ਪਾਈਐ ॥੭॥੧੨॥
हे नानक ! भगवान् अपनी दिव्य आज्ञा के अनुसार संसार का संचालन करके प्रसन्न होते हैं; प्रत्येक प्राणी को वही प्राप्त होता है, जो उसके लिए पूर्व निर्धारित है।॥ ७॥ १२॥
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ईश्वर एक है, जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है।
ਆਸਾ ਕਾਫੀ ਮਹਲਾ ੧ ਘਰੁ ੮ ਅਸਟਪਦੀਆ ॥
राग आसा, काफी, आठवां ताल, अष्टपदी, प्रथम गुरु: ॥
ਜੈਸੇ ਗੋਇਲਿ ਗੋਇਲੀ ਤੈਸੇ ਸੰਸਾਰਾ ॥
जिस प्रकार ग्वाला चरागाह में अल्प समय के लिए पशु लेकर आता है, वैसे ही जीव थोड़े समय के लिए संसार में आता है।
ਕੂੜੁ ਕਮਾਵਹਿ ਆਦਮੀ ਬਾਂਧਹਿ ਘਰ ਬਾਰਾ ॥੧॥
आदमी झूठ की कमाई करते हैं और अपना घर-द्वार निर्मित करते हैं।॥ १॥
ਜਾਗਹੁ ਜਾਗਹੁ ਸੂਤਿਹੋ ਚਲਿਆ ਵਣਜਾਰਾ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
हे अज्ञानता की निद्रा में सोए हुए जीवो ! जागो, देखो कि वणजारा जीव दुनिया में से जा रहा है॥ १॥ रहाउ ॥
ਨੀਤ ਨੀਤ ਘਰ ਬਾਂਧੀਅਹਿ ਜੇ ਰਹਣਾ ਹੋਈ ॥
हमेशा रहने वाले घर तभी बनाने चाहिए, यदि दुनिया में सदैव जीवित रहना हो।
ਪਿੰਡੁ ਪਵੈ ਜੀਉ ਚਲਸੀ ਜੇ ਜਾਣੈ ਕੋਈ ॥੨॥
परन्तु यदि कोई विचार करे तो उसे ज्ञान हो जाएगा कि जब आत्मा चली जाती है तो शरीर भी पार्थिव हो जाता है॥ २॥
ਓਹੀ ਓਹੀ ਕਿਆ ਕਰਹੁ ਹੈ ਹੋਸੀ ਸੋਈ ॥
तुम क्यों क्हाय ! हाय !! करते हो। आत्मा तो अब भी है और सदैव रहेगी।
ਤੁਮ ਰੋਵਹੁਗੇ ਓਸ ਨੋ ਤੁਮ੍ਹ੍ ਕਉ ਕਉਣੁ ਰੋਈ ॥੩॥
यदि तुम किसी की मृत्यु पर रोते हो तो तुम्हें कौन रोएगा ॥ ३॥
ਧੰਧਾ ਪਿਟਿਹੁ ਭਾਈਹੋ ਤੁਮ੍ਹ੍ਹ ਕੂੜੁ ਕਮਾਵਹੁ ॥
हे मेरे भाई ! तुम लोग सांसारिक धन्धों में ग्रस्त हुए हो और झूठ की कमाई करते हो।
ਓਹੁ ਨ ਸੁਣਈ ਕਤ ਹੀ ਤੁਮ੍ਹ੍ਹ ਲੋਕ ਸੁਣਾਵਹੁ ॥੪॥
वह मृतक बिल्कुल नहीं सुनता। तुम केवल दूसरे लोगों को ही अपना रोना सुनाते हो।॥ ४॥
ਜਿਸ ਤੇ ਸੁਤਾ ਨਾਨਕਾ ਜਾਗਾਏ ਸੋਈ ॥
हे नानक ! जिस मालिक ने अपने आदेश से उसे सुलाया है, वही उसे जगाएगा।
ਜੇ ਘਰੁ ਬੂਝੈ ਆਪਣਾ ਤਾਂ ਨੀਦ ਨ ਹੋਈ ॥੫॥
यदि मनुष्य अपने असली घर को समझ ले उसे नींद नहीं आती॥ ५॥
ਜੇ ਚਲਦਾ ਲੈ ਚਲਿਆ ਕਿਛੁ ਸੰਪੈ ਨਾਲੇ ॥
यदि परलोक को जाता हुआ मनुष्य कुछ संपति साथ ले गया है
ਤਾ ਧਨੁ ਸੰਚਹੁ ਦੇਖਿ ਕੈ ਬੂਝਹੁ ਬੀਚਾਰੇ ॥੬॥
तो तू भी धन संचित करके देख, सोच-समझ और विचार कर॥ ६॥
ਵਣਜੁ ਕਰਹੁ ਮਖਸੂਦੁ ਲੈਹੁ ਮਤ ਪਛੋਤਾਵਹੁ ॥
ऐसा नाम का व्यापार कर जिससे जीवन-मनोरथ का लाभ प्राप्त हो सके, अन्यथा पछताना पड़ेगा।
ਅਉਗਣ ਛੋਡਹੁ ਗੁਣ ਕਰਹੁ ਐਸੇ ਤਤੁ ਪਰਾਵਹੁ ॥੭॥
अवगुण छोड़कर गुण ग्रहण करो, इस तरह तुझे सच्ची कमाई प्राप्त होगी॥ ७॥
ਧਰਮੁ ਭੂਮਿ ਸਤੁ ਬੀਜੁ ਕਰਿ ਐਸੀ ਕਿਰਸ ਕਮਾਵਹੁ ॥
शरीर रूपी धर्मभूमि में सत्य का बीज बोओ। इस प्रकार की कृषि करो।
ਤਾਂ ਵਾਪਾਰੀ ਜਾਣੀਅਹੁ ਲਾਹਾ ਲੈ ਜਾਵਹੁ ॥੮॥
यदि तुम लाभ प्राप्त करके ले जाओगे तो बुद्धिमान व्यापारी समझे जाओगे॥ ८॥
ਕਰਮੁ ਹੋਵੈ ਸਤਿਗੁਰੁ ਮਿਲੈ ਬੂਝੈ ਬੀਚਾਰਾ ॥
यदि प्रभु की मेहर हो तो जीव सतगुरु से मिलता है और उसके उपदेश को समझता है।
ਨਾਮੁ ਵਖਾਣੈ ਸੁਣੇ ਨਾਮੁ ਨਾਮੇ ਬਿਉਹਾਰਾ ॥੯॥
वह नाम उच्चरित करता है, नाम सुनता एवं नाम का ही व्यापार करता है॥ ६॥
ਜਿਉ ਲਾਹਾ ਤੋਟਾ ਤਿਵੈ ਵਾਟ ਚਲਦੀ ਆਈ ॥
जैसे नाम सुनने से लाभ है, वैसे ही नाम भुलाने से हानि है। संसार की यह मर्यादा सदा से ही चली आ रही है।
ਜੋ ਤਿਸੁ ਭਾਵੈ ਨਾਨਕਾ ਸਾਈ ਵਡਿਆਈ ॥੧੦॥੧੩॥
हे नानक ! ईश्वर को जो कुछ भला लगता है वही होता है, यही उसकी महिमा है॥ १०॥ १३॥
ਆਸਾ ਮਹਲਾ ੧ ॥
राग आसा, प्रथम गुरु: १ ॥
ਚਾਰੇ ਕੁੰਡਾ ਢੂਢੀਆ ਕੋ ਨੀਮ੍ਹ੍ਹੀ ਮੈਡਾ ॥
मैंने चारों दिशाओं में खोज की है परन्तु मेरा कोई भी हितैषी नहीं है।
ਜੇ ਤੁਧੁ ਭਾਵੈ ਸਾਹਿਬਾ ਤੂ ਮੈ ਹਉ ਤੈਡਾ ॥੧॥
हे प्रभु! यदि यह आपकी इच्छा और प्रसन्नता में सम्मिलित हो, तो कृपा कर मुझे अपना सेवक स्वीकार करें और स्वयं मेरे स्वामी बनें॥ १॥
ਦਰੁ ਬੀਭਾ ਮੈ ਨੀਮ੍ਹ੍ ਕੋ ਕੈ ਕਰੀ ਸਲਾਮੁ ॥
मेरे लिए आपके बिना दूसरा कोई शरण-द्वार नहीं है, मैं किसे वन्दना करूँ ?"
ਹਿਕੋ ਮੈਡਾ ਤੂ ਧਣੀ ਸਾਚਾ ਮੁਖਿ ਨਾਮੁ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
आप ही मेरे स्वामी हैं, आपका सत्य नाम मेरे मुँह में हमेशा रहता है॥ १॥ रहाउ ॥
ਸਿਧਾ ਸੇਵਨਿ ਸਿਧ ਪੀਰ ਮਾਗਹਿ ਰਿਧਿ ਸਿਧਿ ॥
कुछ लोग सिद्धों एवं पीरों की सेवा करते हैं और उनसे ऋद्धियाँ-सिद्धियाँ मांगते हैं।
ਮੈ ਇਕੁ ਨਾਮੁ ਨ ਵੀਸਰੈ ਸਾਚੇ ਗੁਰ ਬੁਧਿ ॥੨॥
मुझे एक परमात्मा का नाम न भूले, सतगुरु ने मुझे यह सुमति प्रदान की है॥ २ ॥