Guru Granth Sahib Translation Project

Guru Granth Sahib Hindi Page 399

Page 399

ਸੀਤਲੁ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਸਿਮਰਤ ਤਪਤਿ ਜਾਇ ॥੩॥ सीतलु हरि हरि नामु सिमरत तपति जाइ ॥३॥ हरि-प्रभु का नाम बहुत शीतल है, इसका सिमरन करने से सांसारिक इच्छाओं की जलन बुझ जाती है॥ ३॥
ਸੂਖ ਸਹਜ ਆਨੰਦ ਘਣਾ ਨਾਨਕ ਜਨ ਧੂਰਾ ॥ सूख सहज आनंद घणा नानक जन धूरा ॥ हे नानक ! जो मनुष्य संतजनों की चरण-धूलि हो जाता है, उसे सहज सुख एवं आनन्द प्राप्त हो जाता है।
ਕਾਰਜ ਸਗਲੇ ਸਿਧਿ ਭਏ ਭੇਟਿਆ ਗੁਰੁ ਪੂਰਾ ॥੪॥੧੦॥੧੧੨॥ कारज सगले सिधि भए भेटिआ गुरु पूरा ॥४॥१०॥११२॥ पूर्ण गुरु को मिलने से सम्पूर्ण कार्य सिद्ध हो जाते हैं॥ ४॥ १०॥ ११२ ॥
ਆਸਾ ਮਹਲਾ ੫ ॥ आसा महला ५ ॥ राग आसा, पांचवें गुरु:५ ॥
ਗੋਬਿੰਦੁ ਗੁਣੀ ਨਿਧਾਨੁ ਗੁਰਮੁਖਿ ਜਾਣੀਐ ॥ गोबिंदु गुणी निधानु गुरमुखि जाणीऐ ॥ सद्गुणों के भंडार परमात्मा का अनुभव केवल तब संभव है, जब हम सच्चे मन से गुरु की शिक्षाओं का पालन करें।
ਹੋਇ ਕ੍ਰਿਪਾਲੁ ਦਇਆਲੁ ਹਰਿ ਰੰਗੁ ਮਾਣੀਐ ॥੧॥ होइ क्रिपालु दइआलु हरि रंगु माणीऐ ॥१॥ जब दयालु प्रभु कृपालु हो जाते हैं तो जीव उसकी प्रीति का आनंद प्राप्त करता है॥ १॥
ਆਵਹੁ ਸੰਤ ਮਿਲਾਹ ਹਰਿ ਕਥਾ ਕਹਾਣੀਆ ॥ आवहु संत मिलाह हरि कथा कहाणीआ ॥ हे संतजनो ! आओ हम मिल बैठकर हरि की कथा-कहानियों का गुणगान करें।
ਅਨਦਿਨੁ ਸਿਮਰਹ ਨਾਮੁ ਤਜਿ ਲਾਜ ਲੋਕਾਣੀਆ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ अनदिनु सिमरह नामु तजि लाज लोकाणीआ ॥१॥ रहाउ ॥ लोगों की निन्दा-चुगली को छोड़कर हम रात-दिन प्रभु-नाम का सिमरन करें ॥ १॥
ਜਪਿ ਜਪਿ ਜੀਵਾ ਨਾਮੁ ਹੋਵੈ ਅਨਦੁ ਘਣਾ ॥ जपि जपि जीवा नामु होवै अनदु घणा ॥ मैं प्रभु का नाम जप-जपकर ही जीवित रहता हूँ और इस तरह बड़ा आनंद प्राप्त होता है।
ਮਿਥਿਆ ਮੋਹੁ ਸੰਸਾਰੁ ਝੂਠਾ ਵਿਣਸਣਾ ॥੨॥ मिथिआ मोहु संसारु झूठा विणसणा ॥२॥ इस संसार का मोह मिथ्या है, झूठा होने के कारण यह अति शीघ्र ही नष्ट हो जाता है॥ २॥
ਚਰਣ ਕਮਲ ਸੰਗਿ ਨੇਹੁ ਕਿਨੈ ਵਿਰਲੈ ਲਾਇਆ ॥ चरण कमल संगि नेहु किनै विरलै लाइआ ॥ कुछ विरले पुरुष ही प्रभु के सुन्दर चरण कमलों से नेह लगाते हैं।
ਧੰਨੁ ਸੁਹਾਵਾ ਮੁਖੁ ਜਿਨਿ ਹਰਿ ਧਿਆਇਆ ॥੩॥ धंनु सुहावा मुखु जिनि हरि धिआइआ ॥३॥ वह मुख धन्य एवं सुहावना है, जो हरि का ध्यान करता है ॥ ३॥
ਜਨਮ ਮਰਣ ਦੁਖ ਕਾਲ ਸਿਮਰਤ ਮਿਟਿ ਜਾਵਈ ॥ जनम मरण दुख काल सिमरत मिटि जावई ॥ भगवान् का सिमरन करने से जन्म-मरण एवं काल (मृत्यु) का दुःख मिट जाता है।
ਨਾਨਕ ਕੈ ਸੁਖੁ ਸੋਇ ਜੋ ਪ੍ਰਭ ਭਾਵਈ ॥੪॥੧੧॥੧੧੩॥ नानक कै सुखु सोइ जो प्रभ भावई ॥४॥११॥११३॥ जो प्रभु को भला लगता है, वही नानक के लिए सुख-आनंद है॥ ४॥ ११॥ ११३॥
ਆਸਾ ਮਹਲਾ ੫ ॥ आसा महला ५ ॥ राग आसा, पांचवें गुरु: ५ ॥
ਆਵਹੁ ਮੀਤ ਇਕਤ੍ਰ ਹੋਇ ਰਸ ਕਸ ਸਭਿ ਭੁੰਚਹ ॥ आवहु मीत इकत्र होइ रस कस सभि भुंचह ॥ हे मित्रजनो ! आओ हम सब मिलकर हर प्रकार के स्वादिष्ट पदार्थ खाएँ।
ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਨਾਮੁ ਹਰਿ ਹਰਿ ਜਪਹ ਮਿਲਿ ਪਾਪਾ ਮੁੰਚਹ ॥੧॥ अम्रित नामु हरि हरि जपह मिलि पापा मुंचह ॥१॥ हम मिलकर हरि-परमेश्वर के नामामृत का जाप करें एवं अपने पापों को मिटाएँ॥ १॥
ਤਤੁ ਵੀਚਾਰਹੁ ਸੰਤ ਜਨਹੁ ਤਾ ਤੇ ਬਿਘਨੁ ਨ ਲਾਗੈ ॥ ततु वीचारहु संत जनहु ता ते बिघनु न लागै ॥ हे संतजनो ! परम तत्व का विचार करो, इससे कोई विघ्न पैदा नहीं होता।
ਖੀਨ ਭਏ ਸਭਿ ਤਸਕਰਾ ਗੁਰਮੁਖਿ ਜਨੁ ਜਾਗੈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ खीन भए सभि तसकरा गुरमुखि जनु जागै ॥१॥ रहाउ ॥ गुरुमुख जन हमेशा सचेत रहते हैं और कामादिक पाँच विकारों का नाश कर देते हैं।॥ १॥ रहाउ॥
ਬੁਧਿ ਗਰੀਬੀ ਖਰਚੁ ਲੈਹੁ ਹਉਮੈ ਬਿਖੁ ਜਾਰਹੁ ॥ बुधि गरीबी खरचु लैहु हउमै बिखु जारहु ॥ अहंकार रूपी विष को जलाकर, अपनी आत्मा की यात्रा में केवल ज्ञान और विनम्रता को ही साथी बनाओ।
ਸਾਚਾ ਹਟੁ ਪੂਰਾ ਸਉਦਾ ਵਖਰੁ ਨਾਮੁ ਵਾਪਾਰਹੁ ॥੨॥ साचा हटु पूरा सउदा वखरु नामु वापारहु ॥२॥ गुरु की दुकान सच्ची है, जहाँ नाम रूपी पूरा सौदा मिलता है। आप नाम रूपी सौदे का ही व्यापार करो ॥ २ ॥
ਜੀਉ ਪਿੰਡੁ ਧਨੁ ਅਰਪਿਆ ਸੇਈ ਪਤਿਵੰਤੇ ॥ जीउ पिंडु धनु अरपिआ सेई पतिवंते ॥ जो अपने प्राण, शरीर एवं धन को गुरु के समक्ष अर्पण करते हैं, वे प्रतिष्ठित हैं।
ਆਪਨੜੇ ਪ੍ਰਭ ਭਾਣਿਆ ਨਿਤ ਕੇਲ ਕਰੰਤੇ ॥੩॥ आपनड़े प्रभ भाणिआ नित केल करंते ॥३॥ ऐसे मनुष्य अपने प्रभु को भले लगते हैं, और सदैव आनंद प्राप्त करते हैं।॥ ३॥
ਦੁਰਮਤਿ ਮਦੁ ਜੋ ਪੀਵਤੇ ਬਿਖਲੀ ਪਤਿ ਕਮਲੀ ॥ दुरमति मदु जो पीवते बिखली पति कमली ॥ जो लोग दुर्मति रूपी शराब को पीने लगते हैं, वे विकारग्रस्त होकर पागल हो जाते हैं।
ਰਾਮ ਰਸਾਇਣਿ ਜੋ ਰਤੇ ਨਾਨਕ ਸਚ ਅਮਲੀ ॥੪॥੧੨॥੧੧੪॥ राम रसाइणि जो रते नानक सच अमली ॥४॥१२॥११४॥ हे नानक ! वही लोग सच्चे आरंभिक भक्त हैं जो प्रभु-नाम के अमृत में डूबे हुए हैं और उस प्रेम से सराबोर हैं।॥ ४॥ १२ ॥ ११४॥
ਆਸਾ ਮਹਲਾ ੫ ॥ आसा महला ५ ॥ राग आसा, पांचवें गुरु: ५ ॥
ਉਦਮੁ ਕੀਆ ਕਰਾਇਆ ਆਰੰਭੁ ਰਚਾਇਆ ॥ उदमु कीआ कराइआ आर्मभु रचाइआ ॥ मैंने नाम जपने का उद्यम किया है पर यह उद्यम गुरु ने करवाया है।
ਨਾਮੁ ਜਪੇ ਜਪਿ ਜੀਵਣਾ ਗੁਰਿ ਮੰਤ੍ਰੁ ਦ੍ਰਿੜਾਇਆ ॥੧॥ नामु जपे जपि जीवणा गुरि मंत्रु द्रिड़ाइआ ॥१॥ गुरु ने मेरे भीतर नाम का दिव्य मंत्र बो दिया, और अब उसी नाम के ध्यान से मेरा जीवन आत्मिक रूप से जाग्रत हो गया है।॥ १॥
ਪਾਇ ਪਰਹ ਸਤਿਗੁਰੂ ਕੈ ਜਿਨਿ ਭਰਮੁ ਬਿਦਾਰਿਆ ॥ पाइ परह सतिगुरू कै जिनि भरमु बिदारिआ ॥ मैं अपने सतगुरु के चरण स्पर्श करता हूँ, जिन्होंने मेरी दुविधा निवृत्त कर दी है।
ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਪ੍ਰਭਿ ਆਪਣੀ ਸਚੁ ਸਾਜਿ ਸਵਾਰਿਆ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ करि किरपा प्रभि आपणी सचु साजि सवारिआ ॥१॥ रहाउ ॥ प्रभु ने अपनी कृपा करके मुझे सत्य से संवार कर मेरा जीवन सुन्दर बना दिया है॥ १॥ रहाउ॥
ਕਰੁ ਗਹਿ ਲੀਨੇ ਆਪਣੇ ਸਚੁ ਹੁਕਮਿ ਰਜਾਈ ॥ करु गहि लीने आपणे सचु हुकमि रजाई ॥ अपनी इच्छा से प्रभु ने मेरा हाथ पकड़कर अपने आदेश से मुझे अपने चरणों में लीन कर लिया है।
ਜੋ ਪ੍ਰਭਿ ਦਿਤੀ ਦਾਤਿ ਸਾ ਪੂਰਨ ਵਡਿਆਈ ॥੨॥ जो प्रभि दिती दाति सा पूरन वडिआई ॥२॥ जो प्रभु ने मुझे नाम की देन प्रदान की है, वह मेरे लिए पूर्ण प्रशंसा है॥ २॥
ਸਦਾ ਸਦਾ ਗੁਣ ਗਾਈਅਹਿ ਜਪਿ ਨਾਮੁ ਮੁਰਾਰੀ ॥ सदा सदा गुण गाईअहि जपि नामु मुरारी ॥ हे भाई ! प्रभु के नाम को जप कर मैं सदैव ही उसका गुणगान करता रहता हूँ।
ਨੇਮੁ ਨਿਬਾਹਿਓ ਸਤਿਗੁਰੂ ਪ੍ਰਭਿ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰੀ ॥੩॥ नेमु निबाहिओ सतिगुरू प्रभि किरपा धारी ॥३॥ प्रभु ने मुझ पर कृपा की है और सतगुरु की दया से मेरा संकल्प सम्पूर्ण हो गया है॥ ३॥
ਨਾਮੁ ਧਨੁ ਗੁਣ ਗਾਉ ਲਾਭੁ ਪੂਰੈ ਗੁਰਿ ਦਿਤਾ ॥ नामु धनु गुण गाउ लाभु पूरै गुरि दिता ॥ मैं नाम धन प्राप्त करने के लिए प्रभु के गुण गाता हूँ। पूर्ण गुरु ने मुझे नाम-धन का लाभ दिया है।
ਵਣਜਾਰੇ ਸੰਤ ਨਾਨਕਾ ਪ੍ਰਭੁ ਸਾਹੁ ਅਮਿਤਾ ॥੪॥੧੩॥੧੧੫॥ वणजारे संत नानका प्रभु साहु अमिता ॥४॥१३॥११५॥ हे नानक ! संतजन व्यापारी हैं और अनन्त प्रभु उनका साहूकार है॥ ४॥ १३॥ ११५॥
ਆਸਾ ਮਹਲਾ ੫ ॥ आसा महला ५ ॥ राग आसा, पांचवें गुरु: ५ ॥
ਜਾ ਕਾ ਠਾਕੁਰੁ ਤੁਹੀ ਪ੍ਰਭ ਤਾ ਕੇ ਵਡਭਾਗਾ ॥ जा का ठाकुरु तुही प्रभ ता के वडभागा ॥ हे प्रभु ! जिस मनुष्य के एक आप ही ठाकुर हैं, वह बड़ा भाग्यशाली है।
ਓਹੁ ਸੁਹੇਲਾ ਸਦ ਸੁਖੀ ਸਭੁ ਭ੍ਰਮੁ ਭਉ ਭਾਗਾ ॥੧॥ ओहु सुहेला सद सुखी सभु भ्रमु भउ भागा ॥१॥ वह जीवन में सदैव सुखी एवं प्रसन्नचित्त रहता है और उसका सब भ्रम एवं डर दूर हो जाता है॥ १॥
ਹਮ ਚਾਕਰ ਗੋਬਿੰਦ ਕੇ ਠਾਕੁਰੁ ਮੇਰਾ ਭਾਰਾ ॥ हम चाकर गोबिंद के ठाकुरु मेरा भारा ॥ हे बन्धु ! हम गोबिन्द के सेवक है, मेरे ठाकुर सबसे बड़े हैं।
ਕਰਨ ਕਰਾਵਨ ਸਗਲ ਬਿਧਿ ਸੋ ਸਤਿਗੁਰੂ ਹਮਾਰਾ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ करन करावन सगल बिधि सो सतिगुरू हमारा ॥१॥ रहाउ ॥ जो समस्त विधियों से स्वयं ही करने वाला और कराने वाला है, वही हमारा सच्चा गुरु है॥ १॥ रहाउ॥
ਦੂਜਾ ਨਾਹੀ ਅਉਰੁ ਕੋ ਤਾ ਕਾ ਭਉ ਕਰੀਐ ॥ दूजा नाही अउरु को ता का भउ करीऐ ॥ सृष्टि में ईश्वर के बराबर दूसरा कोई नहीं, जिसका भय माना जाए।


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