Page 239
ਜਿਤੁ ਕੋ ਲਾਇਆ ਤਿਤ ਹੀ ਲਾਗਾ ॥
जितु को लाइआ तित ही लागा ॥
प्रत्येक व्यक्ति वही कार्य करता है जो ईश्वर द्वारा उसे निर्धारित किया गया है।
ਸੋ ਸੇਵਕੁ ਨਾਨਕ ਜਿਸੁ ਭਾਗਾ ॥੮॥੬॥
सो सेवकु नानक जिसु भागा ॥८॥६॥
हे नानक ! प्रभु का सेवक केवल वही व्यक्ति बनता है जो भाग्यशाली है ॥८॥६॥
ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
गउड़ी महला ५ ॥
राग गौड़ी, पाँचवें गुरु: ५ ॥
ਬਿਨੁ ਸਿਮਰਨ ਜੈਸੇ ਸਰਪ ਆਰਜਾਰੀ ॥
बिनु सिमरन जैसे सरप आरजारी ॥
भगवान के सिमरन के बिना जैसे मनुष्य का जीवन सर्प जैसा है।
ਤਿਉ ਜੀਵਹਿ ਸਾਕਤ ਨਾਮੁ ਬਿਸਾਰੀ ॥੧॥
तिउ जीवहि साकत नामु बिसारी ॥१॥
इसी प्रकार, जो ईश्वर से विमुख हो जाते हैं, वे अविश्वासी और निंदक बनकर पापमय एवं दूसरों को क्षति पहुँचाने वाला जीवन व्यतीत करते हैं। १ ॥
ਏਕ ਨਿਮਖ ਜੋ ਸਿਮਰਨ ਮਹਿ ਜੀਆ ॥
एक निमख जो सिमरन महि जीआ ॥
जिसने ईश्वर का प्रेमपूर्वक स्मरण करते हुए मात्र एक क्षण भी व्यतीत किया है,
ਕੋਟਿ ਦਿਨਸ ਲਾਖ ਸਦਾ ਥਿਰੁ ਥੀਆ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
कोटि दिनस लाख सदा थिरु थीआ ॥१॥ रहाउ ॥
मानो कि वह न केवल लाखों दिनों तक जीवित रहा, बल्कि सदा के लिए अमर भी हो गया हो १॥ रहाउ॥
ਬਿਨੁ ਸਿਮਰਨ ਧ੍ਰਿਗੁ ਕਰਮ ਕਰਾਸ ॥
बिनु सिमरन ध्रिगु करम करास ॥
भगवान के सिमरन बिना अन्य सांसारिक कर्म करने धिक्कार योग्य हैं।
ਕਾਗ ਬਤਨ ਬਿਸਟਾ ਮਹਿ ਵਾਸ ॥੨॥
काग बतन बिसटा महि वास ॥२॥
जिस तरह कौए की चोंच विष्टा में होती है, वैसे ही स्वेच्छाचारी का निवास विष्टा में होता है॥ २॥
ਬਿਨੁ ਸਿਮਰਨ ਭਏ ਕੂਕਰ ਕਾਮ ॥
बिनु सिमरन भए कूकर काम ॥
भगवान के सिमरन बिना मनुष्य के कर्म कुत्ते जैसे हो जाते हैं।
ਸਾਕਤ ਬੇਸੁਆ ਪੂਤ ਨਿਨਾਮ ॥੩॥
साकत बेसुआ पूत निनाम ॥३॥
शाक्त इन्सान वेश्या के पुत्र की भाँति बदनाम हो जाते हैं। ३॥
ਬਿਨੁ ਸਿਮਰਨ ਜੈਸੇ ਸੀਙ ਛਤਾਰਾ ॥
बिनु सिमरन जैसे सीङ छतारा ॥
भगवान के सिमरन बिना प्राणी सींगों वाले मेंढे(भेड़) की तरह है।
ਬੋਲਹਿ ਕੂਰੁ ਸਾਕਤ ਮੁਖੁ ਕਾਰਾ ॥੪॥
बोलहि कूरु साकत मुखु कारा ॥४॥
अविश्वासी और निंदक सदा असत्य बोलते हैं और हर स्थान पर अपमान का भागी बनते हैं।॥ ४॥
ਬਿਨੁ ਸਿਮਰਨ ਗਰਧਭ ਕੀ ਨਿਆਈ ॥
बिनु सिमरन गरधभ की निआई ॥
भगवान के सिमरन के बिना शाक्त इन्सान गधे की भाँति
ਸਾਕਤ ਥਾਨ ਭਰਿਸਟ ਫਿਰਾਹੀ ॥੫॥
साकत थान भरिसट फिराही ॥५॥
आस्था से रहित निंदक अनेक पतित कर्मभूमियों में भटकते हुए दुःख भोगते हैं। ॥५॥
ਬਿਨੁ ਸਿਮਰਨ ਕੂਕਰ ਹਰਕਾਇਆ ॥
बिनु सिमरन कूकर हरकाइआ ॥
भगवान के सिमरन बिना इन्सान पागल कुते की तरह रहता है।
ਸਾਕਤ ਲੋਭੀ ਬੰਧੁ ਨ ਪਾਇਆ ॥੬॥
साकत लोभी बंधु न पाइआ ॥६॥
शाक्त इन्सान लोभ में फंसकर बन्धनों में ही पड़ा रहता है॥ ६॥
ਬਿਨੁ ਸਿਮਰਨ ਹੈ ਆਤਮ ਘਾਤੀ ॥
बिनु सिमरन है आतम घाती ॥
भगवान् के सिमरन बिना मनुष्य आत्मघाती है।
ਸਾਕਤ ਨੀਚ ਤਿਸੁ ਕੁਲੁ ਨਹੀ ਜਾਤੀ ॥੭॥
साकत नीच तिसु कुलु नही जाती ॥७॥
भगवान् से विमुख जीव नीच है और उसकी कोई कुल अथवा जाति नहीं होती ॥७॥
ਜਿਸੁ ਭਇਆ ਕ੍ਰਿਪਾਲੁ ਤਿਸੁ ਸਤਸੰਗਿ ਮਿਲਾਇਆ ॥
जिसु भइआ क्रिपालु तिसु सतसंगि मिलाइआ ॥
जिस व्यक्ति पर ईश्वर कृपालु हो जाते हैं, उसको वह संतों की संगति में मिला देता है।
ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਗੁਰਿ ਜਗਤੁ ਤਰਾਇਆ ॥੮॥੭॥
कहु नानक गुरि जगतु तराइआ ॥८॥७॥
हे नानक ! गुरु जी ने समूचे संसार का कल्याण कर दिया है ॥८॥७॥
ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
गउड़ी महला ५ ॥
राग गौड़ी, पंचम गुरु।५ ॥
ਗੁਰ ਕੈ ਬਚਨਿ ਮੋਹਿ ਪਰਮ ਗਤਿ ਪਾਈ ॥
गुर कै बचनि मोहि परम गति पाई ॥
गुरु के वचन से मुझे परमगति मिल गई है।
ਗੁਰਿ ਪੂਰੈ ਮੇਰੀ ਪੈਜ ਰਖਾਈ ॥੧॥
गुरि पूरै मेरी पैज रखाई ॥१॥
पूर्ण गुरु ने मेरा मान-सम्मान रख लिया है॥ १॥
ਗੁਰ ਕੈ ਬਚਨਿ ਧਿਆਇਓ ਮੋਹਿ ਨਾਉ ॥
गुर कै बचनि धिआइओ मोहि नाउ ॥
गुरु के वचन से मैंने भगवान् के नाम का ध्यान किया है।
ਗੁਰ ਪਰਸਾਦਿ ਮੋਹਿ ਮਿਲਿਆ ਥਾਉ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
गुर परसादि मोहि मिलिआ थाउ ॥१॥ रहाउ ॥
गुरु की कृपा से मुझे आत्मिक सुख का निवास प्राप्त हो गया है॥ १॥ रहाउ॥
ਗੁਰ ਕੈ ਬਚਨਿ ਸੁਣਿ ਰਸਨ ਵਖਾਣੀ ॥
गुर कै बचनि सुणि रसन वखाणी ॥
मैं गुरु का वचन ही सुनता और अपनी जिह्वा से उच्चरित करता रहता हूँ।
ਗੁਰ ਕਿਰਪਾ ਤੇ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਮੇਰੀ ਬਾਣੀ ॥੨॥
गुर किरपा ते अम्रित मेरी बाणी ॥२॥
गुरु की कृपा से मेरी वाणी अमृत समान मधुर हो गई है॥ २॥
ਗੁਰ ਕੈ ਬਚਨਿ ਮਿਟਿਆ ਮੇਰਾ ਆਪੁ ॥
गुर कै बचनि मिटिआ मेरा आपु ॥
गुरु के वचन से मेरा अहंकार दूर हो गया है।
ਗੁਰ ਕੀ ਦਇਆ ਤੇ ਮੇਰਾ ਵਡ ਪਰਤਾਪੁ ॥੩॥
गुर की दइआ ते मेरा वड परतापु ॥३॥
गुरु की कृपा से मेरा दुनिया में बड़ा प्रताप हो गया है॥ ३॥
ਗੁਰ ਕੈ ਬਚਨਿ ਮਿਟਿਆ ਮੇਰਾ ਭਰਮੁ ॥
गुर कै बचनि मिटिआ मेरा भरमु ॥
गुरु के वचन से मेरा भ्रम मिट गया है।
ਗੁਰ ਕੈ ਬਚਨਿ ਪੇਖਿਓ ਸਭੁ ਬ੍ਰਹਮੁ ॥੪॥
गुर कै बचनि पेखिओ सभु ब्रहमु ॥४॥
गुरु के वचन से मैंने सर्वव्यापक परमात्मा के दर्शन कर लिए हैं।॥ ४॥
ਗੁਰ ਕੈ ਬਚਨਿ ਕੀਨੋ ਰਾਜੁ ਜੋਗੁ ॥
गुर कै बचनि कीनो राजु जोगु ॥
गुरु के वचन से मुझे राजयोग प्राप्त हुआ है।
ਗੁਰ ਕੈ ਸੰਗਿ ਤਰਿਆ ਸਭੁ ਲੋਗੁ ॥੫॥
गुर कै संगि तरिआ सभु लोगु ॥५॥
गुरु की संगति करने से बहुत सारे लोग भवसागर से पार हो गए हैं।॥५॥
ਗੁਰ ਕੈ ਬਚਨਿ ਮੇਰੇ ਕਾਰਜ ਸਿਧਿ ॥
गुर कै बचनि मेरे कारज सिधि ॥
गुरु के वचन से मेरे समस्त कार्य सफल हो गए हैं।
ਗੁਰ ਕੈ ਬਚਨਿ ਪਾਇਆ ਨਾਉ ਨਿਧਿ ॥੬॥
गुर कै बचनि पाइआ नाउ निधि ॥६॥
गुरु के वचन से मुझे नाम का भण्डार मिल गया है॥ ६॥
ਜਿਨਿ ਜਿਨਿ ਕੀਨੀ ਮੇਰੇ ਗੁਰ ਕੀ ਆਸਾ ॥
जिनि जिनि कीनी मेरे गुर की आसा ॥
जिस किसी व्यक्ति ने भी मेरे गुरु पर आस्था धारण की है,
ਤਿਸ ਕੀ ਕਟੀਐ ਜਮ ਕੀ ਫਾਸਾ ॥੭॥
तिस की कटीऐ जम की फासा ॥७॥
उसकी मृत्यु का बन्धन कट गया है॥ ७॥
ਗੁਰ ਕੈ ਬਚਨਿ ਜਾਗਿਆ ਮੇਰਾ ਕਰਮੁ ॥
गुर कै बचनि जागिआ मेरा करमु ॥
गुरु के वचन से ही मेरे भाग्य जाग गए हैं।
ਨਾਨਕ ਗੁਰੁ ਭੇਟਿਆ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ॥੮॥੮॥
नानक गुरु भेटिआ पारब्रहमु ॥८॥८॥
हे नानक ! गुरु को मिलने से ही भगवान् प्राप्त हो गए हैं ॥८॥८॥
ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
गउड़ी महला ५ ॥
राग गौड़ी, पाँचवें गुरु: ५ ॥
ਤਿਸੁ ਗੁਰ ਕਉ ਸਿਮਰਉ ਸਾਸਿ ਸਾਸਿ ॥
तिसु गुर कउ सिमरउ सासि सासि ॥
उस गुरु को मैं श्वास-श्वास से याद करता रहता हूँ।
ਗੁਰੁ ਮੇਰੇ ਪ੍ਰਾਣ ਸਤਿਗੁਰੁ ਮੇਰੀ ਰਾਸਿ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
गुरु मेरे प्राण सतिगुरु मेरी रासि ॥१॥ रहाउ ॥
गुरु मेरे प्राणों का आधार है, यह सतगुरु ही मेरी जीवन-पूंजी हैं॥ १॥ रहाउ॥
ਗੁਰ ਕਾ ਦਰਸਨੁ ਦੇਖਿ ਦੇਖਿ ਜੀਵਾ ॥
गुर का दरसनु देखि देखि जीवा ॥
मैं गुरु के दर्शन करके ही जीवित रहता हूँ।
ਗੁਰ ਕੇ ਚਰਣ ਧੋਇ ਧੋਇ ਪੀਵਾ ॥੧॥
गुर के चरण धोइ धोइ पीवा ॥१॥
मैं गुरु के चरण धो-धोकर उस चरणामृत का पान करता हूँ॥ १ ॥
ਗੁਰ ਕੀ ਰੇਣੁ ਨਿਤ ਮਜਨੁ ਕਰਉ ॥
गुर की रेणु नित मजनु करउ ॥
मैं गुरु की चरण धूल में प्रतिदिन स्नान करता हूँ।
ਜਨਮ ਜਨਮ ਕੀ ਹਉਮੈ ਮਲੁ ਹਰਉ ॥੨॥
जनम जनम की हउमै मलु हरउ ॥२॥
इस प्रकार मैंने जन्म-जन्मांतरों के अहंकार की मैल को धो दिया है॥ २॥
ਤਿਸੁ ਗੁਰ ਕਉ ਝੂਲਾਵਉ ਪਾਖਾ ॥
तिसु गुर कउ झूलावउ पाखा ॥
मैं पूरी निष्ठा से गुरु की सेवा करता हूं,
ਮਹਾ ਅਗਨਿ ਤੇ ਹਾਥੁ ਦੇ ਰਾਖਾ ॥੩॥
महा अगनि ते हाथु दे राखा ॥३॥
अपना हाथ देकर गुरु ने मुझे मोह-माया की महा अग्नि से बचा लिया है॥ ३॥
ਤਿਸੁ ਗੁਰ ਕੈ ਗ੍ਰਿਹਿ ਢੋਵਉ ਪਾਣੀ ॥
तिसु गुर कै ग्रिहि ढोवउ पाणी ॥
मैं उस गुरु के घर के लिए जल की सेवा करता हूँ,
ਜਿਸੁ ਗੁਰ ਤੇ ਅਕਲ ਗਤਿ ਜਾਣੀ ॥੪॥
जिसु गुर ते अकल गति जाणी ॥४॥
जिन से मैंने ज्ञान का मार्ग समझा है॥ ४॥
ਤਿਸੁ ਗੁਰ ਕੈ ਗ੍ਰਿਹਿ ਪੀਸਉ ਨੀਤ ॥
तिसु गुर कै ग्रिहि पीसउ नीत ॥
उस गुरु के घर के लिए मैं सदा ही चक्की पीसता हूँ,
ਜਿਸੁ ਪਰਸਾਦਿ ਵੈਰੀ ਸਭ ਮੀਤ ॥੫॥
जिसु परसादि वैरी सभ मीत ॥५॥
जिसकी दया से मेरे समस्त शत्रु मित्र बन गए हैं।॥ ५॥