Guru Granth Sahib Translation Project

Guru Granth Sahib Hindi Page 918

Page 918

ਬਾਬਾ ਜਿਸੁ ਤੂ ਦੇਹਿ ਸੋਈ ਜਨੁ ਪਾਵੈ ॥ हे बाबा ! जिसे तू देता है, वही व्यक्ति प्राप्त करता है।
ਪਾਵੈ ਤ ਸੋ ਜਨੁ ਦੇਹਿ ਜਿਸ ਨੋ ਹੋਰਿ ਕਿਆ ਕਰਹਿ ਵੇਚਾਰਿਆ ॥ वही व्यक्ति प्राप्त करता है, जिसे तू स्वयं देता है, कोई अन्य असहाय भला क्या कर सकता है।
ਇਕਿ ਭਰਮਿ ਭੂਲੇ ਫਿਰਹਿ ਦਹ ਦਿਸਿ ਇਕਿ ਨਾਮਿ ਲਾਗਿ ਸਵਾਰਿਆ ॥ कोई भ्रम में भूला हुआ है और दसों दिशाओं में भटक रहा है लेकिन किसी ने नाम के संग लगकर अपना जीवन सफल कर लिया है।
ਗੁਰ ਪਰਸਾਦੀ ਮਨੁ ਭਇਆ ਨਿਰਮਲੁ ਜਿਨਾ ਭਾਣਾ ਭਾਵਏ ॥ जिन्हें परमात्मा की इच्छा अच्छी लगी है, गुरु की कृपा से उनका मन निर्मल हो गया है।
ਕਹੈ ਨਾਨਕੁ ਜਿਸੁ ਦੇਹਿ ਪਿਆਰੇ ਸੋਈ ਜਨੁ ਪਾਵਏ ॥੮॥ नानक कहते हैं कि जिसे प्यारा प्रभु देता है, वही व्यक्ति प्राप्त करता है॥ ८॥
ਆਵਹੁ ਸੰਤ ਪਿਆਰਿਹੋ ਅਕਥ ਕੀ ਕਰਹ ਕਹਾਣੀ ॥ हे प्यारे संतजनो ! आओ, हम मिलकर अकथनीय प्रभु की कथा कहानी करें।
ਕਰਹ ਕਹਾਣੀ ਅਕਥ ਕੇਰੀ ਕਿਤੁ ਦੁਆਰੈ ਪਾਈਐ ॥ हम अकथनीय परमात्मा की कथा करें और सोचे कि उसे किस विधि द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
ਤਨੁ ਮਨੁ ਧਨੁ ਸਭੁ ਸਉਪਿ ਗੁਰ ਕਉ ਹੁਕਮਿ ਮੰਨਿਐ ਪਾਈਐ ॥ अपना तन, मन, धन सब कुछ गुरु को सौंपकर उसकी आज्ञा का पालन करके ही ईश्वर को पाया जा सकता है।
ਹੁਕਮੁ ਮੰਨਿਹੁ ਗੁਰੂ ਕੇਰਾ ਗਾਵਹੁ ਸਚੀ ਬਾਣੀ ॥ गुरु की आज्ञा का पालन करो और उसकी सच्ची वाणी गाओ।
ਕਹੈ ਨਾਨਕੁ ਸੁਣਹੁ ਸੰਤਹੁ ਕਥਿਹੁ ਅਕਥ ਕਹਾਣੀ ॥੯॥ नानक कहते हैं कि हे संतजनो ! सुनो, परमेश्वर की अकथनीय कथा कथन करें ॥ ६॥
ਏ ਮਨ ਚੰਚਲਾ ਚਤੁਰਾਈ ਕਿਨੈ ਨ ਪਾਇਆ ॥ हे चंचल मन ! चतुराई से किसी ने भी ईश्वर को प्राप्त नहीं किया।
ਚਤੁਰਾਈ ਨ ਪਾਇਆ ਕਿਨੈ ਤੂ ਸੁਣਿ ਮੰਨ ਮੇਰਿਆ ॥ हे मेरे मन ! तू ध्यान से मेरी बात सुन, चतुराई से किसी ने भी ईश्वर को नहीं पाया।
ਏਹ ਮਾਇਆ ਮੋਹਣੀ ਜਿਨਿ ਏਤੁ ਭਰਮਿ ਭੁਲਾਇਆ ॥ यह माया ऐसी मोहिनी है, जिसने जीवों को भ्रम में डालकर सत्य से भुलाया हुआ है।
ਮਾਇਆ ਤ ਮੋਹਣੀ ਤਿਨੈ ਕੀਤੀ ਜਿਨਿ ਠਗਉਲੀ ਪਾਈਆ ॥ यह मोहिनी माया भी उस परमात्मा की ही पैदा की हुई है, जिसने मोह रूपी ठग-बूटी जीवों के मुंह में डाली हुई है।
ਕੁਰਬਾਣੁ ਕੀਤਾ ਤਿਸੈ ਵਿਟਹੁ ਜਿਨਿ ਮੋਹੁ ਮੀਠਾ ਲਾਇਆ ॥ मैं उस परमात्मा पर बलिहारी जाता हूँ, जिसने (नाम का) मीठा मोह लगाया हुआ है।
ਕਹੈ ਨਾਨਕੁ ਮਨ ਚੰਚਲ ਚਤੁਰਾਈ ਕਿਨੈ ਨ ਪਾਇਆ ॥੧੦॥ नानक कहते हैं कि हे चंचल मन ! चतुराई से किसी ने भी परमात्मा को प्राप्त नहीं किया ॥ १० ॥
ਏ ਮਨ ਪਿਆਰਿਆ ਤੂ ਸਦਾ ਸਚੁ ਸਮਾਲੇ ॥ हे प्यारे मन ! तू सदा सत्य का ध्यान कर।
ਏਹੁ ਕੁਟੰਬੁ ਤੂ ਜਿ ਦੇਖਦਾ ਚਲੈ ਨਾਹੀ ਤੇਰੈ ਨਾਲੇ ॥ यह परिवार जिसे तू देखता है, इसने तेरे साथ नहीं जाना।
ਸਾਥਿ ਤੇਰੈ ਚਲੈ ਨਾਹੀ ਤਿਸੁ ਨਾਲਿ ਕਿਉ ਚਿਤੁ ਲਾਈਐ ॥ जिस परिवार ने तेरे साथ नहीं जाना, उसके साथ तू क्यों चित्त लगा रहा है।
ਐਸਾ ਕੰਮੁ ਮੂਲੇ ਨ ਕੀਚੈ ਜਿਤੁ ਅੰਤਿ ਪਛੋਤਾਈਐ ॥ ऐसा काम बिल्कुल नहीं करना चाहिए, जिससे अन्त में पछताना पड़े।
ਸਤਿਗੁਰੂ ਕਾ ਉਪਦੇਸੁ ਸੁਣਿ ਤੂ ਹੋਵੈ ਤੇਰੈ ਨਾਲੇ ॥ तू सतगुरु का उपदेश सुन, यही तेरे साथ रहेगा।
ਕਹੈ ਨਾਨਕੁ ਮਨ ਪਿਆਰੇ ਤੂ ਸਦਾ ਸਚੁ ਸਮਾਲੇ ॥੧੧॥ नानक कहते हैं कि हे प्यारे मन ! तू सदा सत्य का ध्यान किया कर ॥ ११ ॥
ਅਗਮ ਅਗੋਚਰਾ ਤੇਰਾ ਅੰਤੁ ਨ ਪਾਇਆ ॥ हे अगम्य, अगोचर परमेश्वर ! तेरा अन्त किसी ने भी प्राप्त नहीं किया।
ਅੰਤੋ ਨ ਪਾਇਆ ਕਿਨੈ ਤੇਰਾ ਆਪਣਾ ਆਪੁ ਤੂ ਜਾਣਹੇ ॥ किसी ने भी तेरा अन्त नहीं पाया, तू स्वयं ही अपने आप को जानता है।
ਜੀਅ ਜੰਤ ਸਭਿ ਖੇਲੁ ਤੇਰਾ ਕਿਆ ਕੋ ਆਖਿ ਵਖਾਣਏ ॥ यह सभी जीव-जन्तु तेरा खेल (लीला) है, इस संदर्भ में कोई क्या कहकर बयान करे।
ਆਖਹਿ ਤ ਵੇਖਹਿ ਸਭੁ ਤੂਹੈ ਜਿਨਿ ਜਗਤੁ ਉਪਾਇਆ ॥ जिसने यह जगत् पैदा किया है, तू ही सब में बोल रहा एवं देख रहा है।
ਕਹੈ ਨਾਨਕੁ ਤੂ ਸਦਾ ਅਗੰਮੁ ਹੈ ਤੇਰਾ ਅੰਤੁ ਨ ਪਾਇਆ ॥੧੨॥ नानक कहते हैं कि हे ईश्वर ! तू सदा अगम्य है, तेरा अन्त किसी ने भी नहीं पाया ॥ १२ ॥
ਸੁਰਿ ਨਰ ਮੁਨਿ ਜਨ ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਖੋਜਦੇ ਸੁ ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਗੁਰ ਤੇ ਪਾਇਆ ॥ जिस अमृत को देवता, मनुष्य एवं मुनिजन भी खोजते हैं, वह अमृत मुझे गुरु से प्राप्त हुआ है।
ਪਾਇਆ ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਗੁਰਿ ਕ੍ਰਿਪਾ ਕੀਨੀ ਸਚਾ ਮਨਿ ਵਸਾਇਆ ॥ गुरु की कृपा से मुझे अमृत प्राप्त हुआ है और परम-सत्य को मेरे मन में बसा दिया है।
ਜੀਅ ਜੰਤ ਸਭਿ ਤੁਧੁ ਉਪਾਏ ਇਕਿ ਵੇਖਿ ਪਰਸਣਿ ਆਇਆ ॥ हे ईश्वर ! सभी जीव-जन्तु तूने ही उत्पन्न किए हैं, पर कोई दुर्लभ ही गुरु के दर्शन एवं चरण-स्पर्श करने आया है।
ਲਬੁ ਲੋਭੁ ਅਹੰਕਾਰੁ ਚੂਕਾ ਸਤਿਗੁਰੂ ਭਲਾ ਭਾਇਆ ॥ उसका लालच, लोभ एवं अहंकार दूर हो गया है और उसे सतगुरु ही भला लगा है।
ਕਹੈ ਨਾਨਕੁ ਜਿਸ ਨੋ ਆਪਿ ਤੁਠਾ ਤਿਨਿ ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਗੁਰ ਤੇ ਪਾਇਆ ॥੧੩॥ नानक कहते हैं कि जिस पर परमात्मा स्वयं प्रसन्न हो गया है, उसे गुरु से अमृत मिल गया है॥ १३॥
ਭਗਤਾ ਕੀ ਚਾਲ ਨਿਰਾਲੀ ॥ भक्तों का जीवन-आचरण दुनिया के अन्य लोगों से निराला होता है।
ਚਾਲਾ ਨਿਰਾਲੀ ਭਗਤਾਹ ਕੇਰੀ ਬਿਖਮ ਮਾਰਗਿ ਚਲਣਾ ॥ भक्तों का जीवन-आचरण इसलिए निराला है, क्योंकि उन्होंने बड़े कठिन मार्ग पर चलना होता है।
ਲਬੁ ਲੋਭੁ ਅਹੰਕਾਰੁ ਤਜਿ ਤ੍ਰਿਸਨਾ ਬਹੁਤੁ ਨਾਹੀ ਬੋਲਣਾ ॥ वे लालच, लोभ, अहंकार एवं तृष्णा को त्याग कर अधिक नहीं बोलना चाहते।
ਖੰਨਿਅਹੁ ਤਿਖੀ ਵਾਲਹੁ ਨਿਕੀ ਏਤੁ ਮਾਰਗਿ ਜਾਣਾ ॥ उन्होंने इस मार्ग पर जाना होता है, जो तलवार की धार से भी तीक्ष्ण एवं बाल से भी छोटा होता है।
error: Content is protected !!
Scroll to Top
https://mta.sertifikasi.upy.ac.id/application/mdemo/ slot gacor slot demo https://bppkad.mamberamorayakab.go.id/wp-content/modemo/ http://gsgs.lingkungan.ft.unand.ac.id/includes/demo/
https://jackpot-1131.com/ https://mainjp1131.com/ https://triwarno-banyuurip.purworejokab.go.id/template-surat/kk/kaka-sbobet/
https://mta.sertifikasi.upy.ac.id/application/mdemo/ slot gacor slot demo https://bppkad.mamberamorayakab.go.id/wp-content/modemo/ http://gsgs.lingkungan.ft.unand.ac.id/includes/demo/
https://jackpot-1131.com/ https://mainjp1131.com/ https://triwarno-banyuurip.purworejokab.go.id/template-surat/kk/kaka-sbobet/