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ਭਗਤਿ ਵਛਲੁ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਹੈ ਗੁਰਮੁਖਿ ਹਰਿ ਲੀਨਾ ਰਾਮ ॥
भगति वछलु हरि नामु है गुरमुखि हरि लीना राम ॥
गुरु के अनुयायी भगवान् के प्रति पूरी तरह समर्पित रहते हैं, और वे भक्तिमय पूजा के प्रेमी होते हैं।
ਬਿਨੁ ਹਰਿ ਨਾਮ ਨ ਜੀਵਦੇ ਜਿਉ ਜਲ ਬਿਨੁ ਮੀਨਾ ਰਾਮ ॥
बिनु हरि नाम न जीवदे जिउ जल बिनु मीना राम ॥
जैसे जल के बिना मछली नहीं रह सकती, वैसे ही भक्तजन हरि-नाम के बिना आध्यात्मिक रूप से जीवित नहीं रह सकते।
ਸਫਲ ਜਨਮੁ ਹਰਿ ਪਾਇਆ ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਭਿ ਕੀਨਾ ਰਾਮ ॥੪॥੧॥੩॥
सफल जनमु हरि पाइआ नानक प्रभि कीना राम ॥४॥१॥३॥
हे नानक ! जिसने ईश्वर को पा लिया है, उसका जीवन सफल हो गया है॥ ४ ॥ १ ॥ ३ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੪ ਸਲੋਕੁ ॥
बिलावलु महला ४ सलोकु ॥
राग बिलावल, चतुर्थ गुरु, श्लोक:॥
ਹਰਿ ਪ੍ਰਭੁ ਸਜਣੁ ਲੋੜਿ ਲਹੁ ਮਨਿ ਵਸੈ ਵਡਭਾਗੁ ॥
हरि प्रभु सजणु लोड़ि लहु मनि वसै वडभागु ॥
अपने सज्जन प्रभु को ढूंढ लो, जिसके मन में बस जाता है, वही भाग्यशाली है।
ਗੁਰਿ ਪੂਰੈ ਵੇਖਾਲਿਆ ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਲਿਵ ਲਾਗੁ ॥੧॥
गुरि पूरै वेखालिआ नानक हरि लिव लागु ॥१॥
हे नानक ! जिसे पूर्ण गुरु ने परमात्मा का साक्षात्कार कराया, वह सदा के लिए उसमें विलीन हो गया।॥ १॥
ਛੰਤ ॥
छंत ॥
छंद ॥
ਮੇਰਾ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭੁ ਰਾਵਣਿ ਆਈਆ ਹਉਮੈ ਬਿਖੁ ਝਾਗੇ ਰਾਮ ॥
मेरा हरि प्रभु रावणि आईआ हउमै बिखु झागे राम ॥
विषैले अहंकार को नष्ट करने के बाद, आत्म-वधू भगवान् की संगति का आनंद लेने आई है।
ਗੁਰਮਤਿ ਆਪੁ ਮਿਟਾਇਆ ਹਰਿ ਹਰਿ ਲਿਵ ਲਾਗੇ ਰਾਮ ॥
गुरमति आपु मिटाइआ हरि हरि लिव लागे राम ॥
गुरु की शिक्षाओं का अनुसरण कर, वह अपने अहंकार के विष को नष्ट करके प्रभु के प्रति समर्पित हो जाती है।
ਅੰਤਰਿ ਕਮਲੁ ਪਰਗਾਸਿਆ ਗੁਰ ਗਿਆਨੀ ਜਾਗੇ ਰਾਮ ॥
अंतरि कमलु परगासिआ गुर गिआनी जागे राम ॥
गुरु से प्राप्त आध्यात्मिक ज्ञान के द्वारा, वह विकारों के आक्रमण से सचेत रहती है और ऐसा महसूस करती है जैसे उसका हृदय-कमल खिल गया हो।
ਜਨ ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭੁ ਪਾਇਆ ਪੂਰੈ ਵਡਭਾਗੇ ਰਾਮ ॥੧॥
जन नानक हरि प्रभु पाइआ पूरै वडभागे राम ॥१॥
हे नानक ! पूर्ण भाग्य से परमात्मा को प्राप्त किया है ॥ १॥
ਹਰਿ ਪ੍ਰਭੁ ਹਰਿ ਮਨਿ ਭਾਇਆ ਹਰਿ ਨਾਮਿ ਵਧਾਈ ਰਾਮ ॥
हरि प्रभु हरि मनि भाइआ हरि नामि वधाई राम ॥
जिसके मन पर भगवान् प्रसन्न हो जाते हैं, वह नाम के प्रभाव से सदा प्रसन्न रहता है।
ਗੁਰਿ ਪੂਰੈ ਪ੍ਰਭੁ ਪਾਇਆ ਹਰਿ ਹਰਿ ਲਿਵ ਲਾਈ ਰਾਮ ॥
गुरि पूरै प्रभु पाइआ हरि हरि लिव लाई राम ॥
पूर्ण गुरु द्वारा प्रभु को पाकर उसमें ही लगन लगाई है।
ਅਗਿਆਨੁ ਅੰਧੇਰਾ ਕਟਿਆ ਜੋਤਿ ਪਰਗਟਿਆਈ ਰਾਮ ॥
अगिआनु अंधेरा कटिआ जोति परगटिआई राम ॥
मेरा अज्ञान का अंधेरा मिट गया है और मन में ज्योति प्रज्वलित हो गई है।
ਜਨ ਨਾਨਕ ਨਾਮੁ ਅਧਾਰੁ ਹੈ ਹਰਿ ਨਾਮਿ ਸਮਾਈ ਰਾਮ ॥੨॥
जन नानक नामु अधारु है हरि नामि समाई राम ॥२॥
हे नानक ! नाम ही मेरा जीवनाधार है और हरि-नाम में ही हो गई हूँ॥ २॥
ਧਨ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭਿ ਪਿਆਰੈ ਰਾਵੀਆ ਜਾਂ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭ ਭਾਈ ਰਾਮ ॥
धन हरि प्रभि पिआरै रावीआ जां हरि प्रभ भाई राम ॥
जब वह आत्म-वधु प्रभु को अच्छी लगी तो प्यारे प्रभु ने उसे अपने साथ मिला लिया।
ਅਖੀ ਪ੍ਰੇਮ ਕਸਾਈਆ ਜਿਉ ਬਿਲਕ ਮਸਾਈ ਰਾਮ ॥
अखी प्रेम कसाईआ जिउ बिलक मसाई राम ॥
उसकी आँखें प्रेम में ऐसे आकर्षित हो गई जैसे बिल्ली की आँखें चूहे की ओर होती हैं।
ਗੁਰਿ ਪੂਰੈ ਹਰਿ ਮੇਲਿਆ ਹਰਿ ਰਸਿ ਆਘਾਈ ਰਾਮ ॥
गुरि पूरै हरि मेलिआ हरि रसि आघाई राम ॥
पूर्ण गुरु ने उसे हरि से मिला दिया है और हरि-रस पीकर उसकी माया की लालसा तृप्त हो गई है।
ਜਨ ਨਾਨਕ ਨਾਮਿ ਵਿਗਸਿਆ ਹਰਿ ਹਰਿ ਲਿਵ ਲਾਈ ਰਾਮ ॥੩॥
जन नानक नामि विगसिआ हरि हरि लिव लाई राम ॥३॥
हे नानक ! हरि-नाम द्वारा उसका हृदय-कमल खिल गया है और वह हरि में ही लगन लगा कर रखती है॥ ३॥
ਹਮ ਮੂਰਖ ਮੁਗਧ ਮਿਲਾਇਆ ਹਰਿ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰੀ ਰਾਮ ॥
हम मूरख मुगध मिलाइआ हरि किरपा धारी राम ॥
ईश्वर ने कृपा करके मुझ मूर्ख एवं नासमझ को अपने साथ मिला लिया है।
ਧਨੁ ਧੰਨੁ ਗੁਰੂ ਸਾਬਾਸਿ ਹੈ ਜਿਨਿ ਹਉਮੈ ਮਾਰੀ ਰਾਮ ॥
धनु धंनु गुरू साबासि है जिनि हउमै मारी राम ॥
वह गुरु धन्य है, प्रशंसा का पात्र है, जिसने मेरा अहंकार नाश कर दिया है।
ਜਿਨ੍ਹ੍ਹ ਵਡਭਾਗੀਆ ਵਡਭਾਗੁ ਹੈ ਹਰਿ ਹਰਿ ਉਰ ਧਾਰੀ ਰਾਮ ॥
जिन्ह वडभागीआ वडभागु है हरि हरि उर धारी राम ॥
जिन भाग्यशालियों का भाग्य उदय हो गया है, उन्होंने परमात्मा को अपने हृदय में बसा लिया है।
ਜਨ ਨਾਨਕ ਨਾਮੁ ਸਲਾਹਿ ਤੂ ਨਾਮੇ ਬਲਿਹਾਰੀ ਰਾਮ ॥੪॥੨॥੪॥
जन नानक नामु सलाहि तू नामे बलिहारी राम ॥४॥२॥४॥
हे नानक ! तू नाम की स्तुति करता रह और नाम पर बलिहारी हो जा।॥ ४ ॥ २ ॥ ४॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ਛੰਤ
बिलावलु महला ५ छंत
राग बिलावल, पंचम गुरु, छंद:
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ईश्वर एक है जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है। ॥
ਮੰਗਲ ਸਾਜੁ ਭਇਆ ਪ੍ਰਭੁ ਅਪਨਾ ਗਾਇਆ ਰਾਮ ॥
मंगल साजु भइआ प्रभु अपना गाइआ राम ॥
हे सखी ! जब मैंने अपने भगवान् का यशोगान किया, तो मेरे मन में अपार प्रसन्नता की लहर उमड़ उठी
ਅਬਿਨਾਸੀ ਵਰੁ ਸੁਣਿਆ ਮਨਿ ਉਪਜਿਆ ਚਾਇਆ ਰਾਮ ॥
अबिनासी वरु सुणिआ मनि उपजिआ चाइआ राम ॥
जब अपने अविनाशी वर का नाम सुना तो मेरे मन में उसे देखने की तीव्र लालसा जाग उठी।
ਮਨਿ ਪ੍ਰੀਤਿ ਲਾਗੈ ਵਡੈ ਭਾਗੈ ਕਬ ਮਿਲੀਐ ਪੂਰਨ ਪਤੇ ॥
मनि प्रीति लागै वडै भागै कब मिलीऐ पूरन पते ॥
बड़े भाग्य से मेरे मन में उसके लिए प्रीति लगी है, अब पूर्ण पति-प्रभु से कब मिलन होगा ?
ਸਹਜੇ ਸਮਾਈਐ ਗੋਵਿੰਦੁ ਪਾਈਐ ਦੇਹੁ ਸਖੀਏ ਮੋਹਿ ਮਤੇ ॥
सहजे समाईऐ गोविंदु पाईऐ देहु सखीए मोहि मते ॥
हे सखी ! मुझे ऐसी शिक्षा दो कि मैं गोविंद को पा लूं और सहज ही उसमें लीन रहूँ।
ਦਿਨੁ ਰੈਣਿ ਠਾਢੀ ਕਰਉ ਸੇਵਾ ਪ੍ਰਭੁ ਕਵਨ ਜੁਗਤੀ ਪਾਇਆ ॥
दिनु रैणि ठाढी करउ सेवा प्रभु कवन जुगती पाइआ ॥
हे मेरे सखी, यदि तुम मुझे यह बताओ कि ईश्वर को कैसे प्राप्त किया जाए, तो मैं सदा तुम्हारी सेवा में तत्पर रहूँगी।
ਬਿਨਵੰਤਿ ਨਾਨਕ ਕਰਹੁ ਕਿਰਪਾ ਲੈਹੁ ਮੋਹਿ ਲੜਿ ਲਾਇਆ ॥੧॥
बिनवंति नानक करहु किरपा लैहु मोहि लड़ि लाइआ ॥१॥
नानक की विनती है कि हे प्रभु ! कृपा करके मुझे अपने साथ मिला लो। ॥ १॥
ਭਇਆ ਸਮਾਹੜਾ ਹਰਿ ਰਤਨੁ ਵਿਸਾਹਾ ਰਾਮ ॥
भइआ समाहड़ा हरि रतनु विसाहा राम ॥
हे मित्रो, जिस व्यक्ति को भगवान् का रत्न तुल्य अमूल्य नाम प्राप्त होता है, उसके मन में अपार आनंद और शांति का संचार होता है।
ਖੋਜੀ ਖੋਜਿ ਲਧਾ ਹਰਿ ਸੰਤਨ ਪਾਹਾ ਰਾਮ ॥
खोजी खोजि लधा हरि संतन पाहा राम ॥
परंतु भगवान् का यह अमूल्य नाम, सच्चे संतों से, किसी विरले साधक को ही प्राप्त होता है।
ਮਿਲੇ ਸੰਤ ਪਿਆਰੇ ਦਇਆ ਧਾਰੇ ਕਥਹਿ ਅਕਥ ਬੀਚਾਰੋ ॥
मिले संत पिआरे दइआ धारे कथहि अकथ बीचारो ॥
जब कोई भगवान् के सच्चे संतों से मिलता है, तो संत जन अपनी दया से उसे आशीर्वादित करते हैं और उसके साथ भगवान् की स्तुति के दिव्य शब्दों पर चिंतन करते हैं।
ਇਕ ਚਿਤਿ ਇਕ ਮਨਿ ਧਿਆਇ ਸੁਆਮੀ ਲਾਇ ਪ੍ਰੀਤਿ ਪਿਆਰੋ ॥
इक चिति इक मनि धिआइ सुआमी लाइ प्रीति पिआरो ॥
हे मेरे सखी, मैं प्रेम-प्रीति लगाकर एकाग्रचित होकर अपने स्वामी का ध्यान करती रहती हूँ।
ਕਰ ਜੋੜਿ ਪ੍ਰਭ ਪਹਿ ਕਰਿ ਬਿਨੰਤੀ ਮਿਲੈ ਹਰਿ ਜਸੁ ਲਾਹਾ ॥
कर जोड़ि प्रभ पहि करि बिनंती मिलै हरि जसु लाहा ॥
अपने हाथ जोड़कर मैं प्रभु से विनती करती हूँ कि मुझे हरि-यश रूपी लाभ प्राप्त हो।
ਬਿਨਵੰਤਿ ਨਾਨਕ ਦਾਸੁ ਤੇਰਾ ਮੇਰਾ ਪ੍ਰਭੁ ਅਗਮ ਅਥਾਹਾ ॥੨॥
बिनवंति नानक दासु तेरा मेरा प्रभु अगम अथाहा ॥२॥
नानक विनती करता है कि हे मेरे अगम्य-अथाह प्रभु ! मैं आपका दास हूँ ॥२॥