Guru Granth Sahib Translation Project

Guru Granth Sahib Hindi Page 818

Page 818

ਤੰਤੁ ਮੰਤੁ ਨਹ ਜੋਹਈ ਤਿਤੁ ਚਾਖੁ ਨ ਲਾਗੈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ कोई तंत्र-मंत्र उसे स्पर्श नहीं करता और बुरी बला भी उस पर कोई असर नहीं करती ॥ १॥ रहाउ ॥
ਕਾਮ ਕ੍ਰੋਧ ਮਦ ਮਾਨ ਮੋਹ ਬਿਨਸੇ ਅਨਰਾਗੈ ॥ भगवान् की भक्ति में लीन रहने से काम, क्रोध, लोभ, मोह एवं अहंकार सब नष्ट हो जाते हैं।
ਆਨੰਦ ਮਗਨ ਰਸਿ ਰਾਮ ਰੰਗਿ ਨਾਨਕ ਸਰਨਾਗੈ ॥੨॥੪॥੬੮॥ हे नानक ! जो परमेश्वर की शरण में रहता है, प्रभु के प्रेम के रंगा में हुआ वह जीव आनंद में लीन रहता। ॥२॥४॥६८॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥ राग बिलावल, पाँचवें गुरु: ५ ॥
ਜੀਅ ਜੁਗਤਿ ਵਸਿ ਪ੍ਰਭੂ ਕੈ ਜੋ ਕਹੈ ਸੁ ਕਰਨਾ ॥ जीवों की जीवन-युक्ति प्रभु के वश में है और वें सभी वहीं करते है; प्रभु जो आदेश करते हैं।
ਭਏ ਪ੍ਰਸੰਨ ਗੋਪਾਲ ਰਾਇ ਭਉ ਕਿਛੁ ਨਹੀ ਕਰਨਾ ॥੧॥ जब ईश्वर प्रसन्न हो जाते है तो जीवों को डरने की कोई आवश्यकता नहीं रहती ॥ १॥
ਦੂਖੁ ਨ ਲਾਗੈ ਕਦੇ ਤੁਧੁ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਚਿਤਾਰੇ ॥ हे जीव ! प्रेमपूर्वक और भक्तिपूर्वक पारब्रह्म भगवान् का स्मरण करने से तुझे कभी कोई दुःख नहीं लगेगा।
ਜਮਕੰਕਰੁ ਨੇੜਿ ਨ ਆਵਈ ਗੁਰਸਿਖ ਪਿਆਰੇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ गुरु के प्यारे शिष्य के पास यमदूत भी आने का दुस्साहस नहीं करता ॥ १॥ रहाउ ॥
ਕਰਣ ਕਾਰਣ ਸਮਰਥੁ ਹੈ ਤਿਸੁ ਬਿਨੁ ਨਹੀ ਹੋਰੁ ॥ करने-करवाने में ईश्वर सर्वसमर्थ है, उसके अतिरिक्त अन्य कोई नहीं।
ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਭ ਸਰਣਾਗਤੀ ਸਾਚਾ ਮਨਿ ਜੋਰੁ ॥੨॥੫॥੬੯॥ हे नानक ! जो भगवान् की शरण में रहता है, उसके मन में भगवान् का सदा समर्थन बना रहता है। ॥ २॥ ५॥ ६६ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥ राग बिलावल, पाँचवें गुरु: ५ ॥
ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਪ੍ਰਭੁ ਆਪਨਾ ਨਾਠਾ ਦੁਖ ਠਾਉ ॥ भगवान् को सदा भक्तिपूर्वक स्मरण करने से दुःखों का का मूल कारण शीघ्र ही दूर हो गया है।
ਬਿਸ੍ਰਾਮ ਪਾਏ ਮਿਲਿ ਸਾਧਸੰਗਿ ਤਾ ਤੇ ਬਹੁੜਿ ਨ ਧਾਉ ॥੧॥ साधु संगती में मिलकर मुझे सुख-शान्ति प्राप्त हो गई है, इसलिए अन्यत्र भटकना नहीं पड़ता ॥ १॥
ਬਲਿਹਾਰੀ ਗੁਰ ਆਪਨੇ ਚਰਨਨ੍ਹ੍ ਬਲਿ ਜਾਉ ॥ मैं अपने गुरु पर बलिहारी जाता हूँ और उनके चरणों पर ही न्यौछावर हूँ।
ਅਨਦ ਸੂਖ ਮੰਗਲ ਬਨੇ ਪੇਖਤ ਗੁਨ ਗਾਉ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ उनके दर्शन एवं गुणगान करने से मन में आनंद, सुख एवं मंगल बना रहता है॥ १॥ रहाउ॥
ਕਥਾ ਕੀਰਤਨੁ ਰਾਗ ਨਾਦ ਧੁਨਿ ਇਹੁ ਬਨਿਓ ਸੁਆਉ ॥ हरि की कथा-कीर्तन, स्तुतिगान एवं अनहद शब्द की ध्वनि को सुनना ही मेरा जीवन-मनोरथ बन चुका है।
ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਭ ਸੁਪ੍ਰਸੰਨ ਭਏ ਬਾਂਛਤ ਫਲ ਪਾਉ ॥੨॥੬॥੭੦॥ हे नानक ! प्रभु सुप्रसन्न हो गए है, जिससे मुझे मनोवांछित फल प्राप्त हो गया है॥ २॥ ६॥ ७० ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥ राग बिलावल, पाँचवें गुरु: ५ ॥
ਦਾਸ ਤੇਰੇ ਕੀ ਬੇਨਤੀ ਰਿਦ ਕਰਿ ਪਰਗਾਸੁ ॥ हे ईश्वर ! यह आपके भक्त की प्रार्थना है कि कृपया मेरे हृदय को आध्यात्मिक ज्ञान से आलोकित करें।
ਤੁਮ੍ਹ੍ਹਰੀ ਕ੍ਰਿਪਾ ਤੇ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਦੋਖਨ ਕੋ ਨਾਸੁ ॥੧॥ हे पारब्रह्म ! आपकी कृपा से सभी दोष नष्ट हो सकते हैं।॥ १॥
ਚਰਨ ਕਮਲ ਕਾ ਆਸਰਾ ਪ੍ਰਭ ਪੁਰਖ ਗੁਣਤਾਸੁ ॥ हे प्रभु !आप गुणों का भण्डार है और आपके चरण-कमलों का ही आसरा है।
ਕੀਰਤਨ ਨਾਮੁ ਸਿਮਰਤ ਰਹਉ ਜਬ ਲਗੁ ਘਟਿ ਸਾਸੁ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ जब तक मेरी जीवन-सांसें चल रही हैं, मैं आपका ही नाम-सिमरन एवं कीर्तन करता रहूँ॥ १॥ रहाउ॥
ਮਾਤ ਪਿਤਾ ਬੰਧਪ ਤੂਹੈ ਤੂ ਸਰਬ ਨਿਵਾਸੁ ॥ आप ही मेरे माता-पिता एवं संबंधी है और आप सब में व्याप्त है।
ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਭ ਸਰਣਾਗਤੀ ਜਾ ਕੋ ਨਿਰਮਲ ਜਾਸੁ ॥੨॥੭॥੭੧॥ हे नानक ! मैं उस प्रभु की शरण में हूँ, जिसका यश बहुत निर्मल है॥ २॥ ७ ॥ ७१ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥ राग बिलावल, पाँचवें गुरु: ५ ॥
ਸਰਬ ਸਿਧਿ ਹਰਿ ਗਾਈਐ ਸਭਿ ਭਲਾ ਮਨਾਵਹਿ ॥ ईश्वर सर्व सिद्धियों के स्वामी है, उनका स्तुतिगान करने से सभी सुख एवं कल्याण की अनुभूति करते हैं।
ਸਾਧੁ ਸਾਧੁ ਮੁਖ ਤੇ ਕਹਹਿ ਸੁਣਿ ਦਾਸ ਮਿਲਾਵਹਿ ॥੧॥ मुख से सभी लोग उन्हें साधु-साधु कहते हैं और उन संतो का उपदेश सुनकर लोग श्रद्धा और नम्रता से उन्हें प्रणाम करते हैं।॥ १॥
ਸੂਖ ਸਹਜ ਕਲਿਆਣ ਰਸ ਪੂਰੈ ਗੁਰਿ ਕੀਨ੍ਹ੍ ॥ पूर्ण गुरु ने जिस जीव को सहज सुख एवं कल्याण प्रदान किया है।
ਜੀਅ ਸਗਲ ਦਇਆਲ ਭਏ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਚੀਨ੍ਹ੍ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ हरि-नाम के भेद को पहचान कर सभी जीवों के प्रति दयालु हो गए हैं।॥ १॥ रहाउ॥
ਪੂਰਿ ਰਹਿਓ ਸਰਬਤ੍ਰ ਮਹਿ ਪ੍ਰਭ ਗੁਣੀ ਗਹੀਰ ॥ गुणों के गहरा सागर प्रभु सब में व्याप्त हैं।
ਨਾਨਕ ਭਗਤ ਆਨੰਦ ਮੈ ਪੇਖਿ ਪ੍ਰਭ ਕੀ ਧੀਰ ॥੨॥੮॥੭੨॥ हे नानक ! प्रभु का समर्थन पाकर भक्तजन आनंदमय हो गए हैं।॥ २॥ ८॥ ७२॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥ राग बिलावल, पाँचवें गुरु: ५ ॥
ਅਰਦਾਸਿ ਸੁਣੀ ਦਾਤਾਰਿ ਪ੍ਰਭਿ ਹੋਏ ਕਿਰਪਾਲ ॥ दाता-प्रभु ने दयावान होकर हमारी प्रार्थना सुन ली है।
ਰਾਖਿ ਲੀਆ ਅਪਨਾ ਸੇਵਕੋ ਮੁਖਿ ਨਿੰਦਕ ਛਾਰੁ ॥੧॥ प्रभु ने अपने सेवकों की रक्षा की है तथा अपने भक्तों की निंदा करने वाले निंदकों के मुंह काले कर दिए हैं ॥१॥
ਤੁਝਹਿ ਨ ਜੋਹੈ ਕੋ ਮੀਤ ਜਨ ਤੂੰ ਗੁਰ ਕਾ ਦਾਸ ॥ हे मीत ! यदि तुम गुरु की शिक्षाओं का पालन करोगे, तो कोई भी तुझ पर कुदृष्टि नहीं डाल सकता।
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮਿ ਤੂ ਰਾਖਿਆ ਦੇ ਅਪਨੇ ਹਾਥ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ अपना हाथ देकर पारब्रह्म ने तेरी रक्षा की है॥ १॥ रहाउ॥
ਜੀਅਨ ਕਾ ਦਾਤਾ ਏਕੁ ਹੈ ਬੀਆ ਨਹੀ ਹੋਰੁ ॥ हे मेरे मित्र, ईश्वर ही सभी प्राणियों के एकमात्र हितकारी है; उनके अतिरिक्त अन्य कोई नहीं है।
ਨਾਨਕ ਕੀ ਬੇਨੰਤੀਆ ਮੈ ਤੇਰਾ ਜੋਰੁ ॥੨॥੯॥੭੩॥ नानक प्रार्थना करते हैं कि हे प्रभु ! आप ही मेरा आत्मबल हो। ॥ २॥ ६॥ ७३॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥ राग बिलावल, पाँचवें गुरु: ५ ॥
ਮੀਤ ਹਮਾਰੇ ਸਾਜਨਾ ਰਾਖੇ ਗੋਵਿੰਦ ॥ हे मेरे मित्रों-सज्जनो ! प्रभु गोविंद ने तुम्हारी रक्षा की है,
ਨਿੰਦਕ ਮਿਰਤਕ ਹੋਇ ਗਏ ਤੁਮ੍ਹ੍ਹ ਹੋਹੁ ਨਿਚਿੰਦ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ निंदक आध्यात्मिक रूप से मृत हो गए हैं, इसलिए तुम निश्चित होकर रहो॥ १॥ रहाउ॥
ਸਗਲ ਮਨੋਰਥ ਪ੍ਰਭਿ ਕੀਏ ਭੇਟੇ ਗੁਰਦੇਵ ॥ जिस व्यक्ति ने ईश्वर से साक्षात्कार किया है और उनकी शिक्षाओं का पालन किया है, उसकी सभी आशाएँ और इच्छाएँ ईश्वर ने पूर्ण कर दी हैं।


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