Guru Granth Sahib Translation Project

Guru Granth Sahib Hindi Page 805

Page 805

ਚਰਨ ਕਮਲ ਸਿਉ ਲਾਈਐ ਚੀਤਾ ॥੧॥ जब भगवान् के चरणों में चित्त लगाया जाता है ॥१॥
ਹਉ ਬਲਿਹਾਰੀ ਜੋ ਪ੍ਰਭੂ ਧਿਆਵਤ ॥ जो प्रभु का ध्यान करता है, मैं उस पर बलिहारी जाता हूँ।
ਜਲਨਿ ਬੁਝੈ ਹਰਿ ਹਰਿ ਗੁਨ ਗਾਵਤ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ भगवान् का गुणगान करने से सांसारिक इच्छाओं की अग्नि बुझ जाती है॥ १॥ रहाउ॥
ਸਫਲ ਜਨਮੁ ਹੋਵਤ ਵਡਭਾਗੀ ॥ उस भाग्यशाली का जन्म सफल हो जाता है
ਸਾਧਸੰਗਿ ਰਾਮਹਿ ਲਿਵ ਲਾਗੀ ॥੨॥ संतों की संगति में जिसकी राम में लगन लग जाती है ॥ २॥
ਮਤਿ ਪਤਿ ਧਨੁ ਸੁਖ ਸਹਜ ਅਨੰਦਾ ॥ उसे सुमति, मान-सम्मान, धन-दौलत, परम सुख एवं आनंद प्राप्त हो जाता है।
ਇਕ ਨਿਮਖ ਨ ਵਿਸਰਹੁ ਪਰਮਾਨੰਦਾ ॥੩॥ यदि कोई परमानंद के स्वामी भगवान् को एक पलक के लिए भी नहीं त्यागता है। ॥ ३॥
ਹਰਿ ਦਰਸਨ ਕੀ ਮਨਿ ਪਿਆਸ ਘਨੇਰੀ ॥ मेरे मन में हरि-दर्शन की तीव्र लालसा लगी हुई है।
ਭਨਤਿ ਨਾਨਕ ਸਰਣਿ ਪ੍ਰਭ ਤੇਰੀ ॥੪॥੮॥੧੩॥ नानक प्रार्थना करते हैं कि हे प्रभु! मैं आपकी शरण में आया हूँ ॥४॥८॥१३॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥ राग बिलावल, पंचम गुरु: ५ ॥
ਮੋਹਿ ਨਿਰਗੁਨ ਸਭ ਗੁਣਹ ਬਿਹੂਨਾ ॥ मैं निर्गुण तो सभी गुणों से विहीन हूँ।
ਦਇਆ ਧਾਰਿ ਅਪੁਨਾ ਕਰਿ ਲੀਨਾ ॥੧॥ प्रभु ने कृपा करके मुझे अपना बना लिया है ॥१॥
ਮੇਰਾ ਮਨੁ ਤਨੁ ਹਰਿ ਗੋਪਾਲਿ ਸੁਹਾਇਆ ॥ ईश्वर ने मेरा मन-तन सुन्दर बना दिया है और
ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਪ੍ਰਭੁ ਘਰ ਮਹਿ ਆਇਆ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ अपनी कृपा करके प्रभु मेरे हृदय-घर में आ गया है ॥१॥ रहाउ ॥
ਭਗਤਿ ਵਛਲ ਭੈ ਕਾਟਨਹਾਰੇ ॥ हे ईश्वर,आप भक्तवत्सल एवं भय मिटाने वाले है।
ਸੰਸਾਰ ਸਾਗਰ ਅਬ ਉਤਰੇ ਪਾਰੇ ॥੨॥ अब तेरी करुणा से मैं संसार-सागर से पार हो गया हूँ ॥२॥
ਪਤਿਤ ਪਾਵਨ ਪ੍ਰਭ ਬਿਰਦੁ ਬੇਦਿ ਲੇਖਿਆ ॥ वेदों में लिखा है कि प्रभु का यही विरद् है कि वह पतितों को पावन करने वाले है।
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਸੋ ਨੈਨਹੁ ਪੇਖਿਆ ॥੩॥ मैंने उस पारब्रह्म को अपनी आँखों से देख लिया है॥ ३॥
ਸਾਧਸੰਗਿ ਪ੍ਰਗਟੇ ਨਾਰਾਇਣ ॥ ਨਾਨਕ ਦਾਸ ਸਭਿ ਦੂਖ ਪਲਾਇਣ ॥੪॥੯॥੧੪॥ हे दास नानक ! साधुओं की संगति करने से नारायण मेरे हृदय में प्रगट होते है और सभी दुःख नाश हो जाते हैं॥ ४ ॥६॥ १४ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥ राग बिलावल, पंचम गुरु: ५ ॥
ਕਵਨੁ ਜਾਨੈ ਪ੍ਰਭ ਤੁਮ੍ਹ੍ਹਰੀ ਸੇਵਾ ॥ हे प्रभु ! आपकी सेवा-भक्ति कौन जानता है,
ਪ੍ਰਭ ਅਵਿਨਾਸੀ ਅਲਖ ਅਭੇਵਾ ॥੧॥ आप तो अविनाशी अदृष्ट एवं रहस्यमय है॥ १॥
ਗੁਣ ਬੇਅੰਤ ਪ੍ਰਭ ਗਹਿਰ ਗੰਭੀਰੇ ॥ प्रभु के गुण बेअंत हैं, वह गहन-गंभीर है।
ਊਚ ਮਹਲ ਸੁਆਮੀ ਪ੍ਰਭ ਮੇਰੇ ॥ हे मेरे स्वामी प्रभु ! आध्यात्मिक क्षेत्र बहुत ऊंचे हैं।
ਤੂ ਅਪਰੰਪਰ ਠਾਕੁਰ ਮੇਰੇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ हे मेरे ठाकुर ! आप अपरंपार है ॥१॥ रहाउ ॥
ਏਕਸ ਬਿਨੁ ਨਾਹੀ ਕੋ ਦੂਜਾ ॥ एक ईश्वर के अतिरिक्त अन्य कोई नहीं है।
ਤੁਮ੍ਹ੍ਹ ਹੀ ਜਾਨਹੁ ਅਪਨੀ ਪੂਜਾ ॥੨॥ अपनी पूजा आप स्वयं ही जानते हो ॥२॥
ਆਪਹੁ ਕਛੂ ਨ ਹੋਵਤ ਭਾਈ ॥ हे भाई ! जीव अपने आप से कुछ भी नहीं होता।
ਜਿਸੁ ਪ੍ਰਭੁ ਦੇਵੈ ਸੋ ਨਾਮੁ ਪਾਈ ॥੩॥ जिसे प्रभु देते हैं, उसे ही प्रभु का नाम प्राप्त होता है॥ ३॥
ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਜੋ ਜਨੁ ਪ੍ਰਭ ਭਾਇਆ ॥ हे नानक ! जो व्यक्ति प्रभु को अच्छा लगता है,
ਗੁਣ ਨਿਧਾਨ ਪ੍ਰਭੁ ਤਿਨ ਹੀ ਪਾਇਆ ॥੪॥੧੦॥੧੫॥ उसने ही गुणनिधान प्रभु को पा लिया है ॥४॥१०॥१५॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥ राग बिलावल, पंचम गुरु: ५ ॥
ਮਾਤ ਗਰਭ ਮਹਿ ਹਾਥ ਦੇ ਰਾਖਿਆ ॥ हे जीव ! परमेश्वर ने अपना हाथ देकर तुझे माता के गर्भ में बचाया है,
ਹਰਿ ਰਸੁ ਛੋਡਿ ਬਿਖਿਆ ਫਲੁ ਚਾਖਿਆ ॥੧॥ लेकिन हरि-रस को छोड़कर तू विष रूपी माया का फल चख रहा है ॥१॥
ਭਜੁ ਗੋਬਿਦ ਸਭ ਛੋਡਿ ਜੰਜਾਲ ॥ जगत् के सारे जंजाल छोड़कर गोविंद का भजन करो।
ਜਬ ਜਮੁ ਆਇ ਸੰਘਾਰੈ ਮੂੜੇ ਤਬ ਤਨੁ ਬਿਨਸਿ ਜਾਇ ਬੇਹਾਲ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ हे मूर्ख ! जब यम तुझ पर प्राणघातक आक्रमण करता है, तब तेरा शरीर पीड़ा की अग्नि में जलता हुआ धीरे-धीरे नष्ट हो जाता है।॥१॥ रहाउ ॥
ਤਨੁ ਮਨੁ ਧਨੁ ਅਪਨਾ ਕਰਿ ਥਾਪਿਆ ॥ यह तन, मन एवं धन तूने अपना समझ लिया है,
ਕਰਨਹਾਰੁ ਇਕ ਨਿਮਖ ਨ ਜਾਪਿਆ ॥੨॥ लेकिन उस बनाने वाले परमात्मा को एक क्षण भर के लिए भी याद नहीं किया ॥२॥
ਮਹਾ ਮੋਹ ਅੰਧ ਕੂਪ ਪਰਿਆ ॥ तू महामोह के अँधे कुएँ में गिर पड़ा है,
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਮਾਇਆ ਪਟਲਿ ਬਿਸਰਿਆ ॥੩॥ इसलिए माया के पर्दे के पीछे छिपकर तुमने सर्वव्यापी ईश्वर को त्याग दिया है। ॥३॥
ਵਡੈ ਭਾਗਿ ਪ੍ਰਭ ਕੀਰਤਨੁ ਗਾਇਆ ॥ हे नानक ! बड़े भाग्य से प्रभु का कीर्तन गाया है और
ਸੰਤਸੰਗਿ ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਭੁ ਪਾਇਆ ॥੪॥੧੧॥੧੬॥ संतों की संगति में प्रभु को पा लिया है ॥४॥११॥१६॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥ राग बिलावल, पंचम गुरु: ५ ॥
ਮਾਤ ਪਿਤਾ ਸੁਤ ਬੰਧਪ ਭਾਈ ॥ ਨਾਨਕ ਹੋਆ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਸਹਾਈ ॥੧॥ हे नानक ! परमात्मा ही हमारी माता, पिता, संतान, सखा और समस्त संबंधियों के समान हमारा सहारा और रक्षक है।॥ १॥
ਸੂਖ ਸਹਜ ਆਨੰਦ ਘਣੇ ॥ मुझे सहज सुख एवं बड़ा आनंद प्राप्त हो गया है।
ਗੁਰੁ ਪੂਰਾ ਪੂਰੀ ਜਾ ਕੀ ਬਾਣੀ ਅਨਿਕ ਗੁਣਾ ਜਾ ਕੇ ਜਾਹਿ ਨ ਗਣੇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ उस पूर्ण गुरु की शरण में जाओ, जिसके दिव्य वचन सत्य और परिपूर्ण हैं, और जिसके अनगिनत गुण हैं, जिन्हें कोई गिन भी नहीं सकता। ॥ १॥ रहाउ ॥
ਸਗਲ ਸਰੰਜਾਮ ਕਰੇ ਪ੍ਰਭੁ ਆਪੇ ॥ प्रभु स्वयं ही सभी कार्य साकार कर देते है।
ਭਏ ਮਨੋਰਥ ਸੋ ਪ੍ਰਭੁ ਜਾਪੇ ॥੨॥ सो प्रभु को जपने से मेरे सारे मनोरथ पूरे हो गए हैं।॥२॥
ਅਰਥ ਧਰਮ ਕਾਮ ਮੋਖ ਕਾ ਦਾਤਾ ॥ परमात्मा धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष के दाता है।


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