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ਤਿਨਿ ਸਗਲੀ ਲਾਜ ਰਾਖੀ ॥੩॥
तिनि सगली लाज राखी ॥३॥
जिसने पूर्णतया मेरी लाज बचा ली है॥ ३॥
ਬੋਲਾਇਆ ਬੋਲੀ ਤੇਰਾ ॥
बोलाइआ बोली तेरा ॥
हे भगवान्, मैं आपकी स्तुति उसी समय करता हूं जब आप मुझे प्रेरित करते हैं।
ਤੂ ਸਾਹਿਬੁ ਗੁਣੀ ਗਹੇਰਾ ॥
तू साहिबु गुणी गहेरा ॥
हे मेरे स्वामी ! आप गुणों का गहन सागर है।
ਜਪਿ ਨਾਨਕ ਨਾਮੁ ਸਚੁ ਸਾਖੀ ॥
जपि नानक नामु सचु साखी ॥
हे नानक ! सत्य नाम का जाप करो वही परलोक में साक्षी होगा।
ਅਪੁਨੇ ਦਾਸ ਕੀ ਪੈਜ ਰਾਖੀ ॥੪॥੬॥੫੬॥
अपुने दास की पैज राखी ॥४॥६॥५६॥
भगवान् ने अपने दास की लाज बचा ली ॥४॥६॥५६॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
सोरठि महला ५ ॥
राग सोरठ, पाँचवें गुरु: ५ ॥
ਵਿਚਿ ਕਰਤਾ ਪੁਰਖੁ ਖਲੋਆ ॥
विचि करता पुरखु खलोआ ॥
जिसकी सर्वव्यापक सृष्टिकर्ता स्वयं सहायता करते हैं,
ਵਾਲੁ ਨ ਵਿੰਗਾ ਹੋਆ ॥
वालु न विंगा होआ ॥
उस व्यक्ति को एक भी क्षति नहीं पहुँचती।।
ਮਜਨੁ ਗੁਰ ਆਂਦਾ ਰਾਸੇ ॥
मजनु गुर आंदा रासे ॥
जिसका हृदय गुरु के पावन संगम से स्नान कर फलदायी होता है,
ਜਪਿ ਹਰਿ ਹਰਿ ਕਿਲਵਿਖ ਨਾਸੇ ॥੧॥
जपि हरि हरि किलविख नासे ॥१॥
हरि-परमेश्वर का सिमरन करने से मेरे पाप नष्ट हो गए हैं ॥ १॥
ਸੰਤਹੁ ਰਾਮਦਾਸ ਸਰੋਵਰੁ ਨੀਕਾ ॥
संतहु रामदास सरोवरु नीका ॥
हे संतो ! रामदास का सरोवर उत्कृष्ट है,
ਜੋ ਨਾਵੈ ਸੋ ਕੁਲੁ ਤਰਾਵੈ ਉਧਾਰੁ ਹੋਆ ਹੈ ਜੀ ਕਾ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
जो नावै सो कुलु तरावै उधारु होआ है जी का ॥१॥ रहाउ ॥
जो कोई भी इस में स्नान करता है, उसकी वंशावलि का उद्धार हो जाता है और वह अपनी आत्मा का भी कल्याण कर लेता है ॥१॥ रहाउ ॥
ਜੈ ਜੈ ਕਾਰੁ ਜਗੁ ਗਾਵੈ ॥ ਮਨ ਚਿੰਦਿਅੜੇ ਫਲ ਪਾਵੈ ॥
जै जै कारु जगु गावै ॥ मन चिंदिअड़े फल पावै ॥
जगत् उसकी जय-जयकार करता है और उसे मनोवांछित फल मिल जाता है।
ਸਹੀ ਸਲਾਮਤਿ ਨਾਇ ਆਏ ॥ ਅਪਣਾ ਪ੍ਰਭੂ ਧਿਆਏ ॥੨॥
सही सलामति नाइ आए ॥ अपणा प्रभू धिआए ॥२॥
वह स्वस्थ हो जाता है, जो यहाँ आकर स्नान करता है और प्रभु का ध्यान करता है ।॥२॥
ਸੰਤ ਸਰੋਵਰ ਨਾਵੈ ॥ ਸੋ ਜਨੁ ਪਰਮ ਗਤਿ ਪਾਵੈ ॥
संत सरोवर नावै ॥ सो जनु परम गति पावै ॥
जो संतों के सरोवर में स्नान करता है, उस व्यक्ति को परमगति मिल जाती है।
ਮਰੈ ਨ ਆਵੈ ਜਾਈ ॥ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਧਿਆਈ ॥੩॥
मरै न आवै जाई ॥ हरि हरि नामु धिआई ॥३॥
उसका जन्म-मरण का चक्र समाप्त हो जाता है जो हरि-नाम का ध्यान करता है ॥३॥
ਇਹੁ ਬ੍ਰਹਮ ਬਿਚਾਰੁ ਸੁ ਜਾਨੈ ॥
इहु ब्रहम बिचारु सु जानै ॥
वही यह ब्रह्म विचार समझता है,
ਜਿਸੁ ਦਇਆਲੁ ਹੋਇ ਭਗਵਾਨੈ ॥
जिसु दइआलु होइ भगवानै ॥
जिस पर भगवान् दयालु होते हैं।
ਬਾਬਾ ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਭ ਸਰਣਾਈ ॥
बाबा नानक प्रभ सरणाई ॥
नानक कहते हैं कि हे बाबा ! जो प्रभु की शरण में आता है उस
ਸਭ ਚਿੰਤਾ ਗਣਤ ਮਿਟਾਈ ॥੪॥੭॥੫੭॥
सभ चिंता गणत मिटाई ॥४॥७॥५७॥
की समस्त चिंताएँ एवं संकट मिट जाते हैं।॥ ४॥ ७ ॥ ५७ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
सोरठि महला ५ ॥
राग सोरठ, पाँचवें गुरु:५ ॥
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮਿ ਨਿਬਾਹੀ ਪੂਰੀ ॥
पारब्रहमि निबाही पूरी ॥
पारब्रहमि निबाही पूरी ॥
ਕਾਈ ਬਾਤ ਨ ਰਹੀਆ ਊਰੀ ॥
काई बात न रहीआ ऊरी ॥
काई बात न रहीआ ऊरी ॥
ਗੁਰਿ ਚਰਨ ਲਾਇ ਨਿਸਤਾਰੇ ॥
गुरि चरन लाइ निसतारे ॥
गुरि चरन लाइ निसतारे ॥
ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਸਮ੍ਹ੍ਹਾਰੇ ॥੧॥
हरि हरि नामु सम्हारे ॥१॥
हरि हरि नामु सम्हारे ॥१॥
ਅਪਨੇ ਦਾਸ ਕਾ ਸਦਾ ਰਖਵਾਲਾ ॥
अपने दास का सदा रखवाला ॥
अपने दास का सदा रखवाला ॥
ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਅਪੁਨੇ ਕਰਿ ਰਾਖੇ ਮਾਤ ਪਿਤਾ ਜਿਉ ਪਾਲਾ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
करि किरपा अपुने करि राखे मात पिता जिउ पाला ॥१॥ रहाउ ॥
करि किरपा अपुने करि राखे मात पिता जिउ पाला ॥१॥ रहाउ ॥
ਵਡਭਾਗੀ ਸਤਿਗੁਰੁ ਪਾਇਆ ॥
वडभागी सतिगुरु पाइआ ॥
वडभागी सतिगुरु पाइआ ॥
ਜਿਨਿ ਜਮ ਕਾ ਪੰਥੁ ਮਿਟਾਇਆ ॥
जिनि जम का पंथु मिटाइआ ॥
जिनि जम का पंथु मिटाइआ ॥
ਹਰਿ ਭਗਤਿ ਭਾਇ ਚਿਤੁ ਲਾਗਾ ॥
हरि भगति भाइ चितु लागा ॥
हरि भगति भाइ चितु लागा ॥
ਜਪਿ ਜੀਵਹਿ ਸੇ ਵਡਭਾਗਾ ॥੨॥
जपि जीवहि से वडभागा ॥२॥
जपि जीवहि से वडभागा ॥२॥
ਹਰਿ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਬਾਣੀ ਗਾਵੈ ॥
हरि अम्रित बाणी गावै ॥
हरि अम्रित बाणी गावै ॥
ਸਾਧਾ ਕੀ ਧੂਰੀ ਨਾਵੈ ॥
साधा की धूरी नावै ॥
साधा की धूरी नावै ॥
ਅਪੁਨਾ ਨਾਮੁ ਆਪੇ ਦੀਆ ॥
अपुना नामु आपे दीआ ॥
अपुना नामु आपे दीआ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕਰਣਹਾਰ ਰਖਿ ਲੀਆ ॥੩॥
प्रभ करणहार रखि लीआ ॥३॥
प्रभ करणहार रखि लीआ ॥३॥
ਹਰਿ ਦਰਸਨ ਪ੍ਰਾਨ ਅਧਾਰਾ ॥
हरि दरसन प्रान अधारा ॥
हरि दरसन प्रान अधारा ॥
ਇਹੁ ਪੂਰਨ ਬਿਮਲ ਬੀਚਾਰਾ ॥
इहु पूरन बिमल बीचारा ॥
इहु पूरन बिमल बीचारा ॥
ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਅੰਤਰਜਾਮੀ ॥
करि किरपा अंतरजामी ॥
करि किरपा अंतरजामी ॥
ਦਾਸ ਨਾਨਕ ਸਰਣਿ ਸੁਆਮੀ ॥੪॥੮॥੫੮॥
दास नानक सरणि सुआमी ॥४॥८॥५८॥
दास नानक सरणि सुआमी ॥४॥८॥५८॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
सोरठि महला ५ ॥
सोरठि महला ५ ॥
ਗੁਰਿ ਪੂਰੈ ਚਰਨੀ ਲਾਇਆ ॥
गुरि पूरै चरनी लाइआ ॥
गुरि पूरै चरनी लाइआ ॥
ਹਰਿ ਸੰਗਿ ਸਹਾਈ ਪਾਇਆ ॥
हरि संगि सहाई पाइआ ॥
हरि संगि सहाई पाइआ ॥
ਜਹ ਜਾਈਐ ਤਹਾ ਸੁਹੇਲੇ ॥
जह जाईऐ तहा सुहेले ॥
जह जाईऐ तहा सुहेले ॥
ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਪ੍ਰਭਿ ਮੇਲੇ ॥੧॥
करि किरपा प्रभि मेले ॥१॥
करि किरपा प्रभि मेले ॥१॥
ਹਰਿ ਗੁਣ ਗਾਵਹੁ ਸਦਾ ਸੁਭਾਈ ॥
हरि गुण गावहु सदा सुभाई ॥
हरि गुण गावहु सदा सुभाई ॥
ਮਨ ਚਿੰਦੇ ਸਗਲੇ ਫਲ ਪਾਵਹੁ ਜੀਅ ਕੈ ਸੰਗਿ ਸਹਾਈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
मन चिंदे सगले फल पावहु जीअ कै संगि सहाई ॥१॥ रहाउ ॥
मन चिंदे सगले फल पावहु जीअ कै संगि सहाई ॥१॥ रहाउ ॥
ਨਾਰਾਇਣ ਪ੍ਰਾਣ ਅਧਾਰਾ ॥
नाराइण प्राण अधारा ॥
नाराइण प्राण अधारा ॥
ਹਮ ਸੰਤ ਜਨਾਂ ਰੇਨਾਰਾ ॥
हम संत जनां रेनारा ॥
हम संत जनां रेनारा ॥
ਪਤਿਤ ਪੁਨੀਤ ਕਰਿ ਲੀਨੇ ॥
पतित पुनीत करि लीने ॥
पतित पुनीत करि लीने ॥
ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਹਰਿ ਜਸੁ ਦੀਨੇ ॥੨॥
करि किरपा हरि जसु दीने ॥२॥
करि किरपा हरि जसु दीने ॥२॥
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਕਰੇ ਪ੍ਰਤਿਪਾਲਾ ॥
पारब्रहमु करे प्रतिपाला ॥
पारब्रहमु करे प्रतिपाला ॥
ਸਦ ਜੀਅ ਸੰਗਿ ਰਖਵਾਲਾ ॥
सद जीअ संगि रखवाला ॥
सद जीअ संगि रखवाला ॥
ਹਰਿ ਦਿਨੁ ਰੈਨਿ ਕੀਰਤਨੁ ਗਾਈਐ ॥
हरि दिनु रैनि कीरतनु गाईऐ ॥
हरि दिनु रैनि कीरतनु गाईऐ ॥
ਬਹੁੜਿ ਨ ਜੋਨੀ ਪਾਈਐ ॥੩॥
बहुड़ि न जोनी पाईऐ ॥३॥
बहुड़ि न जोनी पाईऐ ॥३॥
ਜਿਸੁ ਦੇਵੈ ਪੁਰਖੁ ਬਿਧਾਤਾ ॥
जिसु देवै पुरखु बिधाता ॥
जिसु देवै पुरखु बिधाता ॥
ਹਰਿ ਰਸੁ ਤਿਨ ਹੀ ਜਾਤਾ ॥
हरि रसु तिन ही जाता ॥
हरि रसु तिन ही जाता ॥
ਜਮਕੰਕਰੁ ਨੇੜਿ ਨ ਆਇਆ ॥
जमकंकरु नेड़ि न आइआ ॥
जमकंकरु नेड़ि न आइआ ॥
ਸੁਖੁ ਨਾਨਕ ਸਰਣੀ ਪਾਇਆ ॥੪॥੯॥੫੯॥
सुखु नानक सरणी पाइआ ॥४॥९॥५९॥
सुखु नानक सरणी पाइआ ॥४॥९॥५९॥