Guru Granth Sahib Translation Project

guru-granth-sahib-hindi-page-56

Page 56

ਮੁਖਿ ਝੂਠੈ ਝੂਠੁ ਬੋਲਣਾ ਕਿਉ ਕਰਿ ਸੂਚਾ ਹੋਇ ॥ मुख झूठा हो तो झूठा मनुष्य असत्य वचन ही व्यक्त करता है, फिर वह किस तरह पवित्र-पावन हो सकता है?"
ਬਿਨੁ ਅਭ ਸਬਦ ਨ ਮਾਂਜੀਐ ਸਾਚੇ ਤੇ ਸਚੁ ਹੋਇ ॥੧॥ नाम (भक्ति) के जल बिना आत्मा स्वच्छ नहीं होती। सत्य नाम द्वारा ही सत्य प्रभु प्राप्त होता है॥ १॥
ਮੁੰਧੇ ਗੁਣਹੀਣੀ ਸੁਖੁ ਕੇਹਿ ॥ हे भोली जीव-स्त्री ! गुण के बिना सुख कहाँ है?
ਪਿਰੁ ਰਲੀਆ ਰਸਿ ਮਾਣਸੀ ਸਾਚਿ ਸਬਦਿ ਸੁਖੁ ਨੇਹਿ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ प्रियतम प्राणपति उनके साथ आनंद एवं रस के साथ रमण करता है जो सत्य नाम की प्रीति के भीतर शांति-सुख अनुभव करते हैं।॥ १॥ रहाउ॥
ਪਿਰੁ ਪਰਦੇਸੀ ਜੇ ਥੀਐ ਧਨ ਵਾਂਢੀ ਝੂਰੇਇ ॥ यदि प्राणपति परदेस चला जाए तो नारी (जीवात्मा) वियोग में ऐसे पीड़ित अनुभव करती है
ਜਿਉ ਜਲਿ ਥੋੜੈ ਮਛੁਲੀ ਕਰਣ ਪਲਾਵ ਕਰੇਇ ॥ जिस तरह थोड़े से जल में मछली तड़पती है।
ਪਿਰ ਭਾਵੈ ਸੁਖੁ ਪਾਈਐ ਜਾ ਆਪੇ ਨਦਰਿ ਕਰੇਇ ॥੨॥ जब प्राणपति को अच्छा लगता है तो वह स्वयं ही अपनी कृपा-दृष्टि करता है और पत्नी को सुख-समृद्धि प्राप्त हो जाती है।॥२॥
ਪਿਰੁ ਸਾਲਾਹੀ ਆਪਣਾ ਸਖੀ ਸਹੇਲੀ ਨਾਲਿ ॥ अपनी सखियों एवं सहेलियों के साथ बैठकर हे जीवात्मा ! तू अपने पति परमेश्वर का यशोगान कर।
ਤਨਿ ਸੋਹੈ ਮਨੁ ਮੋਹਿਆ ਰਤੀ ਰੰਗਿ ਨਿਹਾਲਿ ॥ उसके दर्शन करने से तेरा शरीर सुन्दर तथा मन मोहित हो गया है और तू उसकी प्रीति के साथ रंग गई है।
ਸਬਦਿ ਸਵਾਰੀ ਸੋਹਣੀ ਪਿਰੁ ਰਾਵੇ ਗੁਣ ਨਾਲਿ ॥੩॥ सुन्दर पत्नी, जिसने नाम के साथ शृंगार किया है, वह गुणवती होकर अपने पति की भरपूर सेवा करती है॥३॥
ਕਾਮਣਿ ਕਾਮਿ ਨ ਆਵਈ ਖੋਟੀ ਅਵਗਣਿਆਰਿ ॥ बुराइयों तथा विषय-विकारों में लिप्त नारी गुणहीन होने के कारण पति के किसी भी काम नहीं आती।
ਨਾ ਸੁਖੁ ਪੇਈਐ ਸਾਹੁਰੈ ਝੂਠਿ ਜਲੀ ਵੇਕਾਰਿ ॥ इस जीवात्मा को न तो बाबुल के घर (इहलोक) में सुख मिलता है और न ही ससुराल (परलोक) में और वह बुराइयों तथा पापों के अंदर व्यर्थ ही तड़पती रहती है।
ਆਵਣੁ ਵੰਞਣੁ ਡਾਖੜੋ ਛੋਡੀ ਕੰਤਿ ਵਿਸਾਰਿ ॥੪॥ उसका आवागमन (जन्म-मरण) बड़ा दुर्लभ है, जिसे उसके पति ने प्रेम से वंचित करके भुला दिया है॥४॥
ਪਿਰ ਕੀ ਨਾਰਿ ਸੁਹਾਵਣੀ ਮੁਤੀ ਸੋ ਕਿਤੁ ਸਾਦਿ ॥ प्राणपति परमेश्वर की अति सुन्दर नारी सुहागिन है, किन्तु विषय-विकारों के कारण भोक्ता के लिए जीवन का कोई भी रस नहीं।
ਪਿਰ ਕੈ ਕਾਮਿ ਨ ਆਵਈ ਬੋਲੇ ਫਾਦਿਲੁ ਬਾਦਿ ॥ वह जीव स्त्री व्यर्थ ही विवादपूर्ण अपशब्द क्यों बोलती है, वह पति परमेश्वर के मिलन में किसी भी काम के योग्य नहीं है।
ਦਰਿ ਘਰਿ ਢੋਈ ਨਾ ਲਹੈ ਛੂਟੀ ਦੂਜੈ ਸਾਦਿ ॥੫॥ सांसारिक रसों के कारण वह त्याग दी गई है और उसको अपने स्वामी के द्वार एवं मंदिर में आश्रय नहीं मिलता ॥५॥
ਪੰਡਿਤ ਵਾਚਹਿ ਪੋਥੀਆ ਨਾ ਬੂਝਹਿ ਵੀਚਾਰੁ ॥ पण्डित धर्म ग्रंथों का अध्ययन करते हैं परन्तु वे यथार्थ ज्ञान का मनन नहीं करते।
ਅਨ ਕਉ ਮਤੀ ਦੇ ਚਲਹਿ ਮਾਇਆ ਕਾ ਵਾਪਾਰੁ ॥ वे दूसरों को उपदेश देते रहते हैं। किन्तु स्वयं ज्ञान की उपलब्धि के बिना संसार से चले जाते हैं। उन्होंने उपदेश देने को धन ऐंठने का व्यापार बना लिया है।
ਕਥਨੀ ਝੂਠੀ ਜਗੁ ਭਵੈ ਰਹਣੀ ਸਬਦੁ ਸੁ ਸਾਰੁ ॥੬॥ उनकी झूठी कथनी से गुमराह होकर सारा संसार भटक रहा है। सत्य नाम की कमाई करना ही श्रेष्ठ जीवन आचरण है ॥६॥
ਕੇਤੇ ਪੰਡਿਤ ਜੋਤਕੀ ਬੇਦਾ ਕਰਹਿ ਬੀਚਾਰੁ ॥ कितने ही पंडित तथा ज्योतिष वेदों को सोचते-विचारते हैं।
ਵਾਦਿ ਵਿਰੋਧਿ ਸਲਾਹਣੇ ਵਾਦੇ ਆਵਣੁ ਜਾਣੁ ॥ वे विवादों एवं निरर्थक झगड़ों की प्रशंसा करते हैं और वाद-विवाद में फंसे जन्म-मरण के चक्कर में आवागमन करते रहते हैं।
ਬਿਨੁ ਗੁਰ ਕਰਮ ਨ ਛੁਟਸੀ ਕਹਿ ਸੁਣਿ ਆਖਿ ਵਖਾਣੁ ॥੭॥ किन्तु गुरु के बिना उनकी अपने कर्मों से मुक्ति नहीं होनी, चाहे वे जितने भी कथन, श्रवण करें, उपदेश दें अथवा व्याख्या करते रहें। गुरु की अपार कृपा के बिना इनकी मुक्ति नहीं हो सकती॥ ७॥
ਸਭਿ ਗੁਣਵੰਤੀ ਆਖੀਅਹਿ ਮੈ ਗੁਣੁ ਨਾਹੀ ਕੋਇ ॥ समस्त जीव-स्त्रियों को गुणवान कहा जाता है परन्तु मुझ में कोई भी गुण विद्यमान नहीं।
ਹਰਿ ਵਰੁ ਨਾਰਿ ਸੁਹਾਵਣੀ ਮੈ ਭਾਵੈ ਪ੍ਰਭੁ ਸੋਇ ॥ यदि प्रभु मुझे भी पसंद करने लगे तो मैं भी प्रभु की सुन्दर पत्नी बन सकती हूँ।
ਨਾਨਕ ਸਬਦਿ ਮਿਲਾਵੜਾ ਨਾ ਵੇਛੋੜਾ ਹੋਇ ॥੮॥੫॥ हे नानक ! जीव-स्त्री का प्रभु-पति से मिलन नाम द्वारा ही होता है। प्रभु से मिलन उपरांत फिर उसका पति से वियोग कभी नहीं होता ॥८॥५॥
ਸਿਰੀਰਾਗੁ ਮਹਲਾ ੧ ॥ श्रीरागु महला १ ॥
ਜਪੁ ਤਪੁ ਸੰਜਮੁ ਸਾਧੀਐ ਤੀਰਥਿ ਕੀਚੈ ਵਾਸੁ ॥ भगवान् का भजन किए बिना मनुष्य को जप, तपस्या एवं संयम की साधना करने, तीर्थ स्थलों में जाकर निवास करने,
ਪੁੰਨ ਦਾਨ ਚੰਗਿਆਈਆ ਬਿਨੁ ਸਾਚੇ ਕਿਆ ਤਾਸੁ ॥ पुण्य-दान इत्यादि अन्य शुभ कर्म करने का कोई लाभ नहीं होता।
ਜੇਹਾ ਰਾਧੇ ਤੇਹਾ ਲੁਣੈ ਬਿਨੁ ਗੁਣ ਜਨਮੁ ਵਿਣਾਸੁ ॥੧॥ प्राणी जैसा बीज बोता है, वैसा ही फल काटता है। गुण ग्रहण किए बिना मानव जीवन व्यर्थ ही व्यतीत हो जाता है।॥१॥
ਮੁੰਧੇ ਗੁਣ ਦਾਸੀ ਸੁਖੁ ਹੋਇ ॥ हे भोली जीव-स्त्री ! दासी वाले गुण पैदा करने से सुख उपलब्ध होता है।
ਅਵਗਣ ਤਿਆਗਿ ਸਮਾਈਐ ਗੁਰਮਤਿ ਪੂਰਾ ਸੋਇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ अवगुणों का त्याग करके गुरु की मति द्वारा पूर्ण प्रभु में समाया जाता है॥१॥ रहाउ॥
ਵਿਣੁ ਰਾਸੀ ਵਾਪਾਰੀਆ ਤਕੇ ਕੁੰਡਾ ਚਾਰਿ ॥ जिस व्यापारी के पास गुणों की पूँजी विद्यमान नहीं, वह चारों दिशाओं में व्यर्थ भटकता रहता है।
ਮੂਲੁ ਨ ਬੁਝੈ ਆਪਣਾ ਵਸਤੁ ਰਹੀ ਘਰ ਬਾਰਿ ॥ वह मूल-प्रभु का नाम बोध नहीं करता। नाम रूपी वस्तु उसके हृदय रूपी घर में विद्यमान है।
ਵਿਣੁ ਵਖਰ ਦੁਖੁ ਅਗਲਾ ਕੂੜਿ ਮੁਠੀ ਕੂੜਿਆਰਿ ॥੨॥ इस नाम-वस्तु के बिना वह बहुत दु:खी होता है। झूठी माया ने झूठ का व्यापार करने वाले को ठग लिया है ॥२॥
ਲਾਹਾ ਅਹਿਨਿਸਿ ਨਉਤਨਾ ਪਰਖੇ ਰਤਨੁ ਵੀਚਾਰਿ ॥ जो नाम-रत्न का ध्यान से सिमरन (जांच पड़ताल) करता है, उसे नित्य अधिकाधिक लाभ मिलता है।
ਵਸਤੁ ਲਹੈ ਘਰਿ ਆਪਣੈ ਚਲੈ ਕਾਰਜੁ ਸਾਰਿ ॥ वह नाम रूपी वस्तु को अपने हृदय गृह में ही पा लेता है और अपने कार्य को संवार गमन करता है अर्थात् जीवन में शुभ कर्म करके अपने जीवन को सफल करके परमात्मा में विलीन हो जाता है।
ਵਣਜਾਰਿਆ ਸਿਉ ਵਣਜੁ ਕਰਿ ਗੁਰਮੁਖਿ ਬ੍ਰਹਮੁ ਬੀਚਾਰਿ ॥੩॥ ईश्वर के व्यापारियों (भक्तों) के साथ व्यापार (भक्ति) करो और अपने गुरु से मिलकर परमेश्वर का चिंतन करो ॥३॥
ਸੰਤਾਂ ਸੰਗਤਿ ਪਾਈਐ ਜੇ ਮੇਲੇ ਮੇਲਣਹਾਰੁ ॥ साधु-संगति द्वारा ही प्रभु को पाया जाता है, जब प्रभु से मिलन करवाने वाले गुरु जी अपनी दया से प्राणी को परमात्मा से मिलाते हैं।
ਮਿਲਿਆ ਹੋਇ ਨ ਵਿਛੁੜੈ ਜਿਸੁ ਅੰਤਰਿ ਜੋਤਿ ਅਪਾਰ ॥ जिस की आत्मा के भीतर प्रभु का अनन्त प्रकाश प्रज्वलित है, वह उसे मिल जाता है और पुनः जुदा नहीं होता अर्थात् जीवन-मृत्यु के चक्र से छूटकर वह मोक्ष प्राप्त करता है।
ਸਚੈ ਆਸਣਿ ਸਚਿ ਰਹੈ ਸਚੈ ਪ੍ਰੇਮ ਪਿਆਰ ॥੪॥ ऐसे पुरुष का निवास सत्य है, जो सत्य के भीतर निवास करता है और सत्य स्वरूप परमेश्वर के प्रेम में सदैव विचरता है ॥४॥
ਜਿਨੀ ਆਪੁ ਪਛਾਣਿਆ ਘਰ ਮਹਿ ਮਹਲੁ ਸੁਥਾਇ ॥ जीवात्मा का स्वरूप ज्योति है। जिसने अपने इस स्वरूप को पहचान लिया है, वह अपने हृदय गृह के श्रेष्ठ स्थान में ही स्वामी के मन्दिर को पा लेते हैं।
ਸਚੇ ਸੇਤੀ ਰਤਿਆ ਸਚੋ ਪਲੈ ਪਾਇ ॥ सत्य नाम के रंग में लिवलीन होने से सत्य प्रभु प्राप्त हो जाता है।
error: Content is protected !!
Scroll to Top
https://mta.sertifikasi.upy.ac.id/application/mdemo/ slot gacor slot demo https://bppkad.mamberamorayakab.go.id/wp-content/modemo/ http://gsgs.lingkungan.ft.unand.ac.id/includes/demo/
https://jackpot-1131.com/ https://mainjp1131.com/ https://triwarno-banyuurip.purworejokab.go.id/template-surat/kk/kaka-sbobet/
https://mta.sertifikasi.upy.ac.id/application/mdemo/ slot gacor slot demo https://bppkad.mamberamorayakab.go.id/wp-content/modemo/ http://gsgs.lingkungan.ft.unand.ac.id/includes/demo/
https://jackpot-1131.com/ https://mainjp1131.com/ https://triwarno-banyuurip.purworejokab.go.id/template-surat/kk/kaka-sbobet/