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ੴ ਸਤਿ ਨਾਮੁ ਕਰਤਾ ਪੁਰਖੁ ਨਿਰਭਉ ਨਿਰਵੈਰੁ ਅਕਾਲ ਮੂਰਤਿ ਅਜੂਨੀ ਸੈਭੰ ਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिनामु करता पुरखु निरभउ निरवैरु अकाल मूरति अजूनी सैभं गुरप्रसादि ॥
ईश्वर एक ही है - जिसका नाम अनन्त अस्तित्व है। वही ब्रह्मांड का रचयिता, सर्वव्यापी, निर्भय, निष्पक्ष, कालातीत, जन्म-मृत्यु के बंधन से परे और स्वयं प्रकाशित है। उसकी प्राप्ति केवल सच्चे गुरु की कृपा से ही होती है।
ਰਾਗੁ ਆਸਾ ਮਹਲਾ ੧ ਘਰੁ ੧ ਸੋ ਦਰੁ ॥
रागु आसा महला १ घरु १ सो दरु ॥
राग आसा, प्रथम गुरु, प्रथम ताल, सो डार॥
ਸੋ ਦਰੁ ਤੇਰਾ ਕੇਹਾ ਸੋ ਘਰੁ ਕੇਹਾ ਜਿਤੁ ਬਹਿ ਸਰਬ ਸਮ੍ਹ੍ਹਾਲੇ ॥
सो दरु तेरा केहा सो घरु केहा जितु बहि सरब सम्हाले ॥
हे जगतपालक ! आपका वह दर-घर कैसा है? जहाँ बैठकर आप सारी दुनिया की देखभाल व पोषण कर रहे हैं।
ਵਾਜੇ ਤੇਰੇ ਨਾਦ ਅਨੇਕ ਅਸੰਖਾ ਕੇਤੇ ਤੇਰੇ ਵਾਵਣਹਾਰੇ ॥
वाजे तेरे नाद अनेक असंखा केते तेरे वावणहारे ॥
आपके द्वार पर नाना प्रकार के असंख्य नाद गूंज रहे हैं और कितने ही उनको बजाने वाले विद्यमान हैं।
ਕੇਤੇ ਤੇਰੇ ਰਾਗ ਪਰੀ ਸਿਉ ਕਹੀਅਹਿ ਕੇਤੇ ਤੇਰੇ ਗਾਵਣਹਾਰੇ ॥
केते तेरे राग परी सिउ कहीअहि केते तेरे गावणहारे ॥
आपके असंख्य राग रागिनियों सहित गाए जा रहे हैं, और अनगिनत गंधर्व भक्तिपूर्वक आपका यश गा रहे हैं।
ਗਾਵਨ੍ਹ੍ਹਿ ਤੁਧਨੋ ਪਉਣੁ ਪਾਣੀ ਬੈਸੰਤਰੁ ਗਾਵੈ ਰਾਜਾ ਧਰਮ ਦੁਆਰੇ ॥
गावन्हि तुधनो पउणु पाणी बैसंतरु गावै राजा धरम दुआरे ॥
हे सृष्टिकर्ता! वायु, जल और अग्नि अपने कर्तव्यों में लीन होकर आपकी स्तुति कर रहे हैं; और धर्मराज भी जीवों का न्याय करते हुए, आपके द्वार पर आपके गुण गा रहा है।
ਗਾਵਨ੍ਹ੍ਹਿ ਤੁਧਨੋ ਚਿਤੁ ਗੁਪਤੁ ਲਿਖਿ ਜਾਣਨਿ ਲਿਖਿ ਲਿਖਿ ਧਰਮੁ ਵੀਚਾਰੇ ॥
गावन्हि तुधनो चितु गुपतु लिखि जाणनि लिखि लिखि धरमु वीचारे ॥
जीवों द्वारा किए जाने वाले कर्मों को लिखने वाले चित्र-गुप्त भी आपका ही गुणानुवाद कर रहे हैं तथा धर्मराज चित्र-गुप्त द्वारा लिखे जाने वाले शुभाशुभ कर्मों का विचार करता है।
ਗਾਵਨ੍ਹ੍ਹਿ ਤੁਧਨੋ ਈਸਰੁ ਬ੍ਰਹਮਾ ਦੇਵੀ ਸੋਹਨਿ ਤੇਰੇ ਸਦਾ ਸਵਾਰੇ ॥
गावन्हि तुधनो ईसरु ब्रहमा देवी सोहनि तेरे सदा सवारे ॥
हे परमेश्वर ! आपके द्वारा प्रतिपादित शिव, ब्रह्मा व अनेकों देवियों जो शोभायमान हैं, आपकी ही महिमा गा रहे हैं।
ਗਾਵਨ੍ਹ੍ਹਿ ਤੁਧਨੋ ਇੰਦ੍ਰ ਇੰਦ੍ਰਾਸਣਿ ਬੈਠੇ ਦੇਵਤਿਆ ਦਰਿ ਨਾਲੇ ॥
गावन्हि तुधनो इंद्र इंद्रासणि बैठे देवतिआ दरि नाले ॥
समस्त देवताओं व स्वर्ग का अधिपति इन्द्र अपने सिंहासन पर बैठा अन्य देवताओं के साथ मिलकर आपके द्वार पर खड़ा आपका ही यश गा रहा है।
ਗਾਵਨ੍ਹ੍ਹਿ ਤੁਧਨੋ ਸਿਧ ਸਮਾਧੀ ਅੰਦਰਿ ਗਾਵਨ੍ਹ੍ਹਿ ਤੁਧਨੋ ਸਾਧ ਬੀਚਾਰੇ ॥
गावन्हि तुधनो सिध समाधी अंदरि गावन्हि तुधनो साध बीचारे ॥
अनेक सिद्ध लोग समाधियों में स्थित हुए आपकी ही महिमा गा रहे हैं और विचारवान साधु भी विवेक से आपका ही यशोगान कर रहे हैं।
ਗਾਵਨ੍ਹ੍ਹਿ ਤੁਧਨੋ ਜਤੀ ਸਤੀ ਸੰਤੋਖੀ ਗਾਵਨਿ ਤੁਧਨੋ ਵੀਰ ਕਰਾਰੇ ॥
गावन्हि तुधनो जती सती संतोखी गावनि तुधनो वीर करारे ॥
अनेक यति, सती एवं संतोषी भी आपकी ही महिमा-स्तुति गा रहे हैं और पराक्रमी योद्धा भी आपकी प्रशंसा के गीत गा रहे हैं।
ਗਾਵਨਿ ਤੁਧਨੋ ਪੰਡਿਤ ਪੜੇ ਰਖੀਸੁਰ ਜੁਗੁ ਜੁਗੁ ਬੇਦਾ ਨਾਲੇ ॥
गावनि तुधनो पंडित पड़े रखीसुर जुगु जुगु बेदा नाले ॥
हे प्रभु ! दुनिया के समस्त विद्वान व महान जितेन्द्रिय ऋषि-मुनि युगों-युगों से वेदों को पढ़-पढ़ कर आपका ही यशोगान कर रहे हैं।
ਗਾਵਨਿ ਤੁਧਨੋ ਮੋਹਣੀਆ ਮਨੁ ਮੋਹਨਿ ਸੁਰਗੁ ਮਛੁ ਪਇਆਲੇ ॥
गावनि तुधनो मोहणीआ मनु मोहनि सुरगु मछु पइआले ॥
मन को मुग्ध करने वाली सुन्दर अप्सराएँ स्वर्ग लोक, मृत्युलोक एवं पाताल लोक में आपका ही गुणगान कर रही हैं।
ਗਾਵਨ੍ਹ੍ਹਿ ਤੁਧਨੋ ਰਤਨ ਉਪਾਏ ਤੇਰੇ ਜੇਤੇ ਅਠਸਠਿ ਤੀਰਥ ਨਾਲੇ ॥
गावन्हि तुधनो रतन उपाए तेरे जेते अठसठि तीरथ नाले ॥
आपके उत्पन्न किए हुए चौदह रत्न, जगत के अड़सठ (६८) तीर्थ तथा उनमें विद्यमान संतजन भी आपका यशोगान कर रहे हैं।
ਗਾਵਨ੍ਹ੍ਹਿ ਤੁਧਨੋ ਜੋਧ ਮਹਾਬਲ ਸੂਰਾ ਗਾਵਨ੍ਹ੍ਹਿ ਤੁਧਨੋ ਖਾਣੀ ਚਾਰੇ ॥
गावन्हि तुधनो जोध महाबल सूरा गावन्हि तुधनो खाणी चारे ॥
बड़े-बड़े पराक्रमी योद्धा, महाबली एवं शूरवीर भी आपका ही गुणानुवाद कर रहे हैं, तथा उत्पत्ति के चारों स्रोत (अण्डज, जरायुज, स्वेदज व उदभिज्ज) भी आपकी ही उपमा गा रहे हैं।
ਗਾਵਨ੍ਹ੍ਹਿ ਤੁਧਨੋ ਖੰਡ ਮੰਡਲ ਬ੍ਰਹਮੰਡਾ ਕਰਿ ਕਰਿ ਰਖੇ ਤੇਰੇ ਧਾਰੇ ॥
गावन्हि तुधनो खंड मंडल ब्रहमंडा करि करि रखे तेरे धारे ॥
हे विधाता ! नवखण्ड, मण्डल एवं सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड जो आपने बना कर धारण कर रखे हैं, वे भी आपकी ही महिमा-स्तुति गा रहे हैं।
ਸੇਈ ਤੁਧਨੋ ਗਾਵਨ੍ਹ੍ਹਿ ਜੋ ਤੁਧੁ ਭਾਵਨ੍ਹ੍ਹਿ ਰਤੇ ਤੇਰੇ ਭਗਤ ਰਸਾਲੇ ॥
सेई तुधनो गावन्हि जो तुधु भावन्हि रते तेरे भगत रसाले ॥
वास्तव में वे ही आपकी कीर्ति को गा सकते हैं, जो आपकी भक्ति में लीन हैं, आपके नाम के रसिया हैं और जो आपको अच्छे लगते हैं।
ਹੋਰਿ ਕੇਤੇ ਤੁਧਨੋ ਗਾਵਨਿ ਸੇ ਮੈ ਚਿਤਿ ਨ ਆਵਨਿ ਨਾਨਕੁ ਕਿਆ ਬੀਚਾਰੇ ॥
होरि केते तुधनो गावनि से मै चिति न आवनि नानकु किआ बीचारे ॥
गुरु नानक देव जी कहते हैं कि अनेकानेक और भी कई ऐसे जीव हैं जो मुझे स्मरण नहीं हो रहे, जो आपका ही यशोगान करते हैं, मैं कहाँ तक उनका विचार करूँ, अर्थात् यशोगान करने वाले जीवों की गणना मैं कहाँ तक करूँ।
ਸੋਈ ਸੋਈ ਸਦਾ ਸਚੁ ਸਾਹਿਬੁ ਸਾਚਾ ਸਾਚੀ ਨਾਈ ॥
सोई सोई सदा सचु साहिबु साचा साची नाई ॥
ईश्वर शाश्वत है, उसकी महिमा असीम और अनन्त है।
ਹੈ ਭੀ ਹੋਸੀ ਜਾਇ ਨ ਜਾਸੀ ਰਚਨਾ ਜਿਨਿ ਰਚਾਈ ॥
है भी होसी जाइ न जासी रचना जिनि रचाई ॥
वह सत्यस्वरूप परमात्मा भूतकाल में था, वही सद्गुणी परमेश्वर वर्तमान में भी है। वह जगत् का रचयिता भविष्य में सदैव रहेगा, वह परमात्मा न जन्म लेता है और न ही उसका नाश होता है।
ਰੰਗੀ ਰੰਗੀ ਭਾਤੀ ਜਿਨਸੀ ਮਾਇਆ ਜਿਨਿ ਉਪਾਈ ॥
रंगी रंगी भाती जिनसी माइआ जिनि उपाई ॥
जिस सृष्टि रचयिता ईश्वर ने रंग-बिरंगी, तरह-तरह के आकार वाली एवं अनेकानेक जीवों की उत्पत्ति अपनी माया द्वारा की है,"
ਕਰਿ ਕਰਿ ਦੇਖੈ ਕੀਤਾ ਅਪਣਾ ਜਿਉ ਤਿਸ ਦੀ ਵਡਿਆਈ ॥
करि करि देखै कीता अपणा जिउ तिस दी वडिआई ॥
अपनी इस सृष्टि-रचना को करके वह अपनी रुचि अनुसार ही देखता है अर्थात् उनकी देखभाल अपनी इच्छानुसार ही करता है।
ਜੋ ਤਿਸੁ ਭਾਵੈ ਸੋਈ ਕਰਸੀ ਫਿਰਿ ਹੁਕਮੁ ਨ ਕਰਣਾ ਜਾਈ ॥
जो तिसु भावै सोई करसी फिरि हुकमु न करणा जाई ॥
जगत के रचयिता को जो कुछ भी भला लगता है, वह वहीं कार्य वह करते हैं और भविष्य में भी करेगें,उनके प्रति आदेश करने वाला उनके समान कोई नहीं है।
ਸੋ ਪਾਤਿਸਾਹੁ ਸਾਹਾ ਪਤਿ ਸਾਹਿਬੁ ਨਾਨਕ ਰਹਣੁ ਰਜਾਈ ॥੧॥੧॥
सो पातिसाहु साहा पति साहिबु नानक रहणु रजाई ॥१॥१॥
गुरु नानक जी की आज्ञा है कि हे मानव ! वह परमात्मा शाहों का शाह अर्थात् सारे विश्व का शहंशाह है, इसलिए उसकी इच्छानुसारमें रहना ही उचित है॥१॥१॥