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ਕਈ ਕੋਟਿ ਦੇਵ ਦਾਨਵ ਇੰਦ੍ਰ ਸਿਰਿ ਛਤ੍ਰ ॥
कई करोड़ देवता, राक्षस एवं इन्द्र हैं, जिनके सिर पर छत्र हैं।
ਸਗਲ ਸਮਗ੍ਰੀ ਅਪਨੈ ਸੂਤਿ ਧਾਰੈ ॥
ईश्वर ने सारी सृष्टि को अपने (हुक्म के) धागे में पिरोया हुआ है।
ਨਾਨਕ ਜਿਸੁ ਜਿਸੁ ਭਾਵੈ ਤਿਸੁ ਤਿਸੁ ਨਿਸਤਾਰੈ ॥੩॥
हे नानक ! जो जो परमात्मा को भला लगता है, उसे ही वह भवसागर से पार कर देता है॥ ३ ॥
ਕਈ ਕੋਟਿ ਰਾਜਸ ਤਾਮਸ ਸਾਤਕ ॥
कई करोड़ रजोगुणी, तमोगुणी एवं सतोगुणी जीव हैं।
ਕਈ ਕੋਟਿ ਬੇਦ ਪੁਰਾਨ ਸਿਮ੍ਰਿਤਿ ਅਰੁ ਸਾਸਤ ॥
कई करोड़ वेद, पुराण, स्मृतियां एवं शास्त्र हैं।
ਕਈ ਕੋਟਿ ਕੀਏ ਰਤਨ ਸਮੁਦ ॥
कई करोड़ समुद्रो में रत्न पैदा कर दिए हैं।
ਕਈ ਕੋਟਿ ਨਾਨਾ ਪ੍ਰਕਾਰ ਜੰਤ ॥
कई करोड़ विभिन्न प्रकार के जीव-जन्तु हैं।
ਕਈ ਕੋਟਿ ਕੀਏ ਚਿਰ ਜੀਵੇ ॥
करोड़ों प्राणी लम्बी आयु वाले बनाए गए हैं।
ਕਈ ਕੋਟਿ ਗਿਰੀ ਮੇਰ ਸੁਵਰਨ ਥੀਵੇ ॥
(परमात्मा की आज्ञा द्वारा) कई करोड़ ही सोने के सुमेर पर्वत बन गए हैं।
ਕਈ ਕੋਟਿ ਜਖ੍ਯ੍ਯ ਕਿੰਨਰ ਪਿਸਾਚ ॥
कई करोड़ यक्ष, किन्नर एवं पिशाच हैं।
ਕਈ ਕੋਟਿ ਭੂਤ ਪ੍ਰੇਤ ਸੂਕਰ ਮ੍ਰਿਗਾਚ ॥
कई करोड़ ही भूत-प्रेत, सूअर एवं शेर हैं।
ਸਭ ਤੇ ਨੇਰੈ ਸਭਹੂ ਤੇ ਦੂਰਿ ॥
ईश्वर सबके समीप और सबके ही दूर है।
ਨਾਨਕ ਆਪਿ ਅਲਿਪਤੁ ਰਹਿਆ ਭਰਪੂਰਿ ॥੪॥
हे नानक ! ईश्वर सभी में परिपूर्ण हो रहा है, जबकि वह स्वयं निर्लिप्त रहता है॥ ४ ॥
ਕਈ ਕੋਟਿ ਪਾਤਾਲ ਕੇ ਵਾਸੀ ॥
कई करोड़ जीव पाताल के निवासी हैं।
ਕਈ ਕੋਟਿ ਨਰਕ ਸੁਰਗ ਨਿਵਾਸੀ ॥
कई करोड़ जीव नरकों तथा स्वर्गों में रहते हैं।
ਕਈ ਕੋਟਿ ਜਨਮਹਿ ਜੀਵਹਿ ਮਰਹਿ ॥
कई करोड़ जीव जन्म लेते, जीते और मरते हैं।
ਕਈ ਕੋਟਿ ਬਹੁ ਜੋਨੀ ਫਿਰਹਿ ॥
कई करोड़ जीव अनेक योनियों में भटक रहे हैं।
ਕਈ ਕੋਟਿ ਬੈਠਤ ਹੀ ਖਾਹਿ ॥
कई करोड़ (व्यर्थ) बैठकर खाते हैं।
ਕਈ ਕੋਟਿ ਘਾਲਹਿ ਥਕਿ ਪਾਹਿ ॥
करोड़ों ही जीव परिश्रम से थककर टूट जाते हैं।
ਕਈ ਕੋਟਿ ਕੀਏ ਧਨਵੰਤ ॥
कई करोड़ जीव धनवान बनाए गए हैं।
ਕਈ ਕੋਟਿ ਮਾਇਆ ਮਹਿ ਚਿੰਤ ॥
करोड़ों ही जीव धन-दौलत की चिन्ता में लीन हैं।
ਜਹ ਜਹ ਭਾਣਾ ਤਹ ਤਹ ਰਾਖੇ ॥
ईश्वर जहाँ कहीं चाहता है, वहाँ ही वह जीवों को रखता है।
ਨਾਨਕ ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਹਾਥੇ ॥੫॥
हे नानक ! सब कुछ ईश्वर के अपने हाथ में है॥ ५ ॥
ਕਈ ਕੋਟਿ ਭਏ ਬੈਰਾਗੀ ॥
इस दुनिया में कई करोड़ जीव वैराग्यवान बने हुए हैं
ਰਾਮ ਨਾਮ ਸੰਗਿ ਤਿਨਿ ਲਿਵ ਲਾਗੀ ॥
और राम के नाम से उनकी वृत्ति लगी हुई है।
ਕਈ ਕੋਟਿ ਪ੍ਰਭ ਕਉ ਖੋਜੰਤੇ ॥
करोड़ों ही जीव परमात्मा को खोजते रहते हैं
ਆਤਮ ਮਹਿ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਲਹੰਤੇ ॥
और अपनी आत्मा में ही भगवान् को पा लेते हैं।
ਕਈ ਕੋਟਿ ਦਰਸਨ ਪ੍ਰਭ ਪਿਆਸ ॥
करोड़ों ही प्राणियों को ईश्वर के दर्शनों की प्यास (अभिलाषा) लगी रहती है,
ਤਿਨ ਕਉ ਮਿਲਿਓ ਪ੍ਰਭੁ ਅਬਿਨਾਸ ॥
उन्हें अनश्वर प्रभु मिल जाता है।
ਕਈ ਕੋਟਿ ਮਾਗਹਿ ਸਤਸੰਗੁ ॥
कई करोड़ प्राणी सत्संगति की माँग करते हैं।
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਤਿਨ ਲਾਗਾ ਰੰਗੁ ॥
वे भगवान् के प्रेम में ही मग्न रहते हैं।
ਜਿਨ ਕਉ ਹੋਏ ਆਪਿ ਸੁਪ੍ਰਸੰਨ ॥
हे नानक ! जिन पर ईश्वर स्वयं सुप्रसन्न होता है,
ਨਾਨਕ ਤੇ ਜਨ ਸਦਾ ਧਨਿ ਧੰਨਿ ॥੬॥
ऐसे व्यक्ति हमेशा ही भाग्यवान हैं।॥ ६॥
ਕਈ ਕੋਟਿ ਖਾਣੀ ਅਰੁ ਖੰਡ ॥
धरती के नौ खण्डों एवं (चार) दिशाओं में करोड़ों ही प्राणी पैदा हुए हैं।
ਕਈ ਕੋਟਿ ਅਕਾਸ ਬ੍ਰਹਮੰਡ ॥
कई करोड़ आकाश एवं ब्रह्माण्ड हैं।
ਕਈ ਕੋਟਿ ਹੋਏ ਅਵਤਾਰ ॥
करोड़ों ही अवतार हो चुके हैं।
ਕਈ ਜੁਗਤਿ ਕੀਨੋ ਬਿਸਥਾਰ ॥
कई युक्तियों से ईश्वर ने सृष्टि की रचना की है।
ਕਈ ਬਾਰ ਪਸਰਿਓ ਪਾਸਾਰ ॥
इस सृष्टि का कई बार प्रसार हुआ है
ਸਦਾ ਸਦਾ ਇਕੁ ਏਕੰਕਾਰ ॥
लेकिन परमात्मा हमेशा से एक ही है।
ਕਈ ਕੋਟਿ ਕੀਨੇ ਬਹੁ ਭਾਤਿ ॥
कई करोड़ जीव ईश्वर ने अनेक विधियों के बनाए हैं।
ਪ੍ਰਭ ਤੇ ਹੋਏ ਪ੍ਰਭ ਮਾਹਿ ਸਮਾਤਿ ॥
परमेश्वर से वे (जीव) उत्पन्न हुए हैं और परमेश्वर में ही समा गए हैं।
ਤਾ ਕਾ ਅੰਤੁ ਨ ਜਾਨੈ ਕੋਇ ॥
उसके अन्त को कोई नहीं जानता।
ਆਪੇ ਆਪਿ ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਭੁ ਸੋਇ ॥੭॥
हे नानक ! वह परमेश्वर सब कुछ आप ही है ॥ ७॥
ਕਈ ਕੋਟਿ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਕੇ ਦਾਸ ॥
इस दुनिया में कई करोड़ जीव परमात्मा के दास हैं
ਤਿਨ ਹੋਵਤ ਆਤਮ ਪਰਗਾਸ ॥
और उनकी आत्मा में प्रकाश हो जाता है।
ਕਈ ਕੋਟਿ ਤਤ ਕੇ ਬੇਤੇ ॥
कई करोड़ जीव तत्त्वज्ञाता हैं,
ਸਦਾ ਨਿਹਾਰਹਿ ਏਕੋ ਨੇਤ੍ਰੇ ॥
और अपने नेत्रों से वे सदैव एक ईश्वर के दर्शन करते रहते हैं।
ਕਈ ਕੋਟਿ ਨਾਮ ਰਸੁ ਪੀਵਹਿ ॥
कई करोड़ जीव नाम-रस पीते रहते हैं,
ਅਮਰ ਭਏ ਸਦ ਸਦ ਹੀ ਜੀਵਹਿ ॥
जो अमर होकर हमेशा ही जीते हैं।
ਕਈ ਕੋਟਿ ਨਾਮ ਗੁਨ ਗਾਵਹਿ ॥
करोड़ों ही जीव नाम का यशोगान करते रहते हैं।
ਆਤਮ ਰਸਿ ਸੁਖਿ ਸਹਜਿ ਸਮਾਵਹਿ ॥
वे आत्म-रस के सुख में सहज ही समा जाते हैं।
ਅਪੁਨੇ ਜਨ ਕਉ ਸਾਸਿ ਸਾਸਿ ਸਮਾਰੇ ॥
अपने भक्तों की प्रभु श्वास-श्वास से देखभाल करता है।
ਨਾਨਕ ਓਇ ਪਰਮੇਸੁਰ ਕੇ ਪਿਆਰੇ ॥੮॥੧੦॥
हे नानक ! ऐसे भक्त ही परमेश्वर के प्रिय होते हैं ॥८॥१०॥
ਸਲੋਕੁ ॥
श्लोक॥
ਕਰਣ ਕਾਰਣ ਪ੍ਰਭੁ ਏਕੁ ਹੈ ਦੂਸਰ ਨਾਹੀ ਕੋਇ ॥
एक ईश्वर ही सृष्टि का मूल कारण (सर्जक) है, उसके अतिरिक्त दूसरा कोई नहीं।
ਨਾਨਕ ਤਿਸੁ ਬਲਿਹਾਰਣੈ ਜਲਿ ਥਲਿ ਮਹੀਅਲਿ ਸੋਇ ॥੧॥
हे नानक ! मैं उस ईश्वर पर न्योछावर जाता हूँ, जो जल, धरती, पाताल एवं आकाश में विद्यमान है॥ १॥
ਅਸਟਪਦੀ ॥
अष्टपदी।
ਕਰਨ ਕਰਾਵਨ ਕਰਨੈ ਜੋਗੁ ॥
हर कार्य करने और जीवों से कराने वाला एक ईश्वर सब कुछ करने में समर्थ है।
ਜੋ ਤਿਸੁ ਭਾਵੈ ਸੋਈ ਹੋਗੁ ॥
जो कुछ उसे भला लगता है, वही होता है।
ਖਿਨ ਮਹਿ ਥਾਪਿ ਉਥਾਪਨਹਾਰਾ ॥
वह क्षण भर में इस सृष्टि को उत्पन्न करने एवं नाश भी करने वाला (प्रभु) है।