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ੴ ਸਤਿਨਾਮੁ ਕਰਤਾ ਪੁਰਖੁ ਨਿਰਭਉ ਨਿਰਵੈਰੁ ਅਕਾਲ ਮੂਰਤਿ ਅਜੂਨੀ ਸੈਭੰ ਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
वह अनंतशक्ति परम-परमेश्वर केवल एक है, नाम उसका सत्य है, वह सम्पूर्ण विश्व को बनाने वाला है, सर्वशक्तिमान है, वह भय से रहित है, उसका किसी से वैर नहीं, वस्तुतः सब पर समान दृष्टि होने के कारण वह प्रेमस्वरूप है, वह कालातीत ब्रह्म मूर्ति सदा अमर है, वह जन्म-मरण के चक्र से परे है, अजन्मा है, वह स्वतः प्रकाशमान हुआ और गुरु की कृपा से प्राप्त होता है।
ਰਾਗੁ ਪਰਭਾਤੀ ਬਿਭਾਸ ਮਹਲਾ ੧ ਚਉਪਦੇ ਘਰੁ ੧ ॥
रागु परभाती बिभास महला १ चउपदे घरु १ ॥
ਨਾਇ ਤੇਰੈ ਤਰਣਾ ਨਾਇ ਪਤਿ ਪੂਜ ॥
हे परमपिता ! तेरे नाम-स्मरण से संसार-समुद्र से तैरा जाता है, तेरे नाम-संकीर्तन से मानव की इज्जत होती है और वह पूज्य बनता है।
ਨਾਉ ਤੇਰਾ ਗਹਣਾ ਮਤਿ ਮਕਸੂਦੁ ॥
तेरा नाम ही वैभव है, इसी से मकसद पूरा होता है।
ਨਾਇ ਤੇਰੈ ਨਾਉ ਮੰਨੇ ਸਭ ਕੋਇ ॥
तेरा नाम सर्वव्यापंक है, समूचा संसार तेरे नाम को ही मानता है।
ਵਿਣੁ ਨਾਵੈ ਪਤਿ ਕਬਹੁ ਨ ਹੋਇ ॥੧॥
परमेश्वर के नाम बिना कभी इज्जत प्राप्त नहीं होती॥ १॥
ਅਵਰ ਸਿਆਣਪ ਸਗਲੀ ਪਾਜੁ ॥
अन्य सब चतुराइयाँ मात्र दिखावा ही हैं,"
ਜੈ ਬਖਸੇ ਤੈ ਪੂਰਾ ਕਾਜੁ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
जिस पर निरंकार अपनी बख्शिश कर देता है, उसका कार्य पूरा हो जाता है।॥ १॥रहाउ॥
ਨਾਉ ਤੇਰਾ ਤਾਣੁ ਨਾਉ ਦੀਬਾਣੁ ॥
तेरा नाम ही बल है और नाम ही हमारा आसरा है।
ਨਾਉ ਤੇਰਾ ਲਸਕਰੁ ਨਾਉ ਸੁਲਤਾਨੁ ॥
तेरा नाम ही सेना है और नाम ही बादशाह है।
ਨਾਇ ਤੇਰੈ ਮਾਣੁ ਮਹਤ ਪਰਵਾਣੁ ॥
तेरे नाम से ही मान-सम्मान प्राप्त होता है और
ਤੇਰੀ ਨਦਰੀ ਕਰਮਿ ਪਵੈ ਨੀਸਾਣੁ ॥੨॥
तेरी कृपा-दृष्टि से जीवन सफल होता है।॥ २॥
ਨਾਇ ਤੇਰੈ ਸਹਜੁ ਨਾਇ ਸਾਲਾਹ ॥
तेरे नाम से ही शान्ति प्राप्त होती है और नाम से ही सराहना होती है।
ਨਾਉ ਤੇਰਾ ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਬਿਖੁ ਉਠਿ ਜਾਇ ॥
तेरा नाम अमृतमय सुखों का घर है, जिससे दुखों भरा जहर दूर होता है।
ਨਾਇ ਤੇਰੈ ਸਭਿ ਸੁਖ ਵਸਹਿ ਮਨਿ ਆਇ ॥
तेरे नाम मनन से मन में सब सुख उत्पन्न होते हैं और
ਬਿਨੁ ਨਾਵੈ ਬਾਧੀ ਜਮ ਪੁਰਿ ਜਾਇ ॥੩॥
नाम से विहीन यमपुरी जाना पड़ता है।॥ ३॥
ਨਾਰੀ ਬੇਰੀ ਘਰ ਦਰ ਦੇਸ ॥ ਮਨ ਕੀਆ ਖੁਸੀਆ ਕੀਚਹਿ ਵੇਸ ॥
मनुष्य नारी के प्रेम, सुन्दर घर, द्वार, देश में लिप्त रहता है,मन की खुशी के लिए अनेक आडम्बर करता है।
ਜਾਂ ਸਦੇ ਤਾਂ ਢਿਲ ਨ ਪਾਇ ॥
परन्तु जब विधाता का बुलावा आता है तो कोई देरी नहीं होती।
ਨਾਨਕ ਕੂੜੁ ਕੂੜੋ ਹੋਇ ਜਾਇ ॥੪॥੧॥
गुरु नानक का फुरमान है कि दुनिया के मौज-मेले, भौतिक पदार्थ सब झूठे हैं, मरणोपरांत कुछ साथ नहीं जाता, अत: सब झूठा सिद्ध होता है॥ ४॥१॥
ਪ੍ਰਭਾਤੀ ਮਹਲਾ ੧ ॥
प्रभाती महला १ ॥
ਤੇਰਾ ਨਾਮੁ ਰਤਨੁ ਕਰਮੁ ਚਾਨਣੁ ਸੁਰਤਿ ਤਿਥੈ ਲੋਇ ॥
हे प्रभु ! जहाँ तेरा नाम-रत्न है, तेरी कृपा का आलोक है, वहाँ ज्ञान का उजाला होता है।
ਅੰਧੇਰੁ ਅੰਧੀ ਵਾਪਰੈ ਸਗਲ ਲੀਜੈ ਖੋਇ ॥੧॥
अज्ञानांध दुनिया में अंधेरा ही विद्यमान है, जिस कारण मनुष्य सब कुछ गंवा रहा है॥ १॥
ਇਹੁ ਸੰਸਾਰੁ ਸਗਲ ਬਿਕਾਰੁ ॥
यह संसार पाप-विकारों से भरा हुआ है,
ਤੇਰਾ ਨਾਮੁ ਦਾਰੂ ਅਵਰੁ ਨਾਸਤਿ ਕਰਣਹਾਰੁ ਅਪਾਰੁ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
हे कर्ता ! तेरा नाम ही दवा है, अन्य कुछ भी नहीं॥ १॥रहाउ॥
ਪਾਤਾਲ ਪੁਰੀਆ ਏਕ ਭਾਰ ਹੋਵਹਿ ਲਾਖ ਕਰੋੜਿ ॥
यदि सभी पाताल, पुरियाँ, नगर इत्यादि तराजू के एक तरफ रख दें, इस तरह लाखों करोड़ और भी हों तो भी
ਤੇਰੇ ਲਾਲ ਕੀਮਤਿ ਤਾ ਪਵੈ ਜਾਂ ਸਿਰੈ ਹੋਵਹਿ ਹੋਰਿ ॥੨॥
सही मूल्यांकन तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक तोलने में अन्य बराबर की चीजें ना आ जाएँ॥ २॥