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ਪਰ ਨਾਰੀ ਸਿਉ ਘਾਲੈ ਧੰਧਾ ॥
पराई नारी के संग लिप्त रहता है।
ਜੈਸੇ ਸਿੰਬਲੁ ਦੇਖਿ ਸੂਆ ਬਿਗਸਾਨਾ ॥
(उसके साथ यही होता है) जैसे सेमल के पेड़ को देखकर तोता खुश होता है,
ਅੰਤ ਕੀ ਬਾਰ ਮੂਆ ਲਪਟਾਨਾ ॥੧॥
लेस के साथ लिपटकर अन्त में मृत्यु को प्राप्त होता है॥१॥
ਪਾਪੀ ਕਾ ਘਰੁ ਅਗਨੇ ਮਾਹਿ ॥
पापी का घर अग्नि में जलता रहता है और
ਜਲਤ ਰਹੈ ਮਿਟਵੈ ਕਬ ਨਾਹਿ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
उसकी जलन कभी नहीं मिटती॥१॥ रहाउ॥
ਹਰਿ ਕੀ ਭਗਤਿ ਨ ਦੇਖੈ ਜਾਇ ॥
वह ईश्वर की भक्ति की ओर ध्यान नहीं देता और
ਮਾਰਗੁ ਛੋਡਿ ਅਮਾਰਗਿ ਪਾਇ ॥
सही मार्ग छोड़कर गलत मार्ग में पड़ता है।
ਮੂਲਹੁ ਭੂਲਾ ਆਵੈ ਜਾਇ ॥
वह मूल परमात्मा को भूलकर जन्म-मरण में पड़ा रहता है और
ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਡਾਰਿ ਲਾਦਿ ਬਿਖੁ ਖਾਇ ॥੨॥
अमृत नाम को छोड़कर पापों का जहर लादकर खाता रहता है॥२॥
ਜਿਉ ਬੇਸ੍ਵਾ ਕੇ ਪਰੈ ਅਖਾਰਾ ॥
जैसे वेश्या के यहां मुजरा देखने वालों की महफिल लगी रहती है।
ਕਾਪਰੁ ਪਹਿਰਿ ਕਰਹਿ ਸੀਗਾਰਾ ॥
वह सुन्दर कपड़े पहनकर अनेक श्रृंगार करती है।
ਪੂਰੇ ਤਾਲ ਨਿਹਾਲੇ ਸਾਸ ॥
जब वह नाचती है तो उसके यौवन को देखकर कामी कामातुर होता है,
ਵਾ ਕੇ ਗਲੇ ਜਮ ਕਾ ਹੈ ਫਾਸ ॥੩॥
तो ऐसे पुरुष के गले में मौत का फंदा पड़ जाता है॥३॥
ਜਾ ਕੇ ਮਸਤਕਿ ਲਿਖਿਓ ਕਰਮਾ ॥
जिसके भाग्य में लिखा होता है,
ਸੋ ਭਜਿ ਪਰਿ ਹੈ ਗੁਰ ਕੀ ਸਰਨਾ ॥
वह गुरु की शरण में आ जाता है।
ਕਹਤ ਨਾਮਦੇਉ ਇਹੁ ਬੀਚਾਰੁ ॥
नामदेव यही विचार कहते हैं कि
ਇਨ ਬਿਧਿ ਸੰਤਹੁ ਉਤਰਹੁ ਪਾਰਿ ॥੪॥੨॥੮॥
हे सज्जनो, इस तरीके से मुक्ति पायी जा सकती है।॥४॥२॥ ८॥
ਸੰਡਾ ਮਰਕਾ ਜਾਇ ਪੁਕਾਰੇ ॥
प्रहलाद के अध्यापकों षण्ड एवं अमरक ने दैत्यराज हिरण्यकशिपु के पास जाकर शिकायत की कि
ਪੜੈ ਨਹੀ ਹਮ ਹੀ ਪਚਿ ਹਾਰੇ ॥
प्रहलाद बिल्कुल नहीं पढ़ता, हम हर कोशिश कर के हार गए हैं।
ਰਾਮੁ ਕਹੈ ਕਰ ਤਾਲ ਬਜਾਵੈ ਚਟੀਆ ਸਭੈ ਬਿਗਾਰੇ ॥੧॥
वह ताल बजाकर राम नाम जपता रहता है, इस प्रकार इसने सब विद्यार्थी बिगाड़ दिए हैं।॥१॥
ਰਾਮ ਨਾਮਾ ਜਪਿਬੋ ਕਰੈ ॥
वह हर वक्त राम नाम जपता रहता है और
ਹਿਰਦੈ ਹਰਿ ਜੀ ਕੋ ਸਿਮਰਨੁ ਧਰੈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
हृदय में हरि का ही स्मरण करता है॥१॥ रहाउ॥
ਬਸੁਧਾ ਬਸਿ ਕੀਨੀ ਸਭ ਰਾਜੇ ਬਿਨਤੀ ਕਰੈ ਪਟਰਾਨੀ ॥
पटरानी माँ ने विनयपूर्वक कहा, “राजा हिरण्यकशिपु ने समूची पृथ्वी को वश में किया हुआ है,
ਪੂਤੁ ਪ੍ਰਹਿਲਾਦੁ ਕਹਿਆ ਨਹੀ ਮਾਨੈ ਤਿਨਿ ਤਉ ਅਉਰੈ ਠਾਨੀ ॥੨॥
एक पुत्र प्रहलाद ही आज्ञा नहीं मानता और मन में उसने तो कुछ अन्य ही ठान रखा है”॥२॥
ਦੁਸਟ ਸਭਾ ਮਿਲਿ ਮੰਤਰ ਉਪਾਇਆ ਕਰਸਹ ਅਉਧ ਘਨੇਰੀ ॥
दुष्टों की सभा में यह सलाह की गई कि प्रहलाद को मौत के घाट उतार दिया जाए।
ਗਿਰਿ ਤਰ ਜਲ ਜੁਆਲਾ ਭੈ ਰਾਖਿਓ ਰਾਜਾ ਰਾਮਿ ਮਾਇਆ ਫੇਰੀ ॥੩॥
चाहे पहाड़ से गिराया गया, समुद्र में डुबाने की कोशिश की, अग्नि में जलाया जाने लगा, मगर ईश्वर की माया ने भक्त प्रहलाद को बचा लिया॥३॥
ਕਾਢਿ ਖੜਗੁ ਕਾਲੁ ਭੈ ਕੋਪਿਓ ਮੋਹਿ ਬਤਾਉ ਜੁ ਤੁਹਿ ਰਾਖੈ ॥
फिर खड़ग निकालकर मौत रूप में क्रोधित होकर हिरण्यकशिपु बोला, “मुझे बता तेरी रक्षा करने वाला कौन एवं कहाँ है?'
ਪੀਤ ਪੀਤਾਂਬਰ ਤ੍ਰਿਭਵਣ ਧਣੀ ਥੰਭ ਮਾਹਿ ਹਰਿ ਭਾਖੈ ॥੪॥
प्रहलाद ने उत्तर दिया, ‘‘तीनों लोकों का मालिक पीताम्बर श्री हरि इस खम्भे में भी है॥४॥
ਹਰਨਾਖਸੁ ਜਿਨਿ ਨਖਹ ਬਿਦਾਰਿਓ ਸੁਰਿ ਨਰ ਕੀਏ ਸਨਾਥਾ ॥
तभी हरि ने खम्भे में से निकल कर दुष्ट हिरण्यकशिपु को नाखुनों से फाड़कर मौत की नीद सुला दिया और देवताओं व मनुष्यों का संरक्षण किया।
ਕਹਿ ਨਾਮਦੇਉ ਹਮ ਨਰਹਰਿ ਧਿਆਵਹ ਰਾਮੁ ਅਭੈ ਪਦ ਦਾਤਾ ॥੫॥੩॥੯॥
नामदेव जी कहते हैं कि हम नृसिंह हरि का ध्यान करते हैं और वही अभय पद देने वाला है॥ ५॥३॥६॥
ਸੁਲਤਾਨੁ ਪੂਛੈ ਸੁਨੁ ਬੇ ਨਾਮਾ ॥
सुलतान (मुहम्मद बिन तुगलक) ने पूछा, “अबे नामदेव !
ਦੇਖਉ ਰਾਮ ਤੁਮ੍ਹ੍ਹਾਰੇ ਕਾਮਾ ॥੧॥
मैं देखना चाहता हूँ कि तेरा राम क्या करामात करता है॥१॥
ਨਾਮਾ ਸੁਲਤਾਨੇ ਬਾਧਿਲਾ ॥
फिर सुलतान ने नामदेव को सिपाहियों द्वारा बाँध लिया और बोला,
ਦੇਖਉ ਤੇਰਾ ਹਰਿ ਬੀਠੁਲਾ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
“देखना चाहता हूँ कि तेरा ईश्वर क्या चमत्कार करता है॥१॥ रहाउ॥
ਬਿਸਮਿਲਿ ਗਊ ਦੇਹੁ ਜੀਵਾਇ ॥
अगर अपना भला चाहते हो तो मृत गाय को जीवित कर दो,
ਨਾਤਰੁ ਗਰਦਨਿ ਮਾਰਉ ਠਾਂਇ ॥੨॥
अन्यथा गर्दन उड़ाकर मार डालूंगा”॥२॥
ਬਾਦਿਸਾਹ ਐਸੀ ਕਿਉ ਹੋਇ ॥
नामदेव ने कहा, “हे बादशाह ! ऐसा कैसे हो सकता है,
ਬਿਸਮਿਲਿ ਕੀਆ ਨ ਜੀਵੈ ਕੋਇ ॥੩॥
एक बार मरा हुआ कोई जीव दुबारा जिन्दा नहीं होता॥३॥
ਮੇਰਾ ਕੀਆ ਕਛੂ ਨ ਹੋਇ ॥
मेरे करने से तो कुछ नहीं हो सकता,
ਕਰਿ ਹੈ ਰਾਮੁ ਹੋਇ ਹੈ ਸੋਇ ॥੪॥
हाँ जो राम करता है, वही होता है और होगा”॥४॥
ਬਾਦਿਸਾਹੁ ਚੜ੍ਹ੍ਹਿਓ ਅਹੰਕਾਰਿ ॥
यह सुनकर बादशाह अहंकार में आगबघूला हो गया और
ਗਜ ਹਸਤੀ ਦੀਨੋ ਚਮਕਾਰਿ ॥੫॥
हाथी को नामदेव पर छोड़ दिया॥५॥
ਰੁਦਨੁ ਕਰੈ ਨਾਮੇ ਕੀ ਮਾਇ ॥
फिर नामदेव की माता रोते हुए कहने लगी,
ਛੋਡਿ ਰਾਮੁ ਕੀ ਨ ਭਜਹਿ ਖੁਦਾਇ ॥੬॥
तू राम को छोड़कर खुदा की बंदगी क्यों नहीं करता॥६॥
ਨ ਹਉ ਤੇਰਾ ਪੂੰਗੜਾ ਨ ਤੂ ਮੇਰੀ ਮਾਇ ॥
यह सुनकर नामदेव जी ने प्रत्युत्तर दिया, “अरी माई ! न मैं तेरा पुत्र हूँ और न ही तू मेरी माता है,
ਪਿੰਡੁ ਪੜੈ ਤਉ ਹਰਿ ਗੁਨ ਗਾਇ ॥੭॥
यदि मेरे शरीर को नष्ट कर दिया जाए तो भी परमात्मा का यशोगान करूँगा”॥ ७॥
ਕਰੈ ਗਜਿੰਦੁ ਸੁੰਡ ਕੀ ਚੋਟ ॥
तब हाथीं ने नामदेव पर सूंड से चोट की,
ਨਾਮਾ ਉਬਰੈ ਹਰਿ ਕੀ ਓਟ ॥੮॥
पर ईश्वर ने नामदेव को बचा लिया॥ ८॥
ਕਾਜੀ ਮੁਲਾਂ ਕਰਹਿ ਸਲਾਮੁ ॥
बादशाह हैरान होकर बोला- काजी-मुल्ला सभी मुझे सलाम करते हैं,
ਇਨਿ ਹਿੰਦੂ ਮੇਰਾ ਮਲਿਆ ਮਾਨੁ ॥੯॥
मगर इस हिन्दू ने तो मेरा अभिमान चकनाचूर कर दिया॥९॥
ਬਾਦਿਸਾਹ ਬੇਨਤੀ ਸੁਨੇਹੁ ॥
लोगों ने कहा, हे बादशाह हजूर ! आप से हमारी विनती है कि