Guru Granth Sahib Translation Project

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ਗਾਵਨਿ ਤੁਧਨੋ ਜਤੀ ਸਤੀ ਸੰਤੋਖੀ ਗਾਵਨਿ ਤੁਧਨੋ ਵੀਰ ਕਰਾਰੇ ॥ तुम्हारा गुणगान यति, सत्यवादी व संतोषी व्यक्ति भी कर रहे हैं और शूरवीर भी तुम्हारे गुणों की प्रशंसा कर रहे हैं।
ਗਾਵਨਿ ਤੁਧਨੋ ਪੰਡਿਤ ਪੜਨਿ ਰਖੀਸੁਰ ਜੁਗੁ ਜੁਗੁ ਵੇਦਾ ਨਾਲੇ ॥ युगों-युगों तक वेदाध्ययन द्वारा विद्वान व ऋषि-मुनि आदि तुम्हारी कीर्ति को कहते हैं
ਗਾਵਨਿ ਤੁਧਨੋ ਮੋਹਣੀਆ ਮਨੁ ਮੋਹਨਿ ਸੁਰਗੁ ਮਛੁ ਪਇਆਲੇ ॥ मन को मोह लेने वाली स्त्रियाँ स्वर्ग, मृत्यु व पाताल लोक में तुम्हारा यशोगान कर रही हैं
ਗਾਵਨਿ ਤੁਧਨੋ ਰਤਨ ਉਪਾਏ ਤੇਰੇ ਅਠਸਠਿ ਤੀਰਥ ਨਾਲੇ ॥ तुम्हारे उत्पन्न किए हुए चौदह रत्न व संसार के अठसठ तीर्थ भी तुम्हारी स्तुति कर रहे हैं
ਗਾਵਨਿ ਤੁਧਨੋ ਜੋਧ ਮਹਾਬਲ ਸੂਰਾ ਗਾਵਨਿ ਤੁਧਨੋ ਖਾਣੀ ਚਾਰੇ ॥ योद्धा, महाबली व शूरवीर भी तुम्हारा यशोगान कर रहे हैं, चारों उत्पत्ति के स्रोत भी तुम्हारे यश को गा रहे हैं।
ਗਾਵਨਿ ਤੁਧਨੋ ਖੰਡ ਮੰਡਲ ਬ੍ਰਹਮੰਡਾ ਕਰਿ ਕਰਿ ਰਖੇ ਤੇਰੇ ਧਾਰੇ ॥ नवखण्ड, द्वीप व ब्रह्माण्ड आदि के जीव भी तुम्हारा गान कर रहे हैं जो तुम ने रच-रच कर इस सृष्टि में स्थित कर रखे हैं।
ਸੇਈ ਤੁਧਨੋ ਗਾਵਨਿ ਜੋ ਤੁਧੁ ਭਾਵਨਿ ਰਤੇ ਤੇਰੇ ਭਗਤ ਰਸਾਲੇ ॥ जो तुम्हें अच्छे लगते हैं व तेरे प्रेम में रत हैं वे भक्त ही तुम्हारा यशोगान करते हैं।
ਹੋਰਿ ਕੇਤੇ ਤੁਧਨੋ ਗਾਵਨਿ ਸੇ ਮੈ ਚਿਤਿ ਨ ਆਵਨਿ ਨਾਨਕੁ ਕਿਆ ਬੀਚਾਰੇ ॥ और भी अनेकानेक तुम्हारा गुणगान कर रहे हैं, वे मेरे चिंतन में नहीं आ रहे हैं।
ਸੋਈ ਸੋਈ ਸਦਾ ਸਚੁ ਸਾਹਿਬੁ ਸਾਚਾ ਸਾਚੀ ਨਾਈ ॥ श्री गुरु नानक देव जी कहते हैं कि मैं उनका क्या विचार करूँ।
ਹੈ ਭੀ ਹੋਸੀ ਜਾਇ ਨ ਜਾਸੀ ਰਚਨਾ ਜਿਨਿ ਰਚਾਈ ॥ सत्य स्वरूप निरंकार भूतकाल में था और वह सत्य सम्मान वाला अब भी है।
ਰੰਗੀ ਰੰਗੀ ਭਾਤੀ ਕਰਿ ਕਰਿ ਜਿਨਸੀ ਮਾਇਆ ਜਿਨਿ ਉਪਾਈ ॥ पुनः भविष्य में भी वही सत्य स्वरूप होगा, जिसने इस सृष्टि की रचना की है, वह न नष्ट होता है, न नष्ट होगा।
ਕਰਿ ਕਰਿ ਦੇਖੈ ਕੀਤਾ ਆਪਣਾ ਜਿਉ ਤਿਸ ਦੀ ਵਡਿਆਈ ॥ अनेक प्रकार के रंगों की और विभिन्न तरह की माया द्वारा पशु-पक्षी आदि जीवों की जिसने रचना की है, वह सृजनहार परमात्मा अपने किए हुए प्रपंच को कर-करके अपनी इच्छानुसार ही देखता l
ਜੋ ਤਿਸੁ ਭਾਵੈ ਸੋਈ ਕਰਸੀ ਫਿਰਿ ਹੁਕਮੁ ਨ ਕਰਣਾ ਜਾਈ ॥ जो उसे भला लगता है वही करता है, पुनः उस पर आदेश करने वाला कोई भी नहीं है l
ਸੋ ਪਾਤਿਸਾਹੁ ਸਾਹਾ ਪਤਿਸਾਹਿਬੁ ਨਾਨਕ ਰਹਣੁ ਰਜਾਈ ॥੧॥ हे नानक ! वह शाहों का शाह शहंशाह है, उसकी आज्ञा में रहना ही उचित है॥ १॥
ਆਸਾ ਮਹਲਾ ੧ ॥ आसा महला १ ||
ਸੁਣਿ ਵਡਾ ਆਖੈ ਸਭੁ ਕੋਇ ॥ हे निरंकार स्वरूप ! (शास्त्रों व विद्वानों से) सुन कर तो प्रत्येक कोई तुझे बड़ा कहता है l
ਕੇਵਡੁ ਵਡਾ ਡੀਠਾ ਹੋਇ ॥ किंतु तुम कितने बड़े हो, यह तो तभी कोई बता सकता है यदि किसी ने तुझे देखा हो अथवा तुम्हारे दर्शन किए हों।
ਕੀਮਤਿ ਪਾਇ ਨ ਕਹਿਆ ਜਾਇ ॥ वास्तव में उस सगुण स्वरूप परमात्मा की न तो कोई कीमत आंक सकता है और न ही उसका कोई अंत कह सकता है, क्योंकि वह अनन्त व असीम है।
ਕਹਣੈ ਵਾਲੇ ਤੇਰੇ ਰਹੇ ਸਮਾਇ ॥੧॥ जिन्होंने तेरी महिमा का अंत पाया है अर्थात् तेरे सच्चिदानन्द स्वरूप को जाना है वे तुझ में ही अभेद हो जाते हैं।॥ १॥
ਵਡੇ ਮੇਰੇ ਸਾਹਿਬਾ ਗਹਿਰ ਗੰਭੀਰਾ ਗੁਣੀ ਗਹੀਰਾ ॥ हे मेरे अकाल पुरुष ! तुम सर्वोच्च हो, स्वभाव में स्थिर व गुणों के निधान हो।
ਕੋਇ ਨ ਜਾਣੈ ਤੇਰਾ ਕੇਤਾ ਕੇਵਡੁ ਚੀਰਾ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ तुम्हारा कितना विस्तार है, इस तथ्य का ज्ञान किसी को भी नहीं है ॥१॥ रहाउ ॥
ਸਭਿ ਸੁਰਤੀ ਮਿਲਿ ਸੁਰਤਿ ਕਮਾਈ ॥ समस्त ध्यान-मग्न होने वाले व्यक्तियों ने मिलकर अपनी वृत्ति लगाई।
ਸਭ ਕੀਮਤਿ ਮਿਲਿ ਕੀਮਤਿ ਪਾਈ ॥ समस्त विद्वानों ने मिलकर तुम्हारा अन्त जानने की कोशिश की।
ਗਿਆਨੀ ਧਿਆਨੀ ਗੁਰ ਗੁਰਹਾਈ ॥ शास्त्रवेता, प्राणायामी, गुरु व गुरुओं के भी गुरु
ਕਹਣੁ ਨ ਜਾਈ ਤੇਰੀ ਤਿਲੁ ਵਡਿਆਈ ॥੨॥ तेरी महिमा का लेश मात्र भी व्याख्यान नहीं कर सकते॥ २॥
ਸਭਿ ਸਤ ਸਭਿ ਤਪ ਸਭਿ ਚੰਗਿਆਈਆ ॥ सभी शुभ-गुण, सभी तप और सभी शुभ कर्म
ਸਿਧਾ ਪੁਰਖਾ ਕੀਆ ਵਡਿਆਈਆ ॥ सिद्ध - पुरुषों की सिद्धि समान महानता
ਤੁਧੁ ਵਿਣੁ ਸਿਧੀ ਕਿਨੈ ਨ ਪਾਈਆ ॥ तुम्हारी कृपा के बिना पूर्वोक्त गुणों की जो सिद्धियाँ हैं वे किसी ने भी प्राप्त नहीं की।
ਕਰਮਿ ਮਿਲੈ ਨਾਹੀ ਠਾਕਿ ਰਹਾਈਆ ॥੩॥ यदि परमेश्वर की कृपा से ये शुभ-गुण प्राप्त हो जाएँ तो फिर किसी के रोके रुक नहीं सकते॥ ३॥
ਆਖਣ ਵਾਲਾ ਕਿਆ ਵੇਚਾਰਾ ॥ यदि कोई कहे कि हे अकाल-पुरुष ! मैं तुम्हारी महिमा कथन कर सकता हूँ तो यह बेचारा क्या कह सकता है।
ਸਿਫਤੀ ਭਰੇ ਤੇਰੇ ਭੰਡਾਰਾ ॥ क्योंकि हे परमेश्वर ! तेरी स्तुति के भण्डार तो वेदों, ग्रंथों व तेरे भक्तों के हृदय में भरे पड़े हैं।
ਜਿਸੁ ਤੂ ਦੇਹਿ ਤਿਸੈ ਕਿਆ ਚਾਰਾ ॥ जिन को तुम अपनी स्तुति करने की बुद्धि प्रदान करते हो, उनके साथ किसी का क्या ज़ोर चल सकता है।
ਨਾਨਕ ਸਚੁ ਸਵਾਰਣਹਾਰਾ ॥੪॥੨॥ गुरु नानक जी कहते हैं कि वह सत्यस्वरूप परमात्मा ही सबको शोभायमान करने वाला है II ४ II २ ॥
ਆਸਾ ਮਹਲਾ ੧ ॥ आसा महला १ ॥
ਆਖਾ ਜੀਵਾ ਵਿਸਰੈ ਮਰਿ ਜਾਉ ॥ हे माता जी ! जब तक मैं परमेश्वर का नाम सिमरन करता हूँ तब तक ही मैं जीवित रहता हूँ, जब मुझे यह नाम विस्मृत हो जाता है तो मैं स्वयं को मृत समझता हूँ ; अर्थात् मैं प्रभु के नाम में ही सुख अनुभव करता हूँ, वरन् मैं दु:खी होता हूँ।
ਆਖਣਿ ਅਉਖਾ ਸਾਚਾ ਨਾਉ ॥ किन्तु यह सत्य नाम कथन करना बहुत कठिन है।
ਸਾਚੇ ਨਾਮ ਕੀ ਲਾਗੈ ਭੂਖ ॥ यदि प्रभु के सत्य नाम की (भूख) चाहत हो
ਉਤੁ ਭੂਖੈ ਖਾਇ ਚਲੀਅਹਿ ਦੂਖ ॥੧॥ तो वह चाहत ही समस्त दु:खों को नष्ट कर देती है॥ १॥
ਸੋ ਕਿਉ ਵਿਸਰੈ ਮੇਰੀ ਮਾਇ ॥ सो हे माता जी ! ऐसा नाम फिर मुझे विस्मृत क्यों हो।
ਸਾਚਾ ਸਾਹਿਬੁ ਸਾਚੈ ਨਾਇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ वह स्वामी सत्य है और उसका नाम भी सत्य है। ॥ १॥ रहाउ ॥
ਸਾਚੇ ਨਾਮ ਕੀ ਤਿਲੁ ਵਡਿਆਈ ॥ परमात्मा के सत्य नाम की लेश मात्र महिमा
ਆਖਿ ਥਕੇ ਕੀਮਤਿ ਨਹੀ ਪਾਈ ॥ (व्यासादि मुनि) कह कर थक गए हैं, किंतु वे उसके महत्व को नहीं जान पाए हैं।
ਜੇ ਸਭਿ ਮਿਲਿ ਕੈ ਆਖਣ ਪਾਹਿ ॥ यदि सृष्टि के समस्त जीव मिलकर परमेश्वर की स्तुति करने लगें
ਵਡਾ ਨ ਹੋਵੈ ਘਾਟਿ ਨ ਜਾਇ ॥੨॥ तो वह स्तुति करने से न बड़ा होता है और न निन्दा करने से घटता है॥ २ ॥
ਨਾ ਓਹੁ ਮਰੈ ਨ ਹੋਵੈ ਸੋਗੁ ॥ वह निरंकार न तो कभी मरता है और न ही उसे कभी शोक होता है।
ਦੇਦਾ ਰਹੈ ਨ ਚੂਕੈ ਭੋਗੁ ॥ वह संसार के जीवों को खान-पान देता रहता है जो कि उसके भण्डार में कभी भी समाप्त नहीं होता।
ਗੁਣੁ ਏਹੋ ਹੋਰੁ ਨਾਹੀ ਕੋਇ ॥ दानेश्वर परमात्मा जैसा गुण सिर्फ़ उसी में ही है, अन्य किसी में नहीं।
ਨਾ ਕੋ ਹੋਆ ਨਾ ਕੋ ਹੋਇ ॥੩॥ ऐसे परमेश्वर जैसा न पहले कभी हुआ है और न ही आगे कोई होगा ॥ ३॥
ਜੇਵਡੁ ਆਪਿ ਤੇਵਡ ਤੇਰੀ ਦਾਤਿ ॥ जितना महान् परमात्मा स्वयं है उतनी ही महान उसकी बख्शिश है।
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