Guru Granth Sahib Translation Project

Guru Granth Sahib Hindi Page 1186

Page 1186

ਤੂ ਵਡ ਦਾਤਾ ਤੂ ਵਡ ਦਾਨਾ ਅਉਰੁ ਨਹੀ ਕੋ ਦੂਜਾ ॥ तू वड दाता तू वड दाना अउरु नही को दूजा ॥ तू सबसे बड़ा दाता है, तू बहुत बुद्धिमान है और तेरे सरीखा दूसरा कोई नहीं।
ਤੂ ਸਮਰਥੁ ਸੁਆਮੀ ਮੇਰਾ ਹਉ ਕਿਆ ਜਾਣਾ ਤੇਰੀ ਪੂਜਾ ॥੩॥ तू समरथु सुआमी मेरा हउ किआ जाणा तेरी पूजा ॥३॥ हे मेरे स्वामी ! तू तो सर्वशक्तिमान है, फिर भला मैं तेरी पूजा की महत्ता क्या जान सकता हूँ॥३॥
ਤੇਰਾ ਮਹਲੁ ਅਗੋਚਰੁ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਬਿਖਮੁ ਤੇਰਾ ਹੈ ਭਾਣਾ ॥ तेरा महलु अगोचरु मेरे पिआरे बिखमु तेरा है भाणा ॥ हे मेरे प्यारे ! जहाँ तू रहता है, वह हमारी पहुँच से परे है और तेरी रज़ा को मानकर चलना भी हमारे लिए बहुत मुश्किल है।
ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਢਹਿ ਪਇਆ ਦੁਆਰੈ ਰਖਿ ਲੇਵਹੁ ਮੁਗਧ ਅਜਾਣਾ ॥੪॥੨॥੨੦॥ कहु नानक ढहि पइआ दुआरै रखि लेवहु मुगध अजाणा ॥४॥२॥२०॥ नानक विनती करते हैं कि हे मालिक ! मैं तेरे द्वार पर नतमस्तक हूँ, मुझ मूर्ख अनजान को बचा लो॥४॥२॥ २०॥
ਬਸੰਤੁ ਹਿੰਡੋਲ ਮਹਲਾ ੫ ॥ बसंतु हिंडोल महला ५ ॥ बसंतु हिंडोल महला ५॥
ਮੂਲੁ ਨ ਬੂਝੈ ਆਪੁ ਨ ਸੂਝੈ ਭਰਮਿ ਬਿਆਪੀ ਅਹੰ ਮਨੀ ॥੧॥ मूलु न बूझै आपु न सूझै भरमि बिआपी अहं मनी ॥१॥ अहम्-भावना की वजह से भ्रम में व्याप्त मनुष्य अपने मूल परमेश्वर को नहीं समझता और न ही अपने आप को सूझता है॥१॥
ਪਿਤਾ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਪ੍ਰਭ ਧਨੀ ॥ पिता पारब्रहम प्रभ धनी ॥ हे परब्रह्म प्रभु ! तू हमारा पिता एवं स्वामी है,
ਮੋਹਿ ਨਿਸਤਾਰਹੁ ਨਿਰਗੁਨੀ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ मोहि निसतारहु निरगुनी ॥१॥ रहाउ ॥ मुझ गुणविहीन को संसार के बन्धनों से मुक्त करवा दो॥१॥रहाउ॥।
ਓਪਤਿ ਪਰਲਉ ਪ੍ਰਭ ਤੇ ਹੋਵੈ ਇਹ ਬੀਚਾਰੀ ਹਰਿ ਜਨੀ ॥੨॥ ओपति परलउ प्रभ ते होवै इह बीचारी हरि जनी ॥२॥ भक्तजनों ने यही विचार किया है कि सृष्टि की उत्पत्ति एवं विनाश प्रभु की रज़ा से होता है।॥२॥
ਨਾਮ ਪ੍ਰਭੂ ਕੇ ਜੋ ਰੰਗਿ ਰਾਤੇ ਕਲਿ ਮਹਿ ਸੁਖੀਏ ਸੇ ਗਨੀ ॥੩॥ नाम प्रभू के जो रंगि राते कलि महि सुखीए से गनी ॥३॥ जो व्यक्ति प्रभु के नाम रंग में रत रहते हैं, कलियुग में वही सुखी माने जाते हैं।॥३॥
ਅਵਰੁ ਉਪਾਉ ਨ ਕੋਈ ਸੂਝੈ ਨਾਨਕ ਤਰੀਐ ਗੁਰ ਬਚਨੀ ॥੪॥੩॥੨੧॥ अवरु उपाउ न कोई सूझै नानक तरीऐ गुर बचनी ॥४॥३॥२१॥ हे नानक ! अन्य कोई कारगर उपाय नहीं सूझता, केवल गुरु के वचनों से संसार-सागर से पार हुआ जा सकता है।॥४॥३॥ २१॥
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ ੴ सतिगुर प्रसादि॥
ਰਾਗੁ ਬਸੰਤੁ ਹਿੰਡੋਲ ਮਹਲਾ ੯ ॥ रागु बसंतु हिंडोल महला ९ ॥ रागु बसंतु हिंडोल महला ९॥
ਸਾਧੋ ਇਹੁ ਤਨੁ ਮਿਥਿਆ ਜਾਨਉ ॥ साधो इहु तनु मिथिआ जानउ ॥ हे सज्जनो ! इस शरीर को नाशवान मानो और
ਯਾ ਭੀਤਰਿ ਜੋ ਰਾਮੁ ਬਸਤੁ ਹੈ ਸਾਚੋ ਤਾਹਿ ਪਛਾਨੋ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ या भीतरि जो रामु बसतु है साचो ताहि पछानो ॥१॥ रहाउ ॥ इसके भीतर जो ईश्वर विद्यमान है, उसे ही शाश्वत समझो॥१॥रहाउ॥।
ਇਹੁ ਜਗੁ ਹੈ ਸੰਪਤਿ ਸੁਪਨੇ ਕੀ ਦੇਖਿ ਕਹਾ ਐਡਾਨੋ ॥ इहु जगु है स्मपति सुपने की देखि कहा ऐडानो ॥ यह दुनिया सपने में मिली हुई दौलत के बराबर है, इसको देखकर क्योंकर अभिमानी बने हुए हो।
ਸੰਗਿ ਤਿਹਾਰੈ ਕਛੂ ਨ ਚਾਲੈ ਤਾਹਿ ਕਹਾ ਲਪਟਾਨੋ ॥੧॥ संगि तिहारै कछू न चालै ताहि कहा लपटानो ॥१॥ तुम्हारे साथ कोई भी वस्तु साथ नहीं जाएगी, फिर भला क्योंकर इससे लिपट रहे हो॥१॥
ਉਸਤਤਿ ਨਿੰਦਾ ਦੋਊ ਪਰਹਰਿ ਹਰਿ ਕੀਰਤਿ ਉਰਿ ਆਨੋ ॥ उसतति निंदा दोऊ परहरि हरि कीरति उरि आनो ॥ प्रशंसा एवं निंदा दोनों को त्याग दो और ईश्वर के संकीर्तन को मन में बसा लो।
ਜਨ ਨਾਨਕ ਸਭ ਹੀ ਮੈ ਪੂਰਨ ਏਕ ਪੁਰਖ ਭਗਵਾਨੋ ॥੨॥੧॥ जन नानक सभ ही मै पूरन एक पुरख भगवानो ॥२॥१॥ हे नानक ! एक अद्वितीय परमेश्वर सब लोगों में मौजूद है॥२॥१॥
ਬਸੰਤੁ ਮਹਲਾ ੯ ॥ बसंतु महला ९ ॥ बसंतु महला ९॥
ਪਾਪੀ ਹੀਐ ਮੈ ਕਾਮੁ ਬਸਾਇ ॥ पापी हीऐ मै कामु बसाइ ॥ पापी मनुष्य के दिल में कामवासना बसी रहती है,
ਮਨੁ ਚੰਚਲੁ ਯਾ ਤੇ ਗਹਿਓ ਨ ਜਾਇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ मनु चंचलु या ते गहिओ न जाइ ॥१॥ रहाउ ॥ अतः उसका चंचल मन नियंत्रण में नहीं आता॥ १॥ रहाउ॥
ਜੋਗੀ ਜੰਗਮ ਅਰੁ ਸੰਨਿਆਸ ॥ जोगी जंगम अरु संनिआस ॥ बड़े-बड़े योगी, ब्रह्मचारी और सन्यासी इत्यादि
ਸਭ ਹੀ ਪਰਿ ਡਾਰੀ ਇਹ ਫਾਸ ॥੧॥ सभ ही परि डारी इह फास ॥१॥ सब पर कामवासना ने अपना यह शिकंजा डाला हुआ है।॥१॥
ਜਿਹਿ ਜਿਹਿ ਹਰਿ ਕੋ ਨਾਮੁ ਸਮ੍ਹ੍ਹਾਰਿ ॥ जिहि जिहि हरि को नामु सम्हारि ॥ जिस-जिस जीव ने भी ईश्वर के नाम की भक्ति की है;
ਤੇ ਭਵ ਸਾਗਰ ਉਤਰੇ ਪਾਰਿ ॥੨॥ ते भव सागर उतरे पारि ॥२॥ वे संसार-सागर से पार उतर गए हैं।॥२॥
ਜਨ ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਕੀ ਸਰਨਾਇ ॥ जन नानक हरि की सरनाइ ॥ नानक विनती करते हैं कि भक्त ईश्वर की शरण में है,"
ਦੀਜੈ ਨਾਮੁ ਰਹੈ ਗੁਨ ਗਾਇ ॥੩॥੨॥ दीजै नामु रहै गुन गाइ ॥३॥२॥ उसको नाम प्रदान करो ताकि तेरा गौरवगान करता रहे॥ ३॥२॥
ਬਸੰਤੁ ਮਹਲਾ ੯ ॥ बसंतु महला ९ ॥ बसंतु महला ९॥
ਮਾਈ ਮੈ ਧਨੁ ਪਾਇਓ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ॥ माई मै धनु पाइओ हरि नामु ॥ हे माँ ! मैंने हरि-नाम रूपी धन पा लिया है,
ਮਨੁ ਮੇਰੋ ਧਾਵਨ ਤੇ ਛੂਟਿਓ ਕਰਿ ਬੈਠੋ ਬਿਸਰਾਮੁ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ मनु मेरो धावन ते छूटिओ करि बैठो बिसरामु ॥१॥ रहाउ ॥ जिससे मेरा मन विकारों की ओर दौड़ने से हट गया है और नाम-स्मरण में सुखपूर्वक टिक कर बैठ गया है॥१॥रहाउ॥।
ਮਾਇਆ ਮਮਤਾ ਤਨ ਤੇ ਭਾਗੀ ਉਪਜਿਓ ਨਿਰਮਲ ਗਿਆਨੁ ॥ माइआ ममता तन ते भागी उपजिओ निरमल गिआनु ॥ शरीर से माया, ममता दूर हुई तो निर्मल ज्ञान उत्पन्न हो गया।
ਲੋਭ ਮੋਹ ਏਹ ਪਰਸਿ ਨ ਸਾਕੈ ਗਹੀ ਭਗਤਿ ਭਗਵਾਨ ॥੧॥ लोभ मोह एह परसि न साकै गही भगति भगवान ॥१॥ जब से भगवान की भक्ति की है, लोभ एवं मोह स्पर्श नहीं करते॥१॥रहाउ॥।
ਜਨਮ ਜਨਮ ਕਾ ਸੰਸਾ ਚੂਕਾ ਰਤਨੁ ਨਾਮੁ ਜਬ ਪਾਇਆ ॥ जनम जनम का संसा चूका रतनु नामु जब पाइआ ॥ जब हरि-नाम रूपी रत्न पाया तो जन्म-जन्मांतर का संशय निवृत्त हो गया।
ਤ੍ਰਿਸਨਾ ਸਕਲ ਬਿਨਾਸੀ ਮਨ ਤੇ ਨਿਜ ਸੁਖ ਮਾਹਿ ਸਮਾਇਆ ॥੨॥ त्रिसना सकल बिनासी मन ते निज सुख माहि समाइआ ॥२॥ मन से सारी तृष्णा नाश हो गई है और परमसुख में लीन हूँ॥२॥
ਜਾ ਕਉ ਹੋਤ ਦਇਆਲੁ ਕਿਰਪਾ ਨਿਧਿ ਸੋ ਗੋਬਿੰਦ ਗੁਨ ਗਾਵੈ ॥ जा कउ होत दइआलु किरपा निधि सो गोबिंद गुन गावै ॥ जिस पर कृपानिधि दयालु होता है, वही जीव परमात्मा के गुण गाता है।
ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਇਹ ਬਿਧਿ ਕੀ ਸੰਪੈ ਕੋਊ ਗੁਰਮੁਖਿ ਪਾਵੈ ॥੩॥੩॥ कहु नानक इह बिधि की स्मपै कोऊ गुरमुखि पावै ॥३॥३॥ हे नानक ! इस तरह की संपति कोई गुरुमुख ही प्राप्त करता है॥ ३॥ ३॥
ਬਸੰਤੁ ਮਹਲਾ ੯ ॥ बसंतु महला ९ ॥ बसंतु महला ९॥
ਮਨ ਕਹਾ ਬਿਸਾਰਿਓ ਰਾਮ ਨਾਮੁ ॥ मन कहा बिसारिओ राम नामु ॥ हे मन ! परमात्मा का नाम क्योंकर भुला दिया है?
ਤਨੁ ਬਿਨਸੈ ਜਮ ਸਿਉ ਪਰੈ ਕਾਮੁ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ तनु बिनसै जम सिउ परै कामु ॥१॥ रहाउ ॥ जब शरीर खत्म हो जाता है तो यम के सन्मुख कर्मों के हिसाब के लिए पेश होना पड़ता है॥१॥रहाउ॥।
ਇਹੁ ਜਗੁ ਧੂਏ ਕਾ ਪਹਾਰ ॥ इहु जगु धूए का पहार ॥ यह जगत धुएँ का पहाड़ है,


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