Guru Granth Sahib Translation Project

Guru Granth Sahib Hindi Page 1099

Page 1099

ਖਟੁ ਦਰਸਨ ਭ੍ਰਮਤੇ ਫਿਰਹਿ ਨਹ ਮਿਲੀਐ ਭੇਖੰ ॥ छः दर्शनों वाले योगी, जंगम, बौद्धि, संन्यासी, वैरागी एवं जैनी भटकते रहते हैं किन्तु वेष धारण से भगवान् नहीं मिलता।
ਵਰਤ ਕਰਹਿ ਚੰਦ੍ਰਾਇਣਾ ਸੇ ਕਿਤੈ ਨ ਲੇਖੰ ॥ कुछ लोग चन्द्रायण का व्रत रखते हैं किन्तु वह भी किसी काम नहीं आता।
ਬੇਦ ਪੜਹਿ ਸੰਪੂਰਨਾ ਤਤੁ ਸਾਰ ਨ ਪੇਖੰ ॥ कुछ विद्वान सम्पूर्ण वेदों का पाठ करते हैं लेकिन वे भी सार तत्व को नहीं देखते।
ਤਿਲਕੁ ਕਢਹਿ ਇਸਨਾਨੁ ਕਰਿ ਅੰਤਰਿ ਕਾਲੇਖੰ ॥ जो स्नान करके अपने माथे पर तिलक लगाते हैं, उनके मन में पाप रूपी कालिमा भरी रहती है।
ਭੇਖੀ ਪ੍ਰਭੂ ਨ ਲਭਈ ਵਿਣੁ ਸਚੀ ਸਿਖੰ ॥ सच्ची शिक्षा के बिना पाखण्ड अथवा आडम्बर से प्रभु नहीं मिलता।
ਭੂਲਾ ਮਾਰਗਿ ਸੋ ਪਵੈ ਜਿਸੁ ਧੁਰਿ ਮਸਤਕਿ ਲੇਖੰ ॥ जिसके माथे पर भाग्य हो, वह भूला हुआ आदमी सन्मार्ग पा लेता है।
ਤਿਨਿ ਜਨਮੁ ਸਵਾਰਿਆ ਆਪਣਾ ਜਿਨਿ ਗੁਰੁ ਅਖੀ ਦੇਖੰ ॥੧੩॥ जिन्होंने गुरु के साक्षात् दर्शन किए हैं, उन्होंने अपना जीवन संवार लिया है॥ १३॥
ਡਖਣੇ ਮਃ ੫ ॥ डखणे महला ५॥
ਸੋ ਨਿਵਾਹੂ ਗਡਿ ਜੋ ਚਲਾਊ ਨ ਥੀਐ ॥ मित्रता निभाने वाले प्रभु को अपने हृदय में बसा लो, जो तेरा साथ छोड़कर जाने वाला नहीं।
ਕਾਰ ਕੂੜਾਵੀ ਛਡਿ ਸੰਮਲੁ ਸਚੁ ਧਣੀ ॥੧॥ झूठे कार्यों को छोड़कर सच्चे मालिक की बंदगी करो॥ १॥
ਮਃ ੫ ॥ महला ५॥
ਹਭ ਸਮਾਣੀ ਜੋਤਿ ਜਿਉ ਜਲ ਘਟਾਊ ਚੰਦ੍ਰਮਾ ॥ जैसे जल से भरे हुए घड़ों में चन्द्रमा की परछाई समाई होती है, वैसे ही सब में परमात्मा की ज्योति समाई हुई है।
ਪਰਗਟੁ ਥੀਆ ਆਪਿ ਨਾਨਕ ਮਸਤਕਿ ਲਿਖਿਆ ॥੨॥ हे नानक प्रभु स्वयं ही उसके हृदय में प्रगट हो गया है, जिसके माथे पर भाग्य लिखा हुआ है॥ २॥
ਮਃ ੫ ॥ महला ५॥
ਮੁਖ ਸੁਹਾਵੇ ਨਾਮੁ ਚਉ ਆਠ ਪਹਰ ਗੁਣ ਗਾਉ ॥ नाम जपने से ही मुख सुन्दर होता है, अतः आठ प्रहर ईश्वर के ही गुण गाओ।
ਨਾਨਕ ਦਰਗਹ ਮੰਨੀਅਹਿ ਮਿਲੀ ਨਿਥਾਵੇ ਥਾਉ ॥੩॥ हे नानक ! परमात्मा के दरबार में ही शोभा हासिल होती है और बेसहारा को भी सहारा मिल जाता है॥ ३॥
ਪਉੜੀ ॥ पउड़ी॥
ਬਾਹਰ ਭੇਖਿ ਨ ਪਾਈਐ ਪ੍ਰਭੁ ਅੰਤਰਜਾਮੀ ॥ प्रभु अन्तर्यामी है, अतः बाहरी ढोंग अथवा पाखण्ड से उसे पाया नहीं जा सकता।
ਇਕਸੁ ਹਰਿ ਜੀਉ ਬਾਹਰੀ ਸਭ ਫਿਰੈ ਨਿਕਾਮੀ ॥ एक ईश्वर के बिना सब लोग बेकार फिरते रहते हैं।
ਮਨੁ ਰਤਾ ਕੁਟੰਬ ਸਿਉ ਨਿਤ ਗਰਬਿ ਫਿਰਾਮੀ ॥ जिन लोगों का मन अपने परिवार के प्रेम में लीन रहता है, वे नित्य ही घमण्डी बने फेिरते रहते हैं।
ਫਿਰਹਿ ਗੁਮਾਨੀ ਜਗ ਮਹਿ ਕਿਆ ਗਰਬਹਿ ਦਾਮੀ ॥ जो व्यक्ति संसार में घमण्डी बने फिरते हैं, वे धन का क्यों घमण्ड करते हैं ?
ਚਲਦਿਆ ਨਾਲਿ ਨ ਚਲਈ ਖਿਨ ਜਾਇ ਬਿਲਾਮੀ ॥ क्योंकि संसार में से चलते वक्त यह (धन) किसी के साथ नहीं जाता और यह बिना किसी विलम्व क्षण में ही किसी अन्य के पास चला जाता है।
ਬਿਚਰਦੇ ਫਿਰਹਿ ਸੰਸਾਰ ਮਹਿ ਹਰਿ ਜੀ ਹੁਕਾਮੀ ॥ सच तो यही है कि परमात्मा के हुक्म से ऐसे व्यक्ति संसार में भटकते रहते हैं।
ਕਰਮੁ ਖੁਲਾ ਗੁਰੁ ਪਾਇਆ ਹਰਿ ਮਿਲਿਆ ਸੁਆਮੀ ॥ जिसका भाग्योदय हो गया, उसने गुरु को पा लिया और गुरु के सान्निध्य में उसे स्वामी प्रभु मिल गया है।
ਜੋ ਜਨੁ ਹਰਿ ਕਾ ਸੇਵਕੋ ਹਰਿ ਤਿਸ ਕੀ ਕਾਮੀ ॥੧੪॥ जो व्यक्ति परमात्मा का उपासक है, वह उसके सब कार्य संवार देता है॥ १४॥
ਡਖਣੇ ਮਃ ੫ ॥ डखणे महला ५॥
ਮੁਖਹੁ ਅਲਾਏ ਹਭ ਮਰਣੁ ਪਛਾਣੰਦੋ ਕੋਇ ॥ मुँह से सभी (मृत्यु के संदर्भ में) बातें करते हैं, लेकिन कोई विरला ही मौत के रहस्य को पहचानता है।
ਨਾਨਕ ਤਿਨਾ ਖਾਕੁ ਜਿਨਾ ਯਕੀਨਾ ਹਿਕ ਸਿਉ ॥੧॥ हे नानक ! जिनका परमात्मा में यकीन है, उनकी चरण-धूलि ही चाहता हूँ॥१॥
ਮਃ ੫ ॥ महला ५॥
ਜਾਣੁ ਵਸੰਦੋ ਮੰਝਿ ਪਛਾਣੂ ਕੋ ਹੇਕੜੋ ॥ यह बात जान लो केि परमात्मा सब में अवस्थित है, किन्तु कोई विरला ही उसे पहचानने वाला है।
ਤੈ ਤਨਿ ਪੜਦਾ ਨਾਹਿ ਨਾਨਕ ਜੈ ਗੁਰੁ ਭੇਟਿਆ ॥੨॥ हे नानक ! जिसका गुरु से साक्षात्कार हो गया है, उसके तन में भ्रम का पर्दा नहीं रहता॥ २॥
ਮਃ ੫ ॥ महला ५॥
ਮਤੜੀ ਕਾਂਢਕੁ ਆਹ ਪਾਵ ਧੋਵੰਦੋ ਪੀਵਸਾ ॥ मैं उस महापुरुष के चरण धोकर पी जाऊँ, जो खोटी बुद्धि को मन से बाहर निकालने वाला है।
ਮੂ ਤਨਿ ਪ੍ਰੇਮੁ ਅਥਾਹ ਪਸਣ ਕੂ ਸਚਾ ਧਣੀ ॥੩॥ मेरे मन-तन में प्रभु का दर्शन करने के लिए अथाह प्रेम है, जो जगत् का सच्चा मालिक है॥ ३॥
ਪਉੜੀ ॥ पउड़ी॥
ਨਿਰਭਉ ਨਾਮੁ ਵਿਸਾਰਿਆ ਨਾਲਿ ਮਾਇਆ ਰਚਾ ॥ जिसने निर्भय परमात्मा का नाम भुला दिया है और माया के संग लीन रहता है,
ਆਵੈ ਜਾਇ ਭਵਾਈਐ ਬਹੁ ਜੋਨੀ ਨਚਾ ॥ वह आवागमन में भटकता हुआ अनेक योनियों का शिकार होता है।
ਬਚਨੁ ਕਰੇ ਤੈ ਖਿਸਕਿ ਜਾਇ ਬੋਲੇ ਸਭੁ ਕਚਾ ॥ वह जो भी वचन करता है, उससे मुकर जाता है, इस प्रकार वह सब झूठ ही बोलता है।
ਅੰਦਰਹੁ ਥੋਥਾ ਕੂੜਿਆਰੁ ਕੂੜੀ ਸਭ ਖਚਾ ॥ ऐसा झूठा इन्सान मन से खोखला ही होता है और सब झूठी क्रिया में ही लीन रहता है।
ਵੈਰੁ ਕਰੇ ਨਿਰਵੈਰ ਨਾਲਿ ਝੂਠੇ ਲਾਲਚਾ ॥ वह झूठे लालच में फँसकर निर्वेर लोगों से भी वैर करता है।
ਮਾਰਿਆ ਸਚੈ ਪਾਤਿਸਾਹਿ ਵੇਖਿ ਧੁਰਿ ਕਰਮਚਾ ॥ उसके खोटे कर्मो को देखकर ही सच्चे पातशाह प्रभु ने उसे मारा है।
ਜਮਦੂਤੀ ਹੈ ਹੇਰਿਆ ਦੁਖ ਹੀ ਮਹਿ ਪਚਾ ॥ यमदूत उसे तंग करते हैं और वह दुखों में ही लीन रहता है।
ਹੋਆ ਤਪਾਵਸੁ ਧਰਮ ਕਾ ਨਾਨਕ ਦਰਿ ਸਚਾ ॥੧੫॥ हे नानक ! परमात्मा के सच्चे दरबार में धर्म का ही न्याय हुआ है।१५॥
ਡਖਣੇ ਮਃ ੫ ॥ डखणे महला ५॥
ਪਰਭਾਤੇ ਪ੍ਰਭ ਨਾਮੁ ਜਪਿ ਗੁਰ ਕੇ ਚਰਣ ਧਿਆਇ ॥ सुबह उठकर प्रभु का नाम जपो, गुरु के चरणों का ध्यान करो।
ਜਨਮ ਮਰਣ ਮਲੁ ਉਤਰੈ ਸਚੇ ਕੇ ਗੁਣ ਗਾਇ ॥੧॥ भगवान् का गुणगान करने से जन्म-मरण की सारी मैल दूर हो जाती है।॥१॥
ਮਃ ੫ ॥ महला ५॥
ਦੇਹ ਅੰਧਾਰੀ ਅੰਧੁ ਸੁੰਞੀ ਨਾਮ ਵਿਹੂਣੀਆ ॥ परमात्मा के नाम से विहीन मानव-देह अन्धकारमय, गुणहीन एवं ज्ञानहीन ही है।
ਨਾਨਕ ਸਫਲ ਜਨੰਮੁ ਜੈ ਘਟਿ ਵੁਠਾ ਸਚੁ ਧਣੀ ॥੨॥ हे नानक ! जिसके ह्रदय में सच्चे मालिक की स्मृति बसी रहती है, उसका ही जन्म सफल है॥ २॥
ਮਃ ੫ ॥ महला ५॥
ਲੋਇਣ ਲੋਈ ਡਿਠ ਪਿਆਸ ਨ ਬੁਝੈ ਮੂ ਘਣੀ ॥ इन ऑखों से तो प्रभु-ज्योति को ही देखा है, मगर अब भी उसके दर्शनों की अत्याधिक प्यास लगी हुई है, जो बुझती ही नहीं।


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