Guru Granth Sahib Translation Project

Guru Granth Sahib Hindi Page 542

Page 542

ਆਵਣੁ ਤ ਜਾਣਾ ਤਿਨਹਿ ਕੀਆ ਜਿਨਿ ਮੇਦਨਿ ਸਿਰਜੀਆ ॥ आवणु त जाणा तिनहि कीआ जिनि मेदनि सिरजीआ ॥ ईश्वर ने ही पृथ्वी की रचना की है और उन्होंने ही जीवों के जन्म-मरण का चक्र नियत किया हुआ है।
ਇਕਨਾ ਮੇਲਿ ਸਤਿਗੁਰੁ ਮਹਲਿ ਬੁਲਾਏ ਇਕਿ ਭਰਮਿ ਭੂਲੇ ਫਿਰਦਿਆ ॥ इकना मेलि सतिगुरु महलि बुलाए इकि भरमि भूले फिरदिआ ॥ परमात्मा कुछ जीवों को सतगुरु से मिलाकर उन्हें अपने दरबार में बुला लेते है, किन्तु कई जीव दुविधा में फँसकर भटकते रहते हैं।
ਅੰਤੁ ਤੇਰਾ ਤੂੰਹੈ ਜਾਣਹਿ ਤੂੰ ਸਭ ਮਹਿ ਰਹਿਆ ਸਮਾਏ ॥ अंतु तेरा तूंहै जाणहि तूं सभ महि रहिआ समाए ॥ हे दुनिया के स्वामी! अपना अन्त केवल आप ही जानते हैं और आप ही समस्त जीवों में व्याप्त हैं।
ਸਚੁ ਕਹੈ ਨਾਨਕੁ ਸੁਣਹੁ ਸੰਤਹੁ ਹਰਿ ਵਰਤੈ ਧਰਮ ਨਿਆਏ ॥੧॥ सचु कहै नानकु सुणहु संतहु हरि वरतै धरम निआए ॥१॥ हे संतजनों ! ध्यानपूर्वक सुनो, नानक सत्य ही कहते हैं कि ईश्वर धर्म अनुसार न्याय में करते हैं। ॥ १॥
ਆਵਹੁ ਮਿਲਹੁ ਸਹੇਲੀਹੋ ਮੇਰੇ ਲਾਲ ਜੀਉ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਅਰਾਧੇ ਰਾਮ ॥ आवहु मिलहु सहेलीहो मेरे लाल जीउ हरि हरि नामु अराधे राम ॥ हे मेरी सखियों, आकर मुझे मिलो, ताकि हम मिलकर परमेश्वर के नाम की आराधना करें।
ਕਰਿ ਸੇਵਹੁ ਪੂਰਾ ਸਤਿਗੁਰੂ ਮੇਰੇ ਲਾਲ ਜੀਉ ਜਮ ਕਾ ਮਾਰਗੁ ਸਾਧੇ ਰਾਮ ॥ करि सेवहु पूरा सतिगुरू मेरे लाल जीउ जम का मारगु साधे राम ॥ हे मेरे प्यारे ! आओ, हम मिलकर पूर्ण सतगुरु की सेवा करें तथा यम का मार्ग संवार लें।
ਮਾਰਗੁ ਬਿਖੜਾ ਸਾਧਿ ਗੁਰਮੁਖਿ ਹਰਿ ਦਰਗਹ ਸੋਭਾ ਪਾਈਐ ॥ मारगु बिखड़ा साधि गुरमुखि हरि दरगह सोभा पाईऐ ॥ गुरुमुख बनकर इस विषम मार्ग को सहज बनाकर हम परमेश्वर के दरबार में शोभा प्राप्त करें।
ਜਿਨ ਕਉ ਬਿਧਾਤੈ ਧੁਰਹੁ ਲਿਖਿਆ ਤਿਨ੍ਹ੍ਹਾ ਰੈਣਿ ਦਿਨੁ ਲਿਵ ਲਾਈਐ ॥ जिन कउ बिधातै धुरहु लिखिआ तिन्हा रैणि दिनु लिव लाईऐ ॥ जिनके लिए विधाता ने जन्म से पूर्व प्रारम्भ से ही ऐसा लेख लिख दिया है, वे रात-दिन उसमें वृति लगाते हैं।
ਹਉਮੈ ਮਮਤਾ ਮੋਹੁ ਛੁਟਾ ਜਾ ਸੰਗਿ ਮਿਲਿਆ ਸਾਧੇ ॥ हउमै ममता मोहु छुटा जा संगि मिलिआ साधे ॥ जब प्राणी संतों की सभा में सम्मिलित हो जाता है तो उसके अहंकार, ममता एवं मोह का नाश हो जाता है।
ਜਨੁ ਕਹੈ ਨਾਨਕੁ ਮੁਕਤੁ ਹੋਆ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਅਰਾਧੇ ॥੨॥ जनु कहै नानकु मुकतु होआ हरि हरि नामु अराधे ॥२॥ सेवक नानक कहते हैं कि जो जीव परमेश्वर के नाम की आराधना करता है, वह संसार-सागर से मुक्त हो जाता है।॥२॥
ਕਰ ਜੋੜਿਹੁ ਸੰਤ ਇਕਤ੍ਰ ਹੋਇ ਮੇਰੇ ਲਾਲ ਜੀਉ ਅਬਿਨਾਸੀ ਪੁਰਖੁ ਪੂਜੇਹਾ ਰਾਮ ॥ कर जोड़िहु संत इकत्र होइ मेरे लाल जीउ अबिनासी पुरखु पूजेहा राम ॥ हे संतजनो ! आओ हम एकत्रित होकर हाथ जोड़कर अविनाशी परमात्मा की पूजा करें।
ਬਹੁ ਬਿਧਿ ਪੂਜਾ ਖੋਜੀਆ ਮੇਰੇ ਲਾਲ ਜੀਉ ਇਹੁ ਮਨੁ ਤਨੁ ਸਭੁ ਅਰਪੇਹਾ ਰਾਮ ॥ बहु बिधि पूजा खोजीआ मेरे लाल जीउ इहु मनु तनु सभु अरपेहा राम ॥ हे मेरे प्यारे ! मैंने पूजा करने की अनेक प्रकार की विधि की खोज की है किन्तु सच्ची पूजा यही है कि हम अपना यह मन-तन सब कुछ उसे अर्पण कर दें।
ਮਨੁ ਤਨੁ ਧਨੁ ਸਭੁ ਪ੍ਰਭੂ ਕੇਰਾ ਕਿਆ ਕੋ ਪੂਜ ਚੜਾਵਏ ॥ मनु तनु धनु सभु प्रभू केरा किआ को पूज चड़ावए ॥ यह मन, तन, धन सभी प्रभु के हैं, फिर कोई पूजा के रूप में उसे क्या भेंट कर सकते हैं?
ਜਿਸੁ ਹੋਇ ਕ੍ਰਿਪਾਲੁ ਦਇਆਲੁ ਸੁਆਮੀ ਸੋ ਪ੍ਰਭ ਅੰਕਿ ਸਮਾਵਏ ॥ जिसु होइ क्रिपालु दइआलु सुआमी सो प्रभ अंकि समावए ॥ जिस पर दुनिया के स्वामी हरि कृपालु तथा दयालु होते हैं, वही जीव उसकी गोद में लीन होता है।
ਭਾਗੁ ਮਸਤਕਿ ਹੋਇ ਜਿਸ ਕੈ ਤਿਸੁ ਗੁਰ ਨਾਲਿ ਸਨੇਹਾ ॥ भागु मसतकि होइ जिस कै तिसु गुर नालि सनेहा ॥ जिसके मस्तक पर ऐसा भाग्य लिखा होता है, उसका गुरु के साथ स्नेह हो जाता है।
ਜਨੁ ਕਹੈ ਨਾਨਕੁ ਮਿਲਿ ਸਾਧਸੰਗਤਿ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਪੂਜੇਹਾ ॥੩॥ जनु कहै नानकु मिलि साधसंगति हरि हरि नामु पूजेहा ॥३॥ नानक कहते हैं कि आओ हम संतों की सभा में मिलकर परमेश्वर के नाम की पूजा करें ॥ ३॥
ਦਹ ਦਿਸ ਖੋਜਤ ਹਮ ਫਿਰੇ ਮੇਰੇ ਲਾਲ ਜੀਉ ਹਰਿ ਪਾਇਅੜਾ ਘਰਿ ਆਏ ਰਾਮ ॥ दह दिस खोजत हम फिरे मेरे लाल जीउ हरि पाइअड़ा घरि आए राम ॥ हे मेरे प्यारे ! हम दस-दिशाओं में प्रभु की खोज करते रहें किन्तु वह तो हमारे हृदय-घर में ही प्राप्त हो गया है।
ਹਰਿ ਮੰਦਰੁ ਹਰਿ ਜੀਉ ਸਾਜਿਆ ਮੇਰੇ ਲਾਲ ਜੀਉ ਹਰਿ ਤਿਸੁ ਮਹਿ ਰਹਿਆ ਸਮਾਏ ਰਾਮ ॥ हरि मंदरु हरि जीउ साजिआ मेरे लाल जीउ हरि तिसु महि रहिआ समाए राम ॥ पूज्य हरि ने मानव-शरीर को ही हरि-मंदिर बनाया हुआ है, जिसमें वह निवास करते हैं।
ਸਰਬੇ ਸਮਾਣਾ ਆਪਿ ਸੁਆਮੀ ਗੁਰਮੁਖਿ ਪਰਗਟੁ ਹੋਇਆ ॥ सरबे समाणा आपि सुआमी गुरमुखि परगटु होइआ ॥ जगत् के स्वामी हरि ही सभी जीवों में व्याप्त हैं और वह गुरु द्वारा मेरे हृदय-घर में प्रगट हो गए हैं।
ਮਿਟਿਆ ਅਧੇਰਾ ਦੂਖੁ ਨਾਠਾ ਅਮਿਉ ਹਰਿ ਰਸੁ ਚੋਇਆ ॥ मिटिआ अधेरा दूखु नाठा अमिउ हरि रसु चोइआ ॥ मेरे मन में से अज्ञानता का अंधकार मिट गया है और दुःख-क्लेश भाग गए हैं और अमृत जैसा मीठा हरि-रस टपकने लग गया है।
ਜਹਾ ਦੇਖਾ ਤਹਾ ਸੁਆਮੀ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਸਭ ਠਾਏ ॥ जहा देखा तहा सुआमी पारब्रहमु सभ ठाए ॥ जहाँ-कहीं भी देखता हूँ, उधर ही पारब्रह्म स्वामी व्यापत है।
ਜਨੁ ਕਹੈ ਨਾਨਕੁ ਸਤਿਗੁਰਿ ਮਿਲਾਇਆ ਹਰਿ ਪਾਇਅੜਾ ਘਰਿ ਆਏ ॥੪॥੧॥ जनु कहै नानकु सतिगुरि मिलाइआ हरि पाइअड़ा घरि आए ॥४॥१॥ नानक कहते हैं कि सतगुरु ने मुझे परमात्मा से मिला दिया है, जिसे मैंने अपने हृदय-घर में ही पा लिया है॥ ४॥ १॥
ਰਾਗੁ ਬਿਹਾਗੜਾ ਮਹਲਾ ੫ ॥ रागु बिहागड़ा महला ५ ॥ राग बिहाग्र, पांचवां गुरु: ५ ॥
ਅਤਿ ਪ੍ਰੀਤਮ ਮਨ ਮੋਹਨਾ ਘਟ ਸੋਹਨਾ ਪ੍ਰਾਨ ਅਧਾਰਾ ਰਾਮ ॥ अति प्रीतम मन मोहना घट सोहना प्रान अधारा राम ॥ मेरा भगवान् बहुत प्यारा, मन को मुग्ध करने वाला, सब शरीरों में शोभा देने वाला तथा सब के प्राणों का आधार है।
ਸੁੰਦਰ ਸੋਭਾ ਲਾਲ ਗੋਪਾਲ ਦਇਆਲ ਕੀ ਅਪਰ ਅਪਾਰਾ ਰਾਮ ॥ सुंदर सोभा लाल गोपाल दइआल की अपर अपारा राम ॥ उस दयालु लाल गोपाल की बड़ी सुन्दर शोभा है, जो अपरंपार है।
ਗੋਪਾਲ ਦਇਆਲ ਗੋਬਿੰਦ ਲਾਲਨ ਮਿਲਹੁ ਕੰਤ ਨਿਮਾਣੀਆ ॥ गोपाल दइआल गोबिंद लालन मिलहु कंत निमाणीआ ॥ हे दयालु गोपाल ! हे प्रियतम गोविन्द ! हे पति-परमेश्वर ! मुझ विनीत जीव-स्त्री को भी दर्शन दीजिए।
ਨੈਨ ਤਰਸਨ ਦਰਸ ਪਰਸਨ ਨਹ ਨੀਦ ਰੈਣਿ ਵਿਹਾਣੀਆ ॥ नैन तरसन दरस परसन नह नीद रैणि विहाणीआ ॥ मेरे नेत्र तेरे दर्शन-दीदार हेतु तरस रहे हैं, मेरी जीवन रूपी रात्रि व्यतीत होती जा रही है किन्तु मुझे नींद नहीं आती।
ਗਿਆਨ ਅੰਜਨ ਨਾਮ ਬਿੰਜਨ ਭਏ ਸਗਲ ਸੀਗਾਰਾ ॥ गिआन अंजन नाम बिंजन भए सगल सीगारा ॥ मैंने ज्ञान का सुरमा अपने नेत्रों में लगाया है और प्रभु के नाम को अपना भोजन बनाया है, इस प्रकार सभी श्रृंगार किए हुए हैं।
ਨਾਨਕੁ ਪਇਅੰਪੈ ਸੰਤ ਜੰਪੈ ਮੇਲਿ ਕੰਤੁ ਹਮਾਰਾ ॥੧॥ नानकु पइअंपै संत ज्मपै मेलि कंतु हमारा ॥१॥ नानक संतों के चरण स्पर्श करता है एवं प्रार्थना करते हैं कि मुझे पति-परमेश्वर से मिला दो॥ १॥
ਲਾਖ ਉਲਾਹਨੇ ਮੋਹਿ ਹਰਿ ਜਬ ਲਗੁ ਨਹ ਮਿਲੈ ਰਾਮ ॥ लाख उलाहने मोहि हरि जब लगु नह मिलै राम ॥ जब तक मेरा परमेश्वर नहीं मिलता, तब तक लोगों के लाखों उलाहने सहन करने पड़ते हैं।
ਮਿਲਨ ਕਉ ਕਰਉ ਉਪਾਵ ਕਿਛੁ ਹਮਾਰਾ ਨਹ ਚਲੈ ਰਾਮ ॥ मिलन कउ करउ उपाव किछु हमारा नह चलै राम ॥ मैं प्रभु-मिलन हेतु उपाय करता हूँ किन्तु मेरा कोई भी उपाय सार्थक नहीं होता।
ਚਲ ਚਿਤ ਬਿਤ ਅਨਿਤ ਪ੍ਰਿਅ ਬਿਨੁ ਕਵਨ ਬਿਧੀ ਨ ਧੀਜੀਐ ॥ चल चित बित अनित प्रिअ बिनु कवन बिधी न धीजीऐ ॥ यह धन-सम्पति नश्वर है, प्रिय प्रभु के बिना किसी विधि से भी मुझे धैर्य नहीं मिलता।


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