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ਜਉ ਲਗੁ ਜੀਉ ਪਰਾਣ ਸਚੁ ਧਿਆਈਐ ॥
जउ लगु जीउ पराण सचु धिआईऐ ॥
जब तक जीवन एवं प्राण हैं तब तक सत्य का ध्यान करते रहना चाहिए।
ਲਾਹਾ ਹਰਿ ਗੁਣ ਗਾਇ ਮਿਲੈ ਸੁਖੁ ਪਾਈਐ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
लाहा हरि गुण गाइ मिलै सुखु पाईऐ ॥१॥ रहाउ ॥
हरि का गुणानुवाद करने से लाभ प्राप्त होता है और सुख उपलब्ध होता है॥ १॥ रहाउ ॥
ਸਚੀ ਤੇਰੀ ਕਾਰ ਦੇਹਿ ਦਇਆਲ ਤੂੰ ॥
सची तेरी कार देहि दइआल तूं ॥
हे दयालु स्वामी ! आपकी सेवा-भक्ति सत्य है, यह मुझे प्रदान कीजिए।
ਹਉ ਜੀਵਾ ਤੁਧੁ ਸਾਲਾਹਿ ਮੈ ਟੇਕ ਅਧਾਰੁ ਤੂੰ ॥੨॥
हउ जीवा तुधु सालाहि मै टेक अधारु तूं ॥२॥
मैं आपकी स्तुति करके जीवन जीता हूँ, आप ही मेरी जीवन के आश्रय एवं आधार है॥ २॥
ਦਰਿ ਸੇਵਕੁ ਦਰਵਾਨੁ ਦਰਦੁ ਤੂੰ ਜਾਣਹੀ ॥
दरि सेवकु दरवानु दरदु तूं जाणही ॥
हे भगवान् ! मैं आपका सेवक एवं आपके द्वार पर द्वारपाल हूँ। आप ही मेरा दर्द जानते हैं।
ਭਗਤਿ ਤੇਰੀ ਹੈਰਾਨੁ ਦਰਦੁ ਗਵਾਵਹੀ ॥੩॥
भगति तेरी हैरानु दरदु गवावही ॥३॥
हे ठाकुर ! आपकी भक्ति आश्चर्यजनक है, जो सभी दर्द मिटा देती है॥ ३॥
ਦਰਗਹ ਨਾਮੁ ਹਦੂਰਿ ਗੁਰਮੁਖਿ ਜਾਣਸੀ ॥
दरगह नामु हदूरि गुरमुखि जाणसी ॥
गुरुमुख जानते हैं कि हरि के नाम का सिमरन करने से वह उसके दरबार में स्वीकृत हो जाएँगे।
ਵੇਲਾ ਸਚੁ ਪਰਵਾਣੁ ਸਬਦੁ ਪਛਾਣਸੀ ॥੪॥
वेला सचु परवाणु सबदु पछाणसी ॥४॥
गुरु के वचनों का पालन करके ईश्वर की प्राप्ति करने वाले व्यक्ति का जीवन फलदायी और स्वीकार्य होता है। ॥ ४॥
ਸਤੁ ਸੰਤੋਖੁ ਕਰਿ ਭਾਉ ਤੋਸਾ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਸੇਇ ॥
सतु संतोखु करि भाउ तोसा हरि नामु सेइ ॥
जो मनुष्य सत्य, संतोष एवं प्रेम की कमाई करते हैं, वह हरि नाम का यात्रा खर्च प्राप्त कर लेते हैं।
ਮਨਹੁ ਛੋਡਿ ਵਿਕਾਰ ਸਚਾ ਸਚੁ ਦੇਇ ॥੫॥
मनहु छोडि विकार सचा सचु देइ ॥५॥
वे मन के विकारों को दूर कर देते हैं और शाश्वत प्रभु उन्हें अपने अमर नाम का आशीष प्रदान करते हैं। ॥ ५॥
ਸਚੇ ਸਚਾ ਨੇਹੁ ਸਚੈ ਲਾਇਆ ॥
सचे सचा नेहु सचै लाइआ ॥
सत्यस्वरूप परमात्मा सत्यवादियों को अपने सच्चे प्रेम से भर देते हैं।
ਆਪੇ ਕਰੇ ਨਿਆਉ ਜੋ ਤਿਸੁ ਭਾਇਆ ॥੬॥
आपे करे निआउ जो तिसु भाइआ ॥६॥
प्रभु स्वयं ही न्याय करता है, जो उसे अच्छा लगता है॥ ६॥
ਸਚੇ ਸਚੀ ਦਾਤਿ ਦੇਹਿ ਦਇਆਲੁ ਹੈ ॥
सचे सची दाति देहि दइआलु है ॥
हे सत्य के पुंज ! आप बड़े दयालु हैं, मुझे अपने नाम की सच्ची देन दीजिए।
ਤਿਸੁ ਸੇਵੀ ਦਿਨੁ ਰਾਤਿ ਨਾਮੁ ਅਮੋਲੁ ਹੈ ॥੭॥
तिसु सेवी दिनु राति नामु अमोलु है ॥७॥
मैं दिन-रात उसकी सेवा (नाम-स्मरण) करता हूँ, जिसका नाम अमूल्य है॥ ७ ॥
ਤੂੰ ਉਤਮੁ ਹਉ ਨੀਚੁ ਸੇਵਕੁ ਕਾਂਢੀਆ ॥
तूं उतमु हउ नीचु सेवकु कांढीआ ॥
हे प्रभु ! आप उत्तम हो और मैं विनीत हूँ परन्तु फिर भी मैं आपका सेवक कहलाता हूँ।
ਨਾਨਕ ਨਦਰਿ ਕਰੇਹੁ ਮਿਲੈ ਸਚੁ ਵਾਂਢੀਆ ॥੮॥੨੧॥
नानक नदरि करेहु मिलै सचु वांढीआ ॥८॥२१॥
हे सत्यस्वरूप प्रभु ! मुझ नानक पर अपनी दया-दृष्टि धारण करो चूंकि मैं जो आपके नाम से बिछुड़ा हुआ हूँ, आपसे मिल जाऊँ॥ ८ ॥ २१ ॥
ਆਸਾ ਮਹਲਾ ੧ ॥
आसा महला १ ॥
राग आसा, पहला गुरु १ ॥
ਆਵਣ ਜਾਣਾ ਕਿਉ ਰਹੈ ਕਿਉ ਮੇਲਾ ਹੋਈ ॥
आवण जाणा किउ रहै किउ मेला होई ॥
जीव का आवागमन कैसे मिट सकता है और कैसे वह प्रभु को मिल सकता है ?
ਜਨਮ ਮਰਣ ਕਾ ਦੁਖੁ ਘਣੋ ਨਿਤ ਸਹਸਾ ਦੋਈ ॥੧॥
जनम मरण का दुखु घणो नित सहसा दोई ॥१॥
जन्म-मरण का दुःख बहुत भारी है और दैतवाद मनुष्य को सदैव पीड़ित करते हैं।॥ १॥
ਬਿਨੁ ਨਾਵੈ ਕਿਆ ਜੀਵਨਾ ਫਿਟੁ ਧ੍ਰਿਗੁ ਚਤੁਰਾਈ ॥
बिनु नावै किआ जीवना फिटु ध्रिगु चतुराई ॥
नाम के बिना जीव का जीना व्यर्थ है और उसकी चतुराई पर धिक्कार एवं लानत है।
ਸਤਿਗੁਰ ਸਾਧੁ ਨ ਸੇਵਿਆ ਹਰਿ ਭਗਤਿ ਨ ਭਾਈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
सतिगुर साधु न सेविआ हरि भगति न भाई ॥१॥ रहाउ ॥
जिस प्राणी ने साधु सच्चे गुरु की सेवा नहीं की, उसे हरि की भक्ति कभी अच्छी नहीं लगती ॥ १॥ रहाउ ॥
ਆਵਣੁ ਜਾਵਣੁ ਤਉ ਰਹੈ ਪਾਈਐ ਗੁਰੁ ਪੂਰਾ ॥
आवणु जावणु तउ रहै पाईऐ गुरु पूरा ॥
जब प्राणी को पूर्ण गुरु मिल जाता है तो उसका जन्म-मरण का चक्र मिट जाता है।
ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਧਨੁ ਰਾਸਿ ਦੇਇ ਬਿਨਸੈ ਭ੍ਰਮੁ ਕੂਰਾ ॥੨॥
राम नामु धनु रासि देइ बिनसै भ्रमु कूरा ॥२॥
गुरु राम-नाम के धन की राशि प्रदान करता है, जिससे झूठा भ्रम नाश हो जाता है।॥ २॥
ਸੰਤ ਜਨਾ ਕਉ ਮਿਲਿ ਰਹੈ ਧਨੁ ਧਨੁ ਜਸੁ ਗਾਏ ॥
संत जना कउ मिलि रहै धनु धनु जसु गाए ॥
जो संतजनों की संगति में रहता है वह भगवान् को धन्य-धन्य कहता हुआ उसका यशोगान करता है।
ਆਦਿ ਪੁਰਖੁ ਅਪਰੰਪਰਾ ਗੁਰਮੁਖਿ ਹਰਿ ਪਾਏ ॥੩॥
आदि पुरखु अपर्मपरा गुरमुखि हरि पाए ॥३॥
गुरु के अनुयायी को ईश्वर, अनंत और मौलिक अस्तित्व का एहसास होता है।॥ ३॥
ਨਟੂਐ ਸਾਂਗੁ ਬਣਾਇਆ ਬਾਜੀ ਸੰਸਾਰਾ ॥
नटूऐ सांगु बणाइआ बाजी संसारा ॥
यह संसार रूपी खेल नटुए के स्वांग की भाँति सजा हुआ है।
ਖਿਨੁ ਪਲੁ ਬਾਜੀ ਦੇਖੀਐ ਉਝਰਤ ਨਹੀ ਬਾਰਾ ॥੪॥
खिनु पलु बाजी देखीऐ उझरत नही बारा ॥४॥
यह नश्वर संसार मानो किसी विदूषक का क्षणिक तमाशा है। ॥ ४॥
ਹਉਮੈ ਚਉਪੜਿ ਖੇਲਣਾ ਝੂਠੇ ਅਹੰਕਾਰਾ ॥
हउमै चउपड़ि खेलणा झूठे अहंकारा ॥
अभिमान की चौपड़ को घमण्डी मानव असत्य एवं अहंकार की गोटियों से खेल रहा है
ਸਭੁ ਜਗੁ ਹਾਰੈ ਸੋ ਜਿਣੈ ਗੁਰ ਸਬਦੁ ਵੀਚਾਰਾ ॥੫॥
सभु जगु हारै सो जिणै गुर सबदु वीचारा ॥५॥
सारा जगत पराजित हो जाता है लेकिन जो गुरु शब्द का चिन्तन करता है, वह जीवन बाजी जीत लेता है। ५ ॥
ਜਿਉ ਅੰਧੁਲੈ ਹਥਿ ਟੋਹਣੀ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਹਮਾਰੈ ॥
जिउ अंधुलै हथि टोहणी हरि नामु हमारै ॥
जैसे अन्धे मनुष्य के हाथ में लाठी (सहारा) है वैसे ही हरि का नाम मेरे लिए (सहारा) है।
ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਹਰਿ ਟੇਕ ਹੈ ਨਿਸਿ ਦਉਤ ਸਵਾਰੈ ॥੬॥
राम नामु हरि टेक है निसि दउत सवारै ॥६॥
दिन-रात एवं सुबह राम का नाम मेरी टेक है॥ ६॥
ਜਿਉ ਤੂੰ ਰਾਖਹਿ ਤਿਉ ਰਹਾ ਹਰਿ ਨਾਮ ਅਧਾਰਾ ॥
जिउ तूं राखहि तिउ रहा हरि नाम अधारा ॥
हे प्रभु ! जैसे आप मुझे रखते हैं, वैसे ही मैं रहता हूँ, आपका नाम मेरा आधार है।
ਅੰਤਿ ਸਖਾਈ ਪਾਇਆ ਜਨ ਮੁਕਤਿ ਦੁਆਰਾ ॥੭॥
अंति सखाई पाइआ जन मुकति दुआरा ॥७॥
नाम का अनुभव मेरे अंतःकरण में जाग्रत हुआ है, जो विकारों का नाश करता है और जन्म-मरण के बंधन से उबारता है। ॥ ७ ॥
ਜਨਮ ਮਰਣ ਦੁਖ ਮੇਟਿਆ ਜਪਿ ਨਾਮੁ ਮੁਰਾਰੇ ॥
जनम मरण दुख मेटिआ जपि नामु मुरारे ॥
मुरारी प्रभु के नाम का जाप करने से जन्म-मरण का दुःख मिट गया है।
ਨਾਨਕ ਨਾਮੁ ਨ ਵੀਸਰੈ ਪੂਰਾ ਗੁਰੁ ਤਾਰੇ ॥੮॥੨੨॥
नानक नामु न वीसरै पूरा गुरु तारे ॥८॥२२॥
हे नानक ! जो मनुष्य प्रभु नाम को विस्मृत नहीं करता, पूर्ण गुरु उसका उद्धार कर देते हैं॥ ८॥ २२॥
ਆਸਾ ਮਹਲਾ ੩ ਅਸਟਪਦੀਆ ਘਰੁ ੨
आसा महला ३ असटपदीआ घरु २
राग आसा, अष्टपदी, द्वितीय ताल, तृतीय गुरु:
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ईश्वर एक है, जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है।
ਸਾਸਤੁ ਬੇਦੁ ਸਿੰਮ੍ਰਿਤਿ ਸਰੁ ਤੇਰਾ ਸੁਰਸਰੀ ਚਰਣ ਸਮਾਣੀ ॥
सासतु बेदु सिम्रिति सरु तेरा सुरसरी चरण समाणी ॥
हे भगवान् ! आपके नाम-सरोवर में शास्त्र, वेद एवं स्मृतियाँ विद्यमान हैं और आपके चरणों में गंगा समाई हुई है।
ਸਾਖਾ ਤੀਨਿ ਮੂਲੁ ਮਤਿ ਰਾਵੈ ਤੂੰ ਤਾਂ ਸਰਬ ਵਿਡਾਣੀ ॥੧॥
साखा तीनि मूलु मति रावै तूं तां सरब विडाणी ॥१॥
हे ईश्वर! आप ही इस रहस्यमय सृष्टि के अधिपति और त्रिगुणात्मिका माया के रचयिता हैं; मेरी बुद्धि निरंतर आपके नाम-स्मरण में ही आनंदित रहती है।॥ १॥
ਤਾ ਕੇ ਚਰਣ ਜਪੈ ਜਨੁ ਨਾਨਕੁ ਬੋਲੇ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਬਾਣੀ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
ता के चरण जपै जनु नानकु बोले अम्रित बाणी ॥१॥ रहाउ ॥
नानक उस परमात्मा के चरणों को याद करता रहता है और उसकी अमृत वाणी बोलता रहता है॥ १॥ रहाउ॥
ਤੇਤੀਸ ਕਰੋੜੀ ਦਾਸ ਤੁਮ੍ਹ੍ਹਾਰੇ ਰਿਧਿ ਸਿਧਿ ਪ੍ਰਾਣ ਅਧਾਰੀ ॥
तेतीस करोड़ी दास तुम्हारे रिधि सिधि प्राण अधारी ॥
हे प्रभु ! तेतीस करोड़ देवी-देवता आपके दास हैं, आप ही ऋद्धियों, सिद्धियों एवं प्राणों का आधार है।