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ਕਾਇਆ ਨਗਰ ਮਹਿ ਰਾਮ ਰਸੁ ਊਤਮੁ ਕਿਉ ਪਾਈਐ ਉਪਦੇਸੁ ਜਨ ਕਰਹੁ ॥
हे ईश्वर के प्रेमियों! वह परमात्मा, जिसे हम बाहर खोजते हैं, वही परम सार तो हमारे भीतर ही विद्यमान है। मुझे उपदेश करो कि मैं इसे कैसे प्राप्त करूं ?
ਸਤਿਗੁਰੁ ਸੇਵਿ ਸਫਲ ਹਰਿ ਦਰਸਨੁ ਮਿਲਿ ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਹਰਿ ਰਸੁ ਪੀਅਹੁ ॥੨॥
गुरु को मिलकर हरि-रस रूपी अमृत पान करो तथा गुरु की सेवा करके भगवान् के दर्शन कर लो ॥२॥
ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਹਰਿ ਮੀਠਾ ਹਰਿ ਸੰਤਹੁ ਚਾਖਿ ਦਿਖਹੁ ॥
हे संतजनो ! ‘हरि-हरि' नाम रूपी अमृत बड़ा मीठा है, इसे चखकर देख लो।
ਗੁਰਮਤਿ ਹਰਿ ਰਸੁ ਮੀਠਾ ਲਾਗਾ ਤਿਨ ਬਿਸਰੇ ਸਭਿ ਬਿਖ ਰਸਹੁ ॥੩॥
गुरु के उपदेश द्वारा जिन्हें हरि-रस मीठा लगता है, उन्हें विष रूपी माया के सभी रस भूल गए हैं।३ ।
ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਰਸੁ ਰਾਮ ਰਸਾਇਣੁ ਹਰਿ ਸੇਵਹੁ ਸੰਤ ਜਨਹੁ ॥
हे संतजनो! राम-नाम रूपी रस ही रसायन है। भगवान् की उपासना करते रहो।
ਚਾਰਿ ਪਦਾਰਥ ਚਾਰੇ ਪਾਏ ਗੁਰਮਤਿ ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਭਜਹੁ ॥੪॥੪॥
हे नानक ! गुरु उपदेश द्वारा भगवान् का भजन करने से चारों पदार्थ-धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष पाए जा सकते हैं।॥ ४॥ ४॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੪ ॥
राग बिलावल, चतुर्थ गुरु: ४ ॥
ਖਤ੍ਰੀ ਬ੍ਰਾਹਮਣੁ ਸੂਦੁ ਵੈਸੁ ਕੋ ਜਾਪੈ ਹਰਿ ਮੰਤ੍ਰੁ ਜਪੈਨੀ ॥
हे भाई ! क्षत्रिय, ब्राह्मण, शूद्र एवं वैश्य में से हर कोई हरि-मंत्र जप सकता है, जो सभी के लिए जपने योग्य है।
ਗੁਰੁ ਸਤਿਗੁਰੁ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਕਰਿ ਪੂਜਹੁ ਨਿਤ ਸੇਵਹੁ ਦਿਨਸੁ ਸਭ ਰੈਨੀ ॥੧॥
पारब्रह्म का रूप मानकर गुरु की पूजा करो और नित्य दिन-रात सेवा में लीन रहो॥ १॥
ਹਰਿ ਜਨ ਦੇਖਹੁ ਸਤਿਗੁਰੁ ਨੈਨੀ ॥
हे भक्तजनों ! नयनों से सतगुरु के दर्शन करो।
ਜੋ ਇਛਹੁ ਸੋਈ ਫਲੁ ਪਾਵਹੁ ਹਰਿ ਬੋਲਹੁ ਗੁਰਮਤਿ ਬੈਨੀ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
गुरु के उपदेश द्वारा हरि-नाम बोलो और मनोवांछित फल पा लो॥ १॥ रहाउ॥
ਅਨਿਕ ਉਪਾਵ ਚਿਤਵੀਅਹਿ ਬਹੁਤੇਰੇ ਸਾ ਹੋਵੈ ਜਿ ਬਾਤ ਹੋਵੈਨੀ ॥
लोग अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए हर तरह की योजना बनाते हैं, लेकिन वही होता है जो होना तय होता है।
ਅਪਨਾ ਭਲਾ ਸਭੁ ਕੋਈ ਬਾਛੈ ਸੋ ਕਰੇ ਜਿ ਮੇਰੈ ਚਿਤਿ ਨ ਚਿਤੈਨੀ ॥੨॥
हर कोई अपनी भलाई की कामना करता है लेकिन परन्तु ईश्वर जो करते है वह हमारे विचार या कल्पना में कभी नहीं हो सकता है। ॥२॥
ਮਨ ਕੀ ਮਤਿ ਤਿਆਗਹੁ ਹਰਿ ਜਨ ਏਹਾ ਬਾਤ ਕਠੈਨੀ ॥
हे भक्तजनों ! अपने मन की मति त्याग दो, पर यह बात बड़ी कठिन है।
ਅਨਦਿਨੁ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਧਿਆਵਹੁ ਗੁਰ ਸਤਿਗੁਰ ਕੀ ਮਤਿ ਲੈਨੀ ॥੩॥
गुरु का उपदेश लेकर नित्य हरि-नाम का ध्यान करते रहो॥ ३॥
ਮਤਿ ਸੁਮਤਿ ਤੇਰੈ ਵਸਿ ਸੁਆਮੀ ਹਮ ਜੰਤ ਤੂ ਪੁਰਖੁ ਜੰਤੈਨੀ ॥
हे स्वामी ! मति अथवा सुमति यह सब आपके ही वश में है। हम जीव तो यंत्र हैं और आप यंत्र चलाने वाले पुरुष है।
ਜਨ ਨਾਨਕ ਕੇ ਪ੍ਰਭ ਕਰਤੇ ਸੁਆਮੀ ਜਿਉ ਭਾਵੈ ਤਿਵੈ ਬੁਲੈਨੀ ॥੪॥੫॥
हे नानक के प्रभु, हे कर्ता स्वामी ! जैसे आपको अच्छा लगता है, वैसे ही हम बोलते हैं॥ ४ ॥ ५ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੪ ॥
राग बिलावल, चतुर्थ गुरु: ४ ॥
ਅਨਦ ਮੂਲੁ ਧਿਆਇਓ ਪੁਰਖੋਤਮੁ ਅਨਦਿਨੁ ਅਨਦ ਅਨੰਦੇ ॥
आनंद के मूल स्रोत पुरुषोत्तम प्रभु का ध्यान करने से रात-दिन आनंद ही आनंद बना रहता है।
ਧਰਮ ਰਾਇ ਕੀ ਕਾਣਿ ਚੁਕਾਈ ਸਭਿ ਚੂਕੇ ਜਮ ਕੇ ਛੰਦੇ ॥੧॥
वह व्यक्ति अब धर्मराज के अधीन नहीं है; उसने मृत्यु के दानव के समस्त भय का नाश कर दिया है। ॥ १॥
ਜਪਿ ਮਨ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਗੋੁਬਿੰਦੇ ॥
हे मेरे मन! ब्रह्मांड के स्वामी भगवान् के नाम पर ध्यान करो।
ਵਡਭਾਗੀ ਗੁਰੁ ਸਤਿਗੁਰੁ ਪਾਇਆ ਗੁਣ ਗਾਏ ਪਰਮਾਨੰਦੇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
वह सौभाग्यशाली व्यक्ति, जिसे सच्चे गुरु का सान्निध्य प्राप्त होता है और जो उनकी शिक्षाओं पर चलता है, वह परम आनंद के स्रोत प्रभु की निरंतर स्तुति करता है। ॥ १॥ रहाउ॥
ਸਾਕਤ ਮੂੜ ਮਾਇਆ ਕੇ ਬਧਿਕ ਵਿਚਿ ਮਾਇਆ ਫਿਰਹਿ ਫਿਰੰਦੇ ॥
मूर्ख शाक्त जीव माया के बंदी हैं और वे माया में ही भटकते रहते हैं।
ਤ੍ਰਿਸਨਾ ਜਲਤ ਕਿਰਤ ਕੇ ਬਾਧੇ ਜਿਉ ਤੇਲੀ ਬਲਦ ਭਵੰਦੇ ॥੨॥
अपने पूर्व कर्मों के कारण वे संसारिक धन और शक्ति की तीव्र लालसा में जलते रहते हैं, और तेली के बैल की भाँति कोल्हू के चक्कर लगाते हुए निरंतर जन्म और मृत्यु के चक्र में घूमते रहते हैं। ॥ २॥
ਗੁਰਮੁਖਿ ਸੇਵ ਲਗੇ ਸੇ ਉਧਰੇ ਵਡਭਾਗੀ ਸੇਵ ਕਰੰਦੇ ॥
जो व्यक्ति गुरु के माध्यम से भगवान् की सेवा में लीन हुए हैं, उनका उद्धार हो गया है लेकिन यह अवसर केवल भाग्यशाली लोगों को ही मिलता है।
ਜਿਨ ਹਰਿ ਜਪਿਆ ਤਿਨ ਫਲੁ ਪਾਇਆ ਸਭਿ ਤੂਟੇ ਮਾਇਆ ਫੰਦੇ ॥੩॥
जिन्होंने भगवान् का जाप किया है, उन्हें फल मिल गया है, उनके माया के सभी फंदे टूट गए हैं।॥ ३॥
ਆਪੇ ਠਾਕੁਰੁ ਆਪੇ ਸੇਵਕੁ ਸਭੁ ਆਪੇ ਆਪਿ ਗੋਵਿੰਦੇ ॥
गोविंद सबकुछ स्वयं ही है और स्वामी अथवा सेवक भी स्वयं ही है।
ਜਨ ਨਾਨਕ ਆਪੇ ਆਪਿ ਸਭੁ ਵਰਤੈ ਜਿਉ ਰਾਖੈ ਤਿਵੈ ਰਹੰਦੇ ॥੪॥੬॥
हे नानक ! परमात्मा सर्वत्र व्याप्त है, जैसे वह जीवों को रखता है, वैसे ही वे रहते हैं।॥ ४॥ ६॥
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ईश्वर एक है जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है। ॥
ਰਾਗੁ ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੪ ਪੜਤਾਲ ਘਰੁ ੧੩ ॥
राग बिलावल, चतुर्थ गुरु, पारताल, तेरहवीं ताल ॥
ਬੋਲਹੁ ਭਈਆ ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਪਤਿਤ ਪਾਵਨੋ ॥
हे भाई ! पतितों को पावन करने वाला राम नाम बोलो।
ਹਰਿ ਸੰਤ ਭਗਤ ਤਾਰਨੋ ॥
वह प्रभु ही संतों एवं भक्तों का उद्धार करने वाला है।